17-02-2020, 11:30 AM
रेनू की
रेनू ने जोर से सिसकी भरी , और मान गयी मैं अनुज को , जबरदस्त ताकत थी मेरे देवर में ,
उसे गोद में उठा के सीधे कमरे के अंदर , ...
बिस्तर पर ,
रेनू अनुज की गोद में थी और टेबल पर एक बाउल में गुलाब जामुन
एकदम सही समझा आपने डबल भांग वाली गोलियों वाले ,.... ये मेरी सोच थी ,...
थोड़ी बहुत हिचक जो होगी वो भी ख़तम हो जायेगी।
मैं सोच रही थी की अनुज रेनू को खिलायेगा , उसने कोशिश भी की ,... पर मैंने अपनी ननद को कम कर के आँका था , ...
वो ठसके से अनुज की गोद में बैठी थी ,
उसने अनुज को मना किया , खुद एक गुलाब जामुन लेके अपने होंठों के बीच रख कर अनुज की ओर बढ़ाया और खुद अनुज के सर को कस के अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया ,
अनुज ने बड़ा सा मुंह खोल दिया , ...
दोनों के होंठ चिपक गए पर बदमाश रेनू , गुलाब जामुन , अनुज को चिढ़ाते हुए अपने मुंह में गपक , ...
ये चैलेन्ज था अनुज के लिए , और अनुज की जीभ सीधे रेनू के मुंह में , ... यही तो मैं चाहती थी , ...
डीप फ्रेंच किस , दोनों के होंठ चिपके , अनुज की जीभ रेनू के मुंह में ,
और रेनू के मुंह में घुलता डबल भांग की डोज वाला गुलाब जामुन का रस , ... कुछ गुलाब जामुन , रेनू के मुंह से अनुज के मुंह में भी
और ठुड्डी पर गिरा शीरा अनुज ने चाट लिया
रेनू ने अपने दोनों हाथों से कस के अनुज के सर को पकड़ रखा था ,
तो अनुज का एक हाथ रेनू के पीठ पर सहला रहा था पर दूसरा ,...
और कहाँ सीधे उसके कॉलेज टॉप के ऊपर से कच्ची अमिया को सहला रहा था , दुलरा रहा था , ...
कुछ देर में टॉप की बटन भी खुलने लगी ,
रेनू ने ना नुकुर की ,
एक हाथ से अनुज का हाथ भी पकड़ने की कोशिश की पर दोनों जानते थे की रेनू की ये कोशिश कितनी 'असली ' थी
सच में मान गयी मैं अपने देवर को ,
अनुज की उँगलियाँ , ... रेनू की हालत उसने खराब कर दी थी , रेनू की छोटी छोटी चूँचियाँ , एकदम बस अभी उठ रही थीं ,
एकदम गुड्डी , मेरी ननद की तरह की , ...
अनुज बजाय दबाने रगड़ने मसलने के , बस अपनी उँगलियों उठती छातियों को हलके हलके सहला रहा था ,
और वो भी बेस पर , जब तक अनुज की उँगलियाँ , निप्स तक पहुंची , ...
आलरेडी रेनू सिसक रही थी , चूतड़ पटक रही थी , एकदम गरम हो गयी थी ,
अनुज को ज़रा भी जल्दी नहीं थी , और अब उसने पूरी हथेली से नयी नयी आती छोटी उस दर्जा आठ वाली की चूँचियों को हलके हलके दबाना शुरू कर दिया , दूसरे निप पर अनुज के होंठ , ...
लेकिन होंठ अभी भी दूर थे , वो सिर्फ जीभ से फ्लिक कर रहे और छोटे छोटे निप्स के सर खड़े हो रहे थे , ...
रेनू की मस्ती से आँखे बंद हो रही थीं ,
बस अनुज ने मौके का फायदा उठाया और रेनू की स्कर्ट अब सरक कर नीचे फर्श पर चली गयी , वो सिर्फ एक छोटी सी पैंटी में , ...
मेरे देवर का हाथ , उसने पैंटी हटाने की कोई कोशिश नहीं की ,
बल्कि सिर्फ एक हाथ से जाँघों के ऊपरी हिस्से को सहलाना शुरू कर दिया , ... अपने आप रेनू की जाँघे फैलने लगीं , ... और उनके बीच अनुज का हाथ , ...
उधर छोटे छोटे चुम्मे अनुज के एक बार फिर से रेनू के होंठों पर , ...
