04-03-2020, 10:34 AM
(This post was last modified: 04-03-2020, 10:59 AM by komaalrani. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
रगड़ता , दरेरता फाड़ता ,
और कुछ देर में ही वो ' मोटा' मेरी मुट्ठी में था , आलमोस्ट।
पूरी तरह जगने पर तो वो मेरी कलाई से भी मोटा हो जाता था , एकदम बियर कैन इतना , ... लेकिन अभी ,
और इनकी ऊँगली भी अब मेरी गुलाबो के आस पास , ...
मैंने लाख कोशिश की अपनी जाँघों को चिपका कर रखने की , पर अब मेरी कोई चीज़ मेरी थी क्या ,
सच में बड़े शातिर चोर से पाला पड़ा था मेरा , पहली मुलाकात में ही ,
आँखे मिलीं और मेरा दिल चोरी कर लिए उसने , ...
और उसके बाद मेरी कोई भी चीज़ ,
कोहबर में , मेरी माँ , बहनें , भाभी , सब की सब ,...एकदम से उसकी ओर
और पहली रात में ही , मन के बाद तन , ...
बस उसकी एक छुअन काफी थी, और सब दर्द , तड़प , पीड़ा भूल कर वो अंग बस उसके कब्जे में ,...
वो तिहरा हमला , ... उसके होंठ मेरे जोबन पर , एक हाथ दूसरे उभार को रगड़ता मसलता , और दूसरा हाथ , मेरी गुलाबो को सहलाता , मसलता ,
कचाक , ... जोर से उसने एक ऊँगली ठेली ,
गप्पांक, ... से मेरी चुनमुनिया ने घोंट ली , ... उहहहह जोर की सिसकी निकल गयी
वो बेसबरा ,... उसे जरा भी इन्तजार नहीं होता था , और ये भी नहीं की कुछ ,...
आज मैंने खुद , ...
मैं सोच के मुस्करा दी ,
मेरी सास , ... अब उनकी, मेरी जेठानी की, और मेरी पक्की दोस्ती हो गयी थी , जाड़े की दोपहर में , मैं और मेरी जेठानी ने मिल के उनसे एक एक बात
एक दिन जिद करके हम दोनों उनसे उनकी गौने की रात की बात , ...
और उन्होंने बताया की उस समय जेठानी , या शादी शुदा ननदें , रात में सरसों के तक की भरी बोतल रख देती थीं ,
और अगले दिन देखतीं थी कितना बचा , और नयी दुलहन की खूब खिंचाई होती थी ,...
लेकिन रात में जब दुलहन वापस पहुंचती थी , तो बोतल फिर से सरसों के तेल ( कड़वे तेल ) से भरी मिलती थी।
आज मैंने भी जब मैं तैयार हो रही थी ,
तो गुलाबो को फैलाया और दो ऊँगली से ढेर सारा सरसो का तेल एकदम अंदर तक चुपड़ लिया था , ...
मुझे मालूम था उस समय न उन्हें होश होगा , न मुझे मौका मिलेगा की वैसलीन या ,... कुछ और ,...
थोड़ी देर में , ऊँगली की जगह मोटा मूसल , मेरे अंदर था , ...
न मैं बोल रही थी , न वो , बस एक दूसरे को बांहों में भींचे , इतने दिनों का इन्तजार सूद सहित ,...
वहीँ सोफे पर , वो मेरे अंदर , मैं नीचे और वो ऊपर ,
हम दोनों का मन तन एकदम एक धीरे धीरे सावन के झूले की तरह , ... धक्के का जवाब धक्के से , हम दोनों एक दूसरे के अंदर समाये ,...
पांच दिन पांच बरस हो गए थे , ... कुछ देर में मैं सोफे पर अधलेटी , और वो फर्श पर खड़े , मेरी दोनों टाँगे उनके कंधे पर , जाँघे फैली और धक्को ओर धक्के
अब सिर्फ उस मोटे मूसल का अहसास हो रहा था ,
भले मैंने अंदर तक तेल लगा रखा था , लेकिन वो इतना मोटा था , ... एकदम फट रही थी ,
रगड़ता , दरेरता फाड़ता ,
बस जान नहीं निकल रही थी , कस के मैं दोनों हाथों से सोफे को पकड़ने की कोशिश कर रही थी
लेकिन जितना दर्द हो रहा था , उतना ही अच्छा भी लग रहा था ,... इसी दर्द का तो इन्तजार था ,
कितनी बार , कितनी तरह
कुछ देर तो मैं उनकी गोद में थी , खुद ऊपर से धक्के लगाती , ....
