12-02-2019, 11:48 AM
में ने अपने बांये हाथ से रश्मी के जबड़ो को पकड़ा और उसे तनिक दबाया तो रश्मी का मुंह थोड़ा सा खुल गया और अबमेने उसके खुले मुंह में अपना लंड़ डालने की कोशीश करने लगा।लेकिन रश्मी ने पूरी तरह से अपना मुंह नहीं खोला था इस्लिये मुझे अपना लंड़ उसके मुंह मे डालने में परेशानी हो रही थी। मेने थोड़ा और उसके मुंह को दबाया तो तो उसका मुंह पूरी तरह से खुल गया अबमेने अपना लंड़ उसके मुंह में हौले से ड़ाल दिया और धीरे धीरे उसे काफ़ी गहराई तक उसके मुंह में घुसेड़ दिया । अब रश्मी गॊं गॊं की अवाजे अपने मुंह से निकालने लगी , वो कुछ कहना चाहती थी लेकिन कुछ बोल नहीं पा रही थी क्योंकि मेरा मोटा लंड़ उसके मुंह में था।
में ने अब उसके सर को पिछे से पकड़ा और धीरे धीरे अपनी कमर को हिलाने लगा और अपना लंड़ उसके मुंह में अंदर बाहर करने लगा, रश्मी की आंखे फ़टने लगी क्योंकीमेरे धक्कों से उसका लंड़ रश्मी के गले तक चला जा रहा था। रश्मी के लिये ये एक बिल्कुल नया और विचित्र अनुभव था , आज से पहले उसने कभी भी किसी पुरुष के लंड़ का स्वाद नहीं चखा था।कुछ देर तक इसी तरह से अपनी कमर हिला हिला कर अपना लंड़ रस्मी के मुंह में ड़ालने के बादमेने अपनी कमर हिलाना बंद किया और उसने उसके सर के बालों को पिछे से पकड़ लिया और धीरे धीरे उसका सर आगे पिछे करने लगा ।
रश्मी के लिये हालांकि ये बिल्कुल नया खेल था जो उसने आज से पहले कभी नही खेला था इसीलिये पुरुष के लंड़ के बारे में उसके मन में काफ़ी भ्रांतियां थी लेकिन आज में ने जबरन ही सही लेकिन जब उसके मुंह मे अपना लंड़ ड़ाल ही दिया तो शुरुआत में थोड़ी हिचकिचाहट के बाद अब उसे भी मेरे लंड़ का स्वाद अच्छा लगने लगा था और उसे भी इस खेल में मजा आने लगा था। और
अब अनजाने में ही कब उसका मुंह थोड़ा और खुल गया और उसने मेरे लंड़ के लिये अपने मुंह में
और जगह कर दी ताकी वो असानी से उसे अपने मुंह में ले सके उसे खुद को पता नहीं चल पाया। लेकिन में ने इसको तुरंत महसूस कर लिया और उसने अप उसके सर को पिछे से हिलाना बंद कर दिया लेकिन रश्मी का सर आगे पिछे हिलना बंद नहीं हुआ वो उसी तरह अपने सर को आंखे बंद किये हिलाते रही और उसके लंड़ को चूसते रही।
रश्मी की आंखे बंद थी और उसने अब इतनी जोर से उसके लंड़ को चूसना शुरु कर दिया कि उसके मुंह पच पच की अवाजे भी आने लगी इतनी जोर से लंड़ को अपने मुंह में भीच लेने के कारण उसके दोनों गालों मे गड्ढे पड़ने लगे थे। पच पच की अवाज के बीच में उसके मुंह से उं उं आह आह की अवाजे निकल रही थी और इधर में आंखे बंद किये अपनी गदराई हसीना के मुख मैथुन का आनंद ले
रहा था उसके मुंह से सी सी की अवाजे निकल रही थी में प्यार से रश्मी के बालों और पीठ में हाथ फ़ेरने लगा और अत्यन्त कामोत्तेजना में आह आह वाह दीदी सक इट बेबी बडबड़ाने लगा ।
नंगी रश्मी ड़ागी स्टाइल में पलंग मे थी और में पलंग के नीचे खड़ा था रश्मी के दोनों विशाल स्तन झूल रहे थेमें बीच बीच में अपने हाथों से उसकी पीठ को सहलाते हुए उसकी गांड़ो को सहलाने लगा और अपनी एक उंगली को उसकी गांड़ और उसकी चूत के छेद मे मसलने लगा इससे रश्मी की उत्तेजना और बढ़ गई और वो और भी जोरों से मेरे लंड़ को चूसने लगी और अब वातावरण में दोनॊं जवान
