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Adultery रीमा की दबी वासना
रोहित तो रोहित था, अपने घर में बिस्तर पर नीद कहाँ, बस रीमा के बारे में ही सोच रहा था, जैसे नया दूल्हा नहीं कमसिन कुंवारी लड़की को पहली बार चोदने के बाद उसी के खयालो में खोया रहता है वैसे ही रोहित का दिमाग बस रीमा के गुलाबी जिस्म को घूरे जा रहा था | उसके दिमाग में कुछ और आ ही नहीं पा रहा था, रीमा का दमकता गुलाबी जिस्म, रस टपकाते रसीले गुलाबो ओंठ, केले के तने की तरह चिकनी गोरी गोरी जांघे........उफ्फ्फफ्फ्फ़ जितना भी वो सोचता उतना ही उसके दिमाग पर रीमा हावी होती चली जा रही थी | 
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कुछ ही घंटे में तीन बार झड़ने के बावजूद भी शायद उसकी ठरक कम नहीं हुई थी | वो करे तो क्या करे, और कुछ दिमाग में आ ही नहीं रहा था | वो चुदाई के चुसाई के जादुई पल, रीमा का नंगा खूबसूरत गुलाबी गोरा बदन | रोहित करवटे बदलता रहा, पता नहीं कब उसकी आंख लग गयी | रोहित सोते ही अजीब सा सपना देखने लगा | रोहित बादलों के बीच में तैर रहा है, उसके जिस्म पर एक भी कपड़ा नहीं है, तभी उसे बादलों की ओट से रीमा खिलखिलाती हुई दिखाई पड़ती | वो उसके पीछे भगाने लगता है, उसके भागने से उसका लंड उसकी जांघो में लड़ने लगता है | रीमा ने बिलकुल पारदर्शी सफ़ेद रंग का झीना कपड़ा अपने गोर दमकते जिस्म पर डाल रखा है, जिसमे से उसकी जिस्म की खूबसूरत बनावट आराम से नजर आ रही है | 
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उसके उछलते सुडौल पुष्ट गोरे नरम स्तन, हिलते मटकते चूतड़, हवा में लहराते उसके रेशमी बाल, और किसी भी मर्द के होश उड़ा देने वाली जादुई खिलखिलाहट | रीमा के दैवीय हुस्न में बंधा रोहित सपने में भी रीमा के पीछे पीछे बादलो के बीच में भाग रहा है और रीमा उसके आगे आगे भागती हुई आचनक बादलों के बीच में गायब हो जाती है, कभी अचानक से फिर दिखने लगती | रोहित बस उसी के पीछे पीछे भागा जा रहा था | भागते भागते उसकी सांसे तेज होती जा रही थी वो बुरी तरह हांफने लगा था, उसका लंड तनकर पूरी तरह अकड़ चूका था | कभी वो बादलो की ओट में ओझल हो जाती रीमा को ढूढ़ने लगता, कभी वो अपने तनकर खड़े हो चुके लंड को देखने लगता |

 तभी उसके कानो में कोई जोर से घंटी बजने की आवाज पड़ने लगी | रीमा उससे दूर जा रही थी और वो चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहा था और कानो में घंटी की आवाज और तेज होती जा रही थी | आखिर उसका सपना टूट गया, सुबह के पांच बज चुके थे और उसके उठने का अलार्म बज रह था | रोहित की आंखे नीद के बोझ से दबी थी, कच्ची नीद से खुली आँखों की माल्टा हुआ रोहित घडी की तरफ देखने लगा | उठकर बेड पर बैठ गया और सपने के बारे में सोचने लगा, अपना एक हाथ नीचे जांघो की तरफ ले गया, तो वहां उसका लंड बुरी तरह से अकड़कर तन गया था, उसने खून के दौरान से तने गरम लंड को अपने हथेली में थामा और सोचने लगा | तीन बार झाड़ने के बाद भी अगर ये इस तरह से तना हुआ है, इसका मतलब, और वो क्या था बादलों के बीच में | उसने अपना सर पीट लिया | वो समझ गया था वो रीम के जिस्म के हुस्न जाल में बुरी तरह फंस चूका है | अब उसे रीमा को भोगने के ठरक लग गयी है और ये औरत के जिस्म की ठरक है इतनी आसानी से नहीं