महीने भर से ऊपर हो गए थे , लेकिन हर रात लगता था , हम दोनों पहली बार ,...
पर थोड़ी देर बाद ही वो एक बार फिर से ऊपर ,...
और मैं जोर जोर से तूफ़ान में पत्ते की तरह काँप रही थी , सिसक रही थी , उन्हें जोर से चिपकाए , उनके चौड़े सीने में दुबकी ,
उन्होंने भी कस के मुझे भींच लिया था , एकदम चिपका लिया था , ...
' वो ' जड़ तक मेरे अंदर घुसा हुआ था , धंसा , ... धक्के बंद हो गए थे
पर उस लुटेरे के पास कोई एक हथियार रहा ,
होंठ , उँगलियाँ , ...
उसका एक चुम्मा ही बदन में ४९ पवन चलाने के लिए काम अगन जलाने के लिए काफी था , ...
और अब उसे मेरी देह के हर कोने अंतरे का पता था , कौन सा बटन दबाने से क्या होता है
बस थोड़ी देर में एक बार फिर से मेरा मन करने लगा , मेरी देह कसमसाने लगी , और उसका मोटा मूसल मेरे अंदर तो धंसा था ही
कुछ देर तक हलके हलके ,
फिर पूरी तेजी के साथ और अब मैंने भी नीचे से अपने नितम्ब उठा उठा कर , ...
अगर वो रुकते भी तो मैं अपनी बाँहों से उन्हें कस के भींच कर , अपनी ओर खींच , और उतना इशारा काफी था ,
बस एकदम फुल स्पीड , ... धक्को पर धक्का , हर दूसरा धक्का सीधे बच्चेदानी पर
और अब जब मैं ,.... तो मेरे साथ वो भी , मेरे अंदर ,..देर तक , जैसे कोई बाँध टूट गया हो ,
मैं प्यासी धरती की तरह एक एक बूँद सोख रही थी ,
कुछ देर बाद जैसे बारिश बंद होने के बाद भी पेड़ों के पत्ते से टप टप बूंदे टपकती रहती हैं , ...
वैसे देर तक , और मेरी देह में बस उन टपकती बूंदों का अहसास बचा था , ... देह में एक अजब सी कसक बची थी , और मैं उन्हें कस के बाँहों में बांधे , आधे पौन घंटे से ऊपर हो गए होंगे , पर ऐसे समय किसे समय का अंदाज रहता है ,...
और कुछ देर में जब हम दोनों होश में आये , ... बस उन्होंने हलके से मेरे कानों को चूमा और गोद में उठाकर सीधे हमारी पलंग पर ,...
अब हम दोनों को थोड़ा होश आया , माघ का जाड़ा , और हम दोनों के सारे कपडे फर्श पर इधर उधर बिखरे , ...
अब उन्होंने रजाई खींच कर , ... हम दोनों रजाई में दुबके , ... और हम दोनों ने बोलना शुरू किया , पहले सिर्फ उँगलियों से ,
मैंने इनके सीने पर ऊँगली से सहलाकर , नाख़ून से स्क्रैच कर ,
और उनके होंठ मेरे चेहरे पर ,
कुछ देर बाद हम दोनों के बोल फूटे तो फिर एक साथ ,
जो बाते मैंने उनको रोज फोन पर बता चुकी थी , कई कई बार , ... वो भी फिर से ,... और मैंने भी उनके ट्रेनिंग की , ...
मैं उनकी बात सुनना चाहती थी , और वो मेरी ,...असल में बात कौन सुनना चाहता था ,
मैं बस उनकी आवाज सुनना चाहती थी , और वो लड़का मेरी ,...
तभी मेरा ध्यान स्टूल पर रखे दूध के बड़े ग्लास पर पड़ा जो मेरी सास ने जाने क्या क्या डाल तैयार किया था , ...
