29-02-2020, 05:46 PM
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भैया अपना दर्द भूल गये और उन्होने बड़े प्यार से उनके कंधे पकड़ कर उठाया और उनके माथे पर एक किस करते हुए बोले – कोई बात नही मोहिनी ! ग़लती मेरी ही थी, मुझे तुम्हें आवाज़ देनी चाहिए थी..
सब चले गये थे तो मेने सोचा कि आज तो कुच्छ बात हो जाए तुमसे..
भाभी – छोटू भैया कहाँ हैं..?
भैया – वो रमा के साथ पढ़ रहा है… शायद हमारी बेहन अब समझदार हो गयी है, उसने ही उसे बुला लिया था.
अब ये काम बंद करो, चल कर बातें करते हैं.. शादी को दो साल से उपर हो गये अभी तक हम मिले भी नही हैं, समय नष्ट ना करो प्रिय.. चलो अब.
भाभी – आप चलिए जी ! मे बस अभी ये बर्तन ख़तम करके आती हूँ.
भैया ने जाने से पहले उनके सुंदर से मुखड़े को जिस पर पानी की कुच्छ बूँदें पद छिटक कर आ गयी थी, अपने हाथों में लिया और बड़े प्यार से एक छोटा सा किस उनके होठों पर कर दिया…
आह्ह्ह्ह… जीवन का पहला किस कैसा होता है ? मोहिनी को आज पता चला था, वो सिहर गयी और अपने आप ही उसकी आँखें बंद हो गयी.
भैया वहाँ से चले गये, लेकिन वो अभी भी वैसे ही खड़ी रही, जब कुच्छ देर कोई हलचल नही हुई तब उसने अपनी सीप जैसी आँखें खोली, पति को सामने ना पाकर वो खुद से ही शरमा गयी, उसके चेहरे पर शर्म की लाली सॉफ-2 दिखाई दे रही थी.
काम ख़तम करके एक बार मोहिनी ने रमा के कमरे में झाँक कर देखा, दोनो पढ़ने में व्यस्त थे, खास कर में, दीदी ने तिर्छि नज़र से भाभी को देखा और फिर पढ़ाई में लग गयी.
फ्रेश होकर भाभी ने आज थोड़ा शृंगार किया, अपने को थोड़ा सजाया-सँवारा, आज आपने प्रियतम की होने जो जा रही थी. साथ ही ईश्वर से मन ही मन मन्नत माँगी, कि आज उनके मिलन में कोई बाधा ना आए…!
राम मोहन अपने कमरे में अपनी प्रियतमा के इंतेज़ार में इधर से उधर टहल रहे थे, एक बैचैनि सी उनके चेहरे पर सॉफ झलक रही थी.
कोई आधे-पोने घंटे बाद मोहिनी कमरे में आई, आहट पा कर मोहन ने जैसे ही अपनी पत्नी की तरफ देखा, वो जड़वत वहीं खड़े रह गये. अपनी पत्नी की सुंदरता को आज वो इतने ध्यान से देख पा रहे थे. राम मोहन अपनी पालक झपकाना ही भूल गये…..!!
पति को यूँ अपनी ओर निहारते पाकर, मोहिनी तो जैसे शर्म से गढ़ी ही जा रही थी, वो वहीं जड़ होकर कमरे के फर्श को निहारने लगी.
राम मोहन हल्के कदमों से चलते हुए मोहिनी के पास पहुँचे और अपनी हथेलियों में उसके सुन्दर से मुखड़े को लेकर उपर किया और उसके माथे को चूम कर बोले- थोड़ा मेरी तरफ देखो मोहिनी… प्लीज़..
मोहिनी ने अपनी पलकें उपर की और अपने पति की ओर देखा, लेकिन वो ज़्यादा देर तक उनसे नज़रें मिला नही सकी, और फिर झुका ली…शर्म और रोमांच से उसके होठ थर-थरा रहे थे…….!!
5’11” हाइट वाले राम मोहन चौड़ा सीना, नियम से कसरत करने के कारण उनका बदन एकदम हृष्ट-पुष्ट था, शालीनता की मिसाल ऐसी कि शायद ही उन्होने अबतक किसी लड़की या औरत की तरफ आँख उठा कर भी देखा हो. लोग उनकी शराफ़त के चर्चे उनके पिता से भी किया करते थे, जिसे सुनकर उनका सीना फक्र से चौड़ा हो जाता था.
