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Romance मोक्ष : तृष्णा से तुष्टि तक
#47
अध्याय 16


1996

“मम्मी दुकान पर कोई आया है...समान दे दो... मुझे कॉलेज के लिए तैयार होना है” दुकान से अंदर आते हुये सुधा ने कहा तो किचन में खाना बनाती उसकी माँ ने स्टोव बंद किया और बाहर निकालकर दुकान पर आयी। दुकान के बाहर एक उन्हीं की उम्र की औरत सुधा के बराबर की एक बच्ची के साथ खड़ी हुई थी....

“हाँ जी बताइये क्या चाहिए?” सुधा की माँ ने पूंछा तो उस औरत ने उन्हें घर के दैनिक और रसोई के समान की लिस्ट दे दी। उन्होने सारा समान तौल के पैक किया और उनके थैले में रखवाते समय पूंछा की वो कहाँ रहती हैं.... क्योंकि उन्होने उस औरत को वहाँ पहले नहीं देखा था और ये कोई बाज़ार भी नहीं था जहां कि कोई दूर से समान खरीदने आता। उनकी दुकान पर तो आसपास रहने वाले ही समान लेने आते थे तो नए चेहरे को देखकर उन्हें भी जानकारी लेने कि उत्सुकता हुई। उस औरत ने बताया कि उसका नाम विमला है और उसने पीछे वाली गली में मकान खरीदा है और अब यहीं रहेंगी, थोड़ी बातचीत के बाद उसने बताया कि उनके पति का मकान-जमीन खरीदने बेचने का काम है, उसके दो बेटे और एक बेटी है जो उसके साथ थी, बेटी का नाम रागिनी है...बातों बातों में ही उसने कहा कि उसके बेटे तो पढ़ने लिखने में फिसड्डी है और पढ़ाई छोडकर अब अपने पिता के साथ उनके व्यवसाय में हाथ बंटा रहे हैं। बेटी पढ़ने में तेज है और अब यहाँ उसका दाखिला कराना है। तब उन्होने कहा कि वो रागिनी का दाखिला सुधा के ही कॉलेज में करा दें इसके लिए कल सुबह वो रागिनी को तयार करके ले आयें। अगले दिन से रागिनी और सुधा साथ साथ एक ही कॉलेज में पढ़ने लगीं... धीरे धीरे वक़्त गुजरता गया कि एक दिन

“आंटी कल सुधा को में अपने साथ लेकर जाऊँगी” रागिनी ने सुधा कि माँ से कहा

“कहाँ जाओगी बेटा... तुम दोनों तो वैसे भी साथ साथ अति जाती रहती हो...आज पूंछ क्यों रही हो” उन्होने हँसते हुये रागिनी से कहा

“आंटी! मम्मी ने अभी बताने को माना किया है...किसी को भी, लेकिन आप ‘कोई’ नहीं हो... इसलिए आपको बताती हूँ... आज हम बड़े भैया के लिए लड़की देखने जा रहे हैं उनकी शादी होने वाली है” रागिनी ने शर्माते हुये कहा....तो उन्होने भी हँसते हुये सुधा को साथ ले जाने को कह दिया

कुछ समय बाद धूमधाम से विमला के बड़े बेटे दीपक की शादी ममता से हुई, ममता बहुत सुंदर थी और 12वीं तक पढ़ी हुई भी थी... रागिनी और सुधा के कॉलेज में पढ़ी थी इसलिए वो उसे देखते ही पहचान भी गईं थीं.... लेकिन सुधा कुछ ज्यादा ही उनसे घुलमिल गयी थी... रागिनी कुछ शर्माती थी...सुधा उसे पहले से भी जानती थी क्योंकि ममता का माइका किशनगंज मे ही दूसरे मोहल्ले में tha ऐसे ही वक़्त गुजरा और 1999 में विमला के छोटे बेटे कुलदीप ने भी अपने साथ प्रॉपर्टी के काम में जुड़े सरदार चरणजीत सिंह की बेटी सिमरन से प्रेम विवाह कर लिया, शुरू में घरवालों ने विरोध किया लेकिन फिर ममता और दीपक के ज़ोर देने पर उन्हें घर ही रहने के लिए बुला लिया गया।

एक दिन ....

