17-02-2020, 01:02 PM
अनुज रेनू
... रेनू ने उसके इयर लोब कस के काट लिए , ... और उसके कान में बोली , ... अगर निकालने की बात भी न की तो तेरी जान ले लूंगी , इसलिए तेरी पिटाई हो रही है बेवकूफ की रुक क्यों गए , और कस के रेनू ने उसे अपनी ओर खींचते हुए भींच लिया
फिर तो धक्के एक बार फिर से , लेकिन अबकी जैसे तूफ़ान के बाद हलकी सी हवा चलने लगे , मंद समीर ,... बस उसी तरह ,
और अब अनुज का सिर्फ लंड नहीं ,
उसकी पूरी देह , अंगुलियां , होंठ सब रेनू को तंग करने में लगे , और सबसे बढ़ कर उसकी आँखे रेनू को छेड़ रही थीं उकसा रहीं थी , ...
और कुछ देर में रेनू भी अनुज का साथ देने लगी ,...
सच्च में मेरी असली ननद थी
अनुज जब अपने हाथों से उसकी नयी नयी आयी चूँचियाँ दबाता रगड़ता मींजता मसलता तो वो भी अपने छोटे छोटे हाथों से अनुज के हाथों को और कस के दबा देती मानो कह रही हो ,
और कस के रगड़ो मसलो न , ...
जब अनुज झुक के उसके होंठों को चूमता तो वो भी अनुज के होंठों को चूम लेती , कभी अनुज के गालों को , ...
तब तक मेरा एक फोन आगया और मैं फोन पर बात करने में , ...
मेरी भौजी का था , ... और उनकी बातें तो , ... आठ दस मिनट बाद जब मैं लौटी तो
चुदाई एकदम धुंआधार चल रही थी ,
रेनू भी अपने छोटे छोटे चूतर उठा के साथ दे रही थी , ..
पर कुछ देर में रेनू की देह कांपने लगी ,
वो झड़ रही थी ,
पहली बार चुदवाती हुयी उसे झड़ने का मजा मिल रहा था ,
अनुज रुक गया , धक्के रुक गए , लेकिन उसका चूमना , जोबन को सहलाना , मीजना नहीं रुका , ...
और जब कुछ देर बाद रेनू की हालत कुछ नार्मल हुयी तो फिर से अनुज ने चूम चूम कर उसके निपल को रगड़ रगड़ कर पहले तो उसे एक बार फिर गरमाया और ,
धक्के फिर से चालू थे ,
और कुछ देर में फिर पूरी स्पीड से तूफ़ान मेल की तरह अनुज का लंड रेनू की चूत में बार बार आ जा रहा था , ...
और अबकी जब रेनू झड़ने लगी , तो साथ में अनुज भी ,
और उस समय अनुज का खूंटा पूरी तरह रेनू के अंदर समाया था ,
सारी की सारी मलाई रेनू की चूत के अंदर , ...
और उसके बाद आठ दस मिनट वो दो दोनों एक दूसरे से चिपटे , एक दूसरे के अंदर धंसे ऐसे ही पड़े ,
लेकिन जैसे ही अनुज रेनू से अलग हुआ , जैसे सबकी सब शरम लाज दूनी ताकत से रेनू के अंदर वापस आ गयी ,
अब तक नंगी वो अनुज से चिपकी पड़ी थी पर ,
उसकी नजर पलंग पर पड़ी पतली रजाई पर पड़ी , बस उसे खींच के उसने अपने चारो ओर लपेट लिया ,
अनुज ने लाख कोशिश की लेकिन वो खिलखिलाती रही और जोर से रजाई की पकडे रही , अंदर धंसी रही , ...
पर मेरा देवर भी न ,...
जब उसकी रजाई छीनने की सारी कोशिश फेल हो गयी , तो बस , वो भी रजाई के अंदर घुस गया और रेनू को अपनी बाँहों में भींच लिया
जवाब में रेनू ने कस के उसे दबा दिया , कुछ देर में ही फिर से चुम्मा चाटी , बात चालू हो गयी , ..
