27-02-2020, 05:09 PM
(This post was last modified: 17-10-2020, 07:28 PM by sanskari_shikha. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
8 महीने पहले मेरे एग्जाम्स चल रहे थे, मेरा पहला एग्जाम आया और चला गये ऐसे ही, दूसरा एग्जाम आया, हम एग्ज़ॅमिनेशन हॉल मैं बैठे थे की थोड़ी देर मैं एक टीचर आई, उसकी ड्यूटी थी, बस उसको देखते ही मेरी नज़र आन्सर शीट से हटकर उसके उपर ही लगी रही, मैं इधर उधर देखने के बहाने उसको देखता रहता था. उसकी हाइट 5’6 इंच, हेल्ती थी, बूब्स मोटे मोटे थे और जब हँसी थी किसी से बात करते हुए तो ऐसा लगता था की बोल रही हो- "प्लीज़ मुझे चोदो ना" वो ना तो बहुत सुंदर थी और ना ही बहुत सेक्सी बस एकदम मस्त माल था.
उसकी वजह से मेरी एग्जाम मैं लिखने की स्पीड भी स्लो हो गयी. उसे हमारी आन्सर शीट साइन करनी होती थी जब भी हू मेरे साथ वाली बेंच पर झुक कर किसी और की शीट साइन कर रही होती थी तो मैं उसके मोटे मोटे हिप्स को तिरछी निगाहों से देखता रहता था जिससे कोई और ना देख ले ओरजब वो मेरे बेंच पर आती तो मैं उसके बूब्स पर नज़र रखता था, उसकी बूब्स की लाइन सूट मैं से एकदम चूत की लाइन जैसे लगती थी. उसे देखते देखते मेरा 2, 3, 4th एग्जाम भी चले गये. फिफ्थ एग्जाम तक तो मैं उसे एग्जाम रूम मैं बैठे बैठे कई बार सपनों मैं चोद चुका था.
सबसे ज़्यादा मुझे उसकी चुचियाँ, हिप्स और स्माइल पसंद आई बस मन करता था की उन्ही को देखता रहूं और मौका लगे तो खा जाऊं. खैर हुमारा 5th एग्जाम चल रहा था और सब एग्जाम रूम मैं बैठे अपनी आन्सर शीट्स भर रहे थे और मैं भी, मैं बीच बीच मैं सिर उठा कर उसको देख लेता. वो चेयर पर अपने दोनो हाथ अपने बूब्स के नीचे रख कर बैठी थी जैसे कमर से रस्सी कस लेते हैं जिससे उसके बूब्स उसके हाथों पर आराम से बैठे थे. मैने उसे कई बार देखा, थोड़ी देर बाद मैं सिर उठा कर कहीं और देखने लगा और मैं उसे देखने ही लगा था की मैने उसे देखा वो मुझे देख रही है और हंसते हुए इशारा कर रही है की – “लिख लो”. थोड़ी देर बाद हू सबकी शीट्स साइन करते हुए मेरी पास आई और धीरे से हंसते हुए बोली की - “लिख भी लिया करो कुछ बस इधर उधर ही देखते रहते हो”, मैने तो कुछ एक्सपेक्ट भी नहीं किया था की वो मुझसे कुछ बोलेगी मैं तो बस सांत्वे आसमान पर पहुँच गया जब उसके प्यारे से होंठों को हिलते हुए देखा और वो कातिल स्माइल. अगर वो कुछ और देर बोलती तो उसके होंठ अपने होंठ से पकड़ लेता.
मैं कुछ बोल ही नहीं पाया और वो चली गयी. मैं उस दिन पूरे एग्जाम मैं मुस्कुराता रहा. फिर हमारा लास्ट 6th एग्जाम बचा था, मैं वोही सब दोहराता रहा जो मैं पिछले 5 एग्जाम से कर रहा था. वो मेरी पास वाली रो मैं राउण्ड लगा रही थी आगे - पीछे, मैं निगाहें उँची कर कर के उसको देख रहा, वो घूमी और उसके निगाहें मेरे से टकराई और वो मुस्कुरा दी और मैं भी अंजान बन कर मुस्कुरा दिया.
मेरा आज मन कर रहा था की इससे बात करूँ और इसका नंबर माँग लूँ अब चाहे जो हो.. लास्ट एग्जाम ही है ज़्यादा से ज़्यादा क्या कर लेगी एग्जाम कॅन्सल कर देगी गुस्से मैं आकर और क्या होगा नेक्स्ट इयर दे दूँगा फिर से एग्जाम एक ही तो है (सच मैं दोस्तों ये ठरक इंसान को कुछ भी करने पर मजबूर कर देती है). पर सवाल ये था की उसका नंबर कब और कैसे माँगूँ. मैने पहले कभी ऐसा नहीं करा था मैं तो बस शरीफ़ सा सेक्स स्टोरी पड़ने वाला और BF देखने वाला लड़का था जिसने आज तक रियल मैं चूत नहीं देखी थी तो उससे नंबर कैसे माँगता और क्या कह कर माँगता मेरी यही सोच कर फट रही थी,
तभी मैने सोचा की क्यूँ ना इससे एग्ज़ॅम रूम मैं ही नंबर मांग लेता हूँ शायद ये वहाँ कुछ ना बोले क्यूंकी सब होते हैं तो कम से कम उसके गुस्से से तो बचा रहूँगा और हाँ अगर भड़क गयी तो बस मैं गया पर फिर वोही सवाल की कैसे? थोड़ी देर बाद हू मेरे डेस्क पर आई साइन करने और मुझे बोली – “बस देखते रहते हो लिख भी लिया करो कुछ शैतान” मैं हंस दिया कुछ नहीं बोला और जल्दी से क्वेस्चन पेपर को एक साइड से मोड़ा और उस पर “नंबर” लिख दिया. उसने पहले मुझे 2 सेकेंड देखा की ये मैने क्यूँ लिखा है देन उसने क्वेस्चन पेपर पर जल्दी से अपना नंबर लिख दिया और मेरी आन्सर शीट पर साइन कर के चली गयी.
उसका नंबर अपने क्वेस्चन पेपर पर देख कर तो मेरे होश ही उड़ गये ऐसा लगा की जैसे बस वो मेरे सामने नंगी पड़ी है और बोल रही की प्लीज़ “विशाल चोदो ना मुझे जान, अपनी वर्जिनिटी मुझे दे दो”. बस उसका नंबर लेते ही मेरे मन मैं ये हुआ की बस जल्दी से एग्ज़ॅम ख़तम हो और मैं उससे फोन पर बात करूँ क्यूंकी वहाँ सबके सामने मैं बात नहीं कर सकता था. उस दिन मै अपने फ्रेंड्स से क्वेस्चन पेपर डिसकस करे बिना ही घर चला गया. और शाम होने का वेट करता रहा क्यूंकी वो दिन मैं कॉलेज मैं ही होती थी वो टीचर जो थी वहाँ. फिर शाम को 7 बजे मैने डरते हुए उसका नंबर डायल किया.