छुटेगी | नीद तो उसे बस पल भर के लिए आई | सुबह के 5 बज गए, उसके शरीर में हल्की थकान थी | अपने बिस्तर से उठा, और फ्रेश होने चला गया | बाथरूम से निकलते ही डेली रूटीन में बिजी हो गया, और 7 बजे तक प्रियम को तैयार कर कॉलेज को रवाना कर दिया | उसके जाते ही, उसने आज की छुट्टी मारने की सोची और आकर बेड पर धड़ाम हो गया | उसका प्लान था कुछ देर और सोया जाये लेकिन आँखों में नीद थी ही नहीं | पता नहीं क्या सूझा, उसने अपना फ़ोन उठाया और ब्रेकफास्ट पैक करके रीमा के घर की तरफ चल दिया | हमेशा की तरह पीछे के दरवाजे से चुपचाप रीमा के घर में दाखिल हो गया | रीमा अभी भी गहरी नीद में सो रही थी, रोहित ने ब्रेकफास्ट को किचन में रख दिया और बेडरूम में आ गया | रीमा को जैसा छोड़ के गया था वैसे ही गहरी नीद में थी | बस उसके जिस्म पर चादर नहीं थी | वो पूरी तरह से नंगी होकर गहरी नीद में सोई थी | उसका गोरा बदन चमक रहा था और उसकी जांघे भी फैली हुई थी जिससे उसकी  गुलाबी चूत भी  साफ़ दिख रही थी 
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रोहित ने  रीमा को एक करवट लिटाया तो वो लुढ़क कर पेट के बल हो गयी | रोहित ने  अपने सारे कपडे उतारे और वो भी आइस्ते से बेड पर लेट गया और रीमा से जाकर लिपट गया, और चादर डाल ली  | 
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 | उसने एक हाथ रीमा के नीचे घुसा कर उसकी उठी हुई छाती के नरम नरम गोल गोल सुडौल ठोस स्तनों को अपनी हथेलियों में भरकर, उसकी गोरी चिकनी मांसल जांघो के बीच में अपनी टांगे फंसाकर रखकर सोने की कोशिश करने लगा | उसने आंखे बंद कर ली | कुछ देर तक वो सोने की कोशिश करता रहा लेकिन उसको नीद आ ही नहीं रही थी | तभी रीमा की डोर बेल बजी, रोहित को न चाहते हुए भी उठना पड़ा | रोहित ने फ्रंट गेट के कैमरे की स्क्रीन में देखा, दूध वाला आया था | दूध वाला रोहित को जानता था, रोहित ने जाकर बाहर दूध लिया | दूधवाला रोहित को जानता था, क्योंकि जब भी रीमा घर पर नहीं होती, दूधवाला रोहित के घर रीमा का दूध देने जाता था | आज रोहित को सुबह सुबह ही यहाँ देखकर वो थोड़ा चौका |
दूधवाला -  साहब जी आज आप यहाँ, मैडम जी नहीं है |
रोहित बेपरवाही से – नहीं उसको हल्का फीवर था उसी ने फ़ोन करके बुलाया है |
दूधवाला – अच्छा जी, अच्छा किया, वैसे भी मैडम का आप बहुत ख्याल रखते है वरना इस ज़माने में अकेली विधवा को पूछता कौन है | मैडम आपकी बहुत बहुत तारीफ करती रहती है |
रोहित – हूँ | रोहित ने हल्की मुस्कराहट दी और दूध लेकर अन्दर चला गया | दूध किचन में रखकर रोहित फिर से रीमा से जाकर लिपट गया, और सोने की कोशिश करने लगा |  रीमा के जिस्म की गरमी पाते ही रोहित के अन्दर की लालसा उफान मारने लगी | वो सोना चाहता था लेकिन उसकी उंगलिया अपने आप रीमा के गोरे सुडौल स्तनों पर फिसलने लगी | उसकी जांघ रीमा की चिकनी जांघ से रगड़ खाने लगी | उसके ओंठ रीमा की गर्दन का चुम्बन करने लगे | रोहित के बस में कुछ नहीं था, उसका शरीर उसके नियंत्रण से बाहर था, वो स्वत ही सारी क्रिया प्रतिक्रिया कर रहा था | उसका लंड तो सुबह उठते ही अकड़ा हुआ था, बड़ी मुस्किल ने उसे अब तक नार्मल किये हुए था, लेकिन रीमा के बदन की गर्मी का अहसास होते ही वो फूलने लगा | रोहित खुद भी निश्चित नहीं था की वो यहाँ क्यों