जिस्मॊ के मुंह से निकलने वाली सिसकियां गुंजने लगी । अ़चानक रश्मी को होश आया कि में ने उसका सर कभी का छोड़ दिया है और वो खुद ही उसका लंड़ चूसे जा रही है वो हड़्बड़ा कर उसका लंड़ चूसना छोड़ देती है लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी और मेरे सामने उसकी हकीकत जाहिर हो चुकी थी । उसने मारे शर्म के अपनी आंखे बंद कर ली और पलंग पर ही बैठी रही।
में ने अब उसकी तरफ़ गौर करने बजाय उसे हौले से धक्का दिया और उसे पलंग पर धकेल दिया दीदी अब पलंग पर पीठ के बल पड़ी थी उसका सर एक तरफ़ झुका हुआ था और दाहिना हाथ उपर की तरफ़ उठते हुए उसके सर के पास पड़ा था और दूसरा हाथ उसके स्तन के ठीक नीचे और पेट के ठोड़ा उपर पड़ा था , उसकी आंखे बंद थी और उसके विशाल स्तन उत्तेजना के मारे जोर जोर से हील रहे थे ।
किसी कामतुर मर्द के सामने ऐसी समर्पित बेबाक नग्न सुंदरी पड़ी हो तो उसका उत्तेजना के मारे पागल होना लाजिमी है। में भी रश्मी को इस तरह पड़े देख पागल हो जाता हु और वहीं पलंग के पास नीचे बैठ जाताहु , में उसकी दोनों टांगो को फ़ैलाता हु और अपना मुंह उसकी चूत में लगा देता है।अबमें रश्मी दीदी चूत को चूसना शुरु कर देता हु मेरे मुंह से चप चप चपड चपड की अवाज आने लगती है । रश्मी के मुंह से उत्तेजना के मारे आह निकलने लगती है और वो अपना सर पलंग में इधर उधर घुमाने लगती है अपने दोनों हाथों को उपर कर के वो तकिये के कोनों को जोर से पकड़ लेती है और उसे मसलने लगती है।
में अपने दोनों हाथों को उसकी गांड़ो के नीचे ले जा कर उसे थोड़ा जोर लगा कर उपर उठा देता है अब उसकी चूत और भी असानी से मेरे मुंह मे आ जाती है में अपने मुंह में ढेर सारा थूक भर कर रश्मी चूत में उंड़ेल देता हु इससे उसकी चूत और भी चिकनी हो जाती है |
अब में उसकी चिकनी चूत की फ़ांको पर अपनी जीभ रगड़ने लगता हु और उसके चूत के अंदर के गुलाबी भाग को अपनी जीभ से सहलाने लगता हु । रश्मी मारे उत्तेजना के पागल हो जाती है और अपनी चूत जोर जोर से हिलाने लगती है। अब मेरे लिये उसकी चूत मे मुंह लगाये रखना कठिन हो जाता है तो में और भी ताकत से अपना मुंह उसकी चूत में लगा देता हु और अपनी जीभ उसकी जवान चूत के छेद में ड़ाल कर उसे अंदर बाहर करने लगता हु ।
इस तरह जीभ के अंदर बाहर होने से रश्मी थरथराने लगती और वो बुरी तरह से उत्तेजित हो जाती है। वो आंखे बंद किये अपना सर तेजी से इधर उधर पटकने लगती है, उसकी बदहवासी नेमेरे को और भी ज्यादा उत्तेजित कर दिया तथा में और भी अधिक जोश से दीदी की चूत को चूसने लगता हु ।
चूत के के इस बुरी तरह से चूसे जाने के कारण रश्मी का खुद से नियंत्रण पूरी तरह से खतम हो गया था और उसकी चूत से उत्तेजना के मारे चिकना पानी निकलने लगता है, उसके चूत के मादक पानी ने मेरी उत्तेजना को और भी अधिक बढा दिया । मेरे लिये अब अपना लंड़ रश्मी की चूत से बाहर रखना संभव नहीं हो पा रहा था वो अब बुरी तरह से झटके मार रहा था और बुरी तरह से दुखने लगा था,मेरे को ऐसा लगने लगा था कि यदि इसे जल्दी से रश्मी दीदी की चूत में ना ड़ाला तो ये फट जायेगा।
में , रश्मी की जवान बुर के रस का अभी और मजा लेना चाहता था , मेरा मन अभी उसकी चूत से भरा नहीं था में उसे और भी कुछ देर तक चूसना चाहता था लेकिन में भी अपने लंड़ की बगावत के आगे मजबूर हो जाता हु और ना चाहते हुए भी अपना मुंह रश्मी की रसीली चूत से अलग करताहु ।में पलंग पर चढ़ जाता हु और लाल सुर्ख आंखों से अपने
