01-03-2020, 02:14 PM
(This post was last modified: 01-03-2020, 11:06 PM by babasandy. Edited 6 times in total. Edited 6 times in total.)
कुछ देर बाद मैं अपनी रूपाली दीदी और प्रियंका दीदी का हाथ पकड़ के उनके कमरे में ले गया... मेरे साथ में जुनैद असलम और मेरे जीजू भी थे.... वह आलीशान कमरा जो फूलों से बिल्कुल सजा हुआ था... डबल साइज का पलंग जिसके ऊपर गुलाब बिखरे हुए थे... और खुशबू मदहोश कर देने वाली थी...
जुनेद न स्टैंड खड़ा किया कमरे के बीचो-बीच और उसके ऊपर एक कैमरा फिट करने लगा... उसका इरादा मेरी दोनों दीदी के साथ ना सिर्फ सुहागरात मनाने का था बल्कि उन अनमोल लम्हों को व कैमरे में भी कैद करना चाहता था...
असलम ने दारू की बोतल खोल ली और पीने लगा... हर घूंट के साथ उसका नशा बढ़ता चला जा रहा था और उसकी हवस अब बिल्कुल काबू में नहीं रही...
जल्दी कर ना यार जुनेद.. कब से तड़प रहा हूं सुहागरात मनाने के लिए... देख मेरी दुल्हनिया भी बिल्कुल तैयार हो गई है... असलम ने मेरी प्रियंका दीदी की तरफ इशारा करते हुए कहा..
बस थोड़ी देर रुक जाओ असलम भाई.. कैमरा सही से फिट नहीं हो रहा है... पूरा सीन अच्छे से शूट करना जो है... जुनैद ने कहा..
अरे कैमरा सेट नहीं हो रहा है तो इस बहन के लोड़े को कैमरा पकड़ा दे... इसे तो बड़ा मजा आता है अपनी बहन की ठुकाई देखने में... असलम ने मेरी तरफ देखते हुए कहा..
आपका आईडिया बुरा नहीं है असलम भाई... आओ मेरे प्यारे साले साहब आओ आज तुम्हें अपनी दोनों बहनों की सुहागरात का दृश्य देखने का मजा मिलेगा... पकड़ साले यह कैमरा... सब कुछ अच्छे से सूट होना चाहिए... बोलते हुए जुनैद ने मुझे कैमरा पकड़ा दिया..
मैंने चुपचाप कैमरा पकड़ लिया मुझे और थप्पड़ नहीं खाने थे...
जुनैद ने भी फटाफट दारू का ग्लास खाली कर दिया... और जीजू से बोला..
सुन बे भड़वे... तू भी यही बैठा रहेगा और हम दोनों के लिए पैक बनाएगा...
मेरे जीजू ने अपना सर झुका लिया उन्हें कुछ बोलते हुए नहीं बन रहा था...
मेरी दोनों दीदी पलंग पर घूंघट ओढ़ के सिमटी हुई बैठी हुई थी..
उनके सामने कैमरा हाथ में लिए हुए खड़ा था मैं... बगल में सोफे पर मेरे जीजू दारु का पेग बना रहे थे असलम और जुनैद के लिए, जिसे वह दोनों एक घूंट में खत्म कर दे रहे थे... नशे के मारे दोनों की आंखें लाल होने लगी थी..
मां के लोड़े जो नशा तेरी बीवी रुपाली में है, दारु में नहीं... पर आज की रात तो मैं प्रियंका की सील खोलूंगा... आज वही मेरी दुल्हनिया है... जुनैद रुपाली कि बजाएगा... नशे में धुत होकर असलम मेरे जीजू को बोल रहा था.
चुपचाप सब कुछ सुन रहे थे मेरे जीजू...
एक बात बोलूं भाई.. रुपाली जैसी औरतों के लिए यह साला बेकार है..... इसका तो लंड भी छोटा होगा... दिखा साले अपना लंड.. जुनेद बोला..
साले तेरी मां का भोसड़ा ..मारुं , ... " निकाल अपनी पैंट. दिखा हमें अपना छोटा सामान... असलम ने गुस्से में कहा...
मेरे जीजू डर गए और चुपचाप खड़े होकर अपनी पेंट उतारने लगे.. पेंट उतारने के बाद जुनैद ने कच्छा भी नीचे सरका दिया... मेरे जीजू का 4 इंच का छोटा सा मुरझाया हुआ लंड हम सबकी आंखों के सामने था...
