13-02-2019, 08:47 PM
जोरू का गुलाम पार्ट १३
रात बाकी , बात बाकी
और दुबारा मेरे होठ ,उनके होंठों से चिपक गए , उनके होंठों , मुंह में घुले आम रस ,काम रस का स्वाद लेते।
………………………………………………………………
' अगर उनकेमायकेवाले उन्हें इस तरह देखा होता तो फट के हाथ में आ जाती उनकी। मेरे भैय्या ऐसे है , आप मुझसे ज्यादा मेरे भइया को थोड़े जानती हैं। "
मैंने सर झटक के इस ख्यालको हटाया , कुछ ही दिन की बात है फिर तो इनके मायकेवालों के सामने भी , …
और थोड़ी देर में हम दोनों साथ बैठे हुए थे , मैं उनकी गोद में , जोर से हम दोनों एक दूसरे को बाँहों में भींचे हुए , बड़ी देर तक बिना कुछ बोले ,
न हमारे बीच कोई कपड़ा था न लाज , न अतीत की याद ,डर ,झिझक ,न भविष्य की आशंका , न क्या अच्छा क्या बुरा।
सिर्फ साजन ,सजनी।
उनके चेहरे पे एक नयी चमक , एक नया कांफिडेंस था और ख़ुशी एकदम टपक रही थी।
...................................................
और उनकी ललचाई निगाहें बार बार मेरे गदराये उन्मुक्त जोबन को सहला रहीं थीं , दोनों उभारों के बीच मेरा मंगलसूत्र क्लीवेज के अंदर धंसा था। मेरे सुहाग की निशानी , उनका प्रतीक , उसे निकाल के उन्हें दिखा के मैंने चूम लिया।
उनकी आँखों की ख़ुशी देखते बनती थी।
मैंने प्लेट उठा के उनकी ओर बढ़ा दी , लम्बी लम्बी रस से भरी ,सुनहली ,फांके ,अल्फांसो,केसर ,दसहरी ,…
और अबकी खुद उन्होंने अपने हाथ से उठा के एक गप कर लिया।
क्यों अकेले अकेले ? मैंने उन्हें छेड़ा।
और अगली फांक मेरे मुंह में थी उनके हाथों से।
लेकिन उसके बाद खाने खिलाने का काम होंठों ने संभाल लिया ,कभी उनके होंठों ने कभी मेरे होंठों ने।
थोड़ी ही देर में प्लेट खाली थी।
और अब मैंने एक चॉकलेट निकाली , उनकी 'स्पेशल बर्थडे गिफ्ट ' एक खूब बड़ी सी एनर्जी चॉकलेट।
और जब उन्होंने उसे हाथ से अनरैप करने की कोशिश की तो मैंने उसे पीछे कर लिया ,
और उनके आधे सोये आधे जागे खूंटे की ओर इशारा किया , कैसे मैंने उसका घूंघट अपने होंठों से हटाया था।
और मुस्करा के उन्होंने अपने होंठो से एक तिहाई खोल दिया ,
तो मैंने फिर इशारा किया ,
अपने होंठों के बीच लेके उसे धीमे धीमे चुभलाओ , सक आईटी स्लोली डोंट बाइट , एकदम जैसे मैंने किया
और उन्होंने वही किया ,करीब तीन इंच इंच मोटा सा चॉकलेट का टुकड़ा उनके मुंह में था , और वह चूस चुभला रहे थे जैसे थोड़ी देर पहले मैं उनका सुपाड़ा चूस रही थी।
और इस चॉकलेट में मेरी और बर्थडे गिफ्ट भरी थी , सॉफ्ट सियालिस टैब्स , चाकलेट फ्लेवर की।
इसका असर दूनी तेजी से होता था।
और जब तक वह चाकलेट चूस रहे थे
मैंने एक रेड वाइन का गॉब्लेट उनके होंठों से लगा दिया ,
और जब तक वह कुछ समझें एक तिहाई उनके होंठों से होते पेट में
और यह भी उनके लिए फर्स्ट टाइम था , एक अच्छे बच्चे वाली प्योरिटैनिकल अपब्रिंगिंग के बाद ,
अगली सिप मेरे होंठों ने ली , खूब बड़ी सी और फिर मेरे होंठो से उनके होंठों में,
और उसके बाद अगले दस -पंद्रह मिनट तक जिन उरोजों को वो ललचाते हुए देख रहे थे , उनसे होक मैंने वाइन सीधे उनके होंठों पे ,
तीन चौथाई बॉटल खाली हो गयी थी और उसकी दो तिहाई से ज्यादा उनके पेट में ,
साथ साथ सियालिस से भरी एनर्जी चॉकलेट ,
मेरी उंगलियां भी साथ कभी 'उसे ' छूती ,छेड़तीं , कभी हलके हलके मुठियाने लगती।
और वो अब तनतना गया था , एकदम कड़ा बेकाबू।
रात बाकी , बात बाकी
और दुबारा मेरे होठ ,उनके होंठों से चिपक गए , उनके होंठों , मुंह में घुले आम रस ,काम रस का स्वाद लेते।
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' अगर उनकेमायकेवाले उन्हें इस तरह देखा होता तो फट के हाथ में आ जाती उनकी। मेरे भैय्या ऐसे है , आप मुझसे ज्यादा मेरे भइया को थोड़े जानती हैं। "
मैंने सर झटक के इस ख्यालको हटाया , कुछ ही दिन की बात है फिर तो इनके मायकेवालों के सामने भी , …
और थोड़ी देर में हम दोनों साथ बैठे हुए थे , मैं उनकी गोद में , जोर से हम दोनों एक दूसरे को बाँहों में भींचे हुए , बड़ी देर तक बिना कुछ बोले ,
न हमारे बीच कोई कपड़ा था न लाज , न अतीत की याद ,डर ,झिझक ,न भविष्य की आशंका , न क्या अच्छा क्या बुरा।
सिर्फ साजन ,सजनी।
उनके चेहरे पे एक नयी चमक , एक नया कांफिडेंस था और ख़ुशी एकदम टपक रही थी।
...................................................
