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Misc. Erotica सेक्स, उत्तेजना और कामुकता -
चूत में भूत


मेरा नाम राकेश है, मैं एक कम्पनी में मैनेजर हूँ।



कुछ दिन पहले अपने ऑफिस के गार्ड रमेश से मेरी दोस्ती हो गई। धीरे धीर हम दोनों बातचीत में काफी खुल गए।



मैं अभी कुंवारा हूँ लेकिन १०० से ज्यादा रंडियां चोद चुका हूँ। मेरा लण्ड ८इंच लम्बा और काफी मोटा है।



रमेश शादीशुदा है। अक्सर हम लड़कियों की चूत चोदने और गांड मारने की बातें करते थे। मैं और रमेश अब साथ साथ रंडियां चोदने भी जाने लगे थे।



रमेश ने कुछ दिन बाद मुझे बताया कि वो अपने गाँव की ५-६ भाभियाँ चोद चुका है। रमेश ने कहा कि अगर मैं उसके साथ गाँव चलूं तो ३-४ भाभियाँ तो मुझसे भी चुदने को आराम से तैयार हो जाएँगी।



एक दिन बात-बात में उसने बताया कि गाँव में एक सोना नाम की औरत है और उसकी बीबी रोमा की दोस्त है। देखने में सुंदर है लेकिन उसको पटा कर चोदने के उसके सारे प्रयास असफल रहे हैं।



मैंने और रमेश ने मिल कर सोना को चोदने की एक योजना बनाई। हम लोगों ने १५ तारीख को गाँव जाने का फैसला कर लिया।



१५ तारीख को १२ बजे हम रमेश के गाँव पहुँच गए। गाँव में रमेश की बीबी और २ बच्चे थे। रमेश की बीबी घूंघट डाले थी। रमेश मेरा परिचय कराते हुए बोला- रोमा ! यह राकेश भाईसाहब हैं। यह हमारे दोस्त और साहब दोनों हैं। इनसे घूंघट करने की जरूरत नहीं है।



रोमा भाभी ने घूंघट हटा दिया और मुस्कराते हुए बोली- भाईसाहब नमस्ते !



मैंने उसकी बीबी रोमा की तरफ देखा वो थोड़ी काली थी लेकिन उसकी चूचियां बहुत बड़ी बड़ी और तनी हुई थीं। ब्लाउज़ के नीचे रोमा कुछ नहीं पहने थी, संतरे बाहर निकलने को बेताब हो रहे थे, चुचूक के उभार बिलकुल साफ़ दिख रहे थे। चूचियों का कुछ हिस्सा ब्लाउज़ से बाहर झाँक रहा था।



रोमा का बदन पूरा माल था और चोदने में मज़ा देने वाला था। नमस्ते करके रोमा चाय बनाने चली गई। थोड़ी देर में रोमा हम लोगों के लिए चाय बना कर ले आई।



रोमा ने जब झुक कर मुझे चाय दी तो उसकी चूचियां पूरी बाहर निकलने लगी। झुकने पर ब्लाउज़ के झरोखों से उसकी चूचियां पूरी नंगी दिख रही थीं। नंगी चूचियां देख कर मेरा लण्ड टनक कर खड़ा हो गया था।



रोमा ने देखा कि मैं उसके बूब्स में झांक रहा हूँ तो उसने एक जहरीली सी मुस्कराहट दी। मुझे उसकी मुस्कराहट से लगा कि इसकी चूत चोदी जा सकती है। मैंने मन ही मन रोमा भाभी की चूत चोदने की ठान ली।



मैं, रोमा और रमेश चाय पीते हुए आपस में बातचीत करने लगे। रोमा बहुत बातूनी थी, मुझे वो कुछ चालू सी भी लगी।



रमेश ने बातों बातों में रोमा को बताया कि मुझे भूत-प्रेत भगाने में महारत हासिल है।



हम लोग चाय पी रहे थे तभी वहां गाँव की एक औरत आई, रोमा बोली- आओ बसंती आओ ! रमेश आये हुए हैं और यह इनके मित्र राकेश हैं।



हम सब लोग बातें करने लगे। कुछ देर बाद रोमा उठकर अंदर किसी काम से चली गई।



रमेश ने मौका देखकर बसंती की चूचियां मेरे सामने ही मसल दी और बोला- बसंती, तेरे को चोदने का मन कर रहा है !



बसंती मुस्करा के बोली- चल खेत में घूमकर आते हैं, गन्ने बहुत बड़े बड़े हो रहे हैं, वहां चुदवाने में बहुत मज़ा आएगा और तेरा केला खाए हुए भी बहुत दिन हो गए हैं।



रमेश मुस्करा दिया और बोला- राकेश भाईसाहब का केला बहुत बड़ा है इनका भी खाए, तो चलें !



बसंती मुस्करा दी और आँख मार कर बोली- दोनों आना ! दोनों के केले खा लूंगी ! और मुस्कराती हुई अंदर चली गई।



बसंती देखने में बुरी नहीं थी लेकिन रोमा भाभी के आगे बेकार थी। मैंने रमेश से कहा- तू २ महीने बाद आया है जा कर जरा भाभी के पास लेट !



रमेश खी-खी कर हँसा और बोला- भाई ! बीबी की तो रात में भी ले लेंगे ! अभी तो चल कर बसंती की चूत बजाते है, साली बड़ी मस्त होकर चुदवाती है और लोड़ा भी लपालप पीती है।



घड़ी में एक बज रहा था। रमेश बोला- दो बजे खेत में चल कर बसंती को चोदते है ! उसके बाद ५ बजे सोना आएगी तब फिर उसे फंसाते हैं। हम लोगों ने खाना खाया और मैं आराम करने लगा।




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RE: सेक्स, उत्तेजना और कामुकता - - by usaiha2 - 12-03-2020, 10:42 AM



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