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Romance मोक्ष : तृष्णा से तुष्टि तक
#53
अध्याय 17


सुनकर अनुराधा ने एक गहरी सांस ली और सुधा की ओर देखने लगी तो रागिनी ने सुधा से आगे बताने को कहा

“फिर क्या हुआ?”

“अब आगे सुनिए:-

शाम को ममता ने कुछ सामान लेने जाने का बहाना किया और सुधा की दुकान पर पहुंची... सामान लेकर थोड़ी देर सुधा की मम्मी से बात की और फिर सुधा का पूंछा तो उन्होने बताया कि सुधा अपने कमरे में बैठकर पढ़ाई कर रही है... ममता उनसे बोलकर सीधे अंदर सुधा के कमरे में पहुंची तो सुधा ने किताबों नज़र उठाकर जब देखा तो ममता अंदर आकर सुधा के बिस्तर पर बैठ गयी ... सुधा भी समझ गयी कि ममता इस समय उसी बात को लेकर आयी हुई है... ममता ने सुधा से कहा कि वो आज ही उसको कुछ दिखाना चाहती है इसलिए सुधा अपनी मम्मी से कहे कि उसे आज रागिनी के साथ उसके घर में पढ़ाई करनी है... इसलिए आज रात वो रागिनी के घर ही रुकेगी... सुधा के मन में इस बात को लेकर दुविधा थी कि वो ममता का कहा माने या न माने

“लेकिन भाभी अगर में रागिनी के कमरे में रहूँगी तो अप मुझे कैसे कुछ दिखा पाओगी...”

“तुम उसकी चिंता मत करो में आज रागिनी को भी ऊपर अपने एक कमरे में रुकने को मना लूँगी” ममता ने कहा

“लेकिन फिर रागिनी को भी तो सब पता लग ही जाएगा” सुधा ने फिर से बहाना बनाया ताकि ममता उसे घर ले जाने से पीछे हट जाए.....हालांकि वो भी ममता के बारे में जानना चाहती थी, उस समय गुस्से में बहुत कुछ कह-सुन भी लिया... लेकिन घर आकर जब उसने सब बातों पर गौर किया तो उसे लगा की ममता से दूरी बनाकर रखने में ही फाइदा है... क्योंकि जिस तरह से उसे कोई साथ लेकर होटल में गया और जैसे वो बेखौफ घर के इतने नजदीक होटल में गयी... और फिर उसने बताया की वो ये सब मजबूरी में कर रही है तो सुधा को लगा की इसके पीछे जरूर कोई बड़ा मामला हो सकता है.... एक शादीशुदा औरत अगर पूरे परिवार और पति के होते हुये भी मजबूर है किसी दवाब में.... तो वो अकेली लड़की जिसके पीछे विधवा माँ और छोटा भाई... कहीं वो इस झमेले में न फंस जाए...

“आंटी सुधा को रागिनी के साथ पढ़ाई करनी है... रात को हमारे घर दोनों मिलकर पढ़ाई कर लेंगी.... सुधा डर रही थी की आप कहीं माना न कर दो... तो मेंने कहा ... में ही आंटी से कह देती हूँ... वहाँ कहीं बाहर थोड़े ही है” सुधा को सोच में डूबा और झिझकता देखकर ममता ने सुधा की मम्मी से दुकान की ओर मुंह करके कहा और सुधा को आँख मारकर इशारा किया

“ठीक है बेटा शाम को खाना खाकर आ जाएगी” सुधा की माँ ने दुकान में से कहा

“अरे नहीं आंटी... वहीं खाना खा लेगी... अभी तो खाने में देर है... तब तक दोनों पढ़ती भी रहेंगी” ममता ने कहा और फिर सुधा से बोली “चलो अपनी किताबें ले लो मेरे साथ ही चली चलो... फिर अकेले आना पड़ेगा”

अब सुधा न चाहते हुये भी अपनी किताबें लेकर ममता के साथ चल दी। रास्ते में सुधा ने ममता से कुछ कहना चाहा तो ममता ने उसे चुप रहने का इशारा करते हुये घर पर बात करने का कहा

घर पहुँचकर ममता ने सुधा को अपने साथ ऊपर आने का इशारा करते हुये रागिनी से कहा “रागिनी आज सुधा भी हमारे यहाँ रहकर ...तुम्हारे साथ ही पढ़ाई करेगी... तुम भी ऊपर ही आ जाओ... वहीं अनुराधा वाले कमरे में तुम दोनों पढ़ाई कर लेना”

“अरे भाभी... हम यहीं ठीक हैं, फिर अनुराधा को भी यहीं मेरे कमरे में सोने की आदत है... तो उसे वहाँ नींद भी नहीं आएगी” रागिनी ने कहा