और अब रेनू भी कस कस के उसके चुम्मो का जवाब दे रही थी , होंठ कुछ देर में सरक कर उभरते किशोर उभारों पर ,
अनुज ने गियर चेंज कर दिया ,
अब सीधे एक हाथ पैंटी के ऊपर से अपनी हथेली से हलके हलके रगड़ना शुरू किया ,
बस चूँची की चुसाई
और चूत की पैंटी के ऊपर से रगड़ाई
रेनू की हालत खराब हो रही थी
और तब तक अनुज का औजार बाहर हो गया था ,
रेनू की आँखे बंद थी लेकिन अनुज ने उसके हाथ में अपना पकड़ा दिया ,
मुझे लगा शायद रेनू छोड़ देगी ,
लेकिन अनुज ने उसे इतना गरम कर दिया था की रेनू ने कस के ,...
और साथ ही अब अनुज ने जैसे ही रेनू की पैंटी सरकाने की कोशिश की ,
रेनू ने खुद अपने छोटे छोटे चूतड़ उठा दिए , और पैंटी भी फर्श पर
मान गयी मैं अपने देवर को , जबरदस्त फोरप्ले , पन्दरह बीस मिनट तक और झंडा उसका खड़ा ,
रेनू तो कच्ची कली थी , एकदम पिघल रही थी , बुदबुदा रही थी ,
अंत में थोड़ा जोर से बोली , करो न ,
मैंने वैसलीन की एक बड़ी शीशी तकिये के नीचे पहले से रखी थी , बस अनुज ने अपनी दो ऊँगली में ढेर सारा चुपड़ कर , वैसलीन की शीशी रेनू को पास कर दी , ...
रेनू थोड़ी सी शर्मायी , झिझकी , लेकिन फिर वैसलीन अनुज के खुले सुपाडे पर , ... इससे अच्छा क्या तरीका हो सकता था उस दर्जा आठ वाली की शरम छुड़ाने का,
लेकिन वैसलीन के मामले में अनुज ने , एकदम बदमाश , ...
रेनू की गुलाबो के दोनों होंठों को फैला कर अंदर ,
लेकिन बस मुश्किल से एक पोर तक अंदर लगाया , जिससे सुपाड़ा बस फंस जाए , अंदर धस जाए ,
उसके बाद तो रगड़ते , दरेरते , फाड़ते , छीलते जाय ,
रेनू ने जोर से सिसकी भरी , और मान गयी मैं अनुज को , जबरदस्त ताकत थी मेरे देवर में ,
उसे गोद में उठा के सीधे कमरे के अंदर , ...
बिस्तर पर ,
रेनू अनुज की गोद में थी और टेबल पर एक बाउल में गुलाब जामुन
एकदम सही समझा आपने डबल भांग वाली गोलियों वाले ,.... ये मेरी सोच थी ,...
थोड़ी बहुत हिचक जो होगी वो भी ख़तम हो जायेगी।
मैं सोच रही थी की अनुज रेनू को खिलायेगा , उसने कोशिश भी की ,... पर मैंने अपनी ननद को कम कर के आँका था , ...
वो ठसके से अनुज की गोद में बैठी थी ,
उसने अनुज को मना किया , खुद एक गुलाब जामुन लेके अपने होंठों के बीच रख कर अनुज की ओर बढ़ाया और खुद अनुज के सर को कस के अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया ,
अनुज ने बड़ा सा मुंह खोल दिया , ...
दोनों के होंठ चिपक गए पर बदमाश रेनू , गुलाब जामुन , अनुज को चिढ़ाते हुए अपने मुंह में गपक , ...
ये चैलेन्ज था अनुज के लिए , और अनुज की जीभ सीधे रेनू के मुंह में , ... यही तो मैं चाहती थी , ...
डीप फ्रेंच किस , दोनों के होंठ चिपके , अनुज की जीभ रेनू के मुंह में ,
और रेनू के मुंह में घुलता डबल भांग की डोज वाला गुलाब जामुन का रस , ... कुछ गुलाब जामुन , रेनू के मुंह से अनुज के मुंह में भी
और ठुड्डी पर गिरा शीरा अनुज ने चाट लिया
रेनू ने अपने दोनों हाथों से कस के अनुज के सर को पकड़ रखा था ,
तो अनुज का एक हाथ रेनू के पीठ पर सहला रहा था पर दूसरा ,...
और कहाँ सीधे उसके कॉलेज टॉप के ऊपर से कच्ची अमिया को सहला रहा था , दुलरा रहा था , ...
