12-02-2020, 04:18 PM
सुबह के इंतजार में अजय रात भर बेचैन रहा उसे चम्पा से मिलने की बहुत इच्छा हो रही थी ,बार बार उसका वो रूप उसकी आंखों के सामने आ रहा था वही मोंगरा का भी अहसास हो जाता,उसे बार बार याद आ जाता था की मोंगरा भी चम्पा की तरह ही दिखती है …
आज वो 4 बजे से पहले ही घर से निकल गया ,और दौड़ाता हुआ उसी जगह पहुच गया जंहा झरना था,उसने झड़ियो के ओट से देखा तो चम्पा अभी अभी आयी मालूम हुई ,उसका शरीर अभी पानी से भीगा नही था,थोड़ी सी आहट और पता नही क्या जो चम्पा को अजय के होने का अहसास दिला गया …
वो उसकी ओर मुड़ी तो अजय डर के कारण तुरंत ही पलट कर छुपने लगा ,लेकिन उसे चम्पा की जोरो की हँसी सुनाई दी ..
हा हा हा बाबु बाहर आ जाइये ये क्या शहरी लोगो की तरह छुप छुप कर देख रहे हो देखना है तो सामने से ही देख लो ,जंगल में आये हो तो जंगल के कानून से रहो...
मैं कोई शहर की लड़की नही जंगल की लड़की हु और ये जंगल ही मेरा घर है ,तो फिक्र मत करो इस एकांत में भी एक मर्द को देखकर मैं डरूँगी नही …”
वो फिर खिलखिलाई लेकिन अजय को लगा जैसे मेरी चोरी पकड़ी गई हो ,वो बाहर आया ,
“यंहा आओ “
वो उसके पास जाकर रेत में बैठ गया और वो पानी में जाने लगी,मौसम में अभी भी ठंड थी लेकिन उसके पानी में जाने से अजय के माथे पर पसीना आने लगा,सिर्फ एक छोटी सी साड़ी का टुकड़ा उनके शरीर में था,सिर्फ साड़ी और कुछ भी नही ,उसने औरत को कभी इतना निर्भीक नही देखा था,लेकिन ये जंगल था ,और चम्पा के शरीर में भी कोई अंतःवस्त्र या पेटीकोट जैसी चीज नही थी,मात्रा एक साड़ी थी जो भीगने के साथ साथ उसके शरीर से चीपक गई और उसकी जवान भरी हुई देह की एक एक करवट अजय के आंखों के सामने आ गई ,साड़ी छातियों से ऐसे चिपके जैसे उसके शरीर का ही कोई अंग हो ,उसके उन्नत स्तनों की गोलाई का पूरा आभास होने लगा था ,सही कहा था पंडित जी ने चम्पा थोड़ी मोटी थी लेकिन उसे मोटा नही गदराया कहा जाता है,
भरा पूरा देशी शरीर ,और हर एक अंग से मादकता का झलकना,अजय के लिए तो खुद को सम्हालना भी मुश्किल हो रहा था,अजय उसके देह के जादू में फंस रहा था लेकिन उसकी नैतिकता ने ही उसे आगे बढ़ने से रोके रखा था ..
वो बिना किसी भी परवाह के बड़े ही चैन से नहा रही थी,अपने हर अंग को अपने हाथो से रगड़ती हुई,अजय के चहरे में पसीने की एक धार आ गई ..
“बाबुजी लगता है आपको बहुत गर्मी लग रही है आप भी आ जाइये पानी बहुत ठंडा है “
वो कुछ नही कह पाया लेकिन और उसे शांत देख वो बाहर आ गई ,अजय उसके हुस्न को बस एकटक देखता ही रह गया ,वो अजय के पास आयी और उसके हाथो को पकड़ कर पानी में खिंचने लगी,उसे आज समझ आया की जंगल की लड़की की ताकत क्या है ,वो सच में बलशाली थी अजय जैसा जवान और गठीला मर्द भी मानो उसके सामने बच्चा ही लग रहा था,लेकिन अजय के मन के किसी कोने में उठाने वाले अहसासों ने उसे और भी कमजोर बना दिया था क्योकि वो खुद भी तो उसके साथ जाना चहता था ,ऊपर से तो ऐसे ही दिखा रहा था की उसे नही जाना है लेकिन अंदर से मन के किसी कोने से वो जाने को बेताब ही था…
उसके पैर चम्पा के थोड़े ही प्रयास से चलाने लगे और वो अपने स्पोर्ट शूज़ तथा कपड़ो की फिक्र किये बिना ही पानी में चला गया ..
