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Adultery जेठ जी के अहसान
#61
अब मैं दूसरा पैग ले रही थी , भैया तीन खत्म कर चुके थे , नशा आने लगा था ! मेरे मन में अचानक चंपा का ख्याल आया , मैंने पुछा , भैया आपने चंपा को कैसे पटाया ! भैया बोले पहले वादा करो जो तुम्हारे जबान पर शब्द आना चाहता है , वही बोलोगी , कोई पर्दा नहीं होना चाहिए हमारे बीच में ; खुल कर बोलोगी तो खुल कर जवाब दूंगा , खूब मज़ा आएगा ! मैंने दुबारा बोला, " आपने चंपा को कैसे चो ..चोदा" ! ये हुई न बात , देखो मेरी जान , गावं में किसी को भी मैंने पटा कर नहीं चोदा , लोग खुद मुझसे चुदने का रिक्वेस्ट करते है , चंपा का तो तुम देख ही चुकी हो ! मेरा माथा ठनक गया , और मुंह से निकल गया , 'यानी गावं में औरों को भी चोदा है आपने' ! देखो डार्लिंग , तुमको बताया है न कि हमारा पूरा गावं और आस पास के गावं के सभी लोग यानि डेढ़ सौ के करीब लोग उस फैक्ट्री में काम करने कि वज़ह से नामर्द हो गए हैं , और मेरे इलाज़ में हैं ! लेकिन लगभग हर घर में बच्चे हैं , जो मेरी कोशिश से ही हुए हैं !जेठ जी अपनी मर्दानगी का बखान करते जा रहे थे और मैं गरम हो रही थी , सोच सोच कर रोमांचित हो रही थी कि जो लण्ड मुझे माँ बनाने जा रहा है , वो पहले डेढ़ सौ कुंवारी चूत से बच्चे पैदा करवा चुका है ! मेरे मुंह से निकल गया , मतलब आप डेढ़ सौ कि चूत मार चुके हैं ! भैया बोले , नहीं , सबकी नहीं चोदी, पर ज्यादातर को माँ मैंने ही बनाया !
भैया ने पांचवां पैग बना लिया और मेरे लिए तीसरा , अब मुझे बहुत मज़ा आ रहा था , मैं भैया का लण्ड सहलाने लगी थी , और जेठ जी का लण्ड भी हरकत में आने लगा था और उनका हाथ मेरी चूचियों को लगातार मसल रहे थे !
जेठ जी ने बताया कि शुरू में जब उन्हें पता चला के गाँव के नए शादी शुदा बाप नहीं बन पा रहे हैं , तो मुझे बहुत ताज्जुब हुआ , जो मेरे पास इलाज़ के लिए आये , सबमें एक ही बीमारी थी , कोई भी बाप बनने के काबिल नहीं था , और ज्यादातर बहुएँ कुंवारी ही थी ! सबसे पहले मैंने अपने पड़ोस के लखन भाई कि मदद की क्योंकि बच्चा न होने की वजह से उसने आत्महत्या करने की कोशिश की थी ! मैंने उसे उसकी प्रॉब्लम समझायी और कहा कि अपनी बीवी गुलाबो को किसी से चुदवा ले , लेकिन गावं में तो कोई था भी नहीं , और लखन थोड़ा संकोची था ,इसलिए उसने मुझे ही कहा कि मैं जबरदस्ती उसकी बीवी गुलाबो को माँ बनाऊ नहीं तो वो आत्महत्या कर लेगा ! गुलाबो की जांच के समय मैं समझ गया था कि वो पूरी खेली खाई है , और मइके से पूरी चुद के आई है ! इसके बाद भी मेरे लिए गुलाबो को चोदने के लिए राज़ी करना मेरे लिए बहुत मुश्किल था ! मैंने हिम्मत करके लखन की बीवी गुलाबो को पहले धमकाया और फिर समझाया , कि वो मुझे पता है कि वो पहले से ही खूब चुदी हुई है , और ये बात मैं उसके सास ससुर को बता दूंगा क्योकि लखन तो चुदाई के काबिल ही नहीं है ! गुलाबो बहुत डर गई और मुझसे चुदने को तैयार हो गई ! उसे मैंने रोज़ रोज़ अपने क्लिनिक पर बुलाता और चुदाई करता ! चुदाई के दौरान ही मैंने उसको धमकाया तो उसने सच उगल दिया कि उसका सगा भाई ही उसको रोज़ चोदता था,इसलिए उसकी चूत चौड़ी हो गई , और इसी वज़ह से वो चुदने को तैयार हो गई ! गुलाबो के माँ बनते ही गाँव और आस पास के गाँव में ये बात फ़ैल गई , कि मेरे इलाज़ के कारण ही वो माँ बनी है !फिर तो इलाज़ कराने वालों कि लाइन लग गई ! मैंने गुलाबो को अपने यहाँ नौकरी पर रख ली , क्योंकि गाँव में लोग, मेरे मर्द होने के कारण अपनी बहु बेटियों का इलाज़ कराने में हिचकिचाते थे ! गुलाबो ने औरतों को समझाने में मदद की, और मैं गाँव के मर्दों को समझाता था !
