20-02-2020, 01:48 PM
दिन भर अजय के होठो में एक मुस्कान रही और शाम होते ही वो अपने कस्बे से कुछ दूर एक छोटे शहर की दुकान में पहुच गया और लड़कियों के कुछ कपड़े खरीदने लगा,उसने एक दो सलवार सूट और 2 साड़ियां ली ,लेकिन उसे याद आया की वो ब्लाउज तो लिया ही नही ,और चम्पा तो अंडरगारमेंट भी नही पहनती,ये सोचकर ही अजय के होठो में मुस्कान आ गई जिसे हम लोग समाज में गलत मानते है और अंगप्रदर्शन कहते है वो उस जंगल की लड़की के लिए बिल्कूल प्राकृतिक और नैसर्गिक है..
लेकिन अगर उसे बाहर अपने साथ घूमना था तो उसे कुछ समाज में प्रचलित कपड़े देने होंगे …
उसने कुछ अंडरगारमेंट्स भी ले लिए और एक दो ब्लाउज भी लेकिन उसे उसके शरीर के सही माप का अंदाज भी तो नही था,वो बस अपने अंदाजे से ही कपड़े ले रहा था ,लेकिन फिर भी वो संतुष्ट था ..
वो सारे कपड़े पकड़ कर घर आया दिन भर उसे बस चम्पा ही चम्पा याद आ रही थी और साथ ही उसके द्वारा कही गई बाते,वो काम तो कर रहा था लेकिन दिमाग कही और ही लगा हुआ था,वो उसकी बातो को याद करके कभी गंभीर हो जाता तो कभी हँस लेता ..
सुबह बस उसे चम्पा से मिलने का ही इंतजार था …….
लेकिन अगर उसे बाहर अपने साथ घूमना था तो उसे कुछ समाज में प्रचलित कपड़े देने होंगे …
उसने कुछ अंडरगारमेंट्स भी ले लिए और एक दो ब्लाउज भी लेकिन उसे उसके शरीर के सही माप का अंदाज भी तो नही था,वो बस अपने अंदाजे से ही कपड़े ले रहा था ,लेकिन फिर भी वो संतुष्ट था ..
वो सारे कपड़े पकड़ कर घर आया दिन भर उसे बस चम्पा ही चम्पा याद आ रही थी और साथ ही उसके द्वारा कही गई बाते,वो काम तो कर रहा था लेकिन दिमाग कही और ही लगा हुआ था,वो उसकी बातो को याद करके कभी गंभीर हो जाता तो कभी हँस लेता ..
सुबह बस उसे चम्पा से मिलने का ही इंतजार था …….
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.


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