रश्मी की शर्म भले ही ना खतम हुई हो लेकिन लगातार कई देर से तुषार के सामने नंगी पड़ी रहने से उसकी झीझक खतम हो चुकी थी और अपनी चूत के झटको से बचने के लिये व्प अब अपने दोनों पैर बिस्तर पर इधर उधर बार बार फ़ैला रही थी इससे उसके नग्न शरीर की मादकता और भी बढ़ रही थी जो तुषार को और भी उत्तेजित कर रही थी ।
अब तुषार ने रश्मी के बिस्तर पर फ़ैले दोनो पैरों को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया और उसे उसे दांए बांए फ़ैला दिया अब उसे रश्मी की चूत साफ़ दिखाई देने लगी , वो अपनी कमर को रश्मी की जांघो के बीच में ले जाता है और अपना लंड़ उसकी चूत पर रगड़्ने लगता है। तुषार का गरम लंड़ अपनी चूत से टकराते ही रश्मी के दिल की धड़्कन तेज हो जाती है, आखिर कई महीनों के बाद उसे किसी मर्द के लंड़ का स्वाद जो मिलने वाला था।
अपना लंड़ रश्मी की चूत में ड़ालने से पहले वो अपना मुंह रश्मी के गालों के पास ले जाता है और उसे बेतहाशा चूमने लगता है, और फ़िर काम की उत्तेजना में उससे कहता है " रश्मी जान आज से तुम सदा सदा के लिये मेंरी हो जाओगी, आज मैं तुम्हें वो सुख दूंगा और ऐसी दुनिया की सैर कराउंगा जिसे पाने के लिये तुम बार बार मेरे पास आओगी। तेरे इस खूबसुरत जिस्म की जरुरत "राज" जैसा इंसान कभी नहीं समझ सकता ।
तुम्हे आज इस बात का अफ़सोस होगा कि तुम इतए महीनों तक इस सुख से वंचित क्यों रही? (अब वो उसे राज के खिलाफ़ भड़्काने से नहीं चूकता था, क्योंकि उसे रश्मी का जिस्म एक दो दिनों के लिये नहीं बल्की जीवन भर के लिये हासिल करना था।) वो आगे बोलना जारी रखता है " कल "राज" आ रहा है न रश्मी तो देख लेना तुम अपने प्रति उसका रवैया ।
रश्मी के गालों को चूमने और उसे "राज" के प्रति भड़्काने के बाद वो वाहां से उठता है और फ़िर से अपना लंड़ उसकी चूत में रगड़्ने लगता है। उसका एक हाथ रश्मी की जांघो और उसकी गांड़ो को सहला रहे थे और दूसरे हाथ से वो रश्मी की छातियों को मसल रहा था । अब तुषार के सहन शक्ति जवाब दे जाती है और वो अपना लंड़ रश्मी की चूत में लगा देता है।
लंड़ के चूत में लगते ही रश्मी सतर्क हो जाती है और आगे होने वाली घटना का अनुभव करते हुए अपनी आंख और होठों को बुरी तरह से भींच लेती है। इधर तुषार भी बेहद उत्तेजित और खुश था आखिर पिछले कई महिनों की उसकी हसरत अब पूरी जो होने वाली थी। वो अपने लंड़ में थोड़ा सा दबाव ड़ालता है और हल्का सा धक्का देता है और अपने लंड़ का सुपाड़ा उसकी चूत में घुसेड़ देता है। कई महीनों के बाद रश्मी की चूत में लंड़ घुसा था सो य्सकी चूत अंदर से सकरी हो गई थी, लंड़ के अंदर जाते ही उसके अंदर एक खलबली मच जाती है और दर्द से उसके मुंह से एक आह निकल जाती है।
कुछ क्षणों तक इसी तरह रश्मी को दर्द से कराहते देख तुषार उसका मजा लेता है फ़िर थोड़ा और धक्का वो अपने लंड़ मे लगाता है तो वो लगभग आधा उसकी चूत में चला जाता है। लंड़ के आधा अंदर जाते ही रश्मी दर्द से बिलबिलाने लग जाती है और कराहने लगती है आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उईईईईई मां , मर गई मै तो , मांऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ, बस करो तुषार सहन नहीं हो रहा है, प्लीज छोड़ दो मुझे , निकलो न उसे बाहर , । उसे इस तरफ़ फ़ड़्फ़ड़ाते हुए देख तुशार को मजा आने लगता है , वो कुछ क्षणों तक उसे इस तरह देखने के बाद अचानक एक जोर का धक्का लगाता है और उसका पूरा का पूरा मोटा लंड़ उसकी चूत में समा जाता है और रश्मी के मुंह से एक चीख निकल जाती है आईईईईईईईईई मांऽऽऽऽऽऽऽऽऽ बचाओ मुझे , उसकी आंखो में दर्द के मारे आंसू आ जाते है लेकिन इन आंसूओं का मर्दों पर कोई कभी असर नहीं पड़्ता।
