15-03-2020, 08:19 AM
(This post was last modified: 04-07-2021, 11:52 AM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
हमारा कमरा
मेरे दिमाग में उन के माल के लिए बनाई गयी तमाम स्कीम घूम रही थी ,जो मैंने और मम्मी ने मिल के बनाई थीं।
लगेज सारा लाद के वो ऊपर ले आये , हम लोगो के कमरे में।
…………………
हमारा कमरा ऊपर की मंजिल पर था , जहां मैं शादी के बाद आयी थी ,
जहाँ हमारी सुहागरात मनी।
मैंने उस कमरे की खिड़की खोल के एक गहरी साँस ली , ढेर सारी खट्टी मीठी यादें जुडी हैं इस कमरे से।
सच बोलूं तो मीठी बहुत ज्यादा , खट्टी बस थोड़ी सी ,दाल में नमक जैसी ,
इनका प्यार दुलार , इज्जत सब कुछ मिला मुझे इस कमरे में ,
और खुल के मजे भी।
पहली रात ही , ...
हम दोनों है नौसिखिये थे , ...
लेकिन जिस तरह सम्हल के ,
इन्होंने और जितना मेरी भभियों ने सिखा के भेजा था ,
उससे भी ज्यादा ,
पहली रात ही मैं सीख गयी थी ,शादी के बाद की रातें सोने के लिए नहीं होतीं ,
पूरे तीन बार ,
और अगले दिन , दिन में भी घात लगा दी थी उन्होंने।
इस कमरे की तो मैं रानी थी , जब मैं और ये इस कमरे में होते तो बस ,
सिर्फ सेक्स ही नहीं ,
जो तुम को हो पसंद वही बात करेंगे ,
चाहेंगे , निभाएंगे ,सराहेंगे , आप ही को ,...
बस एकदम उसी स्टाइल में और वो भी दिल से।
लेकिन जहाँ कमरे से हम बाहर होते ,नीचे की मंजिल पे जहाँ मेरी जिठानी ,सास ,इनकी सब मायकेवालियां होतीं ,
बस जैसे मुझे पहचानेंगे नहीं
( हाँ बीच बीच में लालचियों की तरह छुप छुप के देखने से बाज नहीं आते थे वहां भी )
न कोई बात ,न कुछ।
और मेरे कमरे में भी ,जैसे कोई मायके वाली आ जाये ,
भले ही उसके पहले मुझसे चिपके बैठे हों ,
एकदम दूर हो के , जैसे पहचानते भी न हों ,...
और कई बार तो एक सिम्बालिक प्रजेंस भी ,
मैंने वो कंडोम वाला वाकया तो कई बार बताया है ,
बात छोटी सी थी लेकिन मेरे दिल को सालती थी।
कंडोम वो पहले दिन से ही इस्तेमाल करते थे ,
लेकिन वो फेमली प्लानिंग टाइप वाला,
चीनू मेरी बड़ी मौसेरी बहन ने मुझे डॉटेड कंडोम के बारे में बताया तो मैंने इनसे बोला था ,
और अगले ही दिन , वो ले आये और दिन में ही उन्होंने इस्तेमाल भी कर डाला ,
खूब मज़ा आया , मुझे भी और उन्हें भी।
पहली बार दिन में , हिप्स उछाल उछाल के , सिसक सिसक के
सेक्स के बाद भी हम लोग बहुत देर तक एक दुसरे को भींचे बांहों में कस के बांधे पड़े रहते थे ,
वो मेरे अंदर
और आज तो स्पेशल मजा आया था इसलिए ,
लेकिन थोड़ी देर में मेरी कोई मायके वाली ने खटखट की और मैंने झट से पास में रखे अपने वेडिंग ऐल्बम में उसे रख दिया।
बस वही ,
रात में उन्होंने देख लिया की कण्डोम वेडिंग एलबम में उन फोटुओं के बीच पड़ा है
जहाँ वो उनकी ममेरी बहन की हमारी शादी में डांस करते,
बस बिना कुछ बोले वो अलफ़ , दूसरी ओर करवट कर के ,
बिना कुछ 'किये धरे ' सो गए।
इतना बुरा लगा मुझे ,
पर अगले दिन सुबह भोर होने के पहले ही , जैसे रात की सारी बात भूल के ,
रात का भी उधार चुकता कर दिया उन्होंने।
सुबह एक राउंड तो रोज होता था था लेकिन उस दिन पहली बार
सुबह सबेरे दो राउंड , फर्स्ट टाइम , ...
