09-03-2020, 09:50 AM
(This post was last modified: 30-07-2021, 12:04 PM by komaalrani. Edited 3 times in total. Edited 3 times in total.)
साली
" ऐनीथिंग फार साली। "
स्क्रीन पर वो टीनेजर अपने नए नए आते कच्चे उभार के बीच एक मोटे लन्ड को दबा के,
कस कस कर चूंची चोदन चल रहा था।
अजय की निगाह कभी उधर तो कभी ,
गुड्डी की फोटो की ओर ,
उनके मुंह से निकल ही गया ,
" क्या मस्त जोबन हैं , चूंची चोदन के लिए एकदम परफेक्ट। "
" अरे चूंची चोदो, चूत चोदो ,गांड मारो उस छिनार की , मेरे जीजू मना थोड़े ही करेंगे , उन्होंने तो लिख के भी दे दिया है। "
रीनू चहकती कागज़ लहराती बोली।
मैं जान रही थी ,रीनू ने कुछ जबरदस्त शरारत की होगी , आज वो एकदम असली साली का काम कर रही थी ,इनके साथ।
और रीनू ने कागज़ दिखा दिया ,
एक स्टाम्प पेपर
और उस पर लिखा था ,
" मैं अपनी बहन गुड्डी को १०० रुपये में बेचता हूँ। इसको खरीदनेवालों को पूरा हक़ होगा की इसके बदले में ,उसकी चूंची चोदे ,कच्ची चूत चोदें ,गांड मारे या चाहे जो करें।
अगर वो ना नुकुर करे तो उसके साथ जबरदस्ती करने का उनका पूरा हक़ है।
खरीदने वालों के साथ , जिसे भी खरीदने वाले चाहेंगे उन्हें भी गुड्डी के ऊपर ये हक़ हासिल होगा।
मैंने सौ रुपया पाया। "
बेचने वाले की जगह रीनू ने अपनी ट्रिक से उनसे साइन करवा लिया था।
खरीदने वालों में अजय और कमल जीजू ने पहले ही साइन कर दिया था और मैंने और रीनू ने गवाह में।
कमल जीजू ने १०० रुपये का नोट निकाल के उनकी ओर बढ़ाया ,पर मैंने बीच में ही लपक लिया।
" अरे मेरी ननद के जुबना की पहली कमाई है ,मैं रखूंगी न। "
लेकिन कमल जीजू ने खींच के मुझे गद्दे पर लिटा दिया ,
" अरे जब तक ननद नहीं मिलती ,उसकी भाभी ही सही। "
पल भर में मेरी टाँगे दुहरी हो गयीं थीं ,जाँघे फैली थीं।
उईईई , उफ्फ्फ , नहींइ उईईईईईई , .... मैं चीख रही थी , चिल्ला रही थी ,चूतड़ पटक रही थी।
बस मेरी जान नहीं गयी बस बाकी सांसत हो गयी।
मेरी भाभियों ,सहेलियों ने बहुत सिखाया पढ़ाया था मुझे सुहागरात के बारे में ,
लेकिन ये दर्द तो उससे कहीं कहीं ज्यादा था ,
और ये सुहागरात तो थी भी नहीं , वो तो साल भर से ऊपर हो गए ,
और तब से बार बार ,लगातार ,बिना नागा मैं चुद रही थी।
तब ये दर्द की हालत थी ,
जीजू ने एक हल्का सा धक्का और लगाया ,
,
दर्द की एक और लहर , ... मैं दर्द से दुहरी हो गयी।
उईईईईई ,नहीईईईई ,ओह्ह्ह्ह , उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ,
मैं चीख रही थी कराह रही थी।
मैंने मुश्किल से आँख खोल के देखा , मोटा बीयर कैन ,
कमल जीजू का अभी इक तिहाई ही घुसा था।
कोई और समय होता तो शायद मैं उन्हें छेड़ती ,उकसाती , चिढाती ,
पर अभी तो जान पर बनी पड़ रही थी दर्द से हालत खराब ,
जीजू की सिर्फ तलवार ही नहीं जबरदस्त नहीं थी , वो तलवारबाज भी जबरदस्त थे ,
उन्होंने पैंतरा बदला , बिना लन्ड ब्नाहर निकाले , ... उनके होंठ , हाथ उंगलिया सब मैदान में आ गए ,
चुम्मी , गाल चूमना ,चूसना काटना , चूंची मर्दन ,
उंगलियो से क्लीट को सहलाना छेड़ना ,
थोड़ी ही देर में मैं पिघल रही थी ,
ये नहीं था दर्द नहीं हो रहा था ,जाँघे अभी भी फटी पड़ रही थीं , लेकिन मजे के आगे ,
दर्द और मजे का जोरदार मिश्रण ,... लेकिन जीजू ने और ठेलना अभी बंद कर रखा था।
पर कुछ देर बाद , उन्होंने अपनी ,
उनकी क्या सारे मर्दों की फेवरिट पोज ,
... मुझे कुतिया बना के निहुरा दिया , दोनों टांगों को अच्छी तरह फैला दिया ,
और ,
और ,....
