12-02-2019, 03:32 PM
(This post was last modified: 16-12-2023, 02:59 PM by badmaster122. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मै - (बहु की बातचीत को अच्छी तरह से समझ रहा था, वो शायद अपने पापा के सामने मुझसे डबल मीनिंग में बात करना चाहती थी )।। हाँ बहु क्या करता पिछले कई दिनों से निकाल-निकाल के थक गया हूँ।
सरोज - क्या निकाल के थक गए हैं बाबूजी?
मै - अरे बेटा।। तुम तो जानती हो। वो बाथरूम का नल ख़राब हो गया है न तो कुछ ही घंटे में नीचे पानी भर जाता है और फिर उसे निकालना पड़ता है।
सरोज - बाबूजी।। आपको कितनी बार मना किया है आप मत किया कीजिये मुझे बोलिये मैं आपका पानी निकाल दिया करुँगी, आपके बाथरूम से।
सरोज - कल रात आप पानी निकाल के सोये क्या?
मै - हाँ बहु।। कल रात पानी निकल के सोया, सुबह तक ज्यादा पानी इकट्ठा हो जाता न। प्लम्बर को बुलाउंगा आज़।
सरोज - ओह अच्छा, मैं सुबह जब आपके कमरे में आयी तो देखा की आप सो रहे है, तो मैंने बिना आपको नींद से उठाये आपका पानी निकाल दिया (बहु ने बड़ी ही शरारती अन्दाज़ में कहा)
सरोज - बाबूजी।। पानी इतना ज्यादा था की मेरे मुह पे भी छीटें पड़ गये।। आप चिंता न करें जबतक प्लम्बर नहीं आता मैं रोज आपका पानी निकाल करुँगी।
मुझे पहले से ही शक़ था की बहु ने सुबह मेरा लंड चूसा है, लेकिन मुझे नहीं पता था की मैं जो सपना देख रहा था की कोई लड़की मेरा लंड हिला रही है, वो दरअसल हकीकत में मेरी बहु मेरा लंड मुह में लिए मुट्ठ निकाल रही थी। मुझे यकीन नहीं हो रहा था के मेरी बहु जो इतनी शर्मीली थी, जो कुछ हफ्ते पहले मेरे सामने घूंघट में रहती थी आज वो मेरा लंड चूसने से भी नहीं हिचकिचाती। और सिर्फ यही नहीं अपने पापा के सामने मुझसे डबल मीनिंग में रोज मेरे लंड का पानी निकालने की बात भी कर रही है। मैं बहु के इस नए बहिवियर से काफी खुश था, आखिर मैं हमेशा से एक रंडी बहु चाहता था। पहले मेरी बहु शरमीली थी तो क्या? अब तो धीरे धीरे रंडी बन रही है।
मैने बहु से इस बारे में बात करने की सोची, और मौका देखते ही किचन में चला गया। समधी जी हॉल में बैठे टीवी देख रहे थे।
मै किचन में पहुच कर बहु को पीछे से पकड़ लिया, उसकी खुली नाभि को छूने लगा और उसकी पीठ को चाटने लगा। मेरा खड़ा लंड बहु के मादक गांड में दबने लगा।
सरोज - बाबू जी ये क्या कर रहे हैं आप? पापा देख लेंगे।
मैने बहु की बात अनसुनी कर दी, उसे किचन के दिवार में चिपका दिया और उसके पल्लू को खीच नीचे कर दिया। फिर मैं पगलों की तरह उसकी गरम पेट में मुह मारने लगा।। अपने जीभ को बहु के नाभि में डाल दिया। बहु सिसकारी मारने लगी, मुझे समझ में आ गया की बहु उत्तेजित हो रही है।
उसके बाद मैंने अपना एक हाथ आगे कर साड़ी को ऊपर उठा दिया, बहु ने एक ढीली सी पेंटी पहनी थी, पेंटी इतना ढीली थी की मैं आराम से अपनी ऊँगली बहु के चुत में घुसा दिया।