और उनकी ललचाई निगाहें बार बार मेरे गदराये उन्मुक्त जोबन को सहला रहीं थीं , दोनों उभारों के बीच मेरा मंगलसूत्र क्लीवेज के अंदर धंसा था। मेरे सुहाग की निशानी , उनका प्रतीक , उसे निकाल के उन्हें दिखा के मैंने चूम लिया।
उनकी आँखों की ख़ुशी देखते बनती थी।
मैंने प्लेट उठा के उनकी ओर बढ़ा दी , लम्बी लम्बी रस से भरी ,सुनहली ,फांके ,अल्फांसो,केसर ,दसहरी ,…
और अबकी खुद उन्होंने अपने हाथ से उठा के एक गप कर लिया।
क्यों अकेले अकेले ? मैंने उन्हें छेड़ा।
और अगली फांक मेरे मुंह में थी उनके हाथों से।
लेकिन उसके बाद खाने खिलाने का काम होंठों ने संभाल लिया ,कभी उनके होंठों ने कभी मेरे होंठों ने।
थोड़ी ही देर में प्लेट खाली थी।
और अब मैंने एक चॉकलेट निकाली , उनकी 'स्पेशल बर्थडे गिफ्ट ' एक खूब बड़ी सी एनर्जी चॉकलेट।
और जब उन्होंने उसे हाथ से अनरैप करने की कोशिश की तो मैंने उसे पीछे कर लिया ,
और उनके आधे सोये आधे जागे खूंटे की ओर इशारा किया , कैसे मैंने उसका घूंघट अपने होंठों से हटाया था।
और मुस्करा के उन्होंने अपने होंठो से एक तिहाई खोल दिया ,
तो मैंने फिर इशारा किया ,
अपने होंठों के बीच लेके उसे धीमे धीमे चुभलाओ , सक आईटी स्लोली डोंट बाइट , एकदम जैसे मैंने किया
और उन्होंने वही किया ,करीब तीन इंच इंच मोटा सा चॉकलेट का टुकड़ा उनके मुंह में था , और वह चूस चुभला रहे थे जैसे थोड़ी देर पहले मैं उनका सुपाड़ा चूस रही थी।
और इस चॉकलेट में मेरी और बर्थडे गिफ्ट भरी थी , सॉफ्ट सियालिस टैब्स , चाकलेट फ्लेवर की।
इसका असर दूनी तेजी से होता था।
और जब तक वह चाकलेट चूस रहे थे
मैंने एक रेड वाइन का गॉब्लेट उनके होंठों से लगा दिया ,
और जब तक वह कुछ समझें एक तिहाई उनके होंठों से होते पेट में
और यह भी उनके लिए फर्स्ट टाइम था , एक अच्छे बच्चे वाली प्योरिटैनिकल अपब्रिंगिंग के बाद ,
अगली सिप मेरे होंठों ने ली , खूब बड़ी सी और फिर मेरे होंठो से उनके होंठों में,
और उसके बाद अगले दस -पंद्रह मिनट तक जिन उरोजों को वो ललचाते हुए देख रहे थे , उनसे होक मैंने वाइन सीधे उनके होंठों पे ,
तीन चौथाई बॉटल खाली हो गयी थी और उसकी दो तिहाई से ज्यादा उनके पेट में ,
साथ साथ सियालिस से भरी एनर्जी चॉकलेट ,
मेरी उंगलियां भी साथ कभी 'उसे ' छूती ,छेड़तीं , कभी हलके हलके मुठियाने लगती।
और वो अब तनतना गया था , एकदम कड़ा बेकाबू।