मेरी नजर घडी पर पड़ी , पौने दो के आसपास अनुज रेनू को ले कर कमरे में गया था तीन बज रहे थे , एक घंटे ,... आधे घंटे के करीब फोर प्ले चला होगा ,
करीब आधे घंटे तक चुदी मेरी ननद ,
और एक घंटे बाद दोनों फिर चालू थे , रजाई सरक कर फर्श पर , ...
अबकी पोज बदल कर , शुरू में तो अनुज उसके ऊपर ही चढ़ा था ,
लेकिन कुछ देर में अनुज की गोद में रेनू थी और खूंटा पूरा अंदर धंसा था ,
फिर साइड से , लेकिन असली तूफानी चुदाई में
उसने रेनू को दुहरा कर दिया और कस कस के ,
अबकी रेनू जल्द ही झड़ गयी , और अबकी उसके झड़ते हुए भी अनुज नहीं रुका ,
और जब दोनों झड़े तो एक बार फिर सारा खूंटा अंदर ,
सब मलाई पूरी की पूरी रेनू की बिल ने घोंटा , दोनों एक दूसरे से बड़ी देर तक चिपके रहे , फिर अनुज ने ही रेनू को सहारा देकर बिठाया , उसके कपडे फर्श पर से उठा के दिए , उसे पहनाया , ...
और खुद कपडे पहन के रेनू का हाथ पकड़ के खड़ा किया , पांच बज चूका था , दोनों कमरे से साथ साथ निकले ,
अनुज बाहर , अपने घर के लिए चल दिया , रेनू ने बाहर का दरवाजा बंद किया
लेकिन चलने के पहले खुद रेनू ने अनुज को पकड़ के कस के चूमा और उसकी ओर अपनी बड़ी बड़ी आँखों से देखा ,
मानों पूछ रही हो अगली बार कब , ...
जवाब में अनुज ने उन आँखों को चूम लिया मानो कह रहा हो , तुम जब कहो तब ,
और किसी तरह एक एक सीढ़ी चढ़ती ऊपर कमरे की ओर चल पड़ी , मुझसे मिलने और मैंने सी सी टीवी ,
अपने टीवी से डिस कनेक्ट कर दिया।
... रेनू ने उसके इयर लोब कस के काट लिए , ... और उसके कान में बोली , ... अगर निकालने की बात भी न की तो तेरी जान ले लूंगी , इसलिए तेरी पिटाई हो रही है बेवकूफ की रुक क्यों गए , और कस के रेनू ने उसे अपनी ओर खींचते हुए भींच लिया
फिर तो धक्के एक बार फिर से , लेकिन अबकी जैसे तूफ़ान के बाद हलकी सी हवा चलने लगे , मंद समीर ,... बस उसी तरह ,
और अब अनुज का सिर्फ लंड नहीं ,
उसकी पूरी देह , अंगुलियां , होंठ सब रेनू को तंग करने में लगे , और सबसे बढ़ कर उसकी आँखे रेनू को छेड़ रही थीं उकसा रहीं थी , ...
और कुछ देर में रेनू भी अनुज का साथ देने लगी ,...
सच्च में मेरी असली ननद थी
अनुज जब अपने हाथों से उसकी नयी नयी आयी चूँचियाँ दबाता रगड़ता मींजता मसलता तो वो भी अपने छोटे छोटे हाथों से अनुज के हाथों को और कस के दबा देती मानो कह रही हो ,
और कस के रगड़ो मसलो न , ...
जब अनुज झुक के उसके होंठों को चूमता तो वो भी अनुज के होंठों को चूम लेती , कभी अनुज के गालों को , ...
तब तक मेरा एक फोन आगया और मैं फोन पर बात करने में , ...
मेरी भौजी का था , ... और उनकी बातें तो , ... आठ दस मिनट बाद जब मैं लौटी तो
चुदाई एकदम धुंआधार चल रही थी ,
रेनू भी अपने छोटे छोटे चूतर उठा के साथ दे रही थी , ..
पर कुछ देर में रेनू की देह कांपने लगी ,
वो झड़ रही थी ,
पहली बार चुदवाती हुयी उसे झड़ने का मजा मिल रहा था ,
अनुज रुक गया , धक्के रुक गए , लेकिन उसका चूमना , जोबन को सहलाना , मीजना नहीं रुका , ...
