09-03-2020, 12:14 PM
अपडेट - 28
करीब दोनो राज़ और दोनों कोमल नीचे आ जाते है... नीचे आकर जब देखते है तो गुड्डी के हाथों में अभी भी कोमल वाली चादर थी...
नया जोड़ा कोमल और राज उसे देख कर शर्मा जाते है वही पुराना जोड़ा कोमल रानी का उस चादर को लेकर मुस्कुरा पड़ते है..
अब आगे....
कोमल रानी: हम्म रात को कोई चीख रहा था।
गुड्डी: हाँ भाभी कोई इतना चीख रहा था कि मैं सो भी नहीं सकी।
अब कोमल रानी तो कोमल रानी बस ननद की थोड़ी सी बात चाहिए फिर तो अपने आप उसकी खिंचाई हो जाती है।
कोमल रानी : हैं गुड्डी तुम्हारे कमरे से भी बहुत आवाज आ रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे कोई तुन्हें मार रहा हो।
कोमल: इसे कौन मारेगा?
गुड्डी: मुझे तो किसी ने नहीं मारा मगर मारने वाली चीज हम दोनों की मारी गयी।
कोमल रानी: (मुस्कुराते हुए ) ये तो मेरी ननद के बोल है। मेरे सैंया जो कि गुड्डी के संस्कारी भैया है उनकी संस्कारी बहन के बोल तो नहीं है।
गुड्डी कोमल रानी को जोर से गले लगा कर
गुड्डी: आपने बिल्कुल ठीक कहा भाभी। आपकी वो संस्कारी ननद ना कहीं खो गयी।
कोमल: कहीं खो गयी या फट गयी।
गुड्डी : ये तो आप ही बताओ दीदी क्योंकि मुझे तो लगता है अब हमारी संस्कारी कोमल दीदी भी कहीं खो गयी।
गुड्डी के इस तर्क पर पांचों हंसने लगे।
कोमल रानी: अच्छा चलो नास्ता कर लो फिर राज को नैंसी के पास ले जाना।
कोमल : जी दीदी
राज़: नैंसी? ये कौन है?
अब कोमल रानी अपने सैया की तरफ देखती है जो कि बुरी तरह से शर्मा रहे थे।
कोमल रानी : है एक जादूगरनी तुम्हे एक बहुत ख़ूबसूरत जादू सीखा देगी।
राज़ को जैसे ही जादूगरनी शब्द सुनाई बढ़ता है उसे राजकुमारी नैना याद आ जाती है। अब तो उसका भी समय आ गया है वो कभी भी आ सकती है।
नाश्ता करने के बाद कोमल और राज दोनो नैंसी के यहाँ निकल जाते है। अब नैंसी कौनसा जादू करती है इसके लिए तो आप लोगो को कोमल रानी की कहानी पढ़नी होगी। क्योंकि नैंसी किरदार का जन्म कोमल जी की ही देन है। खैर करीब 1 से 1.30 घण्टे तक नैंसी के यहां रुक कर कोमल राज को कहीं और भी ले जाती है। ये कोई ब्यूटी पार्लर था। नैंशय और ब्यूटी पार्लर के बारे में जोरू का ग़ुलाम कहानी में डिटेल से लिखा है कृपया कर के उस कहानी को ज़रूर पढ़े मैं यदि उस अंक को यहां लिखूंगा तो मेरो कहानी का अंश नहीं होगा और कोमल जी के शब्दों को मैं भी अपने शब्दों में व्यक्त करने में असमर्थ हूँ।
राज जब नैंसी के यहां से बाहर आया तो काफी भौंचक्का था लेकिन जब ब्यूटी पार्लर से आया पूरी तरह से स्तब्ध खड़ा रह गया। राज़ ने वो सब न तो पहले कहीं देखा था और ना ही आज से पहले कहीं सुना था।
कोमल: क्या हुआ राज़?
राज़: कोमल ये सब क्या था?
कोमल : वही जो तुम्हे सीखना है?
राज़: मगर कोमल....
कोमल: राज़ एक बात बताओ जब चंचल ने तुम्हारी बहनो के साथ बदतमीजी की तो तुम्हे बढ़ा मज़ा आया होगा ना?
राज़:- कोमल....! ये क्या बेहूदा सवाल है?
कोमल: तो फिर तुम मेरे बदले में मेरा साथ क्यों नही दे सकते?
राज़: क्या मतलब ?
कोमल: जो तुमने अभी देखा, सुना और सीखा है वो सब तुम्हे उनके साथ करना है जिन्होंने में तुम्हारी बहनों के साथ साथ मेरा भी मजाक बनाने कि कोशिश की...
