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Misc. Erotica सेक्स, उत्तेजना और कामुकता -
सोना पट्टी खुलते ही मुझसे चिपक गई और बोली- भैया जी, आज आपने जो मेरी चूत को मज़ा दिया है, मैं कभी नहीं भूल पाउंगी। आप जब भी गाँव आयें तो मेरी चूत जरूर मारना ! मेरी चूत आपका हमेशा इंतजार करेगी।

सोना मुझसे कस कर चिपक गई सोना और मेरा बदन पूरी तरह से एक दूसरे में मिला हुआ था। मैं एक अजीब सा सुख महसूस कर रहा था।

थोड़ी देर बाद मैंने सोना को अलग किया और बोला- चलो बाहर चलते हैं !

हम दोनों कपड़े पहनने लगे, सोना बोली- भाई साहब ! भूत लण्ड की तरह होता है, आज पता चला !

मैंने कहा- भूत किसी भी रूप में रह सकता है बस वो दिखता नहीं है, महसूस हो सकता है। इसलिए जब तुम्हारी आँखें बंद थी तो तुम मेरे मंत्रों के कारण भूत को महसूस कर रही थी कि भूत तुम्हारी चूत चोद रहा है !

मैंने उसको तुम्हारे मुँह में भी घुसाया था। सोना ने हामी में सर हिला दिया। अब मैं और सोना बाहर आ गए। 

बाहर रोमा भाभी मुस्करा रही थीं, उन्होंने सोना के चूतड़ों पर हाथ फेरते हुआ कहा- क्यों भाई भाई साहब ने चूत में से भूत भगा दिया न?

सोना मुस्करा दी और बोली- हाँ भाईसाहब ने बहुत अच्छा भूत भगाया। अब मेरी चूत भूत फ्री है।

सोना अपने घर चली गई। 

मैंने रमेश ने और रोमा ने खाना खाया। 

रोमा भाभी ने मुझे और रमेश को दूध पीने को दिया।

मैंने रमेश से कहा- तू जाकर अब भाभी को चोद ! हमें कल सुबह ७ बजे की बस पकड़नी है और भाभी को मस्त चोदियो ! सोना और बसंती को तूने चोद दिया ! भाभी की चूत खाली पड़ी है ! पूरी रात लण्ड डाले रखियो वरना भाभी किसी और से चुदवाने लगेंगी।

रमेश मुस्करा कर कमरे की तरफ जाने लगा, मैंने कहा- रमेश भाभी से कहना एक गिलास पानी मेरे कमरे में रख दें। रमेश अब अपने कमरे में चला गया। 

थोड़ी देर बाद रोमा भाभी मेरे कमरे में पानी का गिलास लेकर आई। उनके ब्लाऊज़ के सारे हुक खुल थे। भाभी बोली- ३ बजे रात को तुम्हें जगा दूँगी, एक बार तुम्हारे लण्ड से अपनी गांड और मरवानी है मुझे !

और उन्होंने मेरे पजामे के ऊपर से मेरे लण्ड पर हाथ फेर दिया। मैंने भी उनकी दोनों चूचियां खुले ब्लाउज के अंदर हाथ डालकर मसल दीं। 

रात को तीन बजे उन्होंने बाथरूम की तरफ से प्रवेश कर मुझे जगा दिया और बाथरूम में जाकर मेरे से जमकर अपनी गांड सुबह ५ बजे तक मरवाई। इसके बाद हम लोग फिर अपने कमरे में चले गए।

सुबह ६ बजे मैं और रमेश खेतों में घूमने गए जहाँ बसंती और उसकी भाभी ने हमारे लण्ड मस्त होकर चूसे। चूँकि हम लोगों को ७ बजे बस पकड़नी थी, इसलिए हमने बसंती और उसकी भाभी की चूत नहीं चोदी और मैंने वादा किया कि अगली बार जब आऊँगा तो बसंती की चूत जरूर चोदूंगा।

६:३० बजे नाश्ता करके मैं और रमेश शहर की तरफ चल दिए। पूरे रास्ते में रमेश की तारीफ़ करता रहा कि उसने सोना भाभी जैसी औरत की चूत मुझे दिलाई। 

रमेश भी मेरे भूत भगाने की कला से काफी प्रभावित था। 

हम लोग ने महीने में एक बार गाँव आने का प्लान पक्का कर लिया था। 

मुझे उम्मीद थी कि गोँव की बची हुई भाभियाँ भी धीरे धीरे मुझसे अपनी चूत का भूत भगवाएंगी।


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RE: सेक्स, उत्तेजना और कामुकता - - by usaiha2 - 12-03-2020, 10:58 AM



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