01-03-2020, 10:25 AM
सासू
मैं बड़ी मुश्किल से अपनी मुस्कान दबा पा रही थी , खाना खा सात के पहले ही ये बेड रूम में ,
सासू माँ का नियम था ,
पहले दिन से ही नौ बजे तक वो मुझे हाँक के इनके पास भेज देती थीं , लेकिन आज तो इनके जाते ही मेरे पीछे पड़ गयीं ,
तू भी जा न , ऊपर ,...
लेकिन मुझे बड़ा ,... फिर मैंने देखा की सासू जी किचेन में कुछ ,... मैं बाहर रुक के देखने लगी ,
एक भगोने में दूध औटा रखा था , खूब गाढ़ा ,
एक ड्राअर से ,...
मैं समझ गयी , ... इसी में से तो मैंने पिछली बार , रबड़ी में डाला था , ...
मेरी ननद भी सुहाग रात के दिन और बाद में भी , ...
शिलाजीत , शतावर ,
अश्वगंधा
और न जाने क्या ,...
मैं किचेन के बाहर से देख रही थी , ... थोड़ी आड़ से , ...
सासू जी ने चार केसर के फूल निकाल कर दूध में ऊपर से डाल दिए ,
एक बड़ी सी चांदी की ग्लास , ... ट्रे में रखी
और मैं जैसे किचन में गयी , मुझे जोर की डांट पड़ गयी ,
जोर की मतलब जोर की ,
" तू अभी तक गयी नहीं , ... कर क्या रही है , इतनी देर हो गयी ,... "
लेकिन फिर उन्हें कुछ याद आया ,
" अच्छा सुन , ये दूध , वो आधी रात में भूख भूख चिल्लायेगा , तो तू क्या करेगी , ये ले जा और मैं लड्डू भी दे रही हूँ , वो भी :
मैंने कहा था न मेरी ज्यादा दुर्गत के लिए मेरी सास भी जिम्मेदार थी , ...
उन्होंने मुझे हाँक कर अपने बेटे के पास , ...
मैं जब पहुंची तो पौने आठ बजने वाले थे , बजे नहीं थे , और साथ में वो ताकत वाला दूध और लड्डू
एक बार मेरी मंझली ननद दूध के बारे में बता रही थीं , कोई आदमी पिए तो सांड हो जाता है ,
मेरे मुंह से निकल गया ,
अगर कोई साँड़ पिए तो ,...
हंस के वो बोलीं
" वो तो तू ही बता सकती है , ... : "
मैं कह रह थी न , ... मेरी दुरगत कराने में मेरी सास और ननद का बहुत हाथ था , ..रोज रात में नौ बजे होने के पहले ही ,... अपने बेटे के पास सास मेरी भेज देती , उन्हें भी मालूम था की वहां उनका बेटा मेरे साथ क्या करेगा ,... पर उस दिन तो आठ बजे के पहले ही ,... और मैं मुस्कराते हुए देख रही थी औटाये हुए दूध में वो क्या क्या ,...
जो पहले से ही सांड़ हो ,...
हो जाय वो दस सांड की ताकत वाला , ... मुझे क्या ,.... पांच दिन से इन्तजार कर रही थी ,
मैं लगभग दौड़ते हुए सीढ़ी पर ऊपर चढ़ी , ... और झट से कमरे में , ... और फिर मुड़कर सबसे पहले दरवाजा बंद किया , ... दूध लड्डू की ट्रे , ... साइड टेबल पर रखी , और उन्हें दिखाते ललचाते , मैंने साडी उतारी , और झटके से पास के ड्रेसिंग टेबल पर उतार फेंकी ,
एक लो कट , बैकलेस ब्लाउज ,... और पेटीकोट ,....
वो रजाई में लेटे लेटे टुकुर देख रहे थे , ... पर रोज की तरह उन्होंने रजाई में मेरे घुसने का इन्तजार नहीं किया , जब तक मैं समझती सम्हलती , मैं उनकी बांहो में थी और खींचकर मुझे वही सोफे पर ,
मैंने सोच के रखा था ये पूछूँगी उनसे , वो पूछूँगी , ये कहूँगी , वो कहूँगी पर ,...