असलम ने मेरे जीजू का लंड अपने हाथों में पकड़ लिया और मेरी तरफ देख कर बोला..
देख साले तेरे जीजा का लंड कितना छोटा है... इतने छोटे से लंड से तो तेरी रूपाली दीदी को बिल्कुल मजा नहीं आता होगा... तेरी बहन को तो एक असली मर्द की जरूरत है... जो उसके खूब अंदर तक घुसआए... आज से हम दोनों तेरे असली जीजु है... असलम बोल रहा था और दूसरे हाथ से मसल रहा था अपने औजार को...
असलम भाई नशा बहुत हो चुका है... अब समय आ गया है कि हम दोनों अपनी अपनी दुल्हन को अपनी बना ले.. जुनेद बोला.
दोनों उठ के खड़े हुए और पलंग के ऊपर आ गए.. असलम मेरी प्रियंका दीदी के पास आकर बैठ गया और जुनैद मेरी रूपाली दीदी के...
साले साहब अच्छे से अच्छे से शूटिंग होनी चाहिए तुम्हारी बहनों की सुहागरात... जुनैद ने मुझे देखते हुए कहा..
मैंने कैमरे का फोकस उस पलंग के ऊपर कर दिया जहां पर एक्शन होने वाला था....
असलम ने मेरी प्रियंका दीदी का घूंघट उठाया... मेरी दीदी की चांद से भी खूबसूरत चेहरे को देखकर असलम के मुंह में पानी आ रहा था.. मेरी दीदी किसी नई नवेली दुल्हन की तरह ही शर्मआ रही थी... असलम ने अपनी पैंट की जेब से एक मंगलसूत्र निकाला और मेरी दीदी के गले में पहना दिया... फिर उसने एक चुटकी सिंदूर से मेरी प्रियंका दीदी की मांग भी भर दी... अब औपचारिक रूप से मेरी दीदी असलम की दुल्हन बन गई थी...
दूसरी तरफ जुनैद ने मेरी रूपाली दीदी को अपनी गोद में बिठा रखा था... सबकी नजरें असलम और मेरी प्रियंका दीदी पर टिकी हुई थी..
असलम ने अपनी नई नवेली दुल्हन को अपने गले लगा लिया...
पहले उसने मेरी प्रियंका दीदी कि नथ उतारी... फिर एक-एक करके धीरे-धीरे उसने मेरी दीदी के बदन से सारे गहने अलग कर दिए.. उसने मेरी दीदी को फूलों से सजे बिस्तर पर नीचे लिटा दिया और खुद उनके ऊपर सवार हो गया... असलम के बोझ के तले नीचे दबी हुई मेरी दीदी कसमसआने लगी..
पहले तो उसने मेरी दीदी के कोमल गानों को चुम्मा... फिर गुलाबी होठों को... असलम ने शुरू में तो अच्छे बच्चो की तरह हलके हलके होंठों को ,गालो को चूमा मेरी प्रियंका दीदी की... पर थोड़ी देर बाद उसके अंदर का जानवर जाग गया...
मेरी प्रियंका दीदी के दोनों रस से भरे गुलाबी होंठों को उसने हलके से अपने होंठों के बीच दबाया ,कुछ देर तक वो बेशरम उन्हें चूसता रहा, चूसता रहा जैसे सारा रस अभी पी लेगा ,और फिर पूरी ताकत से कचकचा के ,इतने जोर से काटा की आँखों में दर्द से आंसू छलक पड़े मेरी दीदी के...फिर होंठों से ही उस जगह दो चार मिनट सहलाया और फिर पहले से भी दुगुने जोर से और खूब देर तक… पक्का दांत के निशान पड़ गए होंगे प्रियंका दीदी के होठों पर..
दूसरी तरफ रूपाली दीदी जुनैद की गोद में बैठी हुई थी और उन्होंने अपनी बाहें गले में डाल रखी थी जुनैद के... दोनों के बीच एक जबरदस्त चुंबन चल रहा था... ऐसा लग रहा था मानो तो एक दूसरे से जुड़ गए हो दोनों के होंठ... फिर कभी अलग नहीं होंगे... मैंने अपनी रूपाली दीदी का एक्शन तो दिन भर देखा ही था इसलिए मैंने अपना फोकस प्रियंका दीदी की तरफ किया....
