17-02-2020, 12:46 PM
रगड़ते , दरेरते , फाड़ते , छीलते,...
रेनू थोड़ी सी शर्मायी , झिझकी , लेकिन फिर वैसलीन अनुज के खुले सुपाडे पर , ... इससे अच्छा क्या तरीका हो सकता था उस दर्जा आठ वाली की शरम छुड़ाने का,
लेकिन वैसलीन के मामले में अनुज ने , एकदम बदमाश , ...
रेनू की गुलाबो के दोनों होंठों को फैला कर अंदर ,
लेकिन बस मुश्किल से एक पोर तक अंदर लगाया , जिससे सुपाड़ा बस फंस जाए , अंदर धस जाए ,
उसके बाद तो रगड़ते , दरेरते , फाड़ते , छीलते जाय ,
और फिर अपना सुपाड़ा रेनू के गुलाबी होंठों पर रगड़ने लगा ,
उह्ह्ह आह्हः नहीं , हाँ करो न ,
अब रेनू जोर से बोल रही थी सिसक रही थी , और अनुज ने वो काम कर दिया जो एकदम खेला खाया मर्द ही करता ,
अपनी तर्जनी उसने रेनू की क्लिट पर जम कर रगड़ दी ,
और रेनू के मुंह से वो निकल गया जो अनुज सुनना चाहता था ,
और उससे ज्यादा मैं सुनना चाहती थी ,
" चोदो न ,.. "
और मुस्करा कर बहुत प्यार से अनुज ने रेनू को चूम लिया और उसके कान में कुछ बोला ,
रेनू मुस्कराती रही शरमाती रही , ना ना में सर हिलाती रही ,
लेकिन उसकी क्लिट पर अनुज की ऊँगली आखिर में बोल गयी वो ,
चोद न भैया , ...
( आखिर में उसकी पक्की सहेली गुड्डी का सगा भाई था , और बचपन से वो उसे भैया ही तो कहती थी )
बस , ...
अनुज ने उसकी टाँगे फैलाकर उसके चूतड़ के नीचे एक मोटी सी तकिया लगाई ,
रेनू की दोनों टाँगे अपने कंधे पर खूब फैला कर रखीं और उसकी कच्ची कुँवारी कोरी चूत को ऊँगली से फैला कर ,
अपना मोटा सुपाड़ा सेट कर लिया
इनके ऐसा तो नहीं था , इनके ऐसा तो बालिश्त भर वाला , मेरी कलाई सा , बीयर कैन इतना मोटा
पर कम भी नहीं था , छह इंच से कम तो नहीं था , एवरेज से ज्यादा ही बड़ा मोटा , ...
पर मेरा असली निशाना तो अभी चुद रहे रेनू की सहेली गुड्डी थी ,
और उसकी भी ऐसी सटी सटी , कसी होगी , ... और उसमें वो बालिश्त भर का बीयर कैन की साइज वाला जाएगा ,
कितनी जोर से चिल्लायेगी मेरी छुटकी ननदिया सोच कर ही मेरी गीली हो गयी ,
रेनू भी खूब जोर से चिल्लाई ,
और मैंने अनुज को बार बार समझाया था रुकना मत न उसको चुप कराना ,
अनुज ने वही किया , एक धक्का और , फिर दुबारा ,
अब उसका मोटा सुपाड़ा रेनू की चूत में फंसा धंसा , वो लाख चूतड़ पटके कुछ नहीं होने वाला था
अनुज ने मुस्कराकर रेनू को देखा ,
वो कच्ची कली , किशोरी , कोरी दर्द में डूबी , भाले से बिंधी हिरणी की तरह कराह रही थी ,
पर अभी तो शुरुआत थी , सच में मुझे इतना अच्छा लग रहा था देखकर , ...
कच्ची कोरी ननद और और उसकी बिल को फाड़ता उसकी भाई का मोटा सुपाड़ा ( बहले ही उसका मुंहबोला भाई ही रहा हो ) ,
पर मेरी आँखों के सामने , रेनू की जगह गुड्डी की तस्वीर नाच जा रही थी , ...
अनुज भी न , ... अभी तक तो उसने सिर्फ बनारस की हाईकॉलेज वाली गुड्डो की फाड़ी थी , लेकिन एकदम एक्सपर्ट , ...
एक पल के लिए अनुज रुका , फिर कस के उसने रेनू की दोनों कलाइयों को अपने हाथ में मजबूती से जकड़ लिया , ,
अब वो छटपटा सकती थी , चीख सकती थी , लेकिन हिल नहीं सकती थी , सूत भर भी नहीं , ...
मैं इंतजार कर रही थी ,
रेनू बहुत जोर से चीखी , ...अगर सी सी टीवी नहीं भी होता तो उसकी चीख मुझे जरूर अपने कमरे में सुनाई देती , ...