लंड़ को पूरी तरह से रश्मी की चूत मे उतार देने के बाद तुषार रश्मी के नंगे जिस्म पर लुड़क जाता है और उसे अपनी बाहों मे जकड़ लेता है और अपना मुंह रश्मी के होठों पर लगा देता है , अब वो अपनी कमर को हौले हौले हिलाने लगता जिससे उसका लंड़ रश्मी की चूत में अंदर बाहर होने लगता है।
रश्मी के बेपनाह खूबसूरत नंगे लाचार जिस्म के अपने अधिकार में होने की कल्पना से तुषार की उत्तेजना और भी बढ़ जाती है और उसका लंण्ड़ लोहे के समान कड़्क हो जाता है। अपने ल्ण्ड़ के और भी कड़क हो जाने से वो और भी उत्तेजित हो जात है और रश्मी को बुरी तरह से अपनी बाहों में भीच लेता है और जोर जोर से अपनी कम्रर को हिलाने लगता है।
वो अपना ल्ण्ड़ इतनी जोर जोर से उसकी चूत में ड़ाल रहा था कि चूत और लण्ड़ की इस टक्कर में फ़च फ़च बद बद की आवजे कमरे में गूंजने लगती है और हर झटके के साथ रश्मी के मुंह के एक आह निकल जाती थी । आहह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह उइईईईई मांम्म्म्मां बस्स्स्स्स्स ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ रश्मी के मुंह के से निकलने वाली कराहों से तुषार और भी ज्यादा उत्तेजित हो रहा था और वो पूरी मस्ती में झूम झूम कर रश्मी को चोदने लगता है।
दोनों की आखें बंद थी और दोनो एक दूसरे से बुरी तरह से लिपटे हुए थे , दोनों के मुह से थोड़ी थोडी देर में उह्ह आह्ह ओफ़्फ़ की हल्की से आवाजे निकल रही थी और कमरे के वतावरण को कामुक बना रही थी। रश्मी का हाथ अब तुषार के पीठ पर था और वो आहिस्ता आहिस्ता उसकी पीठ पर अपना हाथ घुमाने लगी थी।
तभी तुशार हौले से अपना सर उपर उठाता है और धीरे से अपनी आंख खोल कर रश्मी की तरफ़ देखता है, उसकी आंखे काम की उत्तेजना के कारण लाल सुर्ख थी । वो देखता है कि रश्मी हौले हौले अपना सर कभी दाएं तो कभी बांए घुमा रही थी वो बार बार अपने होठों को अपने दातों से दबा लेती थी। उसके ऐसा करने का मतलब साफ़ था कि वो भी चुदाई के खेल का भरपूर मजा ले रही थी।
रश्मी को इस तरह करते हुए देख तुषार उत्तेजना के आवेग में दो तीन जोर का झटका उसकी चूत में लगा देता है तो रश्मी के मुंह से जोर से चीख निकल जाती है आह्ह्ह्ह तो तुषार उसे जोर भीच कर ताबड़्तोड़ उसके गालों को चूमना शुरु कर देता है। इस तरह चूमने से रश्मी भी उत्तेजित हो जाती है और वो उसे जोर से भींच लेती है और वो और भी तेजी से उसकी पीठ पर हाथ घ्माने लगती है।
कुछ देर तक इसी तरह से रश्मी भाभी को चोदने के बाद तुशार थोडा उपर उठता है और अपना बांया हाथ पलंग पर रख कर उसी के सहारे थोडा उंचा हो जाता है अब वो रश्मी को असानी से हरकते करते हुए देख सकता था । वो उसी अवस्था में अपनी कमर लगातार हिला रहा था और अपना लंड रश्मी की चूत में अंदर बाहर कर रहा था। अब वो अपना एक हाथ रश्मी के नंगे जिस्म पर घुमाने लगता है ।