उईईईईई , ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ,
मेरी बड़ी बड़ी रतनारी आँखों में आंसू नाच रहे थे ,
मैंने जोर से नाख़ून अपनी मुठ्ठी में गड़ा लिए ,
दांत मेरे भींचे होंठो को काट कर चीख रोकने की कोशिश कर रहे थे पर ,
पर
उईईईईई , नहीईईई , ओह्ह्ह्ह्ह , आह्ह्ह्ह्ह
दर्द के मारे मेरी चीख्ने रुक नहीं पा रही थीं ,
न जीजू के धक्के रुक रहे थे।
इधर मेरी हालत खराब थी ,
उधर साली रीनू और , कमल जीजू को चढ़ा रही थी ,उकसा रही थी ,
" अरे जीजू फाड़ दो इस साली छिनार बुरचोदो की , चार दिन तक टांग फैला के चले।
अरे ये चूत तो कुँवारी अनचुदी मिलनी थी आपको , ज़रा भी दया मत दिखाइए , पूरा पेल दो एक बार में ,... "
मुझे रीनू पर बहुत गुस्सा आ रहा था लेकिन कर भी क्या सकती थी , और कमल जीजू भी न एकदम ,
बस रीनू की बात मान के ,मेरे दोनों उभार कस के कुचलते मसलते , रगड़ते ,
हर धक्का जानलेवा।
रगड़ता ,दरेरता घिसटता फाड़ता , जब कमल जीजू का मोटा मूसल घुसता तो बस ,
आलमोस्ट पूरा , करीब ८ इंच उन्होंने लन्ड ठूंस दिया।
कम से कम १०-१२ मिनट तो कुतिया बना के उन्होंने चोद ही दिया होगा मुझे , पर,
थोड़ी देर बाद हम दोनों मेरी फेवरिट पोजिशन में थे , वोमेन आन टॉप ,
मैं ऊपर वो नीचे ,
जिसमें धक्को का जोर ,गहराई मैं कंट्रोल कर सकती थी।
मैं हलके हलके पुश कर रही थी , कमल जीजू की कमर पकड़ धक्के मार रही थी और कुछ ही देर में
मेरी गुलबिया , बालिश्त भर का मूसल पूरा घोंट गयी ,
अजय जीजू का मोटा लन्ड भी मेरे होंठ सहला रहां था , खुद अपने होंठ खोल मैंने उसे भी घोंट लिया ,
और लगी जैसे कोई नदीदी लड़की लॉलीपॉप चूसती चुभलाती है , लगी चूसने चुभलाने ,
मैं सोच रही थी ,
छह महीने भी तो नहीं हुए जब चीनू के भाई की शादी में ,
मेरे यही दोनों जीजू , मैं सिर्फ कमल जीजू की गोद में बैठी थी और , अजय और कमल जीजू
मेरे उभारों की बस जरा नाप जोख कर रहे थे ,जब ये आगये और कितना अलफ़ हुए ,
उसी रात पहली ट्रेन से मुझे लेकर वापस ,
पर आज , उन्ही के सामने ,हमारे ही घर में ,
" ऐनीथिंग फार साली। "
स्क्रीन पर वो टीनेजर अपने नए नए आते कच्चे उभार के बीच एक मोटे लन्ड को दबा के,
कस कस कर चूंची चोदन चल रहा था।
अजय की निगाह कभी उधर तो कभी ,
गुड्डी की फोटो की ओर ,
उनके मुंह से निकल ही गया ,
" क्या मस्त जोबन हैं , चूंची चोदन के लिए एकदम परफेक्ट। "
" अरे चूंची चोदो, चूत चोदो ,गांड मारो उस छिनार की , मेरे जीजू मना थोड़े ही करेंगे , उन्होंने तो लिख के भी दे दिया है। "
रीनू चहकती कागज़ लहराती बोली।
मैं जान रही थी ,रीनू ने कुछ जबरदस्त शरारत की होगी , आज वो एकदम असली साली का काम कर रही थी ,इनके साथ।