उसकी बड़ी बड़ी कजरारी आँखों में आंसू तैर रहे थे , चेहरा दर्द में डूबा था , ... पर अनुज ने , एक बार फिर थोड़ा सा अपना हथियार पीछे खींचा
और पहले से भी जबरदस्त धक्का , ...
और रेनू की चीख पहले से भी तेज , उसने दर्द से चादर अपनी मुट्ठी से पकड़ ली थी ,
मैंने कैमरा थोड़ा ज़ूम किया , ...
खून की दो चार बूंदे , ...
उस दर्जा आठ वाली की चूत के बाहर छलछला आयी थीं , ...
लेकिन मान गयी मैं अपने देवर को , ... वो रुका नहीं , हर दूसरा धक्का पहले वाले से तेज , पूरी ताकत से ,
अब मारे दर्द के रेनू चीख भी नहीं पा रही थी , सिर्फ आँसू के कुछ कतरे उसके गोरे गाल पर उतर आये थे ,
वो पानी के बाहर पड़ी मछली की तरह तड़प रही थी , दर्द से चेहरा सफ़ेद हो गया था ,
लेकिन अनुज भी न , ...
उसपर इसका कुछ भी असर नहीं पड़ रहा था , आठ दस धक्के जोर से मारने के बाद , ...
जब आधे से ज्यादा उसका अंदर घुस गया था , उसने एक बार फिर से पूरे सुपाड़े तक बाहर निकाला , ...
और
और
और दोनों कलाई कस के दबोचे , भींचे , ... एक बहुत ही करारा धक्का ऐसा मारा की एक धक्के में ही तीन चौथाई लंड उस दर्जा आठ वाली की चूत में धंस गया था ,
मारे दर्द के रेनू की देह जैसे जोर से उछली फिर लस्त पस्त बिस्तर पर , ...
मैंने कैमरे को एक बार फिर ज़ूम किया , ... उस किशोरी की चूत खून में लथपथ , अनुज के लंड पर भी खून लगा था , ...
मान गयी मैं अपने देवर को , हचक के फाड़ी थी चूत उसने ,
एकदम बेरहमी से , ...
सच में अगर मरद रहम दिखाए न तो न किसी कुँवारी की चूत फटेगी , न किसी चिकने लौंडे की गाँड़ मारी जायेगी ,
दो तीन हलके हलके धक्के और अब जब आलमोस्ट पूरा लंड रेनू की कुँवारी चूत में घुस चुका था , अनुज रुका ,...
अपनी रुमाल उठा के उस खून को अच्छी तरह से साफ़ कर दिया , और उस के बाद
पहले तो झुक के उसने उस गोरी के गोरे गोरे गाल पर लगे आंसू को चाट लिया ,
फिर हलके से चूम चूम कर उसने रेनू की आँखों पर उसकी पलके खुलवायीं ,
अभी भी उन आँखों में दर्द भरा था ,
पांच सात मिनट तक बस उसे प्यार से सहलाता रहा , चूमता रहा , सिर्फ होंठों से , .. दोनों कलाइयां उसने छोड़ दी , ... और जब उसके होंठ झुककर रेनू के निप्स चूस रही थीं ,
तब रेनू मुस्करायी , बहुत हलके से , और जोर से उसके सीने पर मुक्का मारने लगी ,
अनुज ने झुक के कान में रेनू के कुछ कहा , और रेनू मुस्करायी और फिर और जोर से उसके सीने पर और तेजी से मुक्के से मारने लगी , ... फिर कस के उसने अनुज को अपनी बाँहों में भर लिया , और कान में कुछ कहा ,
( बाद में जब रेनू शाम को मेरे कमरे में आयी तो उसने बोला ,
अनुज एकदम घबड़ा कर उससे बोल रहा था , तुम्हे बहुत दर्द हुआ न , रेनू ने जवाब दिया , हाँ हुआ , जान निकल गयी ,
और अब पूछ रहे हो , ... और उसी के बाद रेनू ने कस के मुक्के मारने शुरू कर दिए ,
अनुज ने उसके कान में पूछा , अभी निकाल लूँ , तुझे बहुत दर्द हो रहा है न , ...
रेनू ने उसके इयर लोब कस के काट लिए , ... और उसके कान में बोली , ...