उसके हाथ अब रश्मी के चेहरे पर घुम रहे थे कभी वो अपना हाथ उसके गालों पर घुमाता तो कभी उसके होठों पर तो कभी वो उसके बालों में अपना हाथ घुमाता इसी तरहअपने हाथों को घुमाते हुए अब वो अपना हाथ धीरे से उसकी जवानी के रस से भरी हुई उसकी छातियों पर रख देता है और उसके दोनों स्तनो को बारी बारी से मसलने लगता है।
में ने अब उसके सर को पिछे से पकड़ा और धीरे धीरे अपनी कमर को हिलाने लगा और अपना लंड़ उसके मुंह में अंदर बाहर करने लगा, रश्मी की आंखे फ़टने लगी क्योंकीमेरे धक्कों से उसका लंड़ रश्मी के गले तक चला जा रहा था। रश्मी के लिये ये एक बिल्कुल नया और विचित्र अनुभव था , आज से पहले उसने कभी भी किसी पुरुष के लंड़ का स्वाद नहीं चखा था।कुछ देर तक इसी तरह से अपनी कमर हिला हिला कर अपना लंड़ रस्मी के मुंह में ड़ालने के बादमेने अपनी कमर हिलाना बंद किया और उसने उसके सर के बालों को पिछे से पकड़ लिया और धीरे धीरे उसका सर आगे पिछे करने लगा ।
रश्मी के लिये हालांकि ये बिल्कुल नया खेल था जो उसने आज से पहले कभी नही खेला था इसीलिये पुरुष के लंड़ के बारे में उसके मन में काफ़ी भ्रांतियां थी लेकिन आज में ने जबरन ही सही लेकिन जब उसके मुंह मे अपना लंड़ ड़ाल ही दिया तो शुरुआत में थोड़ी हिचकिचाहट के बाद अब उसे भी मेरे लंड़ का स्वाद अच्छा लगने लगा था और उसे भी इस खेल में मजा आने लगा था। और
अब अनजाने में ही कब उसका मुंह थोड़ा और खुल गया और उसने मेरे लंड़ के लिये अपने मुंह में
और जगह कर दी ताकी वो असानी से उसे अपने मुंह में ले सके उसे खुद को पता नहीं चल पाया। लेकिन में ने इसको तुरंत महसूस कर लिया और उसने अप उसके सर को पिछे से हिलाना बंद कर दिया लेकिन रश्मी का सर आगे पिछे हिलना बंद नहीं हुआ वो उसी तरह अपने सर को आंखे बंद किये हिलाते रही और उसके लंड़ को चूसते रही।
रश्मी की आंखे बंद थी और उसने अब इतनी जोर से उसके लंड़ को चूसना शुरु कर दिया कि उसके मुंह पच पच की अवाजे भी आने लगी इतनी जोर से लंड़ को अपने मुंह में भीच लेने के कारण उसके दोनों गालों मे गड्ढे पड़ने लगे थे। पच पच की अवाज के बीच में उसके मुंह से उं उं आह आह की अवाजे निकल रही थी और इधर में आंखे बंद किये अपनी गदराई हसीना के मुख मैथुन का आनंद ले
रहा था उसके मुंह से सी सी की अवाजे निकल रही थी में प्यार से रश्मी के बालों और पीठ में हाथ फ़ेरने लगा और अत्यन्त कामोत्तेजना में आह आह वाह दीदी सक इट बेबी बडबड़ाने लगा ।
नंगी रश्मी ड़ागी स्टाइल में पलंग मे थी और में पलंग के नीचे खड़ा था रश्मी के दोनों विशाल स्तन झूल रहे थेमें बीच बीच में अपने हाथों से उसकी पीठ को सहलाते हुए उसकी गांड़ो को सहलाने लगा और अपनी एक उंगली को उसकी गांड़ और उसकी चूत के छेद मे मसलने लगा इससे रश्मी की उत्तेजना और बढ़ गई और वो और भी जोरों से मेरे लंड़ को चूसने लगी और अब वातावरण में दोनॊं जवान
जिस्मॊ के मुंह से निकलने वाली सिसकियां गुंजने लगी । अ़चानक रश्मी को होश आया कि में ने उसका सर कभी का छोड़ दिया है और वो खुद ही उसका लंड़ चूसे जा रही है वो हड़्बड़ा कर उसका लंड़ चूसना छोड़ देती है लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी और मेरे सामने उसकी हकीकत जाहिर हो चुकी थी । उसने मारे शर्म के अपनी आंखे बंद कर ली और पलंग पर ही बैठी रही।
