12-02-2019, 09:49 AM
मजा पहली होली का, ससुराल में
ट्रेन में रात भर
अब तक
मैंने कुसुमा को धर दबोचा और रंग लगाने के साथ निहुरा कर, उसे पटक के, सीधे उसकी चूत कस-कस के चाटने लगी और बोली,
“देखूं, इसने कितना मेरे देवर का माल घोंटा है|”
जैसे दो पहलवान अखाड़े में लड़ रहे हों, हम दोनों कस-कस के एक दूसरे की चूचियाँ रगड़ रहे थे, रंग, गोबर और कीचड़ लगा रहे थे|
उधर मौका देख के वो पीछे से हीं कुतिया की तरह मुझे चोदने लगा| मैं उसे कस के हुचुक हुचुक कर कुसुमा की चूत अपनी जीभ से चोद रही थी|
वो नीचे से चिल्लाई,
“ये तेरी भौजी छिनाल ऐसे नहीं मानेगी, हुमच के अपना लंड इसकी गांड़ में पेल दो|”
मैं डर गई पर बोली,
“और क्या, अकेले तुम्हीं देवर से गांड़ मराने का मजा लोगी|”
लेकिन जैसे ही उसने गांड़ में मूसल पेला, दिन में तारे दिख गये| मैं भी हार मानने वाली नहीं थी| मेरी चूत खाली हो गई थी|
मैं उसे कुसुमा की झाँटों भारी बुर पे रगड़ने लगी| कुछ हीं देर में हमलोग सिक्स्टी नाइन की पोज में थे लेकिन वो घचाघच मेरी गांड़ मारे जा रहा था| हम दोनों दो-दो बार झड़ चुके थे| उसने जैसे हीं गांड़ में झड़ने के बाद लंड निकाला, सीधे मैंने मुँह में गड़प कर लिया|
वो लाख मना करता रहा लेकिन मैंने चाट चूट के हीं छोड़ा|
तीन बार मेरी बुर चुदी|
मैं उठने की हालत में नहीं थी| किसी तरह साड़ी लपेटी, ब्लाउज देह पे टांगा और घर को लौटी|
आगे
शाम को फिर सूखी होली, अबीर और गुलाल की और इस बार इनके भी दोस्त, देवर कईयों ने नंबर लगाया|
और मेरा भाई बेचारा (हालाँकि उसने भी सिर्फ छोटी ननद की हीं नहीं बल्कि दो-तीन और की सील तोड़ी) मेरी ननदों ने मिल के जबरन साड़ी ब्लाउज पहना पूरा श्रृंगार करके लड़की बनाया और मेरे सामने हीं निहुरा के...
मैं सोच रही थी कि आज दिन भर...शायद हीं कोई लड़का, मर्द बचा हो जिसने मेरे जोबन का रस ना लिया...सारे के सारे नदीदे ललचाते रहते थे...होली का मौका हो और नई भौजाई हो|
लेकिन मैंने भी अपनी ओर से छोड़ा थोड़े हीं, सबके कपड़े फाड़े, पजामे में हाथ डाल के नाप जोख की और अंगुली किये बिना छोड़ा नहीं,
कम से कम चार बार मेरी गांड़ मारी गई,
७-८ बार मैंने बुर में लिया होगा और मुँह में लिया वो बोनस|
ननदों के साथ जो मजा लिया वो अलग|
मेरी बड़ी ननद और जेठानी अपने बारे में बता रही थीं...
जेठानी बोली कि वो तो हाई कॉलेज में थी कि उनके उनके जीजा ने होली में अपने दो दोस्तों के साथ...सैंडविच बनाई, कोई छेद नहीं छोड़ा
और यहाँ पे ससुराल में सबने मिलके उनको तो उनके सगे भाई के साथ...
ननद बोली कि नंदोई जी को होली में ईयर एंड के चक्कर में छुट्टी नहीं मिली तो क्लब में हीं सबने दारु पी|
सब इंतजाम कंपनी की हीं ओर से था और फिर खूब सामूहिक...
लेकिन सबसे २० मेरी हीं होली थी|
मैं कुछ और बोलती कि मेरी ननद बोलीं,
“अरे भाभी ये तो खाली ट्रेलर था, जब आप मायके से लौट के आइयेगा ना...यहाँ असली होली तो रंग पंचमी को होती है, होली के पांच दिन बाद और सिर्फ कीचड़ और 'बाकी चीजों' से..”
मुझे आँख मार के बोली|
जब तक मैं कुछ बोलती वो बोली,
“और आपका एक देवर तो बचा हीं रह गया है, शेरू (उनका कुत्ता, जिसका नाम ले ले के मेरी शादी में ननदों को खूब गालियाँ दी गईं थीं|) उस दिन उसके साथ भी आपका...”
