12-02-2019, 06:17 PM
प्रिया रात को 11:00 बजे घर आई... उसने ड्रिंक की हुई थी पिया जब होल से गुजर रही थी तब एक आवाज आई
ममता.... प्रिया..प्रिया ने पीछे मुड़कर देखा तो सोफे पर ममता बैठी हुई थी
प्रिया... हाय दी आप अभी तक सोए नहीं...
ममता मैं खड़ी होती सवाल पूछा
ममता... प्रिया मुकेश कहां है
प्रिया... क्या मतलब दीदी आपका.. मुकेश मेरे साथ क्यों होगा मैं तो पहले ही कविता कौन से घर पहुंचाने के लिए कह दिया था वह एक्चुली मेरे दोस्तों का फोन आ गया था तो मुझे जाना पड़ा
प्रिया की यह बात सुनकर ममता को गुस्सा उठा मैं उसके पास चल कर आई और एक जोर से थप्पड़ मारा..... थप्पड़ लग तो ही प्रिया का नशा उतर गया.. प्रिया हैरानी से ममता की तरफ देखा
प्रिया... दी आप ने मुझे थप्पड़ मारा.... वह भी उस तो कुड़ी के लड़के के लिए...
ममता ने इस बात पर प्रिया का गला पकड़ लिया
ममता.... क्या कहा तूने दो कौड़ी का लड़का... तो किसे कह रही है... जिसे तुम प्यार करती है
प्रिया को अपनी गलती का एहसास हुआ...
प्रिया... सॉरी दी पता नहीं मैं क्या बोल गई आप ने मुझे मारा तो इसलिए मुझे गुस्सा आ गया था
ममता..... जल्दी से कविता को फोन लगा पूछो उस चुड़ैल से कि मुकेश कहां है.. मुझे जल्दी से लेकर आए
प्रिया जल्दी से फोन निकालकर कविता को कॉल करती है दूसरी तरफ कविता घोड़े बेच कर सो रही थी वह आज जल्दी सो गई थी ....
प्रिया ने कविता को कई बार कॉल किया पर उसने फोन उठाया ही नहीं..
ममता.... प्रिया क्या हुआ...
प्रिया.... ,दी वो कविता फोन उठा ही नहीं रही है
ममता...प्रिया तुझे पता है की वह कविता कहां रहती है
प्रिया.... हां दीदी मुझे पता है
ममता.... चलो फिर मेरा मुंह क्या देख रही हो.. जल्दी चलो
प्रिया और ममता जल्दी से गाड़ी में बैठ कविता के फ्लैट की तरफ चल दी
कविता आराम से सो रही थी बहुत ही हसीन सपना देख रही थी कि किसी ने उसके सपनों से से खींचकर जमीन पर ला पटका... इसकी आवाज तक किसी को सुनाई नहीं दे... अब उसे वह आवाज साफ-साफ सुनाई दे रही थी जोश की डोर बेल की थी और कोई उसके डोर को थप थप थप थप थप थप तोड़ कर अंदर घुसने की कोशिश कर रहा था
इतना शोर सुनकर कविता झट से उठी और डोर खोलने के लिए दौड़ी उसने डोर में बने छोटे हॉल से देखा.. तो सामने ममता खड़ी थी.. कविता ने झट से दरवाजा खोला..
ममता दरवाजा खुलता देख छठ से अंदर दाखिल हुई और उसने बिना कोई समय जाया कीजिए
पूछा
ममता... वेयर इज मुकेश
कविता... मैम आप इस वक्त यहां यहां पर... और आप किस मुकेश की पूछ रही हैं
प्रिया बीच में बोलते हुए
प्रिया.... मैं उसकी बात कर रही हूं जिस एक लिए मैंने तुम्हें कहां था.. कहां है वो
कविता... प्रिया मैम आपने जैसा कहा था मैंने तो वैसा ही किया...
ममता प्रिया के बोलने से पहले
ममता... कविता क्या किया तुमने मुकेश के साथ जल्दी बताओ कहां है वो
कविता.. मैम मुकेश कंपनी के द्वारा मिलने वाली फ्लाइट में है..
ममता और प्रिया एक साथ बोली.... क्या
ममता..... कौन से फ्लैट में है चलो जल्दी से हमें ले चलो...
इसके बाद वह तीनों मुकेश के फ्लैट की तरफ रवाना हो गई...... अब तीनों उस बिल्डिंग के नीचे खड़ी थी... और मानता प्रिया को गुस्से से घूर कर देख रही थी... प्रिया यह देख कर उसने अपनी गर्दन नीचे कर ली.... (उनकी इन silent work का मतलब था कि मुझसे प्यार करने वाला स्क्वाड खाने में रहना पड़ रहा है तुम्हारी वजह से
तुझे तुम्हें बाद में देख लूंगी,)
मुकेश के साथ भी सेम to सेम वैसा ही हो रहा था जैसे कविता के साथ हुआ था लेकिन अंतर यह है कि मुकेश कोई भी सपना नहीं देख रहा था बिल्कुल गहरी नींद में सोया हुआ था अपने सपने में भी .... और उसके दरवाजे के बाहर लगातार इतिहास दोराहा जा रहा था... लेकिन मुकेश को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा... तंग आकर तथा घबराकर ममता ने इसकी डुप्लीकेट चाबी मंगवाई जो बिल्डिंग के वॉचमैन के पास हमेशा से ही मौजूद होती थी.... जब दरवाजा खोला तो ममता.. प्रिया.... भागकर अंदर दाखिल हुई.... उन्होंने हर तरफ देखना स्टार्ट कर दिया...
लेकिन ममता जब मुकेश के बेडरूम में दाखिल हुई तो मैं आराम से सोते हुए मीला .... प्रिया ने मुझे उठाने की कोशिश की तो ममता ने उसे मना कर दिया... और खुद मुझे गोद में उठाकर अपने साथ अपने घर ले आई और उसका फोन टेबल पर रखा देखकर ममता ने प्रिया को उठाने के लिए कह दिया था... घर आने के बाद ममता मुझे अपने बेडरूम में ले गई और वहां से ला दिया.. मुझे लेटा आने के बाद ममता मुझे थोड़ी देर देखते रही... क्योंकि सोते हुए मैं काफी मासूम लग रहा था... और रिया को अपने रूम में जाने के लिए कह दिया... हम कल सुबह बात करेंगे.
. प्रिया चुपचाप अपने कमरे में जाकर सो गई
और बता अपने कमरे में बेड के पास सोफे पर बैठी बैठी मुझे निहारती रही और उसे कब नींद आ गई पता ही नहीं चला
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