राज़: लेकिन मैं ये सब कैसे कर सकता हूँ?
कोमल: देखो राज़ तुम्हे कुछ भी नहीं करना है सब कुछ मैं करूँगी बस तुम्हे जब भी मैं डॉक्टर और ब्यूटी पार्लर का नाम लूँ तो बस ये दो ही जगह दिमाग मे रखना और यहाँ आ जाना। ये ही दुनिया के सबसे बेहतरीन डॉक्टर है।
राज़: जैसा तुम कहो कोमल...
कोमल: वैसे एक ही रात में कोमल आप से कोमल बनकर बहुत अच्छा लगा रहा है।
राज़ झेंप जाता है और बस मुस्कुरा कर रह जाता है।
वहीं दूसरी और राज की दोनों बहनें और मम्मी राज़ के लिए खुश थी कि अब वो थोड़ा बहुत बाहर के लोगो से भी घुल मिल रहा है।
करीब 6 घण्टे कोमल के साथ और बिता कर राज़ अब घर लौट रहा है?
राज अपने घर पहुंच कर बेल बजाता है। घर के अंदर से राज़ की माँ सरिता आ कर दरवाजा खोलती है।
सरिता :- अरे राज़ इतनी जल्दी आ गये? और वो कोमल कहाँ है?
राज एक तक सरिता को देखता रह जाता है।
सरिता भी राज को देख रही थी। सरिता सोचती है क्या बात है, राज़ उसे इस तरह से घूर कर क्यों देख रहा है।
सरिता: राज़?..... राज़.... राज़???(तीसरी बार थोड़ा जोर से बोलती है)
राज़ जैसे ख्वाबों से बाहर आया हो।
राज़: अम्म हाँ वो मैं, वो मैं,
सरिता: वो मैं , ये मैं ये सब बाद में करना पहले अंदर आजाओ। या फिर तुम्हे वहीं बाहर से ही बात करनी है?
राज़: ओह सॉरी, (राज़ जैसे ही अंदर आने लगता है)
सोनिया: हाँ , हाँ अनादर आजाओ भी इसे अपना ही घर समझों, वैसे भी शादी के बाद लड़कियां परायी होती है लड़के नहीं।
राज़ सोनिया का इशारा समझ जाता है और एक पल कोमल का ख्याल कर शर्माने लगता है।
वही दूरी और रानी किसी से बात कर रही थी।
रानी:- लेकिन यार ये कैसे हो सकता है। मुझे तो अब डर लग रहा है। हेलो कोमल सुन रही हो ना, तुम जैसा सोच रही हो ये सब इतना भी आसान नहीं है।
कोमल: वो सब तुम मुझ पर छोड़ दो।
फ़ोन कट...
रानी कुछ समय तक थोड़ी परेशान रहती है मगर फिर सोचती है जब राज़ साथ है तो कोई परेशानी नहीं होगी।
वही दूरी और कोमल किसी को फ़ोन करती है।
अब कोमल की तरफ बाद में चलेंगे फिलहाल राज़ के घर चलते है।
रानी: सोनिया कौन था?
(सोनिया जैसे ही रानी के कमरे में आती है)
सोनिया: और कौन तोता अपनी मैंना के पास से लौट रहा है।
रानी : (थोड़ा समझमे की कोशिश करती है फिर) ओह तो राज़ वापस आया है।।
दोनो बहने खिलखिला कर हँसने लगती है।
करीब आधे घंटे बाद राज़ फ्रेश होकर बाहर आता है तब तक शाम के करीब आठ बज जाते है। सरिता खाना लगा कर सब को नीचे बुला लेती है। और सब खाना खाने लगते है।
राज़ थोड़ा सा उदास होजाता है लेकिन अपने चेहरे पर अपनी परेशानी झलकने नहीं देता।
आज राज़ को अपने पिता गिरधारी की बहुत याद आ रही थी।
रात करीब 10 बजे राज को बेहद नींद आने लगती है और राज सो जाता है। वही दूसरी तरफ कोमल का फ़ोन रानी के पास आता है।
कोमल: हेलो...
रानी: हेलो डार्लिंग...
कोमल और रानी दोनों हसने लगती है।
कोमल:- हेलो डार्लिंग , अच्छा सुनो मैंने बात कर ली है कल सुबह 10 बजे तुम दोनों राज़ को लेकर आ जाना और हाँ वो भी लेती आना याद करके।
रानी :-ओके लेकिन बहुत सोच समझ कर कोमल...
कोमल: तुम चिंता मत करो सब सम्हाल लुंगी में।
फ़ोन कट
करीब दोनो राज़ और दोनों कोमल नीचे आ जाते है... नीचे आकर जब देखते है तो गुड्डी के हाथों में अभी भी कोमल वाली चादर थी...