असलम भी प्रियंका दीदी के होठों को अपने होठों में दबोच के चूसे जा रहा था, लेकिन मेरी दीदी अपने नए दूल्हे को न तो मना कर सकती थी न चीख सकती थी , मेरी प्रियंका दीदी के दोनों होंठ तो उस दुष्ट के होंठों ने ऐसे दबोच रखे थे जैसे कोई बाज किसी गौरेया को दबोचे।
बड़ी मुश्किल से होंठ छूटे तो गाल ,
गाल पर भी उसने पहले तो थोड़ी देर अपने लालची होंठ रगड़े ,और फिर कचकचा के , पहले थोड़ी देर चूस के दो दांत जोर से लगा देता , मेरी दीदी छटपटाती ,चीखती अपने चूतड़ पटकती ,फिर वो वहीँ थोड़ी देर तक होंठों से सहलाने के बाद दुगुनी ताकत से , .... दोनों गालों पर काट रहा था...
मुझे मालूम था उसके दाँतो के निशान मेरी प्रियंका दीदी के गुलाब की पंखुड़ियों से गालों पर अच्छे खासे पड़ जाएंगे ...
उसके होंठ जो हरकत मेरी प्रियंका दीदी के होंठों और गालों के साथ कर रह रहे थे ,वही हरकत असलम के हाथ मेरी दीदी का मस्त उभरे हुए 24 साल के बड़े-बड़े दोनों संतरे,कड़े कड़े जोबन के साथ कर रहे थे।
आज तक मेरी प्रियंका दीदी के जोबन ,चाहे शहर के हो या या गांव के लड़के ,उन्हें तंग करते ,ललचाते ,उनके पैंट में तम्बू बनाते फिरते थे ,
आज उन्हें कोई मिला था , टक्कर देने वाला।
और वो सूद ब्याज के साथ ,उनकी रगड़ाई कर रहा था ,
और शायद मेरी प्रियंका दीदी के जोबन चाहते भी तो यही थे।
कोई उन्हें कस के मसले ,कुचले ,रगड़े ,मीजे दबाये, और असलम भी यही कर रहा था पर चोली के ऊपर से ही...
और क्या कस कस के ,रगड़ रगड़ के मसल रहा था वो। मेरी प्रियंका दीदी तो बस सिसक रही थी...
उसने मेरी प्रियंका दीदी को उठाकर अपनी गोद में बिठा लिया... एक झटके में उसने मेरी दीदी की चोली के सारे बटन तोड़ दिय... और चोली को उनके सीने से अलग कर दिया...
पता नही क्यूँ.. कुच्छ पल के लिए वह चुपचाप आँखें फाडे 'ब्रा' में क़ैद मेरी प्रियंका दीदी के चूचियो के बीच की गौरी घाटी को घूरता रहा.. फिर अचानक हाथ पिछे ले जाकर मेरी दीदी की 'ब्रा' की स्ट्रिप्स को उखाड़ देने पर उतारू हो गया... उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह मेरी दीदी की डिजाइनर ब्रा को किधर से खोलें..
चल तू ही खोल दुल्हनिया .. असलम में दीदी से कहा...
जी..... बोलते हुए मेरी प्रियंका दीदी ने खुद ही अपनी ब्रा स्ट्रिप खोल दी और स्ट्रिप्स को अपनी बाहों के नीचे दबाकर अपना सिर झुका लिया...
जैसा मुझे डर था.. वही हुआ.. असलम इतना बेशबरा हुआ जा रहा था कि उसने ब्रा को छाती से पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया...
मेरी दीदी झटके से उसकी तरफ आई.. पर फिर भी कंधे की एक स्ट्रीप चटक गयी..
"ओह.. क्या करते हो?" मेरी दीदी के मुंह से निकला.. दीदी ने अपनी दूसरी बाजू से बाहर निकाल दिया स्ट्रिप..
....
पर उसने तो जैसे कुच्छ सुना ही नही... उसका पूरा ध्यान ब्रा पर नही.. बुल्की ब्रा की क़ैद से निकलते ही फदाक उठी मेरी प्रियंका दीदी की संतरे जैसी चूचियो पर था.. दूधिया रंग की मेरी दीदी की चूचियां भी मानो उसको चिडा रही हों.. छ्होटी क़िस्स्मिस्स के आकर के दोनों दानो की चौन्च उसकी आँखों की ओर ही उठी हुई ही.... वा अब भी उन्हे ही आँखें फाडे घूर रहा था.. जैसे और कुच्छ करना ही ना हो....
