07-03-2020, 11:40 AM
(This post was last modified: 07-03-2020, 12:55 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
" माँ का दूध ,... "
कुछ देर बाद हम दोनों के बोल फूटे तो फिर एक साथ ,
जो बाते मैंने उनको रोज फोन पर बता चुकी थी , कई कई बार , ... वो भी फिर से ,... और मैंने भी उनके ट्रेनिंग की , ...
मैं उनकी बात सुनना चाहती थी , और वो मेरी ,...असल में बात कौन सुनना चाहता था ,
मैं बस उनकी आवाज सुनना चाहती थी , और वो लड़का मेरी ,...
तभी मेरा ध्यान स्टूल पर रखे दूध के बड़े ग्लास पर पड़ा जो मेरी सास ने जाने क्या क्या डाल तैयार किया था , ...
बस मैंने उन्हें चिढ़ाते हुए , उनकी ओर ग्लास बढ़ाया और आँख नचा के बोली ,
" माँ का दूध ,... "
वो कौन कम थे।
कम से कम ढाई इंच की साढ़ी ( गाढ़ी मलाई की पर्त ) दूध के ऊपर थी , उन्होंने ऊँगली से लपेट के निकाल दिया ,
और सीधे मेरे निपल के चारों ओर लपेट दिया,
मैं जान रही थी वो लड़का क्या चाह रहा था ,
बस मैंने उनके खुले होंठों के बीच अपने खड़े कड़े ,
मलाई में लिपटे निप्स ठेल दिए और दोनों हाथों से उनका सर पकड़ के जोर से ऐसे पुश किया कि बस ,...
उनका मुंह तो बंद हो गया , पर मेरा थोड़े ही था।
" क्यों कैसा लग रहा है , माँ का दूध , ... क्यों ये तो नहीं सोच रहे हो कहीं सीधे सासू जी के ,... चूस लो चलो वही सोच के ,... "
और एक बार और जोर से पुश कर दिया , उनका दूसरा हाथ मेरे दूसरे उभार पर जोर से रगड़ मसल रहा था , मस्ती मुझे भी चढ़ रही थी , मैंने उन्हें और छेड़ा
" हे जब एक निपल सासू जी का चूसते थे तो दूसरा क्या अपने हाथ से दबाते रहते थे , अभी भी मन करता होगा न सासू जी का कभी चूसने का , हैं तो एकदम टनाटन। "
और जब उनका मुंह खुला तो सीधे ग्लास उनके मुंह में लगा के घुट घुट , ...
पर थोड़ा पीने के बाद ही , उन्होंने दूध का ग्लास मेरे हाथ से लेकर अब मेरे मुंह में , ...
( पहली रात से ही यही होता था , आधे से ज्यादा ग्लास ये लड़का मुझे ही पिला के मानता था )
लेकिन आज का दूध थोड़ा अलग ही रहता था , मेरी ननद भी ग्लास में कुछ कुछ मिला के , लेकिन आज ,..एकदम एक अलग मस्ती सी ,... और मैंने अब ग्लास उनके हाथ से लेकर उन्हें थोड़ा सा पिला टेबल पर रख दिया , अभी भी आधे से ज्यादा ग्लास भरा था।
लेकिन वो लड़का बदमाश नहीं, बदमाशों का सरदार था ,
ग्लास के ऊपर हिस्से में जो मलाई लगी थी , सब दो उँगलियों में लपेट लिया और मुझे पलंग पे धक्का देकर गिरा दिया और सारी मलाई , ...
मेरे निचले होंठों पर ,
और लगा
सपड़ सपड़ ,
पक्का चूत चटोरा , ...
कुछ ही देर मैं चूतड़ पटक रही थी , लेकिन साथ में उसे चिढ़ा रही थी ,
" हे मेरे ननद के यार , मेरी किस ननद के साथ चाटने की ये ट्रेनिंग की है , ... मंझली ननद जी बचपन में चटवाती थीं क्या , या फिर ,... वो एलवल वाली , तेरा बचपन का माल , ... या माँ के दूध का असर है , ... "
असर तुरंत हुआ , जो जीभ चूत की फांको पर टहल रही थी , जबरदस्ती दोनों फांको को फैला दिया , ... और जीभ अंदर
मैं भी यही चाहती थी , शुरू में ये बहुत हिचकिचाता अपनी मलाई चाटने में , ...
लेकिन मेरी रीतू भाभी , मुझे समझा के चढ़ा के , और
अब बिना एक पल सोचे की मेरी चूत इन्ही की मलाई से बजबजा रही थी ,
सपड़ सपड़
लेकिन थोड़ी देर में मैं भी ऊपर थी
हम दोनों 69 के पोज में
उनका मोटा मूसल मेरे मुंह में और मेरी राजकुमारी , गुलाबो उनके होंठों के बीच ,
मैं कुछ देर तक सुपाड़े को चूसती चुभलाती रही ,
एकदम कड़ा ,
खूब मोटा और मांसल बहुत अच्छा लगता था मुझे जब जीभ की टिप से उसे छूती थी , कुछ देर तो सिर्फ सुपाड़े को ,
लेकिन उससे न उनका काम बनना था न मेरा ,... उन्होंने कस के चूतड़ उचकाया , मेरे सर को कस के पकड़ के पुश किया , ...
और मैंने भी सर को धकेला और थोड़ी देर में आधा लंड मेरे मुंह में
गप्प