“हाँ! अब मेरा तो इतना भी हक नहीं रहा कि तुम्हारी बेटी को एक दिन अपने पास भी रख सकूँ.... देखती हूँ... तुम्हारी शादी के बाद तो मेरे पास रहना ही पड़ेगा उसे.... ऐसा कोई नहीं मिलेगा जो दहेज में एक बेटी भी लेकर जाए.... यहाँ तो घर में पैदा हुई बेटी भी नहीं सुहाती किसी को” ममता ने ताना मरते हुये कहा... जिस पर विमला ने सुनकर कुछ कहना चाहा तो रागिनी ने इशारे से रोक दिया।

“ठीक है भाभी में खाना खाकर आऊँगी....में तो तुम्हारे यहाँ खा भी लूँगी लेकिन अनुराधा तो यहीं खाएगी... मेरे हाथ का बना हुआ... अब इस बात को लेकर फिर ताने मारना शुरू मत कर देना” रागिनी ने हँसते हुये कहा तो ममता ने मुस्कुराकर सहमति में सिर हिलाया और सुधा के साथ ऊपर आ गयी

ऊपर आकर ममता ने एक कमरे में सुधा को ले जाकर बैठाया और उससे कहा कि वो और रागिनी इसी कमरे में पढ़ाई करें... रात में वो दोनों के लिए दूध लेकर आएगी तो सुधा दूध के लिए मना करके चाय या कॉफी पीने के लिए कह दे... क्योंकि वो दूध के दोनों ग्लास में नींद कि दवा डालकर लाएगी... अगर वो एक गिलास में ही नींद कि दवा डालकर लायी और हो सकता है रागिनी दूसरा गिलास ले ले तो ममता उसे खास तौर पर वही गिलास लेने पर ज़ोर नहीं दे सकती जिसमें नींद की दवा मिली हो...

थोड़ी देर बाद रागिनी भी ऊपर आ गयी अनुराधा भी उसी के साथ आयी...और वो दोनों पढ़ाई करने लगीं कुछ देर बाद दीपक भी आ गया फिर खाना खाकर दीपक हॉल में टीवी देखने बैठ गया और ममता रसोई का कम निपटाने में लग गयी... अनुराधा को दीपक अपने साथ ही ले गया।

रसोई का कम निपटाकर ममता ने आकार दीपक से कहा कि वो अब टीवी बंद करके अपने कमरे जाकर सोने कि तयारी करे वो दूध लेकर आती है... अंदर पढ़ाई करती हुई सुधा ने दूध का सुना तो उसके भी कान खड़े हो गए... लेकिन उसने ऐसी कोई प्रतिकृया नहीं दी जो रागिनी चोंकती। दीपक अपने कमरे में चला गया उसने अनुराधा को भी साथ ले जाना चाहा तो अनुराधा ने कहा कि वो मम्मी के पास सोएगी और भागकर रागिनी के पास आ गयी...

“रागिनी तुमसे कितनी बार कहा है कि इससे बुआ कहलवाया करो... कल को जब तुम्हें लड़के वाले देखने आएंगे शादी के लिए ...तब भी ये मम्मी ही कहेगी” दीपक ने हँसते हुये कहा और जिस कमरे में रागिनी और सुधा पढ़ रहीं थी उसके दरवाजे पर आकर खड़ा हो गया

“भैया मेरी मम्मी तो यही हैं और यही रहेंगी.... वो भाभी हैं में उनको मम्मी नहीं कहूँगी” अनुराधा ने रागिनी के पीछे से पलटकर जवाब देते हुये कहा

“हम तेरे भैया भाभी नहीं हैं.... रागिनी के हैं....” दूध लेकर आते हुये ममता ने अनुराधा से कहा

“तो कोई बात नहीं... अब आपको भैया-भाभी नहीं मामा-मामी कहूँगी... क्यूंकी आप लोग मेरी मम्मी के भैया-भाभी हैं” अनुराधा ने जवाब में कहा तो चारों जाने हंसने लगे... ममता ने दूध के गिलास स्टूल पर रखते हूये अनुराधा के सिर पर चपत लगाई तो वो बुरा सा मुंह बनाकर रागिनी से चिपक गयी

इधर अनुराधा को चपत लगाकर अपना हाथ वापसी में सुधा के सिर को हल्का सा छूते हूये निकाला ममता ने तो, सुधा ने उसकी ओर देखा और इशारा समझकर बोली

“भाभी! में दूध नहीं पियूँगी मुझे गले में इन्फ़ैकशन है...मुझे चाय या कॉफी दे दो...”

“ठीक है में कॉफी बनाकर लाती हूँ... रागिनी और अनुराधा तुम दोनों दूध पी लो” कहते हूये ममता ने वहाँ रखे तीन गिलासों में से एक उठाकर दीपक को देते हूये उसे कमरे में जाने का इशारा किया और खुद रसोई में जाकर कॉफी बना लायी अपने और सुधा के लिए....