और जब कुछ देर बाद रेनू की हालत कुछ नार्मल हुयी तो फिर से अनुज ने चूम चूम कर उसके निपल को रगड़ रगड़ कर पहले तो उसे एक बार फिर गरमाया और ,
धक्के फिर से चालू थे ,
और कुछ देर में फिर पूरी स्पीड से तूफ़ान मेल की तरह अनुज का लंड रेनू की चूत में बार बार आ जा रहा था , ...
और अबकी जब रेनू झड़ने लगी , तो साथ में अनुज भी ,
और उस समय अनुज का खूंटा पूरी तरह रेनू के अंदर समाया था ,
सारी की सारी मलाई रेनू की चूत के अंदर , ...
और उसके बाद आठ दस मिनट वो दो दोनों एक दूसरे से चिपटे , एक दूसरे के अंदर धंसे ऐसे ही पड़े ,
लेकिन जैसे ही अनुज रेनू से अलग हुआ , जैसे सबकी सब शरम लाज दूनी ताकत से रेनू के अंदर वापस आ गयी ,
अब तक नंगी वो अनुज से चिपकी पड़ी थी पर ,
उसकी नजर पलंग पर पड़ी पतली रजाई पर पड़ी , बस उसे खींच के उसने अपने चारो ओर लपेट लिया ,
अनुज ने लाख कोशिश की लेकिन वो खिलखिलाती रही और जोर से रजाई की पकडे रही , अंदर धंसी रही , ...
पर मेरा देवर भी न ,...
जब उसकी रजाई छीनने की सारी कोशिश फेल हो गयी , तो बस , वो भी रजाई के अंदर घुस गया और रेनू को अपनी बाँहों में भींच लिया
जवाब में रेनू ने कस के उसे दबा दिया , कुछ देर में ही फिर से चुम्मा चाटी , बात चालू हो गयी , ..
मेरी नजर घडी पर पड़ी , पौने दो के आसपास अनुज रेनू को ले कर कमरे में गया था तीन बज रहे थे , एक घंटे ,... आधे घंटे के करीब फोर प्ले चला होगा ,
करीब आधे घंटे तक चुदी मेरी ननद ,
और एक घंटे बाद दोनों फिर चालू थे , रजाई सरक कर फर्श पर , ...
अबकी पोज बदल कर , शुरू में तो अनुज उसके ऊपर ही चढ़ा था ,
लेकिन कुछ देर में अनुज की गोद में रेनू थी और खूंटा पूरा अंदर धंसा था ,
फिर साइड से , लेकिन असली तूफानी चुदाई में
उसने रेनू को दुहरा कर दिया और कस कस के ,
अबकी रेनू जल्द ही झड़ गयी , और अबकी उसके झड़ते हुए भी अनुज नहीं रुका ,
और जब दोनों झड़े तो एक बार फिर सारा खूंटा अंदर ,
सब मलाई पूरी की पूरी रेनू की बिल ने घोंटा , दोनों एक दूसरे से बड़ी देर तक चिपके रहे , फिर अनुज ने ही रेनू को सहारा देकर बिठाया , उसके कपडे फर्श पर से उठा के दिए , उसे पहनाया , ...
और खुद कपडे पहन के रेनू का हाथ पकड़ के खड़ा किया , पांच बज चूका था , दोनों कमरे से साथ साथ निकले ,
अनुज बाहर , अपने घर के लिए चल दिया , रेनू ने बाहर का दरवाजा बंद किया
लेकिन चलने के पहले खुद रेनू ने अनुज को पकड़ के कस के चूमा और उसकी ओर अपनी बड़ी बड़ी आँखों से देखा ,
मानों पूछ रही हो अगली बार कब , ...
जवाब में अनुज ने उन आँखों को चूम लिया मानो कह रहा हो , तुम जब कहो तब ,
और किसी तरह एक एक सीढ़ी चढ़ती ऊपर कमरे की ओर चल पड़ी , मुझसे मिलने और मैंने सी सी टीवी ,
अपने टीवी से डिस कनेक्ट कर दिया।