और रीनू ने कागज़ दिखा दिया ,
एक स्टाम्प पेपर
और उस पर लिखा था ,
" मैं अपनी बहन गुड्डी को १०० रुपये में बेचता हूँ। इसको खरीदनेवालों को पूरा हक़ होगा की इसके बदले में ,उसकी चूंची चोदे ,कच्ची चूत चोदें ,गांड मारे या चाहे जो करें।
अगर वो ना नुकुर करे तो उसके साथ जबरदस्ती करने का उनका पूरा हक़ है।
खरीदने वालों के साथ , जिसे भी खरीदने वाले चाहेंगे उन्हें भी गुड्डी के ऊपर ये हक़ हासिल होगा।
मैंने सौ रुपया पाया। "
बेचने वाले की जगह रीनू ने अपनी ट्रिक से उनसे साइन करवा लिया था।
खरीदने वालों में अजय और कमल जीजू ने पहले ही साइन कर दिया था और मैंने और रीनू ने गवाह में।
कमल जीजू ने १०० रुपये का नोट निकाल के उनकी ओर बढ़ाया ,पर मैंने बीच में ही लपक लिया।
" अरे मेरी ननद के जुबना की पहली कमाई है ,मैं रखूंगी न। "
लेकिन कमल जीजू ने खींच के मुझे गद्दे पर लिटा दिया ,
" अरे जब तक ननद नहीं मिलती ,उसकी भाभी ही सही। "
पल भर में मेरी टाँगे दुहरी हो गयीं थीं ,जाँघे फैली थीं।
उईईई , उफ्फ्फ , नहींइ उईईईईईई , .... मैं चीख रही थी , चिल्ला रही थी ,चूतड़ पटक रही थी।
बस मेरी जान नहीं गयी बस बाकी सांसत हो गयी।
मेरी भाभियों ,सहेलियों ने बहुत सिखाया पढ़ाया था मुझे सुहागरात के बारे में ,
लेकिन ये दर्द तो उससे कहीं कहीं ज्यादा था ,
और ये सुहागरात तो थी भी नहीं , वो तो साल भर से ऊपर हो गए ,
और तब से बार बार ,लगातार ,बिना नागा मैं चुद रही थी।
तब ये दर्द की हालत थी ,
जीजू ने एक हल्का सा धक्का और लगाया ,
,
दर्द की एक और लहर , ... मैं दर्द से दुहरी हो गयी।
उईईईईई ,नहीईईईई ,ओह्ह्ह्ह , उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ,
मैं चीख रही थी कराह रही थी।
मैंने मुश्किल से आँख खोल के देखा , मोटा बीयर कैन ,
कमल जीजू का अभी इक तिहाई ही घुसा था।
कोई और समय होता तो शायद मैं उन्हें छेड़ती ,उकसाती , चिढाती ,
पर अभी तो जान पर बनी पड़ रही थी दर्द से हालत खराब ,
जीजू की सिर्फ तलवार ही नहीं जबरदस्त नहीं थी , वो तलवारबाज भी जबरदस्त थे ,
उन्होंने पैंतरा बदला , बिना लन्ड ब्नाहर निकाले , ... उनके होंठ , हाथ उंगलिया सब मैदान में आ गए ,
चुम्मी , गाल चूमना ,चूसना काटना , चूंची मर्दन ,
उंगलियो से क्लीट को सहलाना छेड़ना ,
थोड़ी ही देर में मैं पिघल रही थी ,
ये नहीं था दर्द नहीं हो रहा था ,जाँघे अभी भी फटी पड़ रही थीं , लेकिन मजे के आगे ,
दर्द और मजे का जोरदार मिश्रण ,... लेकिन जीजू ने और ठेलना अभी बंद कर रखा था।
पर कुछ देर बाद , उन्होंने अपनी ,
उनकी क्या सारे मर्दों की फेवरिट पोज ,
... मुझे कुतिया बना के निहुरा दिया , दोनों टांगों को अच्छी तरह फैला दिया ,
और ,
और ,....