नया जोड़ा कोमल और राज उसे देख कर शर्मा जाते है वही पुराना जोड़ा कोमल रानी का उस चादर को लेकर मुस्कुरा पड़ते है..
अब आगे....
कोमल रानी: हम्म रात को कोई चीख रहा था।
गुड्डी: हाँ भाभी कोई इतना चीख रहा था कि मैं सो भी नहीं सकी।
अब कोमल रानी तो कोमल रानी बस ननद की थोड़ी सी बात चाहिए फिर तो अपने आप उसकी खिंचाई हो जाती है।
कोमल रानी : हैं गुड्डी तुम्हारे कमरे से भी बहुत आवाज आ रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे कोई तुन्हें मार रहा हो।
कोमल: इसे कौन मारेगा?
गुड्डी: मुझे तो किसी ने नहीं मारा मगर मारने वाली चीज हम दोनों की मारी गयी।
कोमल रानी: (मुस्कुराते हुए ) ये तो मेरी ननद के बोल है। मेरे सैंया जो कि गुड्डी के संस्कारी भैया है उनकी संस्कारी बहन के बोल तो नहीं है।
गुड्डी कोमल रानी को जोर से गले लगा कर
गुड्डी: आपने बिल्कुल ठीक कहा भाभी। आपकी वो संस्कारी ननद ना कहीं खो गयी।
कोमल: कहीं खो गयी या फट गयी।
गुड्डी : ये तो आप ही बताओ दीदी क्योंकि मुझे तो लगता है अब हमारी संस्कारी कोमल दीदी भी कहीं खो गयी।
गुड्डी के इस तर्क पर पांचों हंसने लगे।
कोमल रानी: अच्छा चलो नास्ता कर लो फिर राज को नैंसी के पास ले जाना।
कोमल : जी दीदी
राज़: नैंसी? ये कौन है?
अब कोमल रानी अपने सैया की तरफ देखती है जो कि बुरी तरह से शर्मा रहे थे।
कोमल रानी : है एक जादूगरनी तुम्हे एक बहुत ख़ूबसूरत जादू सीखा देगी।
राज़ को जैसे ही जादूगरनी शब्द सुनाई बढ़ता है उसे राजकुमारी नैना याद आ जाती है। अब तो उसका भी समय आ गया है वो कभी भी आ सकती है।
नाश्ता करने के बाद कोमल और राज दोनो नैंसी के यहाँ निकल जाते है। अब नैंसी कौनसा जादू करती है इसके लिए तो आप लोगो को कोमल रानी की कहानी पढ़नी होगी। क्योंकि नैंसी किरदार का जन्म कोमल जी की ही देन है। खैर करीब 1 से 1.30 घण्टे तक नैंसी के यहां रुक कर कोमल राज को कहीं और भी ले जाती है। ये कोई ब्यूटी पार्लर था। नैंशय और ब्यूटी पार्लर के बारे में जोरू का ग़ुलाम कहानी में डिटेल से लिखा है कृपया कर के उस कहानी को ज़रूर पढ़े मैं यदि उस अंक को यहां लिखूंगा तो मेरो कहानी का अंश नहीं होगा और कोमल जी के शब्दों को मैं भी अपने शब्दों में व्यक्त करने में असमर्थ हूँ।
राज जब नैंसी के यहां से बाहर आया तो काफी भौंचक्का था लेकिन जब ब्यूटी पार्लर से आया पूरी तरह से स्तब्ध खड़ा रह गया। राज़ ने वो सब न तो पहले कहीं देखा था और ना ही आज से पहले कहीं सुना था।
कोमल: क्या हुआ राज़?
राज़: कोमल ये सब क्या था?
कोमल : वही जो तुम्हे सीखना है?
राज़: मगर कोमल....
कोमल: राज़ एक बात बताओ जब चंचल ने तुम्हारी बहनो के साथ बदतमीजी की तो तुम्हे बढ़ा मज़ा आया होगा ना?
राज़:- कोमल....! ये क्या बेहूदा सवाल है?
कोमल: तो फिर तुम मेरे बदले में मेरा साथ क्यों नही दे सकते?
राज़: क्या मतलब ?
कोमल: जो तुमने अभी देखा, सुना और सीखा है वो सब तुम्हे उनके साथ करना है जिन्होंने में तुम्हारी बहनों के साथ साथ मेरा भी मजाक बनाने कि कोशिश की...
राज़: लेकिन मैं ये सब कैसे कर सकता हूँ?