बहु एकदम से चौंक गई।। मैं लगतार बहु के चुत में ऊँगली पेलता रहा। बहु के बुर खुलने से किचन में बहु के बुर की स्मेल फैल गई। अबतक बहु के बुर से पानी छुटने लगा था लेकिन फिर भी वो अपने आप को मेरे बंधन से छुडाने लगी।
मै बहु को जोर से जकडा रहा अपने राइट हैंड से मैंने अपना लंड बाहर निकाल के बहु के गांड से सटा दिया। मैं पगलों की तरह बहु को चोदना चाहता था, मुझे न जाने क्या हो गया मैंने समधी जी का बिना ख्याल किये किचन में ही बहु के ब्लाउज और ब्रा में हाथ डाल कर उसके सर के ऊपर से निकाल दिया। बहु के दोनों चूचियां आज़ाद हो कर बाहर लटकने लगी। मैं पीछे से बहु को पकड़ा और उसके होठों पे अपने होठ रख दिए, बहु की साँस तेज़ चल रही थी। मैंने अपने दोनों हथेलियों में बहु के भारी बूब्स को पकड़ लिया और उसे कस-कस के दबाने लगा।
बहु के मुह से टीस उठने लगी, वो भी उत्तेजित होकर अपना सब्र खो रही थी। वो अपने होठ मेरे मुह के अंदर ड़ालते हुए अपने हाथों से मेरा हाथ पकड़ बूब्स को जोर-जोर से रगड रही थी। लेकिन बहु को इस बात का ख्याल था की कहीं समधी जी ये सब देख न ले, बहु ने सँभालते हुए कहा।।
सरोज - बाबूजी।। पापा देख लेंगे प्लीज छोड़ दिजिये
मै - ले बहु पहले मेरे लंड को अपने हाथ में तो ले।। (मैंने बहु का हाथ पकड़ के अपने लंड पे रख दिया)
सरोज - बाबूजी यहाँ किचन में?
मै - क्या हुआ बहु जब तुम सुबह मेरा लंड चूस सकती हो तो यहाँ क्यों नहीं? चलो मेरा लंड सहलाओ और अपने मुह में ले कर चुसो
सरोज - ठीक है बाबूजी लेकिन जल्दी निकालिये अपना माल।
बहु मेरा लंड पकड़ के मुट्ठ मारने लगी और मैंने अपने हाथ से उसके गरम निप्पल को दबाने लगा। बहु भी मस्ती में अपनी आँख बंद किये तेज़ी से मुट्ठ मारने लगी।।
सरोज - क्या निकाल के थक गए हैं बाबूजी?
मै - अरे बेटा।। तुम तो जानती हो। वो बाथरूम का नल ख़राब हो गया है न तो कुछ ही घंटे में नीचे पानी भर जाता है और फिर उसे निकालना पड़ता है।
सरोज - बाबूजी।। आपको कितनी बार मना किया है आप मत किया कीजिये मुझे बोलिये मैं आपका पानी निकाल दिया करुँगी, आपके बाथरूम से।
सरोज - कल रात आप पानी निकाल के सोये क्या?
मै - हाँ बहु।। कल रात पानी निकल के सोया, सुबह तक ज्यादा पानी इकट्ठा हो जाता न। प्लम्बर को बुलाउंगा आज़।
सरोज - ओह अच्छा, मैं सुबह जब आपके कमरे में आयी तो देखा की आप सो रहे है, तो मैंने बिना आपको नींद से उठाये आपका पानी निकाल दिया (बहु ने बड़ी ही शरारती अन्दाज़ में कहा)
सरोज - बाबूजी।। पानी इतना ज्यादा था की मेरे मुह पे भी छीटें पड़ गये।। आप चिंता न करें जबतक प्लम्बर नहीं आता मैं रोज आपका पानी निकाल करुँगी।
मुझे पहले से ही शक़ था की बहु ने सुबह मेरा लंड चूसा है, लेकिन मुझे नहीं पता था की मैं जो सपना देख रहा था की कोई लड़की मेरा लंड हिला रही है, वो दरअसल हकीकत में मेरी बहु मेरा लंड मुह में लिए मुट्ठ निकाल रही थी। मुझे यकीन नहीं हो रहा था के मेरी बहु जो इतनी शर्मीली थी, जो कुछ हफ्ते पहले मेरे सामने घूंघट में रहती थी आज वो मेरा लंड चूसने से भी नहीं हिचकिचाती। और सिर्फ यही नहीं अपने पापा के सामने मुझसे डबल मीनिंग में रोज मेरे लंड का पानी निकालने की बात भी कर रही है। मैं बहु के इस नए बहिवियर से काफी खुश था, आखिर मैं हमेशा से एक रंडी बहु चाहता था। पहले मेरी बहु शरमीली थी तो क्या? अब तो धीरे धीरे रंडी बन रही है।
