15-03-2020, 02:23 PM
अनुजा की जुबानी
दिया ने बैठने में भी…
हम दोनों बीच में बैठे, मेरी ओर देवेश और उसकी ओर रोमी।
वो मेरे कान में बोली-
“हे, चल तू अपने वाले से चालू रह और मैं अपने वाले से…”
और खुद रोमी के कंधे पे हाथ रखकर बैठ गई।
मैं बोलना चाहती थी-
“हे, मेरा ये कोई नहीं है…”
पर चुप रह गई।
अंधेरा होते ही वो और रोमी… हद कर दी दोनों ने।
रोमी ने दिया को अपनी ओर खींच लिया, और सीधे होंठों पे चुम्मी ले ली। और दिया भी तो दोनों हाथों से उसे कस के पकड़ी थी।
मैं सामने देखना चाहती थी, लेकिन बगल में चुम्मा चाटी की आवाज सुनकर, मैं कनखियों से देख रही थी।
रोमी ने अपना एक हाथ सीधे दिया के ‘वहां’ कुर्ते के ऊपर से हल्के-हल्के दबा रहा था।
मैंने सुना था की डेटिंग में किसिंग, नेकिंग तो चलती है पर ये सब?
अचानक मेरे हाथ पे देवेश का हाथ महसूस करके मेरा हाथ अपने आप हट गया।
थोड़ी देर में फिर जब मैंने हाथ वापस हत्थे पे रखा तो फिर वही। अबकी मैंने हाथ नहीं हटाया। सोचा देखें आगे क्या करता है? ज्यादा आगे बढ़ा तो डांट दूंगी।
और मेरी निगाहें वैसे भी रोमी और दिया पे चिपकी हुई थीं।
वहां तो किसी एडल्ट फिल्म से भी हाट सीन चल रही थी।
दिया के कुर्ते के बटन खुल चुके थे, रोमी का एक हाथ अंदर और दूसरा बाहर से अब खुलकर दिया की चूचियों पे।
सफ़ेद लेसी ब्रा एकदम साफ़ साफ़ नजर आ रही थी लेकिन दिया को कोई फरक नहीं पड़ रहा था
वो तो रोमी से दबवाने मिजवाने में बीजी थी , ज़रा भी नहीं रोक रही थी बल्कि खुद ,... खुल के मजे ले रही थी।
उसकी ठीक बगल में बैठी मैं और मेरे बगल में देवेश
उधर देवेश की उंगलियां मेरी खुली बांहों पे टैप कर रहीं थीं।
मैंने नोटिस ना करने का बहाना किया, लेकिन मेरा दिल धक-धक कर रहा था।
मेरे सारे बदन में चींटियां काट रहीं थीं। और जब मैंने दिया की ओर देखा तो… माई गोड, उसका हाथ सीधे रोमी के जींस के ऊपर हल्के-हल्के रगड़ते हुये।
और रोमी का बल्ज साफ़ साफ उसकी जींस से झलक रहा था ,
दिया उसे पकड़ के सहला रही थी , मसल रही थी , जितनी जोर से रोमी दिया की चूँची दबाता ,
उतनी ही जोर से दिया रोमी का तन्नाया खूंटा , जींस के ऊपर से ,
तभी साइड से देवेश की एक उंगली मेरी चूचियों के उभार पे… टाप भी मेरा टाईट था।
मुझे क्या मालूम था की दिया,.. ।
देवेश की उंगली के खाली छुअन से मेरी सारी देह झनझना गई।
मुझे लगा की मैं कुछ बोलूं पर… फिर लगा शायद गलती से लग गया हो। डी॰टी॰सी॰ की बस पे चढ़ते उतरते, कितनी बार इससे कितना ज्यादा होता था। मेरी निगाहें अभी भी दिया से चिपकी थीं।
मेरे उभार तो दिया से भी ,... २० नहीं २२ थे , लड़कियां सब जलती थीं , लड़के सब मरते थे।
थोड़ी देर में फिर वही… और अबकी कोई गलती नहीं थी। साइड से उभार पे… और सिर्फ छुआ नहीं बल्कि हल्के से सहला दिया और मैं एकदम से गनगना गई।
पहली बार किसी लड़के का हाथ लगा था वहां।
जब सम्हली और सोचा की बोलूं, तभी इंटरवल हो गया।
इंटरवल में भी रोमी और दिया तो एक दूसरे से ऐसे चिपके… रोमी दिया के लिये आइस्क्रीम बार और कोक ले आया, और दिया भी आई मेरे और देवेश के साथ।
और यहां हम जैसे हों ही नहीं।
कैंटीन के काउंटर पे इतनी भीड़ की घुसना मुश्किल और वो देवेश भी पता नहीं कहां था। तब तक वो नजर आया, पूछा-
“हे, अनुज़ा बोल क्या ले आऊँ?”