मोहिनी की सुंदरता में लीन वो अपनी शराफ़त को भूलते जा रहे थे, और उनका हक़ भी था ये.. उन्होने मोहिनी को अपने कलेजे से चिपका लिया.
मोहिनी उनकी ठोडी तक ही आती थी, पहले बार अपने पति के सीने से लग कर उसे ऐसा लगा मानो दुनिया के सारे दुख-दर्द, भय सब दूर भाग गये हों.
पति की मजबूत बाहों में उसे स्वर्ग की अनुभूति होने लगी और स्वतः ही उसकी पतली-2 कोमल बाहें उनकी पीठ पर कस गयी, वो अमरबेल की तरह उनसे लिपट गयी.
कितनी ही देर वो दोनो एक-दूसरे के आलिंगन में क़ैद वहीं यूँही खड़े रहे, मोहिनी का तो मन ही नही हो रहा था उनको छोड़ने का.
मोहिनी के रूई जैसे मुलायम अन्छुए उरोज जब राम को अपने सीने के निचले हिस्से पर फील हुए, तो उनके शरीर में एक अंजानी सी उत्तेजना बढ़ने लगी, और उनके पाजामे में क़ैद उनका सोया हुआ शेर सर उठाने लगा, जिसका आभास मोहिनी ने अपनी जांघों के बीच किया, वो उनसे और ज़ोर से चिपक गयी.
राम ने मोहिनी के कंधे पकड़ कर अपने से अलग किया और उसके हल्की लाली लगे पतले-2 होठों को चूम लिया और बोले – मे कितना नसीब वाला हूँ, जो मुझे तुम जैसी सुन्देर पत्नी मिली.
मेरे पास शब्द नही है मोहिनी ! जो तुम्हारी सुंदरता का बखान कर सकें….सच में तुम बहुत सुन्दर हो…!
मोहिनी चाह कर भी कुच्छ बोल नही सकी, उसके होठ बस थर-थरा कर रह गये… और वो फिरसे उसके सीने से लग गयी… मोहन का हाथ उसकी पीठ पर चल रहा था..
फिर अनायास ही उसने जब उसके सुडौल गोल-मटोल छोटे-2 नितंबों को सहलाना शुरू कर दिया, मोहिनी बस अपनी आँखें बंद किए, आनंद के उडानखटोले में उड़ी चली जा रही थी, फिर मोहन के हाथों ने जैसे ही उसके नितंबों को मसला….
अहह… ईीीइसस्स्स्शह… ना चाहते हुए उसके मूह से सिसकी निकल पड़ी..
क्या हुआ जान…? मेने कुच्छ ग़लत कर दिया..?
उउन्न्ह… बस इतना ही निकला उसके मूह से और वो ऐसे ही चिपकी खड़ी रही..
राम ने उसे अब अपनी गोद में उठा लिया और लाकर पलंग पर बड़े प्यार से लिटा दिया.. वो शर्म से दोहरी हुई जा रही थी, और करवट लेकर अपने घुटनों को पेट से लगा कर चेहरे को अपने सीने में छिपाने की कोशिश करने लगी.
राम अपना कुर्ता उतार कर बनियान और पाजामे में उसके बगल में बैठ गया और उसके कंधे पर हाथ रख कर प्यार से सहलाते हुए उसको सीधा करने की कोशिश की. वो किसी कठपुतली की तरह उसके इशारों पर चल रही थी.
मोहिनी के सीधे लेटते ही राम उसके चेहरे पर झुकता चला गया और उसके होठों पर किस करते हुए उन्हें चूसने लगा.
शुरू-2 में मोहिनी को कुच्छ अजीब सा फील हुआ, लेकिन कुच्छ ही देर में उसे इसमें मज़ा आने लगा और वो भी अपने पति का साथ देने लगी.
होठ चूस्ते हुए राम के हाथों ने एक बार उसके वक्षों को सहलाया, और अब उसकी उंगलिया उसके ब्लाउस के बटनों से खेल रही थी.
मोहिनी ने सवालिया नज़रों से अपने पति की तरफ देखा, तो उसके चेहरे पर शरारती मुस्कान देख कर शर्म से अपना चेहरा दूसरी ओर कर लिया.