और वो भी खूब देर तक।
मैंने उनकी ओर देखा वार्डरोब में वो मेरे और अपने कपडे रख रहे थे ,
पर पहले
छू भी नहीं सकते थे , कुछ बोलो भी तो चिढा के बोलते थे ,
कपडे उतारने की जिम्मेदारी मेरी तेरे भी अपने भी
और रखने की जिम्मेदारी तुम्हारी।
एक दिन मैं वार्डरोब में कपडे रख रही थी की मेरी ननद आ गयी ,
वही उनकी ममेरी बहन ,गुड्डी।
उसे चिढाते हुए मैंने बोला ,
" देखो अपने भैया को , अपना एक भी काम अपने से , अपने कपडे भी तहियाकर नहीं रख सकते। "
इठलाकर ठसके से बहुत नाजो अंदाज से वो कमिसन किशोरी मुझे छेड़ने की कोशिश करते हुए ,बोली ,
" अरे भाभी आप को लाये ही इसलिए हैं न ,काम करने के लिए। मेरे भैय्या थोड़े ही कुछ करेंगे। "
अपनी नाजनीन षोडसी ननद के गोरे गुलाबी गालों को हलके से पिंच करते मैं चिढाया ,
" कमसिन हो नादाँ हो , ... अरे तुझे अभी भी ये नहीं मालुम , करते तो तेरे भइय्या ही हैं , मैं तो सिर्फ करवाती हूँ।
बोल तूने कभी करवाया की नहीं उनसे। "
अब वो थोड़ी शरमा गयी।
मेरी ऊँगली मेरी ननद के गालों से उसके गुलाब से होंठों पर और फिर नीचे ,...
" बच्ची हो तुम अभी ,करने करवाने के बारे में तुझे अभी सिखाना पडेगा। " मैंने फिर छेड़ा।
" बच्ची वच्ची नहीं हूँ ,पूरे ,... साल की हो गयी हूँ। चार साल हो गए टीनेजर हुए। " तुनक के वो बोली।
" अरे तब तो तुम एकदम 'करवाने ' लायक हो गयी , मेरे ससुराल वाली मैंने सुना था चौदह में चुदवासी हो जाती है और तुम तो दो साल और ,तेरी कच्ची अमिया भी तो कैसी गदरा रही है। बोल 'करवा' दूँ तेरे भैया से , वैसे भी मेरी पांच दिन वाली छुट्टी आने वाली है , बिचारे का उपवास हो जाएगा। "
मैं अब खुल के अपनी ननद को छेड़ रही थी।
मेरी ऊँगली उस के कच्चे टिकोरों पर थी ,कड़े कड़े , नए जवानी के गदराते उभार ,
" धत्त भाभी ,आप को सिर्फ एक ही बात सूझती है। "
झुंझला के मेरे चंगुल से छूटने की कोशिश करते वो बोली।
" अपने भैय्या से पूछ न , उनको भी सिर्फ एक बात ही सूझती है। "
हँसते हुए मैं बोली।
उनकी आवाज मेरा ध्यान खीच के मुझे वापस लायी।
मेरे अंडर गारमेंट्स कहाँ रखें , वो पूछ रहे थे।
मेरे दिमाग में उन के माल के लिए बनाई गयी तमाम स्कीम घूम रही थी ,जो मैंने और मम्मी ने मिल के बनाई थीं।
लगेज सारा लाद के वो ऊपर ले आये , हम लोगो के कमरे में।
…………………
हमारा कमरा ऊपर की मंजिल पर था , जहां मैं शादी के बाद आयी थी ,
जहाँ हमारी सुहागरात मनी।
मैंने उस कमरे की खिड़की खोल के एक गहरी साँस ली , ढेर सारी खट्टी मीठी यादें जुडी हैं इस कमरे से।
सच बोलूं तो मीठी बहुत ज्यादा , खट्टी बस थोड़ी सी ,दाल में नमक जैसी ,
इनका प्यार दुलार , इज्जत सब कुछ मिला मुझे इस कमरे में ,
और खुल के मजे भी।
पहली रात ही , ...
हम दोनों है नौसिखिये थे , ...
लेकिन जिस तरह सम्हल के ,
इन्होंने और जितना मेरी भभियों ने सिखा के भेजा था ,
उससे भी ज्यादा ,
पहली रात ही मैं सीख गयी थी ,शादी के बाद की रातें सोने के लिए नहीं होतीं ,
पूरे तीन बार ,
और अगले दिन , दिन में भी घात लगा दी थी उन्होंने।
इस कमरे की तो मैं रानी थी , जब मैं और ये इस कमरे में होते तो बस ,
सिर्फ सेक्स ही नहीं ,
जो तुम को हो पसंद वही बात करेंगे ,
चाहेंगे , निभाएंगे ,सराहेंगे , आप ही को ,...
बस एकदम उसी स्टाइल में और वो भी दिल से।
लेकिन जहाँ कमरे से हम बाहर होते ,नीचे की मंजिल पे जहाँ मेरी जिठानी ,सास ,इनकी सब मायकेवालियां होतीं ,
बस जैसे मुझे पहचानेंगे नहीं
( हाँ बीच बीच में लालचियों की तरह छुप छुप के देखने से बाज नहीं आते थे वहां भी )
न कोई बात ,न कुछ।
और मेरे कमरे में भी ,जैसे कोई मायके वाली आ जाये ,
भले ही उसके पहले मुझसे चिपके बैठे हों ,
एकदम दूर हो के , जैसे पहचानते भी न हों ,...
