09-03-2020, 11:49 PM
देवेश
भाभी की बात सही थी। लाइन मारने वाले तो जैसा मैंने बताया हाई-कॉलेज से ही लग गये थे।
इंटर में दो-चार लड़कों से मेरी दोस्ती थी, लेकिन मैं ज्यादा दूर तक नहीं गई थी।
हाँ दिया मेरी सहेली।
बाद में पता चला की उसने जानबूझ के ऐसा किया था। उसके साथ मैं शाहरुख की नई मूवी देखने जाने वाली थी।
मैं बोली भी की पहला हफ्ता है टिकट कहां मिलेगा?
तो वो अपने कजिन देवेश की ओर इशारा करके बोली-
“ये किस मर्ज की दवा है? इसका जलवा है…”
और जाने के लिये भी हमने ट्रिपलिंग की।
किसी लड़के के साथ बाइक पे बैठने का पहला मौका था मेरा, और वो भी मुझे बीच में बैठा दिया की मैं जींस पहने हूं और खुद पीछे बैठ गई।
वो इत्ती जोर से चला रहा था की मैंने उसे धीरे चलाने को कहा।
तो दिया बोली-
“अरे देवेश, चला… मजा आ रहा है। धीमे चलेगी तो इंटरवल में पहुंचेगें। अरे, डर लग रहा है तो पकड़ ले ना कमर इसकी…”
देवेश से इसके पहले भी मैं मिल चुकी थी कई बार… हैंडसम, लम्बा, जिम जाता था।
और अगली बार जब सड़क पे स्प्लेंडर उछली तो मैंने अपने आप उसकी कमर पकड़ ली।
पीछे से दिया बोली-
“क्यों कैसे लग रहा है पकड़ना? अब देख मेरी जान तुझे ये क्या-क्या पकड़ाता है?”
मुड़कर मैं भी हँसकर बोली-
“जलती है क्या? और सब तेरे जैसे नहीं होते…”
दिया के तो जब वो 11वीं में ही थी तभी से ब्वायफ्रेंड थे… और वो ‘सब कुछ करवा’ चुकी थी, खुद ही गाती थी।
हाल में पहुंचे तो दिया का एक नम्बर का ब्वायफ्रेंड रोमी भी था।
हाल में देवेश ने सबसे पीछे वालो लाईन की कोने की टिकटें ली।
दिया ने बैठने में भी… हम दोनों बीच में बैठे, मेरी ओर देवेश और उसकी ओर रोमी।
वो मेरे कान में बोली- “हे, चल तू अपने वाले से चालू रह और मैं अपने वाले से…”
और खुद रोमी के कंधे पे हाथ रखकर बैठ गई।
मैं बोलना चाहती थी- “हे, मेरा ये कोई नहीं है…” पर चुप रह गई।
अंधेरा होते ही वो और रोमी… हद कर दी दोनों ने।
रोमी ने दिया को अपनी ओर खींच लिया, और सीधे होंठों पे चुम्मी ले ली। और दिया भी तो दोनों हाथों से उसे कस के पकड़ी थी।
मैं सामने देखना चाहती थी, लेकिन बगल में चुम्मा चाटी की आवाज सुनकर, मैं कनखियों से देख रही थी।
रोमी ने अपना एक हाथ सीधे दिया के ‘वहां’ कुर्ते के ऊपर से हल्के-हल्के दबा रहा था।
मैंने सुना था की डेटिंग में किसिंग, नेकिंग तो चलती है पर ये सब?
अचानक मेरे हाथ पे देवेश का हाथ महसूस करके मेरा हाथ अपने आप हट गया। थोड़ी देर में फिर जब मैंने हाथ वापस हत्थे पे रखा तो फिर वही। अबकी मैंने हाथ नहीं हटाया।
सोचा देखें आगे क्या करता है? ज्यादा आगे बढ़ा तो डांट दूंगी।
और मेरी निगाहें वैसे भी रोमी और दिया पे चिपकी हुई थीं। वहां तो किसी एडल्ट फिल्म से भी हाट सीन चल रही थी।
दिया के कुर्ते के बटन खुल चुके थे, रोमी का एक हाथ अंदर और दूसरा बाहर से अब खुलकर दिया की चूचियों पे।
उधर देवेश की उंगलियां मेरी खुली बांहों पे टैप कर रहीं थीं।
मैंने नोटिस ना करने का बहाना किया, लेकिन मेरा दिल धक-धक कर रहा था। मेरे सारे बदन में चींटियां काट रहीं थीं।
और जब मैंने दिया की ओर देखा तो… माई गोड, उसका हाथ सीधे रोमी के जींस के ऊपर हल्के-हल्के रगड़ते हुये।
तभी साइड से देवेश की एक उंगली मेरी चूचियों के उभार पे… टाप भी मेरा टाईट था।
मुझे क्या मालूम था की दिया इन सबों को भी साथ ले आयेगी।
देवेश की उंगली के खाली छुअन से मेरी सारी देह झनझना गई। मुझे लगा की मैं कुछ बोलूं पर… फिर लगा शायद गलती से लग गया हो। डी॰टी॰सी॰ की बस पे चढ़ते उतरते, कितनी बार इससे कितना ज्यादा होता था।
मेरी निगाहें अभी भी दिया से चिपकी थीं।