मैंने एक बार फिर दिया की ओर देखा। वो भी ऐसे ही देख रही थी। अच्छा चल बच्ची तू भी क्या सोचेगी, मैं तुझसे ज्यादा सेक्सी लगती हूं बस एक बार मैं। और मैंने आँख नचाकर देवेश को मुश्कुरा के देखा और बोली-
“उंह्ह… अच्छा, एक कानेट्रो, कोक और जो तुम चाहो…”
“एकदम… बस अभी लाया…”
कहकर जो देवेश भीड़ में घुसा, धक्कम-धुक्का, इधर-उधर और दो मिनट में वो काउंटर पे था।
लो आखिरी बची थी, और कानेट्रो उसने मुझे पकड़ा दिया।
मैंने बड़ी अदा से उसका कागज खोला और पहले रिम पे जैसे किस किया जाता है, वैसे होंठों से छुआ। और फिर अपनी जीभ निकालकर किनारे से चाटा, कहा-
“वाउ… थैंक्स देवेश, मजा आ गया…”
खुश होकर वो बोला- “प्लेजर इज माइन…”
थोड़ी देर पहले मैं देख चुकी थी कि दिया किस तरह चोकोबार को साइड से लिक करके, काट करके रोमी को चढ़ा रही थी।
मैंने मन में कहा चल दिया की बच्ची तू सोचती है क्या तू ही… मैंने भी देवेश को दिखाकर सिर्फ अपने होंठों से एक बड़ी सी बाइट ली,
जैसे वहां दांत ना लग जाय और फिर जीभ निकालकर नीचे से ऊपर की ओर चार-पांच बार चाटा, और फिर देवेश से बोला-
“यू आर रिअली गुड, यार मजा आ गया…”
वो कोक सिप कर रहा था, लेकिन निगाह उसकी मेरे कानेट्रो पे लगी थी। फिर देवेश बोला-
“हे, एक बाईट देगी क्या?”
“श्योर… एक क्या चाहे जित्ती बाइट ले लो…”
और जब मैंने उसे कोनेट्रो पास-आन की तो मैं कनखियों से देख रही थी कि दिया और रोमी मेरी ओर ही देख रहे थे।
देवेश की उंगली मेरी उंगली से छू गई और एक बार फिर मेरी देह उसी तरह झनझना गई जब उसकी उंगलियों ने मेरे चूचियों को छुआ था।
देवेश ने वहीं से कोनेट्रो की बाइट ली जहां से मैंने ली थी और मैं उसका मतलब समझकर मुश्कुरा दी।
तब तक दिया ने अपनी कोक की बोतल दिखाकर बोला-
“हे डू यू वांट काक…”
“यस आई लाईक इट, बट आई हैब माई ओन…”
देवेश की ओर दिखाकर मैंने इशारा किया और देवेश के हाथ से कोक की बोतल ले ली।
“हे अनुज़ा, मैं बोली थी काक नाट कोक…”
दिया बोली।
मैं झेंपती, उसके पहले देवेश मेरे बगल में आकर खड़ा हो गया और बोला-
“तो क्या हुआ इसने भी तो बोला ना…”
तब तक इंटरवल खतम होने की घंटो बज गई।
दिया और रोमी बांहों में बांहे डाले अंदर चले गये।
***** *****फिल्म में फिल्म
दिया ने बैठने में भी…
हम दोनों बीच में बैठे, मेरी ओर देवेश और उसकी ओर रोमी।
वो मेरे कान में बोली-
“हे, चल तू अपने वाले से चालू रह और मैं अपने वाले से…”
और खुद रोमी के कंधे पे हाथ रखकर बैठ गई।
मैं बोलना चाहती थी-
“हे, मेरा ये कोई नहीं है…”
पर चुप रह गई।
अंधेरा होते ही वो और रोमी… हद कर दी दोनों ने।
रोमी ने दिया को अपनी ओर खींच लिया, और सीधे होंठों पे चुम्मी ले ली। और दिया भी तो दोनों हाथों से उसे कस के पकड़ी थी।
मैं सामने देखना चाहती थी, लेकिन बगल में चुम्मा चाटी की आवाज सुनकर, मैं कनखियों से देख रही थी।
रोमी ने अपना एक हाथ सीधे दिया के ‘वहां’ कुर्ते के ऊपर से हल्के-हल्के दबा रहा था।
मैंने सुना था की डेटिंग में किसिंग, नेकिंग तो चलती है पर ये सब?
