12-02-2019, 09:38 AM
''समीर मेरे साथ ही स्खलित होना '' मैं लगभग झड़ने वाली हूँ! "वह परमानंद में चिल्लायी'' l
समीर ने मन ही मन कामना की कि वह इस स्वाभाविक क्रिया को धता बता सके और अपनी बहन के चेहरे पर उठने वाले कामोद्दीपक भावों पर नजर रखते हुए उसने अपनी गति और बढ़ा दी , जिससे वह अपनी बहन के साथ ही स्खलित हो lवह समीर को इस तरह से धक्के मार रही थी कि मानो स्प्रिंग लगी हो ,कामोत्तेजना के अन्तिम क्षणों मे उसकी चीखें इतनी तीव्र थीं कि पड़ोसी भी जाग जाएं ,
वे जल्द ही कामोन्माद्जनित स्वर्गीय आन्नद के शिखर की अनुभुति कर एक दूसरे के शरीर मे नाखून पैबस्त कर दे रहे थे, तभी समीर उस चरम पर पहुँच गया और असिमा की योनि के भीतर ही झड़्ने लगा और उसके गर्भ को अपने वीर्य से सीँच दिया l
उसका सिर दायें से बायें झूमा और इस तरह से नीचे झुका कि उसके लंबे बाल पीछे से आ कर उसकी नग्न छातियों को ढक लें क्षण भर में उनके शरीर संभोग जनित श्रम से श्लथ व शांत हो गये l
उसने धीरे धीरे अपने सिर को उठाया और पूर्णता की अनुभूति कर मुस्करा दी यद्यपि उसके भाई का लण्ड अभी भी उसके भीतर वीर्य छोड़ रहा था जब तक उसके भाई ने वीर्य की अन्तिम बूँद उसके भीतर न छोड़ दी सिसकी लेती हुई बैठी रही और उसके हाथ उसके कन्धे पर विश्राम करते रहे शीघ्र ही वह निढाल होकर उस पर लुढ़्क गई और उसके आगोश में ही थोड़ी देर तक रही इस बीच वे दोनों चुप थे l
समीर ने मन ही मन कामना की कि वह इस स्वाभाविक क्रिया को धता बता सके और अपनी बहन के चेहरे पर उठने वाले कामोद्दीपक भावों पर नजर रखते हुए उसने अपनी गति और बढ़ा दी , जिससे वह अपनी बहन के साथ ही स्खलित हो lवह समीर को इस तरह से धक्के मार रही थी कि मानो स्प्रिंग लगी हो ,कामोत्तेजना के अन्तिम क्षणों मे उसकी चीखें इतनी तीव्र थीं कि पड़ोसी भी जाग जाएं ,
वे जल्द ही कामोन्माद्जनित स्वर्गीय आन्नद के शिखर की अनुभुति कर एक दूसरे के शरीर मे नाखून पैबस्त कर दे रहे थे, तभी समीर उस चरम पर पहुँच गया और असिमा की योनि के भीतर ही झड़्ने लगा और उसके गर्भ को अपने वीर्य से सीँच दिया l
उसका सिर दायें से बायें झूमा और इस तरह से नीचे झुका कि उसके लंबे बाल पीछे से आ कर उसकी नग्न छातियों को ढक लें क्षण भर में उनके शरीर संभोग जनित श्रम से श्लथ व शांत हो गये l
उसने धीरे धीरे अपने सिर को उठाया और पूर्णता की अनुभूति कर मुस्करा दी यद्यपि उसके भाई का लण्ड अभी भी उसके भीतर वीर्य छोड़ रहा था जब तक उसके भाई ने वीर्य की अन्तिम बूँद उसके भीतर न छोड़ दी सिसकी लेती हुई बैठी रही और उसके हाथ उसके कन्धे पर विश्राम करते रहे शीघ्र ही वह निढाल होकर उस पर लुढ़्क गई और उसके आगोश में ही थोड़ी देर तक रही इस बीच वे दोनों चुप थे l
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.