मैने बहु से इस बारे में बात करने की सोची, और मौका देखते ही किचन में चला गया। समधी जी हॉल में बैठे टीवी देख रहे थे।
मै किचन में पहुच कर बहु को पीछे से पकड़ लिया, उसकी खुली नाभि को छूने लगा और उसकी पीठ को चाटने लगा। मेरा खड़ा लंड बहु के मादक गांड में दबने लगा।
सरोज - बाबू जी ये क्या कर रहे हैं आप? पापा देख लेंगे।
मैने बहु की बात अनसुनी कर दी, उसे किचन के दिवार में चिपका दिया और उसके पल्लू को खीच नीचे कर दिया। फिर मैं पगलों की तरह उसकी गरम पेट में मुह मारने लगा।। अपने जीभ को बहु के नाभि में डाल दिया। बहु सिसकारी मारने लगी, मुझे समझ में आ गया की बहु उत्तेजित हो रही है।
उसके बाद मैंने अपना एक हाथ आगे कर साड़ी को ऊपर उठा दिया, बहु ने एक ढीली सी पेंटी पहनी थी, पेंटी इतना ढीली थी की मैं आराम से अपनी ऊँगली बहु के चुत में घुसा दिया।
बहु एकदम से चौंक गई।। मैं लगतार बहु के चुत में ऊँगली पेलता रहा। बहु के बुर खुलने से किचन में बहु के बुर की स्मेल फैल गई। अबतक बहु के बुर से पानी छुटने लगा था लेकिन फिर भी वो अपने आप को मेरे बंधन से छुडाने लगी।
मै बहु को जोर से जकडा रहा अपने राइट हैंड से मैंने अपना लंड बाहर निकाल के बहु के गांड से सटा दिया। मैं पगलों की तरह बहु को चोदना चाहता था, मुझे न जाने क्या हो गया मैंने समधी जी का बिना ख्याल किये किचन में ही बहु के ब्लाउज और ब्रा में हाथ डाल कर उसके सर के ऊपर से निकाल दिया। बहु के दोनों चूचियां आज़ाद हो कर बाहर लटकने लगी। मैं पीछे से बहु को पकड़ा और उसके होठों पे अपने होठ रख दिए, बहु की साँस तेज़ चल रही थी। मैंने अपने दोनों हथेलियों में बहु के भारी बूब्स को पकड़ लिया और उसे कस-कस के दबाने लगा।
बहु के मुह से टीस उठने लगी, वो भी उत्तेजित होकर अपना सब्र खो रही थी। वो अपने होठ मेरे मुह के अंदर ड़ालते हुए अपने हाथों से मेरा हाथ पकड़ बूब्स को जोर-जोर से रगड रही थी। लेकिन बहु को इस बात का ख्याल था की कहीं समधी जी ये सब देख न ले, बहु ने सँभालते हुए कहा।।
सरोज - बाबूजी।। पापा देख लेंगे प्लीज छोड़ दिजिये
मै - ले बहु पहले मेरे लंड को अपने हाथ में तो ले।। (मैंने बहु का हाथ पकड़ के अपने लंड पे रख दिया)
सरोज - बाबूजी यहाँ किचन में?
मै - क्या हुआ बहु जब तुम सुबह मेरा लंड चूस सकती हो तो यहाँ क्यों नहीं? चलो मेरा लंड सहलाओ और अपने मुह में ले कर चुसो
सरोज - ठीक है बाबूजी लेकिन जल्दी निकालिये अपना माल।
बहु मेरा लंड पकड़ के मुट्ठ मारने लगी और मैंने अपने हाथ से उसके गरम निप्पल को दबाने लगा। बहु भी मस्ती में अपनी आँख बंद किये तेज़ी से मुट्ठ मारने लगी।।