14-02-2020, 03:54 PM
मुझे लगा या तो भैया चंपा पर अपना गुस्सा निकल रहे थे , या फिर उनको मुझे चोदने का ख्याल आ रहा था और वो मेरे साथ की अधूरी चुदाई को पूरा कर रहे थे ! मुझे तो भैया ने अपना ये रूप दिखाकर पागल कर दिया था , ये भी तो हो सकता है कि उनको ये लग रहा हो कि मैं कहीं न कहीं से ये देख रही हूँ ,इससे उनका जोश और बढ़ गया हो ! सच पूछो तो मुझे अपनी चुदाई से ज्यादा मज़ा भैया और चंपा की चुदाई देख कर आया था ! अब भैया पसीने से लथपथ थे , चंपा ने भी शायद पहले कभी भैया को नहीं झेला था , उसके चेहरे पर घबराहट थी ! भैया ने पूरे जोर से चंपा को चोदना शुरू किया , चंपा छटपटा रही थी , आगोश से निकलना चाहती थी ,पर भैया की स्पीड बढ़ती ही जा रही थी ! फच्चाक फच्चाक की आवाज़ जोर से आ रही थी , हर धक्के पर चंपा की चीख बाहर आ जाती थी ! फिर एकाएक दोनों में गुथमगुथि होने लगी ! भैया झड़ रहे थे, झड़ते हुए पूरा लण्ड चूत में ठांस देते ,और चंपा का मुंह खुल जाता ! पूरा झड़ कर दोनों एक मिनट तक ऐसे ही लेटे रहे , फिर भैया ने करवट लेते हुए लण्ड चंपा की चूत से खींच लिया !फौलादी लण्ड अभी भी झुका नहीं था , थोड़ा छोटा जरूर हो गया था और सिकुड़ भी गया था लेकिन चूत के पानी और वीर्य से लथपथ रौशनी में गज़ब का चमक रहा था !मेरे चूत से पानी छूटने ही वाला था कि चंपा उठ के खड़ी हो गई, अपने पेटीकोट से चूत को पोछा ,और जल्दी से साडी लुंगी की तरह बांध ली ! उसने पेटीकोट से भैया का लण्ड पोछना चाहा पर भैया ने उसे जल्दी जाने को बोला , और जाते जाते नीचे वाले गेट को ठीक से खींच के बंद कर देने को बोला , क्योंकि गेट अपने आप लॉक हो जाता था ! चंपा ने जल्दी से ब्लाउज डाला , शॉल ओढ़ी और उसके अंदर ब्लाउज का हुक लगते हुए चली गई ! मैंने भाग के खिड़की से नीचे झाँका, दरवाज़ा बंद होने की आवाज़ आई और चंपा हाथ में पेटीकोट और मोबाइल उठाये नीचे दिखी ! बेचारा कमल वहीँ उसका इंतज़ार कर रहा था ! मैं अब भैया के रूम में आ गई , नंगी तो मैं पहले से ही थी , लाइट बंद कर भैया के साथ लेट गई ! भैया बुरी तरह थक गए थे , तभी नीचे तक भी नहीं गए ! मैंने करवट लेकर एक पैर भैया के पेट पर रख दिया , भैया ने मुझे अपने ऊपर खींच लिया ! अब मैं भैया के ऊपर लेटी थी, भैया को चूमते हुए मैंने "गुड नाईट" बोला ! भैया ने भी मुझे बोला और फिर बोले 'सॉरी सोनू' ! मैंने कहा भैया मैंने सब देखा , अच्छा लगा , मुझे बिलकुल भी बुरा नहीं लगा ! मेरी तीन दिन में ऐसी हालत है की आपके बगैर ये एक घंटा मैंने बहुत मुश्किल में काटा, वो तो आप को ही देख रही थी , इसलिए ज्यादा बुरा नहीं लगा ! भैया आपसे रिक्वेस्ट है की आप इस दुखियारी की इच्छा समय समय पर पूरी करते रहें , मुझे बहुत अच्छा लगेगा और ये कमल को भी इज़्ज़त देगी, उसका परिवार भी खुश रहेगा ! भैया भावुक हो गए थे , बोले अब तो तुम मेरी भी बीवी हो , जो भी आज्ञा दोगी , मैं वही करूँगा ! चूमते चूमते मेरी चूत से लगा की पानी छूटने वाला है , तभी भैया ने अपना सुस्त हो रहे लण्ड को मेरी चूत के दरवाज़े पर रखकर धक्का दे दिया ! इतनी देर तक चुदाई के बाद भी झड़े हुए लण्ड ने मेरी चीख निकल दी ! भैया हल्का हल्का धक्का देकर अंदर करते रहे , लण्ड चंपा की चुदाई के रस से सराबोर था इस लिए फिसल कर अंदर जा रहा था ! अचानक मेरी चूत ने पानी छोड़ा और गीलेपन की वज़ह से लण्ड पूरा ही अंदर घुस गया ! इस बार मुझे ज्यादा दर्द नहीं हुआ , मीठा सा दर्द और गुदगुदी से चूत मस्त हो गयी थी ! मैं बिलकुल फंस कर भैया के ऊपर टेंट की तरह फिक्स हो गई थी ! कब नींद आ गई पता ही नहीं चला ! सुबह पूरा उजाला होने का एहसास हुआ , तो उठने की कोशिश की , पर अभी भी भैया का लण्ड पूरी तरह से मेरी चूत में भरा था ! मैंने धीरे धीरे निकलने की कोशिश की , भैया सोते हुए बहुत अच्छे लग रहे थे !हलके हलके आगे पीछे करते करते मैंने लगभग चुदाई का ही मज़ा ले लिया , जोश इतना आ गया की चूत ने पानी छोड दिया , फिसलन में लण्ड बाहर ! मैं फटाफट भैया पर चादर डालकर बाथरूम का रुख किया, काम बहुत बाकी था , रात को हमारी दिल्ली की ट्रैन थी भैया के साथ, सोच कर ही रोमांच से भर गयी
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