"क्या है..?" मेरी प्रियंका दीदी ने शर्मा कर अपनी चूचियो को अपनी हथेलियों में छिपा लिया.. तब जाकर कहीं उसके होश ठिकाने आए.. ठिकाने क्या आए.. होश तो उसके मानो तभी उड़े हों... मानो किसी ने उस'से जन्नत की खुशियाँ छीन ली हों.. उसने झपट्टा सा मारा और मेरी दीदी के हाथ 'वहाँ' से हटा कर अपने टीका दिए...
"उफफफफफ्फ़....तुम तो पूरी की पूरी मक्खन हो मक्खन!" मेरी जानू मेरी दुल्हनिया", मेरी प्रियंका दीदी की दोनो चूचियो को अपने एक एक हाथ में लपके हुए वह उन्हे 'प्यार से सहलाता हुआ बोला...,"
उसने अपनी चुटकियों में मेरी प्रियंका दीदी की चूचियो के दोनो दाने पकड़ लिए... और बड़े प्यार से मेरी दीदी को देखने लगा...
अपनी चूचियो से असलम की नजरों का लगाव देख कर मेरी दीदी गदरा सी गयी और मेरी दीदी की चूचियो का कसाव हल्का सा बढ़ गया...
सा बढ़ गया...
"मैं इन्हे चूस कर देख लूँ एक बार...?" वह अपने होंटो पर जीभ घूमता हुआ बोला... शायद अपनी लार को बाहर टपकने से रोक रहा होगा...
पर मुझे आश्चर्य तब हुआ जब मेरी प्रियंका दीदी ने कुछ भी जवाब नहीं दिया बल्कि जवाब उनकी चुचियों ने खुद ही दिया.... उनके नितंब थोड़ा पिछे सरक गये और कमर थोड़ी आगे खिसक आई.
मेरी प्रियंका दीदी ने अपनी चूचियो को आगे किया और उभार कर असलम के होंटो से च्छुआ दिया.....
एक बार को तो भूखे शेर की भाँति उन्न पर टूट पड़ा... जितना मुँह खोल सकता था, खोल कर मेरी प्रियंका दीदी की एक छाती को पूरा ही मुँह में तूसने की कोशिश की... और जितना ले पाया... अपनी आँखें बंद करके उसको पपोल'ने लगा......
पर एक से शायद उसको सब्र नही हो रहा था... एक हाथ मेरी दीदी की कमर के पिछे ले जाकर उसने मेरी दीदी के कुल्हों पर रखा और नीचे से मेरी दीदी को अपनी और खींचते हुए उपर से पिछे की और झुका लिया.. अब उसका पिछे वाला हाथ मेरी दीदी को सहारा देने के लिए उनकी गर्दन पर था और दूसरे हाथ से उसने मेरी दीदी की दूसरी चूची को किसी निरीह कबूतर की तरह दबोच लिया.....
मेरी प्रियंका दीदी भी अधमरी सी होकर बड़बड़ाने लगी थी... उनके ऊपर भी " प्यार का जादू " सर चढ़कर बोलने लगा था...
मीठी मीठी सिसकियाँ लेती हुई मेरी दीदी आनंदित होकर रह रह कर सिहर सी जा रही थी....
मेरी दीदी की हर सिसकी के साथ असलम को उनकी रजामंदी का आभास हो रहा था और पागल हो कर असलम चूसे जा रहा था..
करीब 5-6 मिनिट तक अपनी अल्हड़ मस्त चूचियो को बारी बारी से चुस्वाते रहने के बाद मेरी प्रियंका दीदी पिछे झुकी हुई होने के कारण तंग हो गयी और उसके कॉलर पकड़ कर उपर उठने की कोशिश करने लगी... वह शायद मेरी दीदी की परेशानी समझ गया और उनकी चूची को मुंह से निकाल कर उनको सीधा बिठा दिया...
मेरी प्रियंका दीदी की चूचियो में जैसे खून उतर आया था और दोनो ही चूचिया असलम के मुखरास (थूक) से सनी हुई थी...
मेरी प्रियंका दीदी मस्त हो चली थी... बड़ी शरारत से उन्होंने असलम की आंखों में अपनी कजरारी आंखें बड़ी बड़ी, डाल के बोली...
बुरा ना मानो तो एक बात कहूं जी" दिल भर गया हो तो अब हमें जाने दीजिए"
असलम ने मेरी दीदी की बात ठीक से सुनी भी नहीं.. वह तो मदहोश था उनकी चूची चूस चूस कर..