चम्पा ने सही कहा था की पानी ठंडा था,लेकिन चम्पा के पास होने के अहसास से उसके शरीर में थोड़ी गर्मी तो आ ही गई थी ,उसका दिल उतना धड़क रहा था जितना तो उसने कभी दौड़ाते हुए भी महसूस नही किया था …
आज वो 4 बजे से पहले ही घर से निकल गया ,और दौड़ाता हुआ उसी जगह पहुच गया जंहा झरना था,उसने झड़ियो के ओट से देखा तो चम्पा अभी अभी आयी मालूम हुई ,उसका शरीर अभी पानी से भीगा नही था,थोड़ी सी आहट और पता नही क्या जो चम्पा को अजय के होने का अहसास दिला गया …
वो उसकी ओर मुड़ी तो अजय डर के कारण तुरंत ही पलट कर छुपने लगा ,लेकिन उसे चम्पा की जोरो की हँसी सुनाई दी ..
हा हा हा बाबु बाहर आ जाइये ये क्या शहरी लोगो की तरह छुप छुप कर देख रहे हो देखना है तो सामने से ही देख लो ,जंगल में आये हो तो जंगल के कानून से रहो...
मैं कोई शहर की लड़की नही जंगल की लड़की हु और ये जंगल ही मेरा घर है ,तो फिक्र मत करो इस एकांत में भी एक मर्द को देखकर मैं डरूँगी नही …”
वो फिर खिलखिलाई लेकिन अजय को लगा जैसे मेरी चोरी पकड़ी गई हो ,वो बाहर आया ,
“यंहा आओ “
वो उसके पास जाकर रेत में बैठ गया और वो पानी में जाने लगी,मौसम में अभी भी ठंड थी लेकिन उसके पानी में जाने से अजय के माथे पर पसीना आने लगा,सिर्फ एक छोटी सी साड़ी का टुकड़ा उनके शरीर में था,सिर्फ साड़ी और कुछ भी नही ,उसने औरत को कभी इतना निर्भीक नही देखा था,लेकिन ये जंगल था ,और चम्पा के शरीर में भी कोई अंतःवस्त्र या पेटीकोट जैसी चीज नही थी,मात्रा एक साड़ी थी जो भीगने के साथ साथ उसके शरीर से चीपक गई और उसकी जवान भरी हुई देह की एक एक करवट अजय के आंखों के सामने आ गई ,साड़ी छातियों से ऐसे चिपके जैसे उसके शरीर का ही कोई अंग हो ,उसके उन्नत स्तनों की गोलाई का पूरा आभास होने लगा था ,सही कहा था पंडित जी ने चम्पा थोड़ी मोटी थी लेकिन उसे मोटा नही गदराया कहा जाता है,
भरा पूरा देशी शरीर ,और हर एक अंग से मादकता का झलकना,अजय के लिए तो खुद को सम्हालना भी मुश्किल हो रहा था,अजय उसके देह के जादू में फंस रहा था लेकिन उसकी नैतिकता ने ही उसे आगे बढ़ने से रोके रखा था ..
वो बिना किसी भी परवाह के बड़े ही चैन से नहा रही थी,अपने हर अंग को अपने हाथो से रगड़ती हुई,अजय के चहरे में पसीने की एक धार आ गई ..
“बाबुजी लगता है आपको बहुत गर्मी लग रही है आप भी आ जाइये पानी बहुत ठंडा है “
वो कुछ नही कह पाया लेकिन और उसे शांत देख वो बाहर आ गई ,अजय उसके हुस्न को बस एकटक देखता ही रह गया ,वो अजय के पास आयी और उसके हाथो को पकड़ कर पानी में खिंचने लगी,उसे आज समझ आया की जंगल की लड़की की ताकत क्या है ,वो सच में बलशाली थी अजय जैसा जवान और गठीला मर्द भी मानो उसके सामने बच्चा ही लग रहा था,लेकिन अजय के मन के किसी कोने में उठाने वाले अहसासों ने उसे और भी कमजोर बना दिया था क्योकि वो खुद भी तो उसके साथ जाना चहता था ,ऊपर से तो ऐसे ही दिखा रहा था की उसे नही जाना है लेकिन अंदर से मन के किसी कोने से वो जाने को बेताब ही था…
उसके पैर चम्पा के थोड़े ही प्रयास से चलाने लगे और वो अपने स्पोर्ट शूज़ तथा कपड़ो की फिक्र किये बिना ही पानी में चला गया ..
चम्पा ने सही कहा था की पानी ठंडा था,लेकिन चम्पा के पास होने के अहसास से उसके शरीर में थोड़ी गर्मी तो आ ही गई थी ,उसका दिल उतना धड़क रहा था जितना तो उसने कभी दौड़ाते हुए भी महसूस नही किया था …
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