सुधा किसी काम से कनॉट प्लेस गयी थी लौटते समय उसने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के सामने एक कर को पहाड़गंज में मुड़ते देखा वो कार सुधा की मोपेड़ के सामने से जब मुड़ी तो उसे कार में ममता भाभी दिखाई दी उनके साथ एक बड़ी दाढ़ी में पठानी सुइट पहने एक शख्स ड्राइविंग करता दिखाई दिया.... इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात ये थी की ममता भाभी ने बुर्का पहना हुआ था केवल चेहरा ही दिख रहा था...उस समय ममता की नज़र गाड़ी के सामने की ओर थी अगर वो अपनी खिड़की की तरफ देख लेती तो उसे सुधा सामने ही दिख जाती.... क्योंकि गाड़ी मोड़ने की वजह से धीमी स्पीड में थी तो सुधा ने बहुत गौर से देखकर पक्का कर लिया की ये चेहरा ममता का ही है....

सुधा ने भी अपनी मोपेड़ तुरंत उस कार के पीछे घुमा दी, कुछ दूरी रखते हुये मोपेड़ को कार के बिलकुल पीछे न रखकर किनारे पर रखा जिससे की बॅक व्यू मिरर से ममता की नज़र सुधा पर न पड़े। पहाड़गंज में आम तौर हर समय भीड़भाड़ ही रहती है तो कार आराम से धीरे धीरे चल रही थी... कुछ देर बाद कार आगे जाकर एक होटल के सामने रुकी और उसमें से ममता बाहर निकली सुधा ने भी अपनी मोपेड़ पीछे ही दूसरी ओर एक दुकान के सामने रोक ली और ध्यान से ममता की ओर देखने लगी.... सुधा ने दिल्ली की सभी लड़कियों की तरह मुंह पर दुपट्टा लपेटा हुआ था तो उसे पहचाने जाने का कोई डर नहीं था और इतनी भीड़भाड़ में वैसे भी किसी पर ऐसे ध्यान नहीं जाता...

ममता ने बाहर निकालकर अपना चेरा सड़क की ओर किया और झुककर कार की ड्राइविंग सीट पर बैठे उस आदमी से कुछ बात की उसने ममता को कुछ समझते हुये उसे कुछ दिया और ममता अपने सी पर नकाब डालकर मुड़कर अंदर चली गयी... वो आदमी भी कार लेकर आगे झंडेवालान वाली रोड की ओर चला गया.... सुधा वहीं खड़ी रही कुछ देर बाद उसी होटल के सामने आकार एक ई-रिक्शा रुका और उसमें से वही आदमी बाहर निकला... सुधा समझ गयी की वो कार को मेट्रो पार्किंग में लगाकर वापस आया है...ई-रिक्शा से उतरकर वो आदमी भी होटल में वापस अंदर घुस गया तो सुधा भी अपनी मोपेड़ वहीं दुकान के सामने खड़ी छोडकर उस आदमी के पीछे-पीछे होटल में घुसी...

अंदर जाकर उसने देखा की वो आदमी रिसिप्शन पर खड़ा रूम नं बताकर रास्ता पूंछ रहा है... सुधा भी उसके पास ही जाकर खड़ी हो गयी... रिसिप्शन वाले ने उससे पूंछा की किस नं से बूकिंग है तो उसने नाम बताया तो रिसैप्शनिस्ट ने कहा की आपकी वाइफ़ अभी अभी गयी हैं... इस पर उस आदमी ने कहा की वो गाड़ी पार्किंग में लगाने गया था... और अपना पहचान पत्र दिखाया... देखकर रिसैप्शनिस्ट ने उसे रास्ता बताया तो वो आगे चला गया फिर रिसैप्शनिस्ट ने सुधा की तरफ देखा तो उसने कहा की उसे एक रूम चाहिए था और किराया वगैरह क्या है... सुधा ने उसे खासतौर पर उसी फ्लोर पर रूम मांगा जिस फ्लोर का रूम उस आदमी ने पूंछा तो रिसैप्शनिस्ट ने कहा की मिल जाएगा... लेकिन पहले उसे अपना पहचान पत्र देना होगा.... सुधा ने अपना पहचान पत्र दिया... पढ़कर रिसैप्शनिस्ट ने कहा की उसके पहचान पत्र में दिल्ली का पता है...इसलिए उसे रूम नहीं मिल सकता.... सुनकर सुधा ने कहा की असल में उसके कोई मिलनेवाले यहाँ शाम तक आ रहे हैं उनके रुकने के लिए उसे रूम चाहिए था तो अगर वो रूम दिखा दे तो सुधा उनही के पहचान पत्र से उनके नाम से ही बुक करा देगी... तो उसने एक लड़के को सुधा के साथ भेजा दिया उस फ्लोर पर जाकर सुधा ने देखा की वहाँ सभी कमरों के दरवाजे बंद थे और किसी तरह की कोई आवाज किसी कमरे से नहीं महसूस हुई... वो चुपचाप जाकर कमरा देखकर वापस आयी और रिसैप्शनिस्ट को शाम को बताने का बोलकर बाहर चली आयी।