आया है | उसे शायद यहाँ नहीं आना चाहिए था लेकिन औरत के जिस्म का आकर्षण ऐसा है की बड़े बड़े ऋषि मुनि देवता फ़ैल है फिर रोहित तो एक मामूली सा इंसान है | रीमा के जिस्म का आकर्षण, उसके पास रहने की इक्षा, उसे भोगने की लालसा रोहित को अन्दर से बेचैन किये हुए थी | वासना की आग ऐसी चीज है ये भोगने से और बढ़ती है | अगर रोहित ने रीमा को छुआ न होता तो शायद उसके अन्दर का आत्मनियंत्रण अभी तक काम कर रहा होता, क्योंकि किसी को देखने में और उसको छूने में, स्पर्श करने में, उसके शरीर की मादक गंध को अपनी साँस की गहराई में उतारने के बाद आदमी के व्यवहार में जमीन  आसमान का अंतर आ जाता है | रोहित जब तक रीमा को देखता था, दूर से या पास से, तब तक वो सिर्फ उसके आकर्षण में बंधा था | अब वो रीमा के सुनहरे बदन को स्पर्श कर चूका था, और स्पर्श भी सिर्फ बाहरी नहीं, बल्कि उसके स्त्रीत्व की गहराई तक वो उतर चूका था, उसका मुसल लंड रीमा की चूत की अंतिम गहराई तक जा चूका था | वह रीमा के खूबसूरत शरीर के मादक गंध को अपनी सांसो की गहराई में अन्दर तक उतार चूका था | कामवासना में जलते औरत और आदमी के बीच पहला आकर्षण द्रष्टि का होता है, जब एक दुसरे को वो देखते है तो एक बंधन में बंध जाते है | एक दुसरे को नंगा देखने की इक्षा होती है, एक दुसरे को पाने की हसरत होती है लेकिन साथ ही शर्म हया लोक लाज के बंधन होते है और झिझक भी होती है | जब मर्द और औरत पहले बंधन से आगे बढ़ जाते है, मतलब वो एक दुसरे को देखने से आगे बढ़कर, एक दुसरे की मादक गंध को अपने अन्दर उतारने लगते है तो लोकलाज के बंधन ढीले होने लगते है | फिर जब गंध से आगे बढ़कर वो दोनों एक दुसरे का स्पर्श करना शुरू कर देते है तो झिझक मिटने लगती है | और अंत में जब वो एक दुसरे को भोगना शुरू कर देते है तो सारे बंधन ख़त्म हो जाते है, उसके बाद कोई लक्ष्मण रेख उन्हें रोक नहीं पाती है | एक बार भोगने के बाद बार बार भोगने का मन करता है, एक दुसरे की बांहों में ही खोये रहना चाहते है, हर पल एक दुसरे की बांहों में लिपटे हुए, एक दुसरे को चुमते चाटते सहलाते रहना चाहते है, और रुक रुक कर अपनी वासना की भूख मिटाना चाहते है | इसलिए नए नए वासना के भूखे मर्द और औरत जब पहली बार एक दुसरे के नंगे जिस्म से टकराते है, तो वो सिलसिला जल्दी ख़तम नहीं होता है | इसीलिए आदमी का लंड बार बार अकड़ने लगता है और चुदाई करने के लिए मन मतवाला हो उठता  है यही हाल औरत का होता है उसे भी बार बार खुद को मसलवाने, चटवाने, चुदवाने का मन करता है, इसलिए वो बस एक इशारे पर चुदने को तैयार हो जाती है और बार बार कई बार चुदने के बाद भी उनकी लालसा ख़त्म नहीं होती |
रोहित के लिए औरत की चुदाई नई बात नहीं थी लेकिन रीमा का आकर्षण जादुई था | पिछले 10 – 12 घंटे उसके लिए किसी सपने से कम नहीं थे | सपने देखना अलग बात है और उनका सच होने का जादू अलग ही सर चढ़ कर बोलता है | रोहित की हकीकत तो सपने से कई गुना ज्यादा चमत्कारिक रूप से मस्त थी, जाहिर सी बात रीमा के रूप के जाल में सालों से ख्वाब बुनता रोहित, उसके जिस्म के जादुई हुस्न के जाल में पूरी तरह डूब चूका था | रीमा सो रही थी और रोहित का लंड अकड़कर तन चूका था | रोहित भले ही 20 साल की कच्ची उम्र में न हो लेकिन एक बार लंड तनकर खड़ा हो जाये, तो किसी भी मर्द का