तब तक वो आये और बोले,
“अरे जल्दी करो, तुम्हारी गाड़ी का समय हो गया है|”
“मैं तैयार हूँ|” मैं बोली|
“अच्छा, मैं ये सोच रहा था कि अगर तुम कहो तो होली के बाद छुटकी को भी ले आते हैं| अभी तो उसकी छुट्टियाँ चलेंगी, अगले साल तो उसका भी हाई कॉलेज का बोर्ड हो जायेगा और तुम्हारा भी मन बहल जाएगा|
(मैं तो उनकी और नंदोई जी की बात सुन के छुटकी के बारे में उन लोगों का इरादा जान हीं चुकी थी|)
मुस्कुरा के मैं बोली,
“अरे आपकी साल्ली है, जो आप कहें|”
ट्रेन में रात भर
अब तक
मैंने कुसुमा को धर दबोचा और रंग लगाने के साथ निहुरा कर, उसे पटक के, सीधे उसकी चूत कस-कस के चाटने लगी और बोली,
“देखूं, इसने कितना मेरे देवर का माल घोंटा है|”
जैसे दो पहलवान अखाड़े में लड़ रहे हों, हम दोनों कस-कस के एक दूसरे की चूचियाँ रगड़ रहे थे, रंग, गोबर और कीचड़ लगा रहे थे|
उधर मौका देख के वो पीछे से हीं कुतिया की तरह मुझे चोदने लगा| मैं उसे कस के हुचुक हुचुक कर कुसुमा की चूत अपनी जीभ से चोद रही थी|
वो नीचे से चिल्लाई,
“ये तेरी भौजी छिनाल ऐसे नहीं मानेगी, हुमच के अपना लंड इसकी गांड़ में पेल दो|”
मैं डर गई पर बोली,
“और क्या, अकेले तुम्हीं देवर से गांड़ मराने का मजा लोगी|”
लेकिन जैसे ही उसने गांड़ में मूसल पेला, दिन में तारे दिख गये| मैं भी हार मानने वाली नहीं थी| मेरी चूत खाली हो गई थी|
मैं उसे कुसुमा की झाँटों भारी बुर पे रगड़ने लगी| कुछ हीं देर में हमलोग सिक्स्टी नाइन की पोज में थे लेकिन वो घचाघच मेरी गांड़ मारे जा रहा था| हम दोनों दो-दो बार झड़ चुके थे| उसने जैसे हीं गांड़ में झड़ने के बाद लंड निकाला, सीधे मैंने मुँह में गड़प कर लिया|
वो लाख मना करता रहा लेकिन मैंने चाट चूट के हीं छोड़ा|
तीन बार मेरी बुर चुदी|
मैं उठने की हालत में नहीं थी| किसी तरह साड़ी लपेटी, ब्लाउज देह पे टांगा और घर को लौटी|
आगे
शाम को फिर सूखी होली, अबीर और गुलाल की और इस बार इनके भी दोस्त, देवर कईयों ने नंबर लगाया|
और मेरा भाई बेचारा (हालाँकि उसने भी सिर्फ छोटी ननद की हीं नहीं बल्कि दो-तीन और की सील तोड़ी) मेरी ननदों ने मिल के जबरन साड़ी ब्लाउज पहना पूरा श्रृंगार करके लड़की बनाया और मेरे सामने हीं निहुरा के...
मैं सोच रही थी कि आज दिन भर...शायद हीं कोई लड़का, मर्द बचा हो जिसने मेरे जोबन का रस ना लिया...सारे के सारे नदीदे ललचाते रहते थे...होली का मौका हो और नई भौजाई हो|
लेकिन मैंने भी अपनी ओर से छोड़ा थोड़े हीं, सबके कपड़े फाड़े, पजामे में हाथ डाल के नाप जोख की और अंगुली किये बिना छोड़ा नहीं,
कम से कम चार बार मेरी गांड़ मारी गई,
७-८ बार मैंने बुर में लिया होगा और मुँह में लिया वो बोनस|
ननदों के साथ जो मजा लिया वो अलग|
मेरी बड़ी ननद और जेठानी अपने बारे में बता रही थीं...
जेठानी बोली कि वो तो हाई कॉलेज में थी कि उनके उनके जीजा ने होली में अपने दो दोस्तों के साथ...सैंडविच बनाई, कोई छेद नहीं छोड़ा
और यहाँ पे ससुराल में सबने मिलके उनको तो उनके सगे भाई के साथ...
ननद बोली कि नंदोई जी को होली में ईयर एंड के चक्कर में छुट्टी नहीं मिली तो क्लब में हीं सबने दारु पी|
सब इंतजाम कंपनी की हीं ओर से था और फिर खूब सामूहिक...
लेकिन सबसे २० मेरी हीं होली थी|
मैं कुछ और बोलती कि मेरी ननद बोलीं,
“अरे भाभी ये तो खाली ट्रेलर था, जब आप मायके से लौट के आइयेगा ना...यहाँ असली होली तो रंग पंचमी को होती है, होली के पांच दिन बाद और सिर्फ कीचड़ और 'बाकी चीजों' से..”
मुझे आँख मार के बोली|
जब तक मैं कुछ बोलती वो बोली,
“और आपका एक देवर तो बचा हीं रह गया है, शेरू (उनका कुत्ता, जिसका नाम ले ले के मेरी शादी में ननदों को खूब गालियाँ दी गईं थीं|) उस दिन उसके साथ भी आपका...”
तब तक वो आये और बोले,
“अरे जल्दी करो, तुम्हारी गाड़ी का समय हो गया है|”
“मैं तैयार हूँ|” मैं बोली|
“अच्छा, मैं ये सोच रहा था कि अगर तुम कहो तो होली के बाद छुटकी को भी ले आते हैं| अभी तो उसकी छुट्टियाँ चलेंगी, अगले साल तो उसका भी हाई कॉलेज का बोर्ड हो जायेगा और तुम्हारा भी मन बहल जाएगा|
(मैं तो उनकी और नंदोई जी की बात सुन के छुटकी के बारे में उन लोगों का इरादा जान हीं चुकी थी|)
मुस्कुरा के मैं बोली,
“अरे आपकी साल्ली है, जो आप कहें|”