भैया अपना दर्द भूल गये और उन्होने बड़े प्यार से उनके कंधे पकड़ कर उठाया और उनके माथे पर एक किस करते हुए बोले – कोई बात नही मोहिनी ! ग़लती मेरी ही थी, मुझे तुम्हें आवाज़ देनी चाहिए थी..
सब चले गये थे तो मेने सोचा कि आज तो कुच्छ बात हो जाए तुमसे..
भाभी – छोटू भैया कहाँ हैं..?
भैया – वो रमा के साथ पढ़ रहा है… शायद हमारी बेहन अब समझदार हो गयी है, उसने ही उसे बुला लिया था.
अब ये काम बंद करो, चल कर बातें करते हैं.. शादी को दो साल से उपर हो गये अभी तक हम मिले भी नही हैं, समय नष्ट ना करो प्रिय.. चलो अब.
भाभी – आप चलिए जी ! मे बस अभी ये बर्तन ख़तम करके आती हूँ.
भैया ने जाने से पहले उनके सुंदर से मुखड़े को जिस पर पानी की कुच्छ बूँदें पद छिटक कर आ गयी थी, अपने हाथों में लिया और बड़े प्यार से एक छोटा सा किस उनके होठों पर कर दिया…
आह्ह्ह्ह… जीवन का पहला किस कैसा होता है ? मोहिनी को आज पता चला था, वो सिहर गयी और अपने आप ही उसकी आँखें बंद हो गयी.
भैया वहाँ से चले गये, लेकिन वो अभी भी वैसे ही खड़ी रही, जब कुच्छ देर कोई हलचल नही हुई तब उसने अपनी सीप जैसी आँखें खोली, पति को सामने ना पाकर वो खुद से ही शरमा गयी, उसके चेहरे पर शर्म की लाली सॉफ-2 दिखाई दे रही थी.
काम ख़तम करके एक बार मोहिनी ने रमा के कमरे में झाँक कर देखा, दोनो पढ़ने में व्यस्त थे, खास कर में, दीदी ने तिर्छि नज़र से भाभी को देखा और फिर पढ़ाई में लग गयी.
फ्रेश होकर भाभी ने आज थोड़ा शृंगार किया, अपने को थोड़ा सजाया-सँवारा, आज आपने प्रियतम की होने जो जा रही थी. साथ ही ईश्वर से मन ही मन मन्नत माँगी, कि आज उनके मिलन में कोई बाधा ना आए…!
राम मोहन अपने कमरे में अपनी प्रियतमा के इंतेज़ार में इधर से उधर टहल रहे थे, एक बैचैनि सी उनके चेहरे पर सॉफ झलक रही थी.
कोई आधे-पोने घंटे बाद मोहिनी कमरे में आई, आहट पा कर मोहन ने जैसे ही अपनी पत्नी की तरफ देखा, वो जड़वत वहीं खड़े रह गये. अपनी पत्नी की सुंदरता को आज वो इतने ध्यान से देख पा रहे थे. राम मोहन अपनी पालक झपकाना ही भूल गये…..!!
पति को यूँ अपनी ओर निहारते पाकर, मोहिनी तो जैसे शर्म से गढ़ी ही जा रही थी, वो वहीं जड़ होकर कमरे के फर्श को निहारने लगी.
राम मोहन हल्के कदमों से चलते हुए मोहिनी के पास पहुँचे और अपनी हथेलियों में उसके सुन्दर से मुखड़े को लेकर उपर किया और उसके माथे को चूम कर बोले- थोड़ा मेरी तरफ देखो मोहिनी… प्लीज़..
मोहिनी ने अपनी पलकें उपर की और अपने पति की ओर देखा, लेकिन वो ज़्यादा देर तक उनसे नज़रें मिला नही सकी, और फिर झुका ली…शर्म और रोमांच से उसके होठ थर-थरा रहे थे…….!!
5’11” हाइट वाले राम मोहन चौड़ा सीना, नियम से कसरत करने के कारण उनका बदन एकदम हृष्ट-पुष्ट था, शालीनता की मिसाल ऐसी कि शायद ही उन्होने अबतक किसी लड़की या औरत की तरफ आँख उठा कर भी देखा हो. लोग उनकी शराफ़त के चर्चे उनके पिता से भी किया करते थे, जिसे सुनकर उनका सीना फक्र से चौड़ा हो जाता था.