बाहर आकर सुधा अपनी मोपेड़ पर बैठ गयी और ममता के बाहर निकालने का इंतज़ार करने लगी... लगभग डेढ़ दो घंटे के बाद वो आदमी बाहर निकला और ई-रिक्शा में बैठकर मेट्रो पार्किंग की ओर चला गया... उसके थोड़ी देर बाद ही एक औरत बुर्के में पूरा चेहरा ढंके हुये बाहर निकली जिसकी कद-काठी और चाल देखकर सुधा को विश्वास हो गया की ये ममता ही है...उसने भी एक ऑटोरिक्शा रुकवाया और उसमें बैठकर चल दी... सुधा ने भी अपनी मोपेड़ उस ऑटो के पीछे लगा दी।

ऑटो पहाडगंज से निकलकर करोल बाग में गुप्ता मार्केट पर जाकर रुका और उसमें से हाथ में हेंडबैग लिए ममता भाभी नीचे उतरीं... साधारण कपड़ों में साड़ी-ब्लाउज में... और पास खड़े रिक्शा वाले से फाटक के लिए बोलकर रिक्शा पर बैठने लगीं तो सुधा ने अपनी मोपेड़ उनके पास रोकी और हेलमेट का शीशा हटाकर पूंछा कि वो क्या घर जा रही हैं... तो उन्होने हा कहा और उसने उन्हें अपनी मोपेड़ पर बैठने को कहा

उनको साथ लेकर वो घर की ओर चल दी... रास्ते में सुधा ने पूंछा की वो कहाँ से आ रही हैं तो उन्होने बताया की वो कुछ सामान लेने करोल बाग मार्केट मे गईं थीं... सुधा ने मोपेड़ को किशनगंज मार्केट मे रोका और उनसे कहा की भाभी मुझे पता है की आप कहाँ से आ रही हैं...में पिछले 2 घंटे से आपके पीछे ही थी.... इतना सुनते ही भाभी का चेहरा एकदम सफ़ेद पड गया और उनकी आँखों में आँसू आ गए।

उनकी आँखों में आँसू देखते ही सुधा को बहुत गुस्सा आया और उसने कहा कि एक तो अप खुद ऐसा घिनौना काम कर रही हो और फिर रोकर भी दिखा रही हो... तो उन्होने कहा कि ये सबकुछ वो मजबूरी में कर रही हैं.... और वो इसका सबूत भी दिखा देंगी....उनकी बात सुनकर सुधा ने उन्हें गले से लगाया आँसू पोंछे और कहा कि ठीक है....... लेकिन कल तक मुझे उनकी मजबूरी का सबूत चाहिए... फिर चाहे जो करना पड़े में उनको इस दलदल से बाहर निकालने में पूरी मदद करूंगी... वरना परसों में इस बात को विमला आंटी, दीपक भैया और रागिनी को बताकर उन्हें घर से बाहर का रास्ता दिखा दूँगी

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सुधा की इतनी कहानी सुनकर अनुराधा ने पूंछा “सुधा बुआ तब में थी या नहीं...मतलब मेरा जन्म हो गया था या नहीं?”

“तुम्हारा जन्म तो दीपक भैया की शादी के एक साल के भीतर ही हो गया था 1997 में लेकिन तुम्हारे जन्म के बाद विमला आंटी और दीपक भैया ने जब बेटी होने की वजह से उनको ताने मारने शुरू किए तो तुम्हारे जन्म के तीसरे दिन से ही रागिनी ने तुम्हें अपने पास रख लिया.... सिर्फ दूध पिलाने के लिए ममता को देती थी.... क्योंकि उन लोगो ने काम-काज को लेकर भी ममता भाभी पर सख्ती करनी शुरू कर दी थी.....लेकिन लगभग एक-डेढ़ साल बाद पता नहीं क्या हुआ दीपक ने ऊपर दूसरी मंजिल बनवाई और ममता को लेकर वहीं रहने लगे... तुम्हें भी ले जाने लगे तो रागिनी ने साफ माना कर दिया कि अब वो तुम्हें किसी को भी नहीं देगी.... खुद पालेगी.... इस पर ममता ने कहा कि जब शादी होगी तब क्या करोगी... तो रागिनी ने कहा कि में उसी से शादी करूंगी जो अनुराधा को भी अपनाएगा.... मेरी बेटी के रूप में” सुधा ने बताया

सुनकर अनुराधा ने एक गहरी सांस ली और सुधा कि ओर देखने लगी तो रागिनी ने सुधा से आगे बताने को कहा

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RE: मोक्ष : तृष्णा से तुष्टि तक - by kamdev99008 - 17-02-2020, 09:11 PM



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