“अरे भाभी अपने दूध क्यों नहीं लिया?” सुधा ने मुस्कुराकर इशारा करते हुये कहा

“ननद रानी में दूध पीती नहीं...पिलाती हूँ.... तुम्हारी भतीजी को तो पिलाती ही हूँ... तुम्हें भी पीना हो तो अभी पी लो... फिर बाद में मत कहना....”ममता ने मुसकुराते हुये उस कमरे की ओर इशारा किया जिसमें दीपक गया था सोने “जब सारा दूध खत्म हो जाए”

उसके मज़ाक को समझते हुये रागिनी और सुधा दोनों हंस दिये ... और कॉफी खत्म करके ममता ने अपना और सुधा के कप भी उसी ट्रे में रखे जिसमें रागिनी और अनुराधा ने दूध पीकर गिलास रखे थे जाकर रसोई में रख आयी और अपने कमरे में जाती हुई उन तीनों को गुड नाइट बोली तो उन तीनों ने भी जवाब दिया। अब सुधा किताब सामने रखे बेचैनी से अनुराधा और रागिनी के सोने का इंतज़ार करने लगी , थोड़ी देर बाद ही अनुराधा को नींद आ गयी और वो सो गयी। रागिनी भी कुछ अलसाई सी पढ़ने में लगी रही... थोड़ी देर बाद उसे भी झपकियाँ आने लगीं तो सुधा ने उसे भी सोने के लिए कहा तो वो बोली पता नहीं आज कुछ जल्दी नींद आ रही है... शायद काफी देर से पढ़ रहे हैं इसलिए। उसने भी सुधा से लाइट बंद करके सोने के लिए कहा तो सुधा ने किताबें उठाकर टेबल पर रखीं और उठकर लाइट बंद कर दी और बिस्तर पर लेट गयी... हालांकि अब 11 से ऊपर टाइम हो गया था लेकिन सुधा को उत्सुकता में नींद नहीं आ रही थी की ममता उसे रात को क्या दिखने वाली है...

थोड़ी देर बाद उसे दरवाजा खुलने की हल्की सी आहट हुई तो वो समझ गयी की ममता और दीपक के कमरे का दरवाजा खुला है... क्योंकि अपने कमरे का दरवाजा तो उसने बंद किया ही नहीं था उसने देखा ममता ने हॉल में आकर वहाँ की लाइट ऑफ की और दबे पाँव उसके कमरे में घुसी तो सुधा भी उठकर बैठ गयी। ममता ने उसका हाथ पकड़ा और बाहर हॉल में लेकर आयी।

“ये दोनों सो गईं?” ममता ने फुसफुसाते हुये पूंछा

“हाँ भाभी! अपने क्या अनुराधा के भी दूध में कुछ डाला था?” सुधा ने भी फुसफुसाते हुये कहा

“अरे उसको अगर नींद की दवा नहीं देती तो वो रात में जागकर सारा घर सिर पर उठा लेती। वैसे यहाँ हम दोनों के अलावा सबने दूध पिया है” ममता ने कहा और सुधा की चूचियों पर हाथ फिरा दिया। सुधा एकदम चौंककर दूर हुयी और नाराज़ होती हुई बोली

“ये क्या है भाभी... और सबने दूध पिया है... मतलब? दीपक भैया भी?”

“और क्या? क्यूँ अपने भैया के साथ रात को कोई प्रोग्राम बनाना था क्या” ममता ने मुसकुराते हुये कहा और सुधा की ओर हाथ बढ़ाया तो उसने हाथ पकड़ लिया

“भाभी आप फालतू की बात मत किया करो... में कभी आपसे मज़ाक नहीं करती। अब बताओ क्या दिखने वाली थी?” सुधा ने चिढ़ते हुये कहा तो ममता ने संजीदा होते हुये उससे कहा

“देखो अब जो तुम्हें देखने को मिलेगा उसे तुम सोच भी नहीं सकती लेकिन तुम्हारी ओर से न तो कोई हरकत होनी चाहिए और न ही इस बात का किसी को पता चले.....रागिनी को भी तुम कुछ नहीं बताओगी”

“ठीक है भाभी” सुधा ने जवाब दिया

“अब तुम अपने कमरे में ऐसे ही चुपचाप लेती रहोगी... जो कोई भी आयेगा वो हो सकता है तुम्हारे कमरे में भी आए, लेकिन उसे यही लगना चाहिए की तुम तीनों गहरी नींद में सो रहे हो... नींद की दवा के असर में। अगर में भी तुम्हें उठाऊँ या आवाज दूँ... तब भी तुम्हें कोई जवाब नहीं देना... चुपचाप पलकों में से देखती रहना की क्या हो रहा है... जब वो आनेवाला और में कमरे में चले जाएँ तो तुम बाहर से छुपकर सब देख और सुन लेना... लेकिन ध्यान रखना... न कोई आवाज हो और ही तुम नज़र में आओ। वरना फिर मेरी कोई ज़िम्मेदारी नहीं है... तुम्हारे साथ कुछ हुआ तो” ममता ने कहा तो सुधा ने सिर हिलाकर हामी भर दी उसके बाद ममता ने सुधा को अपने कमरे में जाने का इशारा किया तो सुधा जाकर रागिनी और अनुराधा के पास लेट गयी