मोहिनी की सुंदरता में लीन वो अपनी शराफ़त को भूलते जा रहे थे, और उनका हक़ भी था ये.. उन्होने मोहिनी को अपने कलेजे से चिपका लिया.
मोहिनी उनकी ठोडी तक ही आती थी, पहले बार अपने पति के सीने से लग कर उसे ऐसा लगा मानो दुनिया के सारे दुख-दर्द, भय सब दूर भाग गये हों.
पति की मजबूत बाहों में उसे स्वर्ग की अनुभूति होने लगी और स्वतः ही उसकी पतली-2 कोमल बाहें उनकी पीठ पर कस गयी, वो अमरबेल की तरह उनसे लिपट गयी.
कितनी ही देर वो दोनो एक-दूसरे के आलिंगन में क़ैद वहीं यूँही खड़े रहे, मोहिनी का तो मन ही नही हो रहा था उनको छोड़ने का.
मोहिनी के रूई जैसे मुलायम अन्छुए उरोज जब राम को अपने सीने के निचले हिस्से पर फील हुए, तो उनके शरीर में एक अंजानी सी उत्तेजना बढ़ने लगी, और उनके पाजामे में क़ैद उनका सोया हुआ शेर सर उठाने लगा, जिसका आभास मोहिनी ने अपनी जांघों के बीच किया, वो उनसे और ज़ोर से चिपक गयी.
राम ने मोहिनी के कंधे पकड़ कर अपने से अलग किया और उसके हल्की लाली लगे पतले-2 होठों को चूम लिया और बोले – मे कितना नसीब वाला हूँ, जो मुझे तुम जैसी सुन्देर पत्नी मिली.
मेरे पास शब्द नही है मोहिनी ! जो तुम्हारी सुंदरता का बखान कर सकें….सच में तुम बहुत सुन्दर हो…!
मोहिनी चाह कर भी कुच्छ बोल नही सकी, उसके होठ बस थर-थरा कर रह गये… और वो फिरसे उसके सीने से लग गयी… मोहन का हाथ उसकी पीठ पर चल रहा था..
फिर अनायास ही उसने जब उसके सुडौल गोल-मटोल छोटे-2 नितंबों को सहलाना शुरू कर दिया, मोहिनी बस अपनी आँखें बंद किए, आनंद के उडानखटोले में उड़ी चली जा रही थी, फिर मोहन के हाथों ने जैसे ही उसके नितंबों को मसला….
अहह… ईीीइसस्स्स्शह… ना चाहते हुए उसके मूह से सिसकी निकल पड़ी..
क्या हुआ जान…? मेने कुच्छ ग़लत कर दिया..?
उउन्न्ह… बस इतना ही निकला उसके मूह से और वो ऐसे ही चिपकी खड़ी रही..
राम ने उसे अब अपनी गोद में उठा लिया और लाकर पलंग पर बड़े प्यार से लिटा दिया.. वो शर्म से दोहरी हुई जा रही थी, और करवट लेकर अपने घुटनों को पेट से लगा कर चेहरे को अपने सीने में छिपाने की कोशिश करने लगी.
राम अपना कुर्ता उतार कर बनियान और पाजामे में उसके बगल में बैठ गया और उसके कंधे पर हाथ रख कर प्यार से सहलाते हुए उसको सीधा करने की कोशिश की. वो किसी कठपुतली की तरह उसके इशारों पर चल रही थी.
मोहिनी के सीधे लेटते ही राम उसके चेहरे पर झुकता चला गया और उसके होठों पर किस करते हुए उन्हें चूसने लगा.
शुरू-2 में मोहिनी को कुच्छ अजीब सा फील हुआ, लेकिन कुच्छ ही देर में उसे इसमें मज़ा आने लगा और वो भी अपने पति का साथ देने लगी.
होठ चूस्ते हुए राम के हाथों ने एक बार उसके वक्षों को सहलाया, और अब उसकी उंगलिया उसके ब्लाउस के बटनों से खेल रही थी.
मोहिनी ने सवालिया नज़रों से अपने पति की तरफ देखा, तो उसके चेहरे पर शरारती मुस्कान देख कर शर्म से अपना चेहरा दूसरी ओर कर लिया.