और कई बार तो एक सिम्बालिक प्रजेंस भी ,
मैंने वो कंडोम वाला वाकया तो कई बार बताया है ,
बात छोटी सी थी लेकिन मेरे दिल को सालती थी।
कंडोम वो पहले दिन से ही इस्तेमाल करते थे ,
लेकिन वो फेमली प्लानिंग टाइप वाला,
चीनू मेरी बड़ी मौसेरी बहन ने मुझे डॉटेड कंडोम के बारे में बताया तो मैंने इनसे बोला था ,
और अगले ही दिन , वो ले आये और दिन में ही उन्होंने इस्तेमाल भी कर डाला ,
खूब मज़ा आया , मुझे भी और उन्हें भी।
पहली बार दिन में , हिप्स उछाल उछाल के , सिसक सिसक के
सेक्स के बाद भी हम लोग बहुत देर तक एक दुसरे को भींचे बांहों में कस के बांधे पड़े रहते थे ,
वो मेरे अंदर
और आज तो स्पेशल मजा आया था इसलिए ,
लेकिन थोड़ी देर में मेरी कोई मायके वाली ने खटखट की और मैंने झट से पास में रखे अपने वेडिंग ऐल्बम में उसे रख दिया।
बस वही ,
रात में उन्होंने देख लिया की कण्डोम वेडिंग एलबम में उन फोटुओं के बीच पड़ा है
जहाँ वो उनकी ममेरी बहन की हमारी शादी में डांस करते,
बस बिना कुछ बोले वो अलफ़ , दूसरी ओर करवट कर के ,
बिना कुछ 'किये धरे ' सो गए।
इतना बुरा लगा मुझे ,
पर अगले दिन सुबह भोर होने के पहले ही , जैसे रात की सारी बात भूल के ,
रात का भी उधार चुकता कर दिया उन्होंने।
सुबह एक राउंड तो रोज होता था था लेकिन उस दिन पहली बार
सुबह सबेरे दो राउंड , फर्स्ट टाइम , ...
और वो भी खूब देर तक।
मैंने उनकी ओर देखा वार्डरोब में वो मेरे और अपने कपडे रख रहे थे ,
पर पहले
छू भी नहीं सकते थे , कुछ बोलो भी तो चिढा के बोलते थे ,
कपडे उतारने की जिम्मेदारी मेरी तेरे भी अपने भी
और रखने की जिम्मेदारी तुम्हारी।
एक दिन मैं वार्डरोब में कपडे रख रही थी की मेरी ननद आ गयी ,
वही उनकी ममेरी बहन ,गुड्डी।
उसे चिढाते हुए मैंने बोला ,
" देखो अपने भैया को , अपना एक भी काम अपने से , अपने कपडे भी तहियाकर नहीं रख सकते। "
इठलाकर ठसके से बहुत नाजो अंदाज से वो कमिसन किशोरी मुझे छेड़ने की कोशिश करते हुए ,बोली ,
" अरे भाभी आप को लाये ही इसलिए हैं न ,काम करने के लिए। मेरे भैय्या थोड़े ही कुछ करेंगे। "
अपनी नाजनीन षोडसी ननद के गोरे गुलाबी गालों को हलके से पिंच करते मैं चिढाया ,
" कमसिन हो नादाँ हो , ... अरे तुझे अभी भी ये नहीं मालुम , करते तो तेरे भइय्या ही हैं , मैं तो सिर्फ करवाती हूँ।
बोल तूने कभी करवाया की नहीं उनसे। "
अब वो थोड़ी शरमा गयी।
मेरी ऊँगली मेरी ननद के गालों से उसके गुलाब से होंठों पर और फिर नीचे ,...
" बच्ची हो तुम अभी ,करने करवाने के बारे में तुझे अभी सिखाना पडेगा। " मैंने फिर छेड़ा।
" बच्ची वच्ची नहीं हूँ ,पूरे ,... साल की हो गयी हूँ। चार साल हो गए टीनेजर हुए। " तुनक के वो बोली।
" अरे तब तो तुम एकदम 'करवाने ' लायक हो गयी , मेरे ससुराल वाली मैंने सुना था चौदह में चुदवासी हो जाती है और तुम तो दो साल और ,तेरी कच्ची अमिया भी तो कैसी गदरा रही है। बोल 'करवा' दूँ तेरे भैया से , वैसे भी मेरी पांच दिन वाली छुट्टी आने वाली है , बिचारे का उपवास हो जाएगा। "
मैं अब खुल के अपनी ननद को छेड़ रही थी।
मेरी ऊँगली उस के कच्चे टिकोरों पर थी ,कड़े कड़े , नए जवानी के गदराते उभार ,
" धत्त भाभी ,आप को सिर्फ एक ही बात सूझती है। "
झुंझला के मेरे चंगुल से छूटने की कोशिश करते वो बोली।
" अपने भैय्या से पूछ न , उनको भी सिर्फ एक बात ही सूझती है। "
हँसते हुए मैं बोली।
उनकी आवाज मेरा ध्यान खीच के मुझे वापस लायी।
मेरे अंडर गारमेंट्स कहाँ रखें , वो पूछ रहे थे।