14-03-2020, 12:18 PM
(This post was last modified: 04-07-2021, 08:33 AM by komaalrani. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
रास्ता उनके मायके का
आधे से ज्यादा रास्ता उनके मायके का पार हो चुका था।
आसमान में अभी भी शावक से सफ़ेद भूरे बादल एक दूसरे का पीछा कर रहे थे ,आपस में खिलवाड़ कर रहे थे।
और दरवाजे से झांकती शर्माती नयी बहुरिया की तरह ,
ताज़ी ताज़ी सुबह की शरमाती किरणे भी बादल का घूंघट हटाने की कोशिश कर रही थीं।
दूर दूर तक धानी चूनर की तरह धान के खेत फैले थे और उनमें झुकी रोपनी करने वाली ग्राम्याएँ , सोहनी के गाने गा रही थीं।
आम के घने बगीचे , और गन्ने के खेत ,
मुझे मम्मी के गाँव की याद आ गयी और इनका मम्मी से किया गया वायदा ,
अपनी ममेरी बहन को ८-१० दिन के लिए मम्मी के गांव ,
मेरे मायके भेजने का वायदा ,
और फिर उसकी कुटाई होती ,
गन्ने के खेत में ,
आम के बगीचे में , मेंड़ के पीछे ,
झोपड़ी के नीचे ,
एक साथ तीन चार लौंडे ,
चमरौटी के , भरौटी के ,अहिरौटी के ,
और गाँव की औरतें भी , ...
फिर उसे पक्की छिनार होने से कोई रोक नहीं सकता था।
सच्च में कितना मज़ा आएगा, स्साली , छिनार , ...
भाभी मेरे यहाँ ये नहीं होता , मेरे यहाँ वो नहीं होता , ... आपके मायके की तरह यहाँ नहीं,
सही है , जब मेरे मायके के मोटे लौंड़े घोंटेंगी वो , वो भी एक साथ दो दो तीन तीन ,
हरदम दोनों ओर से सड़का टपकेगा , तब पता चलेगा उसे , ... चूत का तो भोंसड़ा बनेगा ही , गांड भी फाड़ी जायेगी
लेकिन उसके पहले तो मुझे बाजी जीतनी है उससे , ...
"मेरे भैया आम छू भी नहीं सकते , ... भाभी आप का हार तो गया ,"
भैया उसके , उसी के हाथ से खिलवाउंगी इन्हे ,
और उस जेठानी के सामने , ...
"तूने भी गलत बाज़ी लगा ली , तू मेरे देवर को जानती नहीं , आम का तो नाम नहीं ले सकता ये ,
और खिलाने की बात तो सपने में भी नहीं सोचना , मैं तो जानती हूँ न अपने देवर को , तू तो अभी कल की आयी है ,... "
एक बार हार गयी वो फिर तो , ... पहले ये चढ़ेंगे फिर इनके साले
चिढाते हुए मैंने इन्हें छेड़ा ,
' रस्ता नहीं कट रहा है क्या , अरे वो छिनार भी खूब चुदवासी हो रही होगी। "
वो कुछ नहीं बोले पर जीन्स में तना उनका बल्ज बोल रहा था।
" मिलते ही चुम्मा लेना उसका , और वो भी अपनी भौजाई के सामने। "
लेकिन उन्होंने कोई रिएक्शन नहीं दिया जैसे सुन के अनसुना कर दिया।
और मुझे मम्मी की वार्निंग याद आगयी ,
,
"चीजें इतनी आसान नहीं होंगी तेरी ससुराल में। अपने मायके में पहुँच के इसके वापस अपने कोकून में घुसने के पूरे चांसेज है , पुरानी फेमिलियर टेरिटरी , होम पिच का अडवांटेज , उसकी भौजाई ,बहन , तुमको पूरा ध्यान देना होगा और पहली वार्निंग पर ही साम दाम दंड भेद , सब ,... "
आधे से ज्यादा रास्ता उनके मायके का पार हो चुका था।
आसमान में अभी भी शावक से सफ़ेद भूरे बादल एक दूसरे का पीछा कर रहे थे ,आपस में खिलवाड़ कर रहे थे।
और दरवाजे से झांकती शर्माती नयी बहुरिया की तरह ,
ताज़ी ताज़ी सुबह की शरमाती किरणे भी बादल का घूंघट हटाने की कोशिश कर रही थीं।
दूर दूर तक धानी चूनर की तरह धान के खेत फैले थे और उनमें झुकी रोपनी करने वाली ग्राम्याएँ , सोहनी के गाने गा रही थीं।
आम के घने बगीचे , और गन्ने के खेत ,
मुझे मम्मी के गाँव की याद आ गयी और इनका मम्मी से किया गया वायदा ,
अपनी ममेरी बहन को ८-१० दिन के लिए मम्मी के गांव ,
मेरे मायके भेजने का वायदा ,
और फिर उसकी कुटाई होती ,
गन्ने के खेत में ,
आम के बगीचे में , मेंड़ के पीछे ,
झोपड़ी के नीचे ,
एक साथ तीन चार लौंडे ,
चमरौटी के , भरौटी के ,अहिरौटी के ,
और गाँव की औरतें भी , ...
फिर उसे पक्की छिनार होने से कोई रोक नहीं सकता था।
सच्च में कितना मज़ा आएगा, स्साली , छिनार , ...
भाभी मेरे यहाँ ये नहीं होता , मेरे यहाँ वो नहीं होता , ... आपके मायके की तरह यहाँ नहीं,
सही है , जब मेरे मायके के मोटे लौंड़े घोंटेंगी वो , वो भी एक साथ दो दो तीन तीन ,
हरदम दोनों ओर से सड़का टपकेगा , तब पता चलेगा उसे , ... चूत का तो भोंसड़ा बनेगा ही , गांड भी फाड़ी जायेगी
लेकिन उसके पहले तो मुझे बाजी जीतनी है उससे , ...
"मेरे भैया आम छू भी नहीं सकते , ... भाभी आप का हार तो गया ,"
भैया उसके , उसी के हाथ से खिलवाउंगी इन्हे ,
और उस जेठानी के सामने , ...
"तूने भी गलत बाज़ी लगा ली , तू मेरे देवर को जानती नहीं , आम का तो नाम नहीं ले सकता ये ,
और खिलाने की बात तो सपने में भी नहीं सोचना , मैं तो जानती हूँ न अपने देवर को , तू तो अभी कल की आयी है ,... "
एक बार हार गयी वो फिर तो , ... पहले ये चढ़ेंगे फिर इनके साले
चिढाते हुए मैंने इन्हें छेड़ा ,
' रस्ता नहीं कट रहा है क्या , अरे वो छिनार भी खूब चुदवासी हो रही होगी। "
वो कुछ नहीं बोले पर जीन्स में तना उनका बल्ज बोल रहा था।
" मिलते ही चुम्मा लेना उसका , और वो भी अपनी भौजाई के सामने। "
लेकिन उन्होंने कोई रिएक्शन नहीं दिया जैसे सुन के अनसुना कर दिया।
और मुझे मम्मी की वार्निंग याद आगयी ,
,
"चीजें इतनी आसान नहीं होंगी तेरी ससुराल में। अपने मायके में पहुँच के इसके वापस अपने कोकून में घुसने के पूरे चांसेज है , पुरानी फेमिलियर टेरिटरी , होम पिच का अडवांटेज , उसकी भौजाई ,बहन , तुमको पूरा ध्यान देना होगा और पहली वार्निंग पर ही साम दाम दंड भेद , सब ,... "