और कुछ देर में ही वो ' मोटा' मेरी मुट्ठी में था , आलमोस्ट।
पूरी तरह जगने पर तो वो मेरी कलाई से भी मोटा हो जाता था , एकदम बियर कैन इतना , ... लेकिन अभी ,
और इनकी ऊँगली भी अब मेरी गुलाबो के आस पास , ...
मैंने लाख कोशिश की अपनी जाँघों को चिपका कर रखने की , पर अब मेरी कोई चीज़ मेरी थी क्या ,
सच में बड़े शातिर चोर से पाला पड़ा था मेरा , पहली मुलाकात में ही ,
आँखे मिलीं और मेरा दिल चोरी कर लिए उसने , ...
और उसके बाद मेरी कोई भी चीज़ ,
कोहबर में , मेरी माँ , बहनें , भाभी , सब की सब ,...एकदम से उसकी ओर
और पहली रात में ही , मन के बाद तन , ...
बस उसकी एक छुअन काफी थी, और सब दर्द , तड़प , पीड़ा भूल कर वो अंग बस उसके कब्जे में ,...
वो तिहरा हमला , ... उसके होंठ मेरे जोबन पर , एक हाथ दूसरे उभार को रगड़ता मसलता , और दूसरा हाथ , मेरी गुलाबो को सहलाता , मसलता ,
कचाक , ... जोर से उसने एक ऊँगली ठेली ,
गप्पांक, ... से मेरी चुनमुनिया ने घोंट ली , ... उहहहह जोर की सिसकी निकल गयी
वो बेसबरा ,... उसे जरा भी इन्तजार नहीं होता था , और ये भी नहीं की कुछ ,...
आज मैंने खुद , ...
मैं सोच के मुस्करा दी ,
मेरी सास , ... अब उनकी, मेरी जेठानी की, और मेरी पक्की दोस्ती हो गयी थी , जाड़े की दोपहर में , मैं और मेरी जेठानी ने मिल के उनसे एक एक बात
एक दिन जिद करके हम दोनों उनसे उनकी गौने की रात की बात , ...
और उन्होंने बताया की उस समय जेठानी , या शादी शुदा ननदें , रात में सरसों के तक की भरी बोतल रख देती थीं ,
और अगले दिन देखतीं थी कितना बचा , और नयी दुलहन की खूब खिंचाई होती थी ,...
लेकिन रात में जब दुलहन वापस पहुंचती थी , तो बोतल फिर से सरसों के तेल ( कड़वे तेल ) से भरी मिलती थी।
आज मैंने भी जब मैं तैयार हो रही थी ,
तो गुलाबो को फैलाया और दो ऊँगली से ढेर सारा सरसो का तेल एकदम अंदर तक चुपड़ लिया था , ...
मुझे मालूम था उस समय न उन्हें होश होगा , न मुझे मौका मिलेगा की वैसलीन या ,... कुछ और ,...
थोड़ी देर में , ऊँगली की जगह मोटा मूसल , मेरे अंदर था , ...
न मैं बोल रही थी , न वो , बस एक दूसरे को बांहों में भींचे , इतने दिनों का इन्तजार सूद सहित ,...
वहीँ सोफे पर , वो मेरे अंदर , मैं नीचे और वो ऊपर ,
हम दोनों का मन तन एकदम एक धीरे धीरे सावन के झूले की तरह , ... धक्के का जवाब धक्के से , हम दोनों एक दूसरे के अंदर समाये ,...
पांच दिन पांच बरस हो गए थे , ... कुछ देर में मैं सोफे पर अधलेटी , और वो फर्श पर खड़े , मेरी दोनों टाँगे उनके कंधे पर , जाँघे फैली और धक्को ओर धक्के
अब सिर्फ उस मोटे मूसल का अहसास हो रहा था ,
भले मैंने अंदर तक तेल लगा रखा था , लेकिन वो इतना मोटा था , ... एकदम फट रही थी ,
रगड़ता , दरेरता फाड़ता ,
बस जान नहीं निकल रही थी , कस के मैं दोनों हाथों से सोफे को पकड़ने की कोशिश कर रही थी
लेकिन जितना दर्द हो रहा था , उतना ही अच्छा भी लग रहा था ,... इसी दर्द का तो इन्तजार था ,
कितनी बार , कितनी तरह
कुछ देर तो मैं उनकी गोद में थी , खुद ऊपर से धक्के लगाती , ....