में ने अब उसकी तरफ़ गौर करने बजाय उसे हौले से धक्का दिया और उसे पलंग पर धकेल दिया दीदी अब पलंग पर पीठ के बल पड़ी थी उसका सर एक तरफ़ झुका हुआ था और दाहिना हाथ उपर की तरफ़ उठते हुए उसके सर के पास पड़ा था और दूसरा हाथ उसके स्तन के ठीक नीचे और पेट के ठोड़ा उपर पड़ा था , उसकी आंखे बंद थी और उसके विशाल स्तन उत्तेजना के मारे जोर जोर से हील रहे थे ।
किसी कामतुर मर्द के सामने ऐसी समर्पित बेबाक नग्न सुंदरी पड़ी हो तो उसका उत्तेजना के मारे पागल होना लाजिमी है। में भी रश्मी को इस तरह पड़े देख पागल हो जाता हु और वहीं पलंग के पास नीचे बैठ जाताहु , में उसकी दोनों टांगो को फ़ैलाता हु और अपना मुंह उसकी चूत में लगा देता है।अबमें रश्मी दीदी चूत को चूसना शुरु कर देता हु मेरे मुंह से चप चप चपड चपड की अवाज आने लगती है । रश्मी के मुंह से उत्तेजना के मारे आह निकलने लगती है और वो अपना सर पलंग में इधर उधर घुमाने लगती है अपने दोनों हाथों को उपर कर के वो तकिये के कोनों को जोर से पकड़ लेती है और उसे मसलने लगती है।
में अपने दोनों हाथों को उसकी गांड़ो के नीचे ले जा कर उसे थोड़ा जोर लगा कर उपर उठा देता है अब उसकी चूत और भी असानी से मेरे मुंह मे आ जाती है में अपने मुंह में ढेर सारा थूक भर कर रश्मी चूत में उंड़ेल देता हु इससे उसकी चूत और भी चिकनी हो जाती है |
अब में उसकी चिकनी चूत की फ़ांको पर अपनी जीभ रगड़ने लगता हु और उसके चूत के अंदर के गुलाबी भाग को अपनी जीभ से सहलाने लगता हु । रश्मी मारे उत्तेजना के पागल हो जाती है और अपनी चूत जोर जोर से हिलाने लगती है। अब मेरे लिये उसकी चूत मे मुंह लगाये रखना कठिन हो जाता है तो में और भी ताकत से अपना मुंह उसकी चूत में लगा देता हु और अपनी जीभ उसकी जवान चूत के छेद में ड़ाल कर उसे अंदर बाहर करने लगता हु ।
इस तरह जीभ के अंदर बाहर होने से रश्मी थरथराने लगती और वो बुरी तरह से उत्तेजित हो जाती है। वो आंखे बंद किये अपना सर तेजी से इधर उधर पटकने लगती है, उसकी बदहवासी नेमेरे को और भी ज्यादा उत्तेजित कर दिया तथा में और भी अधिक जोश से दीदी की चूत को चूसने लगता हु ।
चूत के के इस बुरी तरह से चूसे जाने के कारण रश्मी का खुद से नियंत्रण पूरी तरह से खतम हो गया था और उसकी चूत से उत्तेजना के मारे चिकना पानी निकलने लगता है, उसके चूत के मादक पानी ने मेरी उत्तेजना को और भी अधिक बढा दिया । मेरे लिये अब अपना लंड़ रश्मी की चूत से बाहर रखना संभव नहीं हो पा रहा था वो अब बुरी तरह से झटके मार रहा था और बुरी तरह से दुखने लगा था,मेरे को ऐसा लगने लगा था कि यदि इसे जल्दी से रश्मी दीदी की चूत में ना ड़ाला तो ये फट जायेगा।
में , रश्मी की जवान बुर के रस का अभी और मजा लेना चाहता था , मेरा मन अभी उसकी चूत से भरा नहीं था में उसे और भी कुछ देर तक चूसना चाहता था लेकिन में भी अपने लंड़ की बगावत के आगे मजबूर हो जाता हु और ना चाहते हुए भी अपना मुंह रश्मी की रसीली चूत से अलग करताहु ।में पलंग पर चढ़ जाता हु और लाल सुर्ख आंखों से अपने
रश्मी की शर्म भले ही ना खतम हुई हो लेकिन लगातार कई देर से तुषार के सामने नंगी पड़ी रहने से उसकी झीझक खतम हो चुकी थी और अपनी चूत के झटको से बचने के लिये व्प अब अपने दोनों पैर बिस्तर पर इधर उधर बार बार फ़ैला रही थी इससे उसके नग्न शरीर की मादकता और भी बढ़ रही थी जो तुषार को और भी उत्तेजित कर रही थी ।