उसने एक एक बार मेरी दीदी की दोनो चूचियो के दानो को अपने होंटो में लेकर 'सीप' किया और फिर नशीले से अंदाज में मेरी दीदी की ओर देख कर बोला..,"बोलो ना जान!"
जुनेद न स्टैंड खड़ा किया कमरे के बीचो-बीच और उसके ऊपर एक कैमरा फिट करने लगा... उसका इरादा मेरी दोनों दीदी के साथ ना सिर्फ सुहागरात मनाने का था बल्कि उन अनमोल लम्हों को व कैमरे में भी कैद करना चाहता था...
असलम ने दारू की बोतल खोल ली और पीने लगा... हर घूंट के साथ उसका नशा बढ़ता चला जा रहा था और उसकी हवस अब बिल्कुल काबू में नहीं रही...
जल्दी कर ना यार जुनेद.. कब से तड़प रहा हूं सुहागरात मनाने के लिए... देख मेरी दुल्हनिया भी बिल्कुल तैयार हो गई है... असलम ने मेरी प्रियंका दीदी की तरफ इशारा करते हुए कहा..
बस थोड़ी देर रुक जाओ असलम भाई.. कैमरा सही से फिट नहीं हो रहा है... पूरा सीन अच्छे से शूट करना जो है... जुनैद ने कहा..
अरे कैमरा सेट नहीं हो रहा है तो इस बहन के लोड़े को कैमरा पकड़ा दे... इसे तो बड़ा मजा आता है अपनी बहन की ठुकाई देखने में... असलम ने मेरी तरफ देखते हुए कहा..
आपका आईडिया बुरा नहीं है असलम भाई... आओ मेरे प्यारे साले साहब आओ आज तुम्हें अपनी दोनों बहनों की सुहागरात का दृश्य देखने का मजा मिलेगा... पकड़ साले यह कैमरा... सब कुछ अच्छे से सूट होना चाहिए... बोलते हुए जुनैद ने मुझे कैमरा पकड़ा दिया..
मैंने चुपचाप कैमरा पकड़ लिया मुझे और थप्पड़ नहीं खाने थे...
जुनैद ने भी फटाफट दारू का ग्लास खाली कर दिया... और जीजू से बोला..
सुन बे भड़वे... तू भी यही बैठा रहेगा और हम दोनों के लिए पैक बनाएगा...
मेरे जीजू ने अपना सर झुका लिया उन्हें कुछ बोलते हुए नहीं बन रहा था...
मेरी दोनों दीदी पलंग पर घूंघट ओढ़ के सिमटी हुई बैठी हुई थी..
उनके सामने कैमरा हाथ में लिए हुए खड़ा था मैं... बगल में सोफे पर मेरे जीजू दारु का पेग बना रहे थे असलम और जुनैद के लिए, जिसे वह दोनों एक घूंट में खत्म कर दे रहे थे... नशे के मारे दोनों की आंखें लाल होने लगी थी..
मां के लोड़े जो नशा तेरी बीवी रुपाली में है, दारु में नहीं... पर आज की रात तो मैं प्रियंका की सील खोलूंगा... आज वही मेरी दुल्हनिया है... जुनैद रुपाली कि बजाएगा... नशे में धुत होकर असलम मेरे जीजू को बोल रहा था.
चुपचाप सब कुछ सुन रहे थे मेरे जीजू...
एक बात बोलूं भाई.. रुपाली जैसी औरतों के लिए यह साला बेकार है..... इसका तो लंड भी छोटा होगा... दिखा साले अपना लंड.. जुनेद बोला..
साले तेरी मां का भोसड़ा ..मारुं , ... " निकाल अपनी पैंट. दिखा हमें अपना छोटा सामान... असलम ने गुस्से में कहा...
मेरे जीजू डर गए और चुपचाप खड़े होकर अपनी पेंट उतारने लगे.. पेंट उतारने के बाद जुनैद ने कच्छा भी नीचे सरका दिया... मेरे जीजू का 4 इंच का छोटा सा मुरझाया हुआ लंड हम सबकी आंखों के सामने था...
असलम ने मेरे जीजू का लंड अपने हाथों में पकड़ लिया और मेरी तरफ देख कर बोला..