कोमल: देखो राज़ तुम्हे कुछ भी नहीं करना है सब कुछ मैं करूँगी बस तुम्हे जब भी मैं डॉक्टर और ब्यूटी पार्लर का नाम लूँ तो बस ये दो ही जगह दिमाग मे रखना और यहाँ आ जाना। ये ही दुनिया के सबसे बेहतरीन डॉक्टर है।
राज़: जैसा तुम कहो कोमल...
कोमल: वैसे एक ही रात में कोमल आप से कोमल बनकर बहुत अच्छा लगा रहा है।
राज़ झेंप जाता है और बस मुस्कुरा कर रह जाता है।
वहीं दूसरी और राज की दोनों बहनें और मम्मी राज़ के लिए खुश थी कि अब वो थोड़ा बहुत बाहर के लोगो से भी घुल मिल रहा है।
करीब 6 घण्टे कोमल के साथ और बिता कर राज़ अब घर लौट रहा है?
राज अपने घर पहुंच कर बेल बजाता है। घर के अंदर से राज़ की माँ सरिता आ कर दरवाजा खोलती है।
सरिता :- अरे राज़ इतनी जल्दी आ गये? और वो कोमल कहाँ है?
राज एक तक सरिता को देखता रह जाता है।
सरिता भी राज को देख रही थी। सरिता सोचती है क्या बात है, राज़ उसे इस तरह से घूर कर क्यों देख रहा है।
सरिता: राज़?..... राज़.... राज़???(तीसरी बार थोड़ा जोर से बोलती है)
राज़ जैसे ख्वाबों से बाहर आया हो।
राज़: अम्म हाँ वो मैं, वो मैं,
सरिता: वो मैं , ये मैं ये सब बाद में करना पहले अंदर आजाओ। या फिर तुम्हे वहीं बाहर से ही बात करनी है?
राज़: ओह सॉरी, (राज़ जैसे ही अंदर आने लगता है)
सोनिया: हाँ , हाँ अनादर आजाओ भी इसे अपना ही घर समझों, वैसे भी शादी के बाद लड़कियां परायी होती है लड़के नहीं।
राज़ सोनिया का इशारा समझ जाता है और एक पल कोमल का ख्याल कर शर्माने लगता है।
वही दूरी और रानी किसी से बात कर रही थी।
रानी:- लेकिन यार ये कैसे हो सकता है। मुझे तो अब डर लग रहा है। हेलो कोमल सुन रही हो ना, तुम जैसा सोच रही हो ये सब इतना भी आसान नहीं है।
कोमल: वो सब तुम मुझ पर छोड़ दो।
फ़ोन कट...
रानी कुछ समय तक थोड़ी परेशान रहती है मगर फिर सोचती है जब राज़ साथ है तो कोई परेशानी नहीं होगी।
वही दूरी और कोमल किसी को फ़ोन करती है।
अब कोमल की तरफ बाद में चलेंगे फिलहाल राज़ के घर चलते है।
रानी: सोनिया कौन था?
(सोनिया जैसे ही रानी के कमरे में आती है)
सोनिया: और कौन तोता अपनी मैंना के पास से लौट रहा है।
रानी : (थोड़ा समझमे की कोशिश करती है फिर) ओह तो राज़ वापस आया है।।
दोनो बहने खिलखिला कर हँसने लगती है।
करीब आधे घंटे बाद राज़ फ्रेश होकर बाहर आता है तब तक शाम के करीब आठ बज जाते है। सरिता खाना लगा कर सब को नीचे बुला लेती है। और सब खाना खाने लगते है।
राज़ थोड़ा सा उदास होजाता है लेकिन अपने चेहरे पर अपनी परेशानी झलकने नहीं देता।
आज राज़ को अपने पिता गिरधारी की बहुत याद आ रही थी।
रात करीब 10 बजे राज को बेहद नींद आने लगती है और राज सो जाता है। वही दूसरी तरफ कोमल का फ़ोन रानी के पास आता है।
कोमल: हेलो...
रानी: हेलो डार्लिंग...
कोमल और रानी दोनों हसने लगती है।
कोमल:- हेलो डार्लिंग , अच्छा सुनो मैंने बात कर ली है कल सुबह 10 बजे तुम दोनों राज़ को लेकर आ जाना और हाँ वो भी लेती आना याद करके।
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कोमल: तुम चिंता मत करो सब सम्हाल लुंगी में।
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बर्बादी को निमंत्रण
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[b]द मैजिक मिरर (THE MAGIC MIRROR) {A Tale of Tilism}[/b]
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Hawas ka ghulam
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[b]द मैजिक मिरर (THE MAGIC MIRROR) {A Tale of Tilism}[/b]
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Hawas ka ghulam
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