अब तुषार ने रश्मी के बिस्तर पर फ़ैले दोनो पैरों को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया और उसे उसे दांए बांए फ़ैला दिया अब उसे रश्मी की चूत साफ़ दिखाई देने लगी , वो अपनी कमर को रश्मी की जांघो के बीच में ले जाता है और अपना लंड़ उसकी चूत पर रगड़्ने लगता है। तुषार का गरम लंड़ अपनी चूत से टकराते ही रश्मी के दिल की धड़्कन तेज हो जाती है, आखिर कई महीनों के बाद उसे किसी मर्द के लंड़ का स्वाद जो मिलने वाला था।
अपना लंड़ रश्मी की चूत में ड़ालने से पहले वो अपना मुंह रश्मी के गालों के पास ले जाता है और उसे बेतहाशा चूमने लगता है, और फ़िर काम की उत्तेजना में उससे कहता है " रश्मी जान आज से तुम सदा सदा के लिये मेंरी हो जाओगी, आज मैं तुम्हें वो सुख दूंगा और ऐसी दुनिया की सैर कराउंगा जिसे पाने के लिये तुम बार बार मेरे पास आओगी। तेरे इस खूबसुरत जिस्म की जरुरत "राज" जैसा इंसान कभी नहीं समझ सकता ।
तुम्हे आज इस बात का अफ़सोस होगा कि तुम इतए महीनों तक इस सुख से वंचित क्यों रही? (अब वो उसे राज के खिलाफ़ भड़्काने से नहीं चूकता था, क्योंकि उसे रश्मी का जिस्म एक दो दिनों के लिये नहीं बल्की जीवन भर के लिये हासिल करना था।) वो आगे बोलना जारी रखता है " कल "राज" आ रहा है न रश्मी तो देख लेना तुम अपने प्रति उसका रवैया ।
रश्मी के गालों को चूमने और उसे "राज" के प्रति भड़्काने के बाद वो वाहां से उठता है और फ़िर से अपना लंड़ उसकी चूत में रगड़्ने लगता है। उसका एक हाथ रश्मी की जांघो और उसकी गांड़ो को सहला रहे थे और दूसरे हाथ से वो रश्मी की छातियों को मसल रहा था । अब तुषार के सहन शक्ति जवाब दे जाती है और वो अपना लंड़ रश्मी की चूत में लगा देता है।
लंड़ के चूत में लगते ही रश्मी सतर्क हो जाती है और आगे होने वाली घटना का अनुभव करते हुए अपनी आंख और होठों को बुरी तरह से भींच लेती है। इधर तुषार भी बेहद उत्तेजित और खुश था आखिर पिछले कई महिनों की उसकी हसरत अब पूरी जो होने वाली थी। वो अपने लंड़ में थोड़ा सा दबाव ड़ालता है और हल्का सा धक्का देता है और अपने लंड़ का सुपाड़ा उसकी चूत में घुसेड़ देता है। कई महीनों के बाद रश्मी की चूत में लंड़ घुसा था सो य्सकी चूत अंदर से सकरी हो गई थी, लंड़ के अंदर जाते ही उसके अंदर एक खलबली मच जाती है और दर्द से उसके मुंह से एक आह निकल जाती है।
कुछ क्षणों तक इसी तरह रश्मी को दर्द से कराहते देख तुषार उसका मजा लेता है फ़िर थोड़ा और धक्का वो अपने लंड़ मे लगाता है तो वो लगभग आधा उसकी चूत में चला जाता है। लंड़ के आधा अंदर जाते ही रश्मी दर्द से बिलबिलाने लग जाती है और कराहने लगती है आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उईईईईई मां , मर गई मै तो , मांऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ, बस करो तुषार सहन नहीं हो रहा है, प्लीज छोड़ दो मुझे , निकलो न उसे बाहर , । उसे इस तरफ़ फ़ड़्फ़ड़ाते हुए देख तुशार को मजा आने लगता है , वो कुछ क्षणों तक उसे इस तरह देखने के बाद अचानक एक जोर का धक्का लगाता है और उसका पूरा का पूरा मोटा लंड़ उसकी चूत में समा जाता है और रश्मी के मुंह से एक चीख निकल जाती है आईईईईईईईईई मांऽऽऽऽऽऽऽऽऽ बचाओ मुझे , उसकी आंखो में दर्द के मारे आंसू आ जाते है लेकिन इन आंसूओं का मर्दों पर कोई कभी असर नहीं पड़्ता।