मन बिना चुदाई के नहीं मानेगा | अब रोहित के सामने सवाल ये था की वो करे क्या ?? क्या रीमा को जगाये , न जगाये | पता नहीं रीमा क्या सोचेगी ??? रोहित ने तो उसे चुदाई की मशीन समझ लिया है, नहीं मेरे बारे में गलत इम्प्रैशन जायेगा | मै ये सब क्यों सोच रहा हूँ, रात में तो रीमा ने मना नहीं किया अब क्यों करेगी | फिर मै गलत क्या कर रहा हूँ | मै जवान हूँ, रीमा भी जवान है, दोनों चुदाई कर रहे है,ये तो जवान जिस्म की जरुरत है | आज ज्यादा मन कर रहा है कल कम करेगा, लेकिन चुदाई का मन तो सबका करता है | इसे छिपाना या इसके लिए किसी तरह गलानी रखना बेवखूफी है | सबको चुदाई में मजा आता है फिर लोग इसे इतना गलत क्यों समझते है मेरी ये बात आजतक समझ नहीं आई | मै तो रीमा को चोदूगा, क्योंकि मेरा मन है, अगर रीमा खुलकर मना कर देगी तभी रूकुगा, नहीं तो कुछ भी अपनी तरफ से सोचने की जरुरत नहीं है |
रोहित रीमा के किनारे लेता हुआ नंगे चुताड़ो को अपनी बड़ी बड़ी हथेलियों में भरकर मालिश करने लगा | रीमा गहरी नीद में थी इसलिए उसके जगने के चांस कम थे | रोहित के दिमाग में आया, रीमा को जगाने की जरुरत क्या है, उसे सरप्राइज देता हूँ | जब वो जगेगी तो वो भी चौक जाएगी | रोहित रीमा के नरम चुताड़ो पर अपना सख्त गरम लंड रगड़ने लगा | उसके स्तनों को फिर से मसलने लगा | फिर उसके नीचे सपाट पेट को सहलाते हुए, उसकी नाभि में अपनी उंगलियाँ घुमाने लगा | रोहित से बर्दास्त नहीं हो रहा था, उसने चादर के नीचे पूरी तरह से नंगी लेती रीमा के ऊपर से चादर हटा दी, और घुटनों के बल बैठ गया | 
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उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़ क्या बला का खूबसूरत जिस्म की मालकिन थी, रीमा तकिये को सर के नीचे लगाये, उलटा पेट के बल सो रही थी | उसके रेशमी  बाल उसकी पीठ पर फैले हुई थे | उसकी चिकनी गोरी पीठ कमरे की दुधिया रौशनी में अलग ही चमक रही थी | उसके मांसल भरे हुए ठोस भारी चूतड़, उसकी कमर के नीचे हलकी ढलान लिए हुई पहाड़ी की तरह उठे हुए थे | उसकी जांघो थोड़ी फैली हुई थी जिससे उसकी चिकनी बाल रहित गुलाबी चूत साफ़ दिखाई दे रही थी, चूत की बाहरी गुलाबी ओंठ कसकर चूत को बंद किये हुए थे | आआआआह्ह्ह्ह रीमा का हुस्न , जैसी दमकती हुई छोड़ गया था, बिलकुल वैसी की वैसी ही अभी तक चमक रही है | जिस्म की रंगत उसी तरह की बनी हुई है और गुलाबी चूत अपनी अलग की छटा बिखेर रही थी | रोहित घुटने के बल बिस्तर पर बैठा अपने हाथो से अपना लंड मसल रहा था | एक हाथ से रीमा के चुताड़ो का जायजा ले रहा था | उसके चुताड़ो को फैलाकर उसकी चूत का जायजा लिया, और फिर से लंड मसलने लगा | बड़ी दुविधा में था चोदु न चोदु | पता नहीं बुरा न मान जाये रीमा |
कुछ देर तक इसी उधेड़बुन में खोया रहा, फिर हिम्मत करके उसने फैलसा किया जो होगा देखा जायेगा | अब रीमा सो रही है मेरा लंड पूरी तरह तन चूका, उसे जगाऊ तो उसकी नीद टूटेगी औरअगर उसके जगने का इन्तजार करू तो मेरा लंड फूल फूलकर फट जायेगा | रीमा को बिना जगाये बिना बताये ही चोदूगा, उसे भी सरप्राइज मिलेगा |
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RE: रीमा की दबी वासना - by vijayveg - 09-02-2019, 09:02 PM



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