देख साले तेरे जीजा का लंड कितना छोटा है... इतने छोटे से लंड से तो तेरी रूपाली दीदी को बिल्कुल मजा नहीं आता होगा... तेरी बहन को तो एक असली मर्द की जरूरत है... जो उसके खूब अंदर तक घुसआए... आज से हम दोनों तेरे असली जीजु है... असलम बोल रहा था और दूसरे हाथ से मसल रहा था अपने औजार को...
असलम भाई नशा बहुत हो चुका है... अब समय आ गया है कि हम दोनों अपनी अपनी दुल्हन को अपनी बना ले.. जुनेद बोला.
दोनों उठ के खड़े हुए और पलंग के ऊपर आ गए.. असलम मेरी प्रियंका दीदी के पास आकर बैठ गया और जुनैद मेरी रूपाली दीदी के...
साले साहब अच्छे से अच्छे से शूटिंग होनी चाहिए तुम्हारी बहनों की सुहागरात... जुनैद ने मुझे देखते हुए कहा..
मैंने कैमरे का फोकस उस पलंग के ऊपर कर दिया जहां पर एक्शन होने वाला था....
असलम ने मेरी प्रियंका दीदी का घूंघट उठाया... मेरी दीदी की चांद से भी खूबसूरत चेहरे को देखकर असलम के मुंह में पानी आ रहा था.. मेरी दीदी किसी नई नवेली दुल्हन की तरह ही शर्मआ रही थी... असलम ने अपनी पैंट की जेब से एक मंगलसूत्र निकाला और मेरी दीदी के गले में पहना दिया... फिर उसने एक चुटकी सिंदूर से मेरी प्रियंका दीदी की मांग भी भर दी... अब औपचारिक रूप से मेरी दीदी असलम की दुल्हन बन गई थी...
दूसरी तरफ जुनैद ने मेरी रूपाली दीदी को अपनी गोद में बिठा रखा था... सबकी नजरें असलम और मेरी प्रियंका दीदी पर टिकी हुई थी..
असलम ने अपनी नई नवेली दुल्हन को अपने गले लगा लिया...
पहले उसने मेरी प्रियंका दीदी कि नथ उतारी... फिर एक-एक करके धीरे-धीरे उसने मेरी दीदी के बदन से सारे गहने अलग कर दिए.. उसने मेरी दीदी को फूलों से सजे बिस्तर पर नीचे लिटा दिया और खुद उनके ऊपर सवार हो गया... असलम के बोझ के तले नीचे दबी हुई मेरी दीदी कसमसआने लगी..
पहले तो उसने मेरी दीदी के कोमल गानों को चुम्मा... फिर गुलाबी होठों को... असलम ने शुरू में तो अच्छे बच्चो की तरह हलके हलके होंठों को ,गालो को चूमा मेरी प्रियंका दीदी की... पर थोड़ी देर बाद उसके अंदर का जानवर जाग गया...
मेरी प्रियंका दीदी के दोनों रस से भरे गुलाबी होंठों को उसने हलके से अपने होंठों के बीच दबाया ,कुछ देर तक वो बेशरम उन्हें चूसता रहा, चूसता रहा जैसे सारा रस अभी पी लेगा ,और फिर पूरी ताकत से कचकचा के ,इतने जोर से काटा की आँखों में दर्द से आंसू छलक पड़े मेरी दीदी के...फिर होंठों से ही उस जगह दो चार मिनट सहलाया और फिर पहले से भी दुगुने जोर से और खूब देर तक… पक्का दांत के निशान पड़ गए होंगे प्रियंका दीदी के होठों पर..
दूसरी तरफ रूपाली दीदी जुनैद की गोद में बैठी हुई थी और उन्होंने अपनी बाहें गले में डाल रखी थी जुनैद के... दोनों के बीच एक जबरदस्त चुंबन चल रहा था... ऐसा लग रहा था मानो तो एक दूसरे से जुड़ गए हो दोनों के होंठ... फिर कभी अलग नहीं होंगे... मैंने अपनी रूपाली दीदी का एक्शन तो दिन भर देखा ही था इसलिए मैंने अपना फोकस प्रियंका दीदी की तरफ किया....