मैं बड़ी मुश्किल से अपनी मुस्कान दबा पा रही थी , खाना खा सात के पहले ही ये बेड रूम में ,
सासू माँ का नियम था ,
पहले दिन से ही नौ बजे तक वो मुझे हाँक के इनके पास भेज देती थीं , लेकिन आज तो इनके जाते ही मेरे पीछे पड़ गयीं ,
तू भी जा न , ऊपर ,...
लेकिन मुझे बड़ा ,... फिर मैंने देखा की सासू जी किचेन में कुछ ,... मैं बाहर रुक के देखने लगी ,
एक भगोने में दूध औटा रखा था , खूब गाढ़ा ,
एक ड्राअर से ,...
मैं समझ गयी , ... इसी में से तो मैंने पिछली बार , रबड़ी में डाला था , ...
मेरी ननद भी सुहाग रात के दिन और बाद में भी , ...
शिलाजीत , शतावर ,
अश्वगंधा
और न जाने क्या ,...
मैं किचेन के बाहर से देख रही थी , ... थोड़ी आड़ से , ...
सासू जी ने चार केसर के फूल निकाल कर दूध में ऊपर से डाल दिए ,
एक बड़ी सी चांदी की ग्लास , ... ट्रे में रखी
और मैं जैसे किचन में गयी , मुझे जोर की डांट पड़ गयी ,
जोर की मतलब जोर की ,
" तू अभी तक गयी नहीं , ... कर क्या रही है , इतनी देर हो गयी ,... "
लेकिन फिर उन्हें कुछ याद आया ,
" अच्छा सुन , ये दूध , वो आधी रात में भूख भूख चिल्लायेगा , तो तू क्या करेगी , ये ले जा और मैं लड्डू भी दे रही हूँ , वो भी :
मैंने कहा था न मेरी ज्यादा दुर्गत के लिए मेरी सास भी जिम्मेदार थी , ...
उन्होंने मुझे हाँक कर अपने बेटे के पास , ...
मैं जब पहुंची तो पौने आठ बजने वाले थे , बजे नहीं थे , और साथ में वो ताकत वाला दूध और लड्डू
एक बार मेरी मंझली ननद दूध के बारे में बता रही थीं , कोई आदमी पिए तो सांड हो जाता है ,
मेरे मुंह से निकल गया ,
अगर कोई साँड़ पिए तो ,...
हंस के वो बोलीं
" वो तो तू ही बता सकती है , ... : "
मैं कह रह थी न , ... मेरी दुरगत कराने में मेरी सास और ननद का बहुत हाथ था , ..रोज रात में नौ बजे होने के पहले ही ,... अपने बेटे के पास सास मेरी भेज देती , उन्हें भी मालूम था की वहां उनका बेटा मेरे साथ क्या करेगा ,... पर उस दिन तो आठ बजे के पहले ही ,... और मैं मुस्कराते हुए देख रही थी औटाये हुए दूध में वो क्या क्या ,...
जो पहले से ही सांड़ हो ,...
हो जाय वो दस सांड की ताकत वाला , ... मुझे क्या ,.... पांच दिन से इन्तजार कर रही थी ,
मैं लगभग दौड़ते हुए सीढ़ी पर ऊपर चढ़ी , ... और झट से कमरे में , ... और फिर मुड़कर सबसे पहले दरवाजा बंद किया , ... दूध लड्डू की ट्रे , ... साइड टेबल पर रखी , और उन्हें दिखाते ललचाते , मैंने साडी उतारी , और झटके से पास के ड्रेसिंग टेबल पर उतार फेंकी ,
एक लो कट , बैकलेस ब्लाउज ,... और पेटीकोट ,....
वो रजाई में लेटे लेटे टुकुर देख रहे थे , ... पर रोज की तरह उन्होंने रजाई में मेरे घुसने का इन्तजार नहीं किया , जब तक मैं समझती सम्हलती , मैं उनकी बांहो में थी और खींचकर मुझे वही सोफे पर ,
मैंने सोच के रखा था ये पूछूँगी उनसे , वो पूछूँगी , ये कहूँगी , वो कहूँगी पर ,...