अगर निकालने की बात भी न की तो तेरी जान ले लूंगी , इसलिए तेरी पिटाई हो रही है बेवकूफ की रुक क्यों गए ,
और कस के रेनू ने उसे अपनी ओर खींचते हुए भींच लिया )
फिर तो धक्के एक बार फिर से , लेकिन अबकी जैसे तूफ़ान के बाद हलकी सी हवा चलने लगे ,
मंद समीर ,... बस उसी तरह ,
रेनू थोड़ी सी शर्मायी , झिझकी , लेकिन फिर वैसलीन अनुज के खुले सुपाडे पर , ... इससे अच्छा क्या तरीका हो सकता था उस दर्जा आठ वाली की शरम छुड़ाने का,
लेकिन वैसलीन के मामले में अनुज ने , एकदम बदमाश , ...
रेनू की गुलाबो के दोनों होंठों को फैला कर अंदर ,
लेकिन बस मुश्किल से एक पोर तक अंदर लगाया , जिससे सुपाड़ा बस फंस जाए , अंदर धस जाए ,
उसके बाद तो रगड़ते , दरेरते , फाड़ते , छीलते जाय ,
और फिर अपना सुपाड़ा रेनू के गुलाबी होंठों पर रगड़ने लगा ,
उह्ह्ह आह्हः नहीं , हाँ करो न ,
अब रेनू जोर से बोल रही थी सिसक रही थी , और अनुज ने वो काम कर दिया जो एकदम खेला खाया मर्द ही करता ,
अपनी तर्जनी उसने रेनू की क्लिट पर जम कर रगड़ दी ,
और रेनू के मुंह से वो निकल गया जो अनुज सुनना चाहता था ,
और उससे ज्यादा मैं सुनना चाहती थी ,
" चोदो न ,.. "
और मुस्करा कर बहुत प्यार से अनुज ने रेनू को चूम लिया और उसके कान में कुछ बोला ,
रेनू मुस्कराती रही शरमाती रही , ना ना में सर हिलाती रही ,
लेकिन उसकी क्लिट पर अनुज की ऊँगली आखिर में बोल गयी वो ,
चोद न भैया , ...
( आखिर में उसकी पक्की सहेली गुड्डी का सगा भाई था , और बचपन से वो उसे भैया ही तो कहती थी )
बस , ...
अनुज ने उसकी टाँगे फैलाकर उसके चूतड़ के नीचे एक मोटी सी तकिया लगाई ,
रेनू की दोनों टाँगे अपने कंधे पर खूब फैला कर रखीं और उसकी कच्ची कुँवारी कोरी चूत को ऊँगली से फैला कर ,
अपना मोटा सुपाड़ा सेट कर लिया
इनके ऐसा तो नहीं था , इनके ऐसा तो बालिश्त भर वाला , मेरी कलाई सा , बीयर कैन इतना मोटा
पर कम भी नहीं था , छह इंच से कम तो नहीं था , एवरेज से ज्यादा ही बड़ा मोटा , ...
पर मेरा असली निशाना तो अभी चुद रहे रेनू की सहेली गुड्डी थी ,
और उसकी भी ऐसी सटी सटी , कसी होगी , ... और उसमें वो बालिश्त भर का बीयर कैन की साइज वाला जाएगा ,
कितनी जोर से चिल्लायेगी मेरी छुटकी ननदिया सोच कर ही मेरी गीली हो गयी ,
रेनू भी खूब जोर से चिल्लाई ,
और मैंने अनुज को बार बार समझाया था रुकना मत न उसको चुप कराना ,
अनुज ने वही किया , एक धक्का और , फिर दुबारा ,
अब उसका मोटा सुपाड़ा रेनू की चूत में फंसा धंसा , वो लाख चूतड़ पटके कुछ नहीं होने वाला था
अनुज ने मुस्कराकर रेनू को देखा ,
वो कच्ची कली , किशोरी , कोरी दर्द में डूबी , भाले से बिंधी हिरणी की तरह कराह रही थी ,
पर अभी तो शुरुआत थी , सच में मुझे इतना अच्छा लग रहा था देखकर , ...
कच्ची कोरी ननद और और उसकी बिल को फाड़ता उसकी भाई का मोटा सुपाड़ा ( बहले ही उसका मुंहबोला भाई ही रहा हो ) ,
पर मेरी आँखों के सामने , रेनू की जगह गुड्डी की तस्वीर नाच जा रही थी , ...
अनुज भी न , ... अभी तक तो उसने सिर्फ बनारस की हाईकॉलेज वाली गुड्डो की फाड़ी थी , लेकिन एकदम एक्सपर्ट , ...
एक पल के लिए अनुज रुका , फिर कस के उसने रेनू की दोनों कलाइयों को अपने हाथ में मजबूती से जकड़ लिया , ,
अब वो छटपटा सकती थी , चीख सकती थी , लेकिन हिल नहीं सकती थी , सूत भर भी नहीं , ...
मैं इंतजार कर रही थी ,
रेनू बहुत जोर से चीखी , ...अगर सी सी टीवी नहीं भी होता तो उसकी चीख मुझे जरूर अपने कमरे में सुनाई देती , ...