अचानक मेरे हाथ पे देवेश का हाथ महसूस करके मेरा हाथ अपने आप हट गया।
थोड़ी देर में फिर जब मैंने हाथ वापस हत्थे पे रखा तो फिर वही। अबकी मैंने हाथ नहीं हटाया। सोचा देखें आगे क्या करता है? ज्यादा आगे बढ़ा तो डांट दूंगी।
और मेरी निगाहें वैसे भी रोमी और दिया पे चिपकी हुई थीं।
वहां तो किसी एडल्ट फिल्म से भी हाट सीन चल रही थी।
दिया के कुर्ते के बटन खुल चुके थे, रोमी का एक हाथ अंदर और दूसरा बाहर से अब खुलकर दिया की चूचियों पे।
सफ़ेद लेसी ब्रा एकदम साफ़ साफ़ नजर आ रही थी लेकिन दिया को कोई फरक नहीं पड़ रहा था
वो तो रोमी से दबवाने मिजवाने में बीजी थी , ज़रा भी नहीं रोक रही थी बल्कि खुद ,... खुल के मजे ले रही थी।
उसकी ठीक बगल में बैठी मैं और मेरे बगल में देवेश
उधर देवेश की उंगलियां मेरी खुली बांहों पे टैप कर रहीं थीं।
मैंने नोटिस ना करने का बहाना किया, लेकिन मेरा दिल धक-धक कर रहा था।
मेरे सारे बदन में चींटियां काट रहीं थीं। और जब मैंने दिया की ओर देखा तो… माई गोड, उसका हाथ सीधे रोमी के जींस के ऊपर हल्के-हल्के रगड़ते हुये।
और रोमी का बल्ज साफ़ साफ उसकी जींस से झलक रहा था ,
दिया उसे पकड़ के सहला रही थी , मसल रही थी , जितनी जोर से रोमी दिया की चूँची दबाता ,
उतनी ही जोर से दिया रोमी का तन्नाया खूंटा , जींस के ऊपर से ,
तभी साइड से देवेश की एक उंगली मेरी चूचियों के उभार पे… टाप भी मेरा टाईट था।
मुझे क्या मालूम था की दिया,.. ।
देवेश की उंगली के खाली छुअन से मेरी सारी देह झनझना गई।
मुझे लगा की मैं कुछ बोलूं पर… फिर लगा शायद गलती से लग गया हो। डी॰टी॰सी॰ की बस पे चढ़ते उतरते, कितनी बार इससे कितना ज्यादा होता था। मेरी निगाहें अभी भी दिया से चिपकी थीं।
मेरे उभार तो दिया से भी ,... २० नहीं २२ थे , लड़कियां सब जलती थीं , लड़के सब मरते थे।
थोड़ी देर में फिर वही… और अबकी कोई गलती नहीं थी। साइड से उभार पे… और सिर्फ छुआ नहीं बल्कि हल्के से सहला दिया और मैं एकदम से गनगना गई।
पहली बार किसी लड़के का हाथ लगा था वहां।
जब सम्हली और सोचा की बोलूं, तभी इंटरवल हो गया।
इंटरवल में भी रोमी और दिया तो एक दूसरे से ऐसे चिपके… रोमी दिया के लिये आइस्क्रीम बार और कोक ले आया, और दिया भी आई मेरे और देवेश के साथ।
और यहां हम जैसे हों ही नहीं।
कैंटीन के काउंटर पे इतनी भीड़ की घुसना मुश्किल और वो देवेश भी पता नहीं कहां था। तब तक वो नजर आया, पूछा-
“हे, अनुज़ा बोल क्या ले आऊँ?”