उईईईईई , ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ,
मेरी बड़ी बड़ी रतनारी आँखों में आंसू नाच रहे थे ,
मैंने जोर से नाख़ून अपनी मुठ्ठी में गड़ा लिए ,
दांत मेरे भींचे होंठो को काट कर चीख रोकने की कोशिश कर रहे थे पर ,
पर
उईईईईई , नहीईईई , ओह्ह्ह्ह्ह , आह्ह्ह्ह्ह
दर्द के मारे मेरी चीख्ने रुक नहीं पा रही थीं ,
न जीजू के धक्के रुक रहे थे।
इधर मेरी हालत खराब थी ,
उधर साली रीनू और , कमल जीजू को चढ़ा रही थी ,उकसा रही थी ,
" अरे जीजू फाड़ दो इस साली छिनार बुरचोदो की , चार दिन तक टांग फैला के चले।
अरे ये चूत तो कुँवारी अनचुदी मिलनी थी आपको , ज़रा भी दया मत दिखाइए , पूरा पेल दो एक बार में ,... "
मुझे रीनू पर बहुत गुस्सा आ रहा था लेकिन कर भी क्या सकती थी , और कमल जीजू भी न एकदम ,
बस रीनू की बात मान के ,मेरे दोनों उभार कस के कुचलते मसलते , रगड़ते ,
हर धक्का जानलेवा।
रगड़ता ,दरेरता घिसटता फाड़ता , जब कमल जीजू का मोटा मूसल घुसता तो बस ,
आलमोस्ट पूरा , करीब ८ इंच उन्होंने लन्ड ठूंस दिया।
कम से कम १०-१२ मिनट तो कुतिया बना के उन्होंने चोद ही दिया होगा मुझे , पर,
थोड़ी देर बाद हम दोनों मेरी फेवरिट पोजिशन में थे , वोमेन आन टॉप ,
मैं ऊपर वो नीचे ,
जिसमें धक्को का जोर ,गहराई मैं कंट्रोल कर सकती थी।
मैं हलके हलके पुश कर रही थी , कमल जीजू की कमर पकड़ धक्के मार रही थी और कुछ ही देर में
मेरी गुलबिया , बालिश्त भर का मूसल पूरा घोंट गयी ,
अजय जीजू का मोटा लन्ड भी मेरे होंठ सहला रहां था , खुद अपने होंठ खोल मैंने उसे भी घोंट लिया ,
और लगी जैसे कोई नदीदी लड़की लॉलीपॉप चूसती चुभलाती है , लगी चूसने चुभलाने ,
मैं सोच रही थी ,
छह महीने भी तो नहीं हुए जब चीनू के भाई की शादी में ,
मेरे यही दोनों जीजू , मैं सिर्फ कमल जीजू की गोद में बैठी थी और , अजय और कमल जीजू
मेरे उभारों की बस जरा नाप जोख कर रहे थे ,जब ये आगये और कितना अलफ़ हुए ,
उसी रात पहली ट्रेन से मुझे लेकर वापस ,
पर आज , उन्ही के सामने ,हमारे ही घर में ,