असलम भी प्रियंका दीदी के होठों को अपने होठों में दबोच के चूसे जा रहा था, लेकिन मेरी दीदी अपने नए दूल्हे को न तो मना कर सकती थी न चीख सकती थी , मेरी प्रियंका दीदी के दोनों होंठ तो उस दुष्ट के होंठों ने ऐसे दबोच रखे थे जैसे कोई बाज किसी गौरेया को दबोचे।
बड़ी मुश्किल से होंठ छूटे तो गाल ,
गाल पर भी उसने पहले तो थोड़ी देर अपने लालची होंठ रगड़े ,और फिर कचकचा के , पहले थोड़ी देर चूस के दो दांत जोर से लगा देता , मेरी दीदी छटपटाती ,चीखती अपने चूतड़ पटकती ,फिर वो वहीँ थोड़ी देर तक होंठों से सहलाने के बाद दुगुनी ताकत से , .... दोनों गालों पर काट रहा था...
मुझे मालूम था उसके दाँतो के निशान मेरी प्रियंका दीदी के गुलाब की पंखुड़ियों से गालों पर अच्छे खासे पड़ जाएंगे ...
उसके होंठ जो हरकत मेरी प्रियंका दीदी के होंठों और गालों के साथ कर रह रहे थे ,वही हरकत असलम के हाथ मेरी दीदी का मस्त उभरे हुए 24 साल के बड़े-बड़े दोनों संतरे,कड़े कड़े जोबन के साथ कर रहे थे।
आज तक मेरी प्रियंका दीदी के जोबन ,चाहे शहर के हो या या गांव के लड़के ,उन्हें तंग करते ,ललचाते ,उनके पैंट में तम्बू बनाते फिरते थे ,
आज उन्हें कोई मिला था , टक्कर देने वाला।
और वो सूद ब्याज के साथ ,उनकी रगड़ाई कर रहा था ,
और शायद मेरी प्रियंका दीदी के जोबन चाहते भी तो यही थे।
कोई उन्हें कस के मसले ,कुचले ,रगड़े ,मीजे दबाये, और असलम भी यही कर रहा था पर चोली के ऊपर से ही...
और क्या कस कस के ,रगड़ रगड़ के मसल रहा था वो। मेरी प्रियंका दीदी तो बस सिसक रही थी...
उसने मेरी प्रियंका दीदी को उठाकर अपनी गोद में बिठा लिया... एक झटके में उसने मेरी दीदी की चोली के सारे बटन तोड़ दिय... और चोली को उनके सीने से अलग कर दिया...
पता नही क्यूँ.. कुच्छ पल के लिए वह चुपचाप आँखें फाडे 'ब्रा' में क़ैद मेरी प्रियंका दीदी के चूचियो के बीच की गौरी घाटी को घूरता रहा.. फिर अचानक हाथ पिछे ले जाकर मेरी दीदी की 'ब्रा' की स्ट्रिप्स को उखाड़ देने पर उतारू हो गया... उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह मेरी दीदी की डिजाइनर ब्रा को किधर से खोलें..
चल तू ही खोल दुल्हनिया .. असलम में दीदी से कहा...
जी..... बोलते हुए मेरी प्रियंका दीदी ने खुद ही अपनी ब्रा स्ट्रिप खोल दी और स्ट्रिप्स को अपनी बाहों के नीचे दबाकर अपना सिर झुका लिया...
जैसा मुझे डर था.. वही हुआ.. असलम इतना बेशबरा हुआ जा रहा था कि उसने ब्रा को छाती से पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया...
मेरी दीदी झटके से उसकी तरफ आई.. पर फिर भी कंधे की एक स्ट्रीप चटक गयी..
"ओह.. क्या करते हो?" मेरी दीदी के मुंह से निकला.. दीदी ने अपनी दूसरी बाजू से बाहर निकाल दिया स्ट्रिप..
....
पर उसने तो जैसे कुच्छ सुना ही नही... उसका पूरा ध्यान ब्रा पर नही.. बुल्की ब्रा की क़ैद से निकलते ही फदाक उठी मेरी प्रियंका दीदी की संतरे जैसी चूचियो पर था.. दूधिया रंग की मेरी दीदी की चूचियां भी मानो उसको चिडा रही हों.. छ्होटी क़िस्स्मिस्स के आकर के दोनों दानो की चौन्च उसकी आँखों की ओर ही उठी हुई ही.... वा अब भी उन्हे ही आँखें फाडे घूर रहा था.. जैसे और कुच्छ करना ही ना हो....
"क्या है..?" मेरी प्रियंका दीदी ने शर्मा कर अपनी चूचियो को अपनी हथेलियों में छिपा लिया.. तब जाकर कहीं उसके होश ठिकाने आए.. ठिकाने क्या आए.. होश तो उसके मानो तभी उड़े हों... मानो किसी ने उस'से जन्नत की खुशियाँ छीन ली हों.. उसने झपट्टा सा मारा और मेरी दीदी के हाथ 'वहाँ' से हटा कर अपने टीका दिए...