इन सब बातों के बीच ही मेरी हालत ख़राब हो गई थी, चूत से पानी लगातार बह रहा था ; मैं भैया का लण्ड मुंह में रखकर चूस रही थी !क्या किस्मत लेकर आये थे मेरे जेठ जी , रोज़ नया माल , ज्यादातर कुंवारी और औरतें खुद चलके आती थी की मुझे चोदो ! यहाँ तक की मेरे पति दीपक ने आठ महीने तक खुशामद किया कि मेरी बीवी को माँ बनाओ ! जेठ जी के लण्ड का भी शायद यही राज़ था , अलग अलग किस्म की टाइट चूत ढीली कर कर के फौलाद बन गया था , नहीं तो ऐसी चुदाई संभव ही नहीं है , एक साधारण आदमी से ! मुझे आज अपनी किस्मत पर नाज़ हो रहा था, कि मुझे जेठ जी का लण्ड आसानी से मिल गया था, खामखाह एक साल बिन चुदे बिता दिए ! आज मेरा मन चुदाई की बातों में इतना मस्त हो गया था, कि मैं जेठ जी के लण्ड पर थूक डाल डाल के लण्ड चूस रही थी ! जेठ जी पूरी मस्ती में आह आह कर रहे थे, मेरा ये नया रूप उनको दीवाना कर गया था ! आज मैं पागल हो गई थी , वो तो जेठ जी ही ने मेरी सील तोड़ी थी , नहीं तो वो मुझे बदचलन ही समझते ! भैया का लण्ड मूसल हो गया था, मैंने हलके से भैया की टाँग खींचकर उनको सीधा लेटने को कहा ! जेठ जी तो जैसे पागल हो गए , मैंने पैर की उँगलियों से उनको चूमना शुरू किया और ऊपर की तरफ बढ़ी ! जांघ के एक एक कोने को चूमा चाटा , और लण्ड को जीभ से मसाज देने लगी ! जेठ जी के लिए ये बहुत ज्यादा था , शायद गाँव की औरतें इतना फॉरवर्ड नहीं थी ! मैं चंपा से भी ज्यादा उनको उत्तेजित करना चाहती थी ! उनके टट्टों को मुंह में लेकर गुलगुलाने लगी ! मुस्किल से एक गोली एक बार में मुंह में आ पाती थी ! लण्ड की पूरी चुसाई होते होते जेठ जी अब अधीर हो गए थे , चूत की तलाश कर रहे थे ! लण्ड से आगे बढ़कर , पेट ,नाभि से होते होते मैं उनके छाती पे छोटे छोटे चूची वाली जगह पे आ गई थी ! इस बीच जेठ जी ने अपना लण्ड मेरी चूत पे टिकाकर सुपाड़ा मेरे चूत में प्रवेश करा दिया था ! आज मैं इतनी गीली हो गई थी कि मुझे किसी भी तरह के फिसलन कि जरुरत नहीं थी , लण्ड सटाक से अंदर जा रहा था ! मैंने भैया के चूची वाले एरिया को चाटना और चूमना शुरू कर दिया ! जेठ जी ने ही मेरी चूची कि शेप बिगड़ी थी , चूमकर और चूसकर, मैं अब सब भैया से सीख गई थी और आज मैंने भी सोच लिया था कि उनकी चूची फुला के रहूंगी ! वैसे उनकी छाती उभरी हुई थी , और जैसे मैंने जवान होने के क्रम में अपनी छाती का उभार शुरुआती दौर में देखा था , कुछ वैसा ही जेठ जी का भी था ! शायद जेठ जी को पहली बार किसी ने वहां छेड़ा था , वो पागलों कि तरह मेरी चूत में लण्ड पेले जा रहे थे , आज की तरह आराम से मैंने पहले कभी नहीं चुदवाया था , और न ही इतनी ज्यादा उत्तेजित हुई थी कभी ! भैया के चूची कि घुंडी को दांत लगाते ही जैसे भैया पागल हो गए हों , मेरे मुंह को अपने मुंह से चिपका के , जीभ अंदर डाल के ताबड़तोड़ चूसने लगे , साथ ही लण्ड को टॉप गियर में डाल दिया ! भैया अब मेरी गाँड को दोनों हाथ से पकड़ कर अपने लण्ड पर मेरी चूत को पटक रहे थे और अचानक भैया ने अपनी एक ऊँगली मेरी गाँड में घुसा दी ! फच.. फच.. फच.. की आवाज़ साथ में बज़ रहे म्यूजिक के साथ ताल मिला रहा था, मेरी चूत में जेठ जी लण्ड अंदर बाहर हो रहा था और गाँड में ऊँगली ! भैया को आज मैंने दीवाना बना दिया था , बदल बरसने को ही था ! मस्त चांदनी रात में खुले छत पर नंगे बदन, एक नाजायज़ रिश्ता मज़बूती के साथ चोदने -चुदने में लगा हुआ था , अपने से आधे उम्र की औरत के साथ ! ऐसी चुदाई की कल्पना ही की जा सकती है , जो आज मेरे हिस्से आई थी ! आज मैं भी चुदाई में अनाड़ी होते हुए भी , एक असली मर्द को ,जो सौ से ज्यादा कुंवारी औरतों को गर्भवती बना चुका था , चुदाई के खेल में पागल बनाने में कामयाब हो गई थी ! अब मैं भी उनको चूस रही थी, चूम रही थी , वो ढीले पड़ते जा रहे थे , लण्ड अपनी दौड़ के आखिरी पड़ाव पर था ! एकाएक भैया तड़पे और बौछार कर दी वीर्य की मेरे चूत में !मैं तो बार बार झड़ी थी , एक आखिरी बार भी झड़ गई वीर्य के धार के चूत की दीवारों पर पड़ने के कारण ! भैया शांत होते जा रहे थे , पर मैं उनको लगातार चूमती चूसती जा रही थी , जब तक वो ठंढे न पड़ गए ! भैया का गाढ़ा लण्ड का पानी पूरी रात मेरी जाँघों और भैया की जांघो को फेविकोल की तरह चिपकने वाला था , पर परवाह किसे थी
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: जेठ जी के अहसान - by neerathemall - 09-03-2020, 01:06 PM



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