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Adultery जेठ जी के अहसान
#63
चेहरे पर धूप का अहसास हुआ , तो नींद खुली ! हम दोनों अस्त व्यस्त हालत में बिस्तर पर थे !बिस्तर की हालत बता रही थी की कल रात यहाँ घमासान चुदाई का आयोजन था ! सबसे पहले मैंने चादर से अपने चूत और आसपास के वीर्य के थक्कों को पोछा , फिर वही चादर भैया के लण्ड के ऊपर डाल दी , क्योंकि लण्ड पर नज़र पड़ते ही मुझे खुजली होने लगी थी ! अपनी नाईट ड्रेस पहनकर मैंने आसपास बिखरे हुए खाने पीने का सामान को समेटा और किचन चाय बनाने चली गई ! नौकरानी को छुट्टी दे रखी थी , इसलिए घर का काम खुद ही निबटाना था ! चाय लेकर आई तो भैया उठ चुके थे , और अपना लण्ड और आसपास लगे वीर्य और चूत के पानी के मिक्स को हटा रहे थे !भैया के साथ मैं भी बैठ गई , भैया ने चाय बगल में रखकर मुझे अपनी तरफ खींचा और एक लम्बा सा गुड मॉर्निंग किस किया , चूचियों को भी प्यार किया ! मैंने उनको आगे बढ़ने से रोक दिया ,क्यूंकि घर का काम निबटाना जरुरी था ! हर चुदाई में चादर और जिस किसी कपडे से हम चुदाई के बाद अपना ढेर सारा वीर्य पोछते थे , उनको धोना जरुरी था , नौकरानी से मैं नहीं धुलवाना चाहती थी !चाय पीकर मैं घर के काम में जुट गई !
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: जेठ जी के अहसान - by neerathemall - 09-03-2020, 01:10 PM



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