24-02-2020, 11:49 AM
निराली की गर्म चूत में जा कर पंकज के लंड में जैसे आग सी लग गयी. उनके नितम्ब अनायास ही उछलने लगे पर इस बार कमान निराली के हाथों में थी. उसने पंकज की जाँघों को अपनी जाँघों के नीचे दबाया और उन्हें उछलने से रोक दिया. उसने पंकज से कहा, “बाबूजी, आप आराम से लेटे रहो और मुझे अपना काम करने दो.”
पंकज ने समर्पण कर दिया. जब निराली ने देखा कि पंकज अब उसके कंट्रोल में हैं तो उसने धक्कों की ताक़त बढ़ा दी. पंकज लेटे-लेटे निराली के धक्कों का मज़ा लेने लगे. निराली एक-दो मिनट धक्के मारती और जब उसे लगता कि पंकज झड़ने वाले हैं तो वो रुक जाती. ऐसे ही वो एक बार धक्कों के बीच रुकी तो उसने पूछा, “बाबूजी, कभी बीवीजी भी आपको ऐसे चोदती हैं या वे सिर्फ चुदवाती हैं?”
पंकज ने थोडा शरमाते हुए कहा, “वे तो सिर्फ नीचे लेटती हैं. बाकी सब मैं ही करता हूं.”
“बाबूजी, मेरा मरद तो मुझे हर तरह से चोदता है – कभी नीचे लिटा कर, कभी ऊपर चढ़ा कर, कभी घोड़ी बना कर तो कभी खड़े-खड़े,” निराली ने कहा.
पंकज को लगा कि उसे चुदाई के साथ-साथ निराली की अश्लील बातें सुनने में भी मज़ा आ रहा है. … चुदाई और निराली की बातें दो-तीन मिनट और चलीं. फिर पंकज को लगा कि वे आनन्दातिरेक में आसमान में उड़ रहे है. जब आनंद का एहसास अपनी चरम सीमा पर पहुँच गया तो उन्होने निराली की कमर पकड़ ली. उनके नितंब अपने आप तेज़ी से फुदकने लगे. वैसे भी उन्होंने बहुत देर से अपने को रोक रखा था. उन्होंने निराली को अपनी बाहों में भींच लिया. उन्हें अपने लंड पर उसकी चूत का स्पंदन महसूस हो रहा था जिसे वे सहन नहीं कर पाये. उनका लंड निराली की चूत में वीर्य की बौछार करने लगा. जब निराली की चूत ने उनके वीर्य की आखिरी बूंद भी निचोड़ ली तो उनका लंड सिकुडने लगा. दोनों एक दूसरे को बाहों में समेटे लेटे रहे. … कुछ देर बाद जब पंकज की साँसे सामान्य हुईं तो उन्होंने कहा, “निराली, तुमने आज जो आनंद मुझे दिया है वो मैं कभी नहीं भूलूंगा.”
पंकज ने समर्पण कर दिया. जब निराली ने देखा कि पंकज अब उसके कंट्रोल में हैं तो उसने धक्कों की ताक़त बढ़ा दी. पंकज लेटे-लेटे निराली के धक्कों का मज़ा लेने लगे. निराली एक-दो मिनट धक्के मारती और जब उसे लगता कि पंकज झड़ने वाले हैं तो वो रुक जाती. ऐसे ही वो एक बार धक्कों के बीच रुकी तो उसने पूछा, “बाबूजी, कभी बीवीजी भी आपको ऐसे चोदती हैं या वे सिर्फ चुदवाती हैं?”
पंकज ने थोडा शरमाते हुए कहा, “वे तो सिर्फ नीचे लेटती हैं. बाकी सब मैं ही करता हूं.”
“बाबूजी, मेरा मरद तो मुझे हर तरह से चोदता है – कभी नीचे लिटा कर, कभी ऊपर चढ़ा कर, कभी घोड़ी बना कर तो कभी खड़े-खड़े,” निराली ने कहा.
पंकज को लगा कि उसे चुदाई के साथ-साथ निराली की अश्लील बातें सुनने में भी मज़ा आ रहा है. … चुदाई और निराली की बातें दो-तीन मिनट और चलीं. फिर पंकज को लगा कि वे आनन्दातिरेक में आसमान में उड़ रहे है. जब आनंद का एहसास अपनी चरम सीमा पर पहुँच गया तो उन्होने निराली की कमर पकड़ ली. उनके नितंब अपने आप तेज़ी से फुदकने लगे. वैसे भी उन्होंने बहुत देर से अपने को रोक रखा था. उन्होंने निराली को अपनी बाहों में भींच लिया. उन्हें अपने लंड पर उसकी चूत का स्पंदन महसूस हो रहा था जिसे वे सहन नहीं कर पाये. उनका लंड निराली की चूत में वीर्य की बौछार करने लगा. जब निराली की चूत ने उनके वीर्य की आखिरी बूंद भी निचोड़ ली तो उनका लंड सिकुडने लगा. दोनों एक दूसरे को बाहों में समेटे लेटे रहे. … कुछ देर बाद जब पंकज की साँसे सामान्य हुईं तो उन्होंने कहा, “निराली, तुमने आज जो आनंद मुझे दिया है वो मैं कभी नहीं भूलूंगा.”
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