मैंने एक बार फिर दिया की ओर देखा। वो भी ऐसे ही देख रही थी। अच्छा चल बच्ची तू भी क्या सोचेगी, मैं तुझसे ज्यादा सेक्सी लगती हूं बस एक बार मैं। और मैंने आँख नचाकर देवेश को मुश्कुरा के देखा और बोली-
“उंह्ह… अच्छा, एक कानेट्रो, कोक और जो तुम चाहो…”
“एकदम… बस अभी लाया…”
कहकर जो देवेश भीड़ में घुसा, धक्कम-धुक्का, इधर-उधर और दो मिनट में वो काउंटर पे था।
लो आखिरी बची थी, और कानेट्रो उसने मुझे पकड़ा दिया।
मैंने बड़ी अदा से उसका कागज खोला और पहले रिम पे जैसे किस किया जाता है, वैसे होंठों से छुआ। और फिर अपनी जीभ निकालकर किनारे से चाटा, कहा-
“वाउ… थैंक्स देवेश, मजा आ गया…”
खुश होकर वो बोला- “प्लेजर इज माइन…”
थोड़ी देर पहले मैं देख चुकी थी कि दिया किस तरह चोकोबार को साइड से लिक करके, काट करके रोमी को चढ़ा रही थी।
मैंने मन में कहा चल दिया की बच्ची तू सोचती है क्या तू ही… मैंने भी देवेश को दिखाकर सिर्फ अपने होंठों से एक बड़ी सी बाइट ली,
जैसे वहां दांत ना लग जाय और फिर जीभ निकालकर नीचे से ऊपर की ओर चार-पांच बार चाटा, और फिर देवेश से बोला-
“यू आर रिअली गुड, यार मजा आ गया…”
वो कोक सिप कर रहा था, लेकिन निगाह उसकी मेरे कानेट्रो पे लगी थी। फिर देवेश बोला-
“हे, एक बाईट देगी क्या?”
“श्योर… एक क्या चाहे जित्ती बाइट ले लो…”
और जब मैंने उसे कोनेट्रो पास-आन की तो मैं कनखियों से देख रही थी कि दिया और रोमी मेरी ओर ही देख रहे थे।
देवेश की उंगली मेरी उंगली से छू गई और एक बार फिर मेरी देह उसी तरह झनझना गई जब उसकी उंगलियों ने मेरे चूचियों को छुआ था।
देवेश ने वहीं से कोनेट्रो की बाइट ली जहां से मैंने ली थी और मैं उसका मतलब समझकर मुश्कुरा दी।
तब तक दिया ने अपनी कोक की बोतल दिखाकर बोला-
“हे डू यू वांट काक…”
“यस आई लाईक इट, बट आई हैब माई ओन…”
देवेश की ओर दिखाकर मैंने इशारा किया और देवेश के हाथ से कोक की बोतल ले ली।
“हे अनुज़ा, मैं बोली थी काक नाट कोक…”
दिया बोली।
मैं झेंपती, उसके पहले देवेश मेरे बगल में आकर खड़ा हो गया और बोला-
“तो क्या हुआ इसने भी तो बोला ना…”
तब तक इंटरवल खतम होने की घंटो बज गई।
दिया और रोमी बांहों में बांहे डाले अंदर चले गये।