उसकी बड़ी बड़ी कजरारी आँखों में आंसू तैर रहे थे , चेहरा दर्द में डूबा था , ... पर अनुज ने , एक बार फिर थोड़ा सा अपना हथियार पीछे खींचा
और पहले से भी जबरदस्त धक्का , ...
और रेनू की चीख पहले से भी तेज , उसने दर्द से चादर अपनी मुट्ठी से पकड़ ली थी ,
मैंने कैमरा थोड़ा ज़ूम किया , ...
खून की दो चार बूंदे , ...
उस दर्जा आठ वाली की चूत के बाहर छलछला आयी थीं , ...
लेकिन मान गयी मैं अपने देवर को , ... वो रुका नहीं , हर दूसरा धक्का पहले वाले से तेज , पूरी ताकत से ,
अब मारे दर्द के रेनू चीख भी नहीं पा रही थी , सिर्फ आँसू के कुछ कतरे उसके गोरे गाल पर उतर आये थे ,
वो पानी के बाहर पड़ी मछली की तरह तड़प रही थी , दर्द से चेहरा सफ़ेद हो गया था ,
लेकिन अनुज भी न , ...
उसपर इसका कुछ भी असर नहीं पड़ रहा था , आठ दस धक्के जोर से मारने के बाद , ...
जब आधे से ज्यादा उसका अंदर घुस गया था , उसने एक बार फिर से पूरे सुपाड़े तक बाहर निकाला , ...
और
और
और दोनों कलाई कस के दबोचे , भींचे , ... एक बहुत ही करारा धक्का ऐसा मारा की एक धक्के में ही तीन चौथाई लंड उस दर्जा आठ वाली की चूत में धंस गया था ,
मारे दर्द के रेनू की देह जैसे जोर से उछली फिर लस्त पस्त बिस्तर पर , ...
मैंने कैमरे को एक बार फिर ज़ूम किया , ... उस किशोरी की चूत खून में लथपथ , अनुज के लंड पर भी खून लगा था , ...
मान गयी मैं अपने देवर को , हचक के फाड़ी थी चूत उसने ,
एकदम बेरहमी से , ...
सच में अगर मरद रहम दिखाए न तो न किसी कुँवारी की चूत फटेगी , न किसी चिकने लौंडे की गाँड़ मारी जायेगी ,
दो तीन हलके हलके धक्के और अब जब आलमोस्ट पूरा लंड रेनू की कुँवारी चूत में घुस चुका था , अनुज रुका ,...
अपनी रुमाल उठा के उस खून को अच्छी तरह से साफ़ कर दिया , और उस के बाद
पहले तो झुक के उसने उस गोरी के गोरे गोरे गाल पर लगे आंसू को चाट लिया ,
फिर हलके से चूम चूम कर उसने रेनू की आँखों पर उसकी पलके खुलवायीं ,
अभी भी उन आँखों में दर्द भरा था ,
पांच सात मिनट तक बस उसे प्यार से सहलाता रहा , चूमता रहा , सिर्फ होंठों से , .. दोनों कलाइयां उसने छोड़ दी , ... और जब उसके होंठ झुककर रेनू के निप्स चूस रही थीं ,
तब रेनू मुस्करायी , बहुत हलके से , और जोर से उसके सीने पर मुक्का मारने लगी ,
अनुज ने झुक के कान में रेनू के कुछ कहा , और रेनू मुस्करायी और फिर और जोर से उसके सीने पर और तेजी से मुक्के से मारने लगी , ... फिर कस के उसने अनुज को अपनी बाँहों में भर लिया , और कान में कुछ कहा ,
( बाद में जब रेनू शाम को मेरे कमरे में आयी तो उसने बोला ,
अनुज एकदम घबड़ा कर उससे बोल रहा था , तुम्हे बहुत दर्द हुआ न , रेनू ने जवाब दिया , हाँ हुआ , जान निकल गयी ,
और अब पूछ रहे हो , ... और उसी के बाद रेनू ने कस के मुक्के मारने शुरू कर दिए ,
अनुज ने उसके कान में पूछा , अभी निकाल लूँ , तुझे बहुत दर्द हो रहा है न , ...
रेनू ने उसके इयर लोब कस के काट लिए , ... और उसके कान में बोली , ...
अगर निकालने की बात भी न की तो तेरी जान ले लूंगी , इसलिए तेरी पिटाई हो रही है बेवकूफ की रुक क्यों गए ,
और कस के रेनू ने उसे अपनी ओर खींचते हुए भींच लिया )
फिर तो धक्के एक बार फिर से , लेकिन अबकी जैसे तूफ़ान के बाद हलकी सी हवा चलने लगे ,
मंद समीर ,... बस उसी तरह ,