ममता ने जाकर अपने फ्लोर के मेन गेट की कुंडी खोल दी, दरवाजा भिड़ा रहने दिया और हॉल में आकर सोफ़े पर बैठ गयी अधलेटी होकर ... लगभग 12 बजे धीरे से दरवाजा खुलने की आवाज हुयी और ऐसा लगा जैसे कोई बाहर से अंदर हॉल में घुसा, थोड़ी देर बाद दरवाजे की कुंडी लगाने की आवाज आयी। सुधा चुपचाप दम साधे लेटी रही तभी उसने मुंदी हुई आँखों से पलकों को थोड़ा सा खोलकर देखा तो ममता और उसके साथ एक आदमी उनके कमरे में अंदर आए... ममता ने फुसफुसाकर उस आदमी को बोला की देख लो सब सो रहे हैं... मेंने अपने सामने दूध पिलाया है... तो कोई गड़बड़ होने का चान्स नहीं है... वो आदमी कुछ नहीं बोला और वो दोनों तीसरे कमरे में चले गए अंदर जाकर उन्होने दरवाजा बंद करना भी जरूरी नहीं समझा बल्कि कमरे में लाइट भी जला दी...

सुधा भी उनके पीछे-पीछे बाहर आयी और उस कमरे की लाइट जलती देखकर उसके दरवाजे के पास पहुंची।लेकिन तुरंत ही पीछे हट गयी क्योंकि दरवाजे पर पर्दा तो पड़ा हुआ था लेकिन पर्दा फर्श से करीब 6 इंच ऊंचा था तो अंदर से अनेवाली लाइट की वजह से उसके पैर दिख सकते थे फिर सुधा गैलरी के दूसरी ओर दीपक के कमरे के सहारे से होकर आगे बढ़ी और रसोई के सामने उस तीसरे कमरे की खिड़की के पास आयी, हालांकि खिड़की पर पर्दा पड़ा हुआ था लेकिन उसमें थोड़ी सी जगह बनी हुयी थी किनारे से जिसमें से उस कमरे में झाँका जा सकता था

सुधा ने अंदर नजर डाली तो देखकर चौंक गयी उस कमरे में एक लोहे की अलमारी ड्रेसिंग टेबल और एक दीवान पलंग पड़ा हुआ था, पलंग का कुछ हिस्सा खिड़की से दिख रहा था लेकिन ड्रेसिंग टेबल के शीशे से पूरा पलंग दिखाई दे रहा था, उस पलंग पर ममता के साथ उसका ससुर यानि रागिनी और दीपक का पिता विजय लेता हुया था सिरहाने से टेक लगाकर। ममता ने उसके सीने पर अपना सिर रखा हुआ था और उसका हाथ ममता की छती पर रखा चूचियाँ सहला रहा था

..................................

“क्या?” इतना सुनते ही रागिनी ने चौंक कर सुधा की ओर देखा

“अभी तो शुरुआत है..... अभी तो बहुत कुछ ऐसा है कि तुम सोच भी नहीं सकती” सुधा ने कहा

“एक काम करते हैं.... अनुराधा और प्रबल तुम दोनों अपने अपने कमरों में जाकर सो जाओ... में जितना जरूरी है उतना तुम्हें सब बता दूँगी लेकिन सुबह” रागिनी ने दोनों बच्चों से कहा

सुधा ने भी सहमति दी कि... रागिनी को वो सबकुछ बता देना चाहती है... लेकिन बच्चों के सामने बहुत से बातें वो कह नहीं पाएगी... इसलिए उन दोनों को रागिनी सुबह सबकुछ बता देगी। प्रबल तो उठकर चल दिया लेकिन अनुराधा ने कहा कि क्योंकि बात उसकी माँ को लेकर चल रही है...इसलिए वो भी सबकुछ सुनेगी... चाहे कितना ही गंदा क्यों न हो। इस पर रागिनी ने कहा कि उसकी माँ ममता है या वो... अगर वो रागिनी को अपनी माँ मानती है तो अभी जाकर सो जाए, सुबह वो उसे सबकुछ बता देगी। ये सुनकर अनुराधा भी उठ खड़ी हुई और अपने कमरे में चली गयी
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RE: मोक्ष : तृष्णा से तुष्टि तक - by kamdev99008 - 27-02-2020, 04:05 AM



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