"उफफफफफ्फ़....तुम तो पूरी की पूरी मक्खन हो मक्खन!" मेरी जानू मेरी दुल्हनिया", मेरी प्रियंका दीदी की दोनो चूचियो को अपने एक एक हाथ में लपके हुए वह उन्हे 'प्यार से सहलाता हुआ बोला...,"
उसने अपनी चुटकियों में मेरी प्रियंका दीदी की चूचियो के दोनो दाने पकड़ लिए... और बड़े प्यार से मेरी दीदी को देखने लगा...
अपनी चूचियो से असलम की नजरों का लगाव देख कर मेरी दीदी गदरा सी गयी और मेरी दीदी की चूचियो का कसाव हल्का सा बढ़ गया...
सा बढ़ गया...
"मैं इन्हे चूस कर देख लूँ एक बार...?" वह अपने होंटो पर जीभ घूमता हुआ बोला... शायद अपनी लार को बाहर टपकने से रोक रहा होगा...
पर मुझे आश्चर्य तब हुआ जब मेरी प्रियंका दीदी ने कुछ भी जवाब नहीं दिया बल्कि जवाब उनकी चुचियों ने खुद ही दिया.... उनके नितंब थोड़ा पिछे सरक गये और कमर थोड़ी आगे खिसक आई.
मेरी प्रियंका दीदी ने अपनी चूचियो को आगे किया और उभार कर असलम के होंटो से च्छुआ दिया.....
एक बार को तो भूखे शेर की भाँति उन्न पर टूट पड़ा... जितना मुँह खोल सकता था, खोल कर मेरी प्रियंका दीदी की एक छाती को पूरा ही मुँह में तूसने की कोशिश की... और जितना ले पाया... अपनी आँखें बंद करके उसको पपोल'ने लगा......
पर एक से शायद उसको सब्र नही हो रहा था... एक हाथ मेरी दीदी की कमर के पिछे ले जाकर उसने मेरी दीदी के कुल्हों पर रखा और नीचे से मेरी दीदी को अपनी और खींचते हुए उपर से पिछे की और झुका लिया.. अब उसका पिछे वाला हाथ मेरी दीदी को सहारा देने के लिए उनकी गर्दन पर था और दूसरे हाथ से उसने मेरी दीदी की दूसरी चूची को किसी निरीह कबूतर की तरह दबोच लिया.....
मेरी प्रियंका दीदी भी अधमरी सी होकर बड़बड़ाने लगी थी... उनके ऊपर भी " प्यार का जादू " सर चढ़कर बोलने लगा था...
मीठी मीठी सिसकियाँ लेती हुई मेरी दीदी आनंदित होकर रह रह कर सिहर सी जा रही थी....
मेरी दीदी की हर सिसकी के साथ असलम को उनकी रजामंदी का आभास हो रहा था और पागल हो कर असलम चूसे जा रहा था..
करीब 5-6 मिनिट तक अपनी अल्हड़ मस्त चूचियो को बारी बारी से चुस्वाते रहने के बाद मेरी प्रियंका दीदी पिछे झुकी हुई होने के कारण तंग हो गयी और उसके कॉलर पकड़ कर उपर उठने की कोशिश करने लगी... वह शायद मेरी दीदी की परेशानी समझ गया और उनकी चूची को मुंह से निकाल कर उनको सीधा बिठा दिया...
मेरी प्रियंका दीदी की चूचियो में जैसे खून उतर आया था और दोनो ही चूचिया असलम के मुखरास (थूक) से सनी हुई थी...
मेरी प्रियंका दीदी मस्त हो चली थी... बड़ी शरारत से उन्होंने असलम की आंखों में अपनी कजरारी आंखें बड़ी बड़ी, डाल के बोली...
बुरा ना मानो तो एक बात कहूं जी" दिल भर गया हो तो अब हमें जाने दीजिए"
असलम ने मेरी दीदी की बात ठीक से सुनी भी नहीं.. वह तो मदहोश था उनकी चूची चूस चूस कर..
उसने एक एक बार मेरी दीदी की दोनो चूचियो के दानो को अपने होंटो में लेकर 'सीप' किया और फिर नशीले से अंदाज में मेरी दीदी की ओर देख कर बोला..,"बोलो ना जान!"