कुछ देर में टॉप की बटन भी खुलने लगी ,
रेनू ने ना नुकुर की ,
एक हाथ से अनुज का हाथ भी पकड़ने की कोशिश की पर दोनों जानते थे की रेनू की ये कोशिश कितनी 'असली ' थी
सच में मान गयी मैं अपने देवर को ,
अनुज की उँगलियाँ , ... रेनू की हालत उसने खराब कर दी थी , रेनू की छोटी छोटी चूँचियाँ , एकदम बस अभी उठ रही थीं ,
एकदम गुड्डी , मेरी ननद की तरह की , ...
अनुज बजाय दबाने रगड़ने मसलने के , बस अपनी उँगलियों उठती छातियों को हलके हलके सहला रहा था ,
और वो भी बेस पर , जब तक अनुज की उँगलियाँ , निप्स तक पहुंची , ...
आलरेडी रेनू सिसक रही थी , चूतड़ पटक रही थी , एकदम गरम हो गयी थी ,
अनुज को ज़रा भी जल्दी नहीं थी , और अब उसने पूरी हथेली से नयी नयी आती छोटी उस दर्जा आठ वाली की चूँचियों को हलके हलके दबाना शुरू कर दिया , दूसरे निप पर अनुज के होंठ , ...
लेकिन होंठ अभी भी दूर थे , वो सिर्फ जीभ से फ्लिक कर रहे और छोटे छोटे निप्स के सर खड़े हो रहे थे , ...
रेनू की मस्ती से आँखे बंद हो रही थीं ,
बस अनुज ने मौके का फायदा उठाया और रेनू की स्कर्ट अब सरक कर नीचे फर्श पर चली गयी , वो सिर्फ एक छोटी सी पैंटी में , ...
मेरे देवर का हाथ , उसने पैंटी हटाने की कोई कोशिश नहीं की ,
बल्कि सिर्फ एक हाथ से जाँघों के ऊपरी हिस्से को सहलाना शुरू कर दिया , ... अपने आप रेनू की जाँघे फैलने लगीं , ... और उनके बीच अनुज का हाथ , ...
उधर छोटे छोटे चुम्मे अनुज के एक बार फिर से रेनू के होंठों पर , ...
और अब रेनू भी कस कस के उसके चुम्मो का जवाब दे रही थी , होंठ कुछ देर में सरक कर उभरते किशोर उभारों पर ,
अनुज ने गियर चेंज कर दिया ,
अब सीधे एक हाथ पैंटी के ऊपर से अपनी हथेली से हलके हलके रगड़ना शुरू किया ,
बस चूँची की चुसाई
और चूत की पैंटी के ऊपर से रगड़ाई
रेनू की हालत खराब हो रही थी
और तब तक अनुज का औजार बाहर हो गया था ,
रेनू की आँखे बंद थी लेकिन अनुज ने उसके हाथ में अपना पकड़ा दिया ,
मुझे लगा शायद रेनू छोड़ देगी ,
लेकिन अनुज ने उसे इतना गरम कर दिया था की रेनू ने कस के ,...
और साथ ही अब अनुज ने जैसे ही रेनू की पैंटी सरकाने की कोशिश की ,
रेनू ने खुद अपने छोटे छोटे चूतड़ उठा दिए , और पैंटी भी फर्श पर
मान गयी मैं अपने देवर को , जबरदस्त फोरप्ले , पन्दरह बीस मिनट तक और झंडा उसका खड़ा ,
रेनू तो कच्ची कली थी , एकदम पिघल रही थी , बुदबुदा रही थी ,
अंत में थोड़ा जोर से बोली , करो न ,
मैंने वैसलीन की एक बड़ी शीशी तकिये के नीचे पहले से रखी थी , बस अनुज ने अपनी दो ऊँगली में ढेर सारा चुपड़ कर , वैसलीन की शीशी रेनू को पास कर दी , ...
रेनू थोड़ी सी शर्मायी , झिझकी , लेकिन फिर वैसलीन अनुज के खुले सुपाडे पर , ... इससे अच्छा क्या तरीका हो सकता था उस दर्जा आठ वाली की शरम छुड़ाने का,
लेकिन वैसलीन के मामले में अनुज ने , एकदम बदमाश , ...
रेनू की गुलाबो के दोनों होंठों को फैला कर अंदर ,
लेकिन बस मुश्किल से एक पोर तक अंदर लगाया , जिससे सुपाड़ा बस फंस जाए , अंदर धस जाए ,
उसके बाद तो रगड़ते , दरेरते , फाड़ते , छीलते जाय ,