14-02-2020, 03:51 PM
(07-02-2020, 01:31 AM)bhavna Wrote: अतिसुन्दर!
ab aage...............................
अब भैया ने धीरे धीरे लण्ड निकालना शुरू किया ! अंदर इतनी फिसलन और वीर्य भरा हुआ था मेरी चूत में कि , कोई भी झड़ा लण्ड पुच से बाहर आ जाता , पर झड़ने का बाद भी फौलाद कि तरह टाइट था मेरे चूत में , तभी तो चंपा इसको लेने के लिए पागल हो जाती थी ! मैं भी उसकी जगह होती तो दो साल कि चुदाई के बाद कभी हाथ से जाने ना देती ! भैया लण्ड को थोड़ा हिला डुला कर धीरे धीरे ऊपर खींचने कि कोशिश कर रहे थे ! जैसे ही लण्ड थोड़ा भी ऊपर आता , मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरी बच्चेदानी भी साथ साथ खींची आ रही है ! भैया ने थोड़ा आगे पीछे किया तो मैं चिल्ला पड़ी , लगा कि वो फिर से चोदने लगे है ! आखिरकार फच्च कि जोरदार आवाज़ के साथ के साथ लण्ड बाहर निकला ! भैया तजुर्बे वाले थे , शायद इसी लिए , मेरी पेटीकोट नहीं उतारी थी, मेरे चूतड़ के नीचे पेटीकोट पहले ही फैला दिया था , अब ऊपर का हिस्सा लेकर , मेरे पेट और चूत के ऊपर के हिस्से को पोछने लगे ! मैंने थोड़ा सर उठाया तो देखा कि भैया के लण्ड का जो हिस्सा मेरी चूत के अंदर था , वीर्य रसगुल्ले के रस कि तरह टपक रहा था ! मैंने सामने पड़े ब्रा और पैंटी से उसे पोछना शुरू कर दिया ! भैया के लण्ड को मेरा पहला स्पर्श था , भैया का लण्ड सर उठाने लगा ! भैया ने कहा , तुम छोड़ दो अभी , नहीं तो तुम्हे परेशानी होगी ! अब मैंने अपने चूत को पोछने के लिए उठ कर धीरे से बैठी ! चूत से लगा जैसे अंदर किसी ने एक छोटा गिलास वीर्य उलट दिया हो , धार सी बह निकली ! मैंने जल्दी से अपनी साड़ी से पोछना शुरू किया ! भैया ने रोकना चाहा , बोले साड़ी ख़राब हो जाएगी , मैं गन्दा कपडा लाता हूँ ! मैंने कहा , ये मेरे ज़िन्दगी का पहला गिफ्ट है मेरे जेठ पति का , मैं एक एक बून्द समेटना चाहती हूँ ! मेरी ब्रा ,पैंटी , पेटीकोट और साड़ी , भैया के वीर्य से लथपथ थे , कहीं कहीं खून के क़तरे मेरी सील टूटने कि गारंटी दे रहे थे !मेरी चूत का मुंह खुल गया था , लग रहा था कि मेरा पूरा हाथ अंदर आराम से चला जायेगा ! पेटीकोट भी मैंने खोल दी और सबकी एक गठरी बना दी ! भैया टॉवल ले आये थे , मैं उठने ही वाली थी कि मोबाइल कि लाइट फिर जल उठी ! देखा , फिर से 'चंपा' का फ़ोन था !भैंया ने इशारा किया कि जाने दे , पर मैं बोली वो कुछ भी कर सकती है , एक औरत होने के नाते मैं समझ सकती हूँ ! भैया को पलंग पर बिठाया , खुद उनके गोद में बैठ गयी, और भैया को इशारा किया कि बातें करो ! मोबाइल मेरे हाथ में थी , और स्पीकर ऑन कर दिया ! चंपा बोली " सो गए राजा " !
भैया : हाँ थक गया था , नींद में था , मोबाइल कि आवाज़ कम कर रखी थी !
चंपा : वह मेरे राजा , मेरी नींद उड़ाकर खुद मज़े कि नींद ले रहे हो !