लंड़ को पूरी तरह से रश्मी की चूत मे उतार देने के बाद तुषार रश्मी के नंगे जिस्म पर लुड़क जाता है और उसे अपनी बाहों मे जकड़ लेता है और अपना मुंह रश्मी के होठों पर लगा देता है , अब वो अपनी कमर को हौले हौले हिलाने लगता जिससे उसका लंड़ रश्मी की चूत में अंदर बाहर होने लगता है।
रश्मी के बेपनाह खूबसूरत नंगे लाचार जिस्म के अपने अधिकार में होने की कल्पना से तुषार की उत्तेजना और भी बढ़ जाती है और उसका लंण्ड़ लोहे के समान कड़्क हो जाता है। अपने ल्ण्ड़ के और भी कड़क हो जाने से वो और भी उत्तेजित हो जात है और रश्मी को बुरी तरह से अपनी बाहों में भीच लेता है और जोर जोर से अपनी कम्रर को हिलाने लगता है।
वो अपना ल्ण्ड़ इतनी जोर जोर से उसकी चूत में ड़ाल रहा था कि चूत और लण्ड़ की इस टक्कर में फ़च फ़च बद बद की आवजे कमरे में गूंजने लगती है और हर झटके के साथ रश्मी के मुंह के एक आह निकल जाती थी । आहह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह उइईईईई मांम्म्म्मां बस्स्स्स्स्स ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ रश्मी के मुंह के से निकलने वाली कराहों से तुषार और भी ज्यादा उत्तेजित हो रहा था और वो पूरी मस्ती में झूम झूम कर रश्मी को चोदने लगता है।
दोनों की आखें बंद थी और दोनो एक दूसरे से बुरी तरह से लिपटे हुए थे , दोनों के मुह से थोड़ी थोडी देर में उह्ह आह्ह ओफ़्फ़ की हल्की से आवाजे निकल रही थी और कमरे के वतावरण को कामुक बना रही थी। रश्मी का हाथ अब तुषार के पीठ पर था और वो आहिस्ता आहिस्ता उसकी पीठ पर अपना हाथ घुमाने लगी थी।
तभी तुशार हौले से अपना सर उपर उठाता है और धीरे से अपनी आंख खोल कर रश्मी की तरफ़ देखता है, उसकी आंखे काम की उत्तेजना के कारण लाल सुर्ख थी । वो देखता है कि रश्मी हौले हौले अपना सर कभी दाएं तो कभी बांए घुमा रही थी वो बार बार अपने होठों को अपने दातों से दबा लेती थी। उसके ऐसा करने का मतलब साफ़ था कि वो भी चुदाई के खेल का भरपूर मजा ले रही थी।
रश्मी को इस तरह करते हुए देख तुषार उत्तेजना के आवेग में दो तीन जोर का झटका उसकी चूत में लगा देता है तो रश्मी के मुंह से जोर से चीख निकल जाती है आह्ह्ह्ह तो तुषार उसे जोर भीच कर ताबड़्तोड़ उसके गालों को चूमना शुरु कर देता है। इस तरह चूमने से रश्मी भी उत्तेजित हो जाती है और वो उसे जोर से भींच लेती है और वो और भी तेजी से उसकी पीठ पर हाथ घ्माने लगती है।
कुछ देर तक इसी तरह से रश्मी भाभी को चोदने के बाद तुशार थोडा उपर उठता है और अपना बांया हाथ पलंग पर रख कर उसी के सहारे थोडा उंचा हो जाता है अब वो रश्मी को असानी से हरकते करते हुए देख सकता था । वो उसी अवस्था में अपनी कमर लगातार हिला रहा था और अपना लंड रश्मी की चूत में अंदर बाहर कर रहा था। अब वो अपना एक हाथ रश्मी के नंगे जिस्म पर घुमाने लगता है ।
उसके हाथ अब रश्मी के चेहरे पर घुम रहे थे कभी वो अपना हाथ उसके गालों पर घुमाता तो कभी उसके होठों पर तो कभी वो उसके बालों में अपना हाथ घुमाता इसी तरहअपने हाथों को घुमाते हुए अब वो अपना हाथ धीरे से उसकी जवानी के रस से भरी हुई उसकी छातियों पर रख देता है और उसके दोनों स्तनो को बारी बारी से मसलने लगता है।