महीने भर से ऊपर हो गए थे , लेकिन हर रात लगता था , हम दोनों पहली बार ,...
पर थोड़ी देर बाद ही वो एक बार फिर से ऊपर ,...
और मैं जोर जोर से तूफ़ान में पत्ते की तरह काँप रही थी , सिसक रही थी , उन्हें जोर से चिपकाए , उनके चौड़े सीने में दुबकी ,
उन्होंने भी कस के मुझे भींच लिया था , एकदम चिपका लिया था , ...
' वो ' जड़ तक मेरे अंदर घुसा हुआ था , धंसा , ... धक्के बंद हो गए थे
पर उस लुटेरे के पास कोई एक हथियार रहा ,
होंठ , उँगलियाँ , ...
उसका एक चुम्मा ही बदन में ४९ पवन चलाने के लिए काम अगन जलाने के लिए काफी था , ...
और अब उसे मेरी देह के हर कोने अंतरे का पता था , कौन सा बटन दबाने से क्या होता है
बस थोड़ी देर में एक बार फिर से मेरा मन करने लगा , मेरी देह कसमसाने लगी , और उसका मोटा मूसल मेरे अंदर तो धंसा था ही
कुछ देर तक हलके हलके ,
फिर पूरी तेजी के साथ और अब मैंने भी नीचे से अपने नितम्ब उठा उठा कर , ...
अगर वो रुकते भी तो मैं अपनी बाँहों से उन्हें कस के भींच कर , अपनी ओर खींच , और उतना इशारा काफी था ,
बस एकदम फुल स्पीड , ... धक्को पर धक्का , हर दूसरा धक्का सीधे बच्चेदानी पर
और अब जब मैं ,.... तो मेरे साथ वो भी , मेरे अंदर ,..देर तक , जैसे कोई बाँध टूट गया हो ,
मैं प्यासी धरती की तरह एक एक बूँद सोख रही थी ,
कुछ देर बाद जैसे बारिश बंद होने के बाद भी पेड़ों के पत्ते से टप टप बूंदे टपकती रहती हैं , ...
वैसे देर तक , और मेरी देह में बस उन टपकती बूंदों का अहसास बचा था , ... देह में एक अजब सी कसक बची थी , और मैं उन्हें कस के बाँहों में बांधे , आधे पौन घंटे से ऊपर हो गए होंगे , पर ऐसे समय किसे समय का अंदाज रहता है ,...
और कुछ देर में जब हम दोनों होश में आये , ... बस उन्होंने हलके से मेरे कानों को चूमा और गोद में उठाकर सीधे हमारी पलंग पर ,...
अब हम दोनों को थोड़ा होश आया , माघ का जाड़ा , और हम दोनों के सारे कपडे फर्श पर इधर उधर बिखरे , ...
अब उन्होंने रजाई खींच कर , ... हम दोनों रजाई में दुबके , ... और हम दोनों ने बोलना शुरू किया , पहले सिर्फ उँगलियों से ,
मैंने इनके सीने पर ऊँगली से सहलाकर , नाख़ून से स्क्रैच कर ,
और उनके होंठ मेरे चेहरे पर ,
कुछ देर बाद हम दोनों के बोल फूटे तो फिर एक साथ ,
जो बाते मैंने उनको रोज फोन पर बता चुकी थी , कई कई बार , ... वो भी फिर से ,... और मैंने भी उनके ट्रेनिंग की , ...
मैं उनकी बात सुनना चाहती थी , और वो मेरी ,...असल में बात कौन सुनना चाहता था ,
मैं बस उनकी आवाज सुनना चाहती थी , और वो लड़का मेरी ,...
तभी मेरा ध्यान स्टूल पर रखे दूध के बड़े ग्लास पर पड़ा जो मेरी सास ने जाने क्या क्या डाल तैयार किया था , ...