भैया : मैंने क्या किया, मैंने तो देखा भी नहीं तुम्हें !
चंपा : इसी बात का तो दुःख है , आज दो घंटे लगाकर तैयार होकर मैं गयी थी, कि तुम्हारी तपस्या भंग करुँगी , पर तुम दिखे ही नहीं ! मेरा शृंगार अधूरा रह गया !
भैया :देखो चंपा , भाई कि तबियत ठीक नहीं थी , उसी के साथ था !
चंपा : अब मेरी तबियत ठीक नहीं है , मेरे साथ आओ ! मेरा शृंगार अधूरा रह गया , उसे पूरा करो !
भैया : आज नहीं हो सकता , कल देखेंगे !
चंपा : मुझे उल्लू मत बनाओ ! कल तुम दिल्ली जा रहे हो अपनी छम्मकछलो के साथ !
भैया : जबान संभलकर चंपा ! वो बहु है मेरी !
चंपा : तो मैं क्या हूँ तुम्हारी , बहु नहीं हूँ क्या ? अगर मुझे नंगा कर सकते हो , तो उसके साथ कितना टाइम लगाओगे ,सब समझती हूँ मैं ! दीपक क्यों नहीं आया ? तुम और तुम्हारे छोटे भाई कि बीवी १० दिन तक अकेले होगे दिल्ली में ,एक साथ ! जिसका पति सेक्स नहीं कर पाता है , उसको नंगा होने में ज्यादा टाइम नहीं लगता ! तुम नंगे नहीं होगे तो वो हो जाएगी ! सुबह ही मैं तुम्हारी करतूत तुम्हारी माँ और रखैल दोनों को बताऊंगा !
(भैया गुस्से में आ गए थे , पर मैंने आराम से बात करने को कहा , और हाँ करने को कहा )
भैया : देखो चंपा , जो भी मैंने किया , तुम्हारे बच्चे के लिए किया , लेकिन मेरा मन नहीं मानता तुम्हारे साथ अब ये सब करने को !
चंपा : राजा मैं नहीं रह सकती तुम्हारे बिना ! मैं रोज़ तड़पती हूँ , सेक्स के लिए ! तुम्ही बताओ , इस नामर्दों के गावं में किसके पास जाऊँ ! अब मैं एक महीने एक एक मिनट मरती हूँ तुम्हारे लिए , क्या तुम महीने में एक बार भी मेरी प्यास नहीं बुझा सकते !
(कमल ने चंपा से फ़ोन ले लिया था , बोला , भैया ये रो रही है , प्लीज भैया , ये मेरा जीना हराम कर देगी , आप आ जाओ या बोलो तो मैं इसको छोड़ आता हूँ आपके पास ! )
मैंने भैया को उसको बुलाने के लिए रिक्वेस्ट किया , बड़ी मुस्किल से तैयार हुए !मैंने इशारे से कह दिया कि मैं दूसरे कमरे में छुप जाउंगी , आप यहीं कर लेना !
भैया ने बोल दिया कि ठीक है आधे घंटे बाद पिछले दरवाज़े पर आ जाना ,उसको लेकर ! मैं फर्स्ट फ्लोर पर भाई के साथ अकेला हूँ ! कमल खुश हो गया ! कितना मजबूर पति था वो, जिगरी दोस्त के बड़े भाई से अपनी बीवी चुदवाने के लिए मिन्नतें कर रहा था ! भैया के लिए मेरा प्यार और आदर दुगना हो गया था ! जल्दी जल्दी मैंने बिस्तर के चादर वगैरह बदले , थोड़ा रूम स्प्रे कर दिया , भैया के वीर्य कि खुसबू अभी भी आ रही थी ! नहाने का टाइम नहीं रह गया था ,जल्दी से एक साड़ी लपेट ली ! भैया ने वही कुरता पजामा पहन लिया ! भैया कि मोबाइल में कॉल आने लगी , यानि चंपा कमल के साथ नीचे आ चुकी थी !भैया एक नज़र, कमरे पर मार कर , मुझे दूसरे कमरे में जाने को बोलकर , दरवाज़ा खोलने नीचे चले गए
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.


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