11-02-2020, 07:48 PM
(11-02-2020, 08:48 AM)@Raviraaj Wrote: बिल्कुल कोमल जी वियोग श्रृंगार के बिना,मिलन का कहाँ सुख होता है !!
विरह वेदना,में जब नायिका प्रेमी की यादों में तड़पती है छटपटाती उन मिलन के पलों को याद करती है ये जो इतंज़ार होता है,,जब संयोग मिलन के क्षण आते है,,तो सावन बन के रात दिन बरसता है,,अगर सिर्फ मिलन का ही वर्णन हो तो एक तरफा सा लगता है,,आप की लेखनी इसी लिए सर्वोत्कृष्ट है इस मे विरह है,प्रेमी के मिलन की तड़प है,,ओर फिर संयोग मिलन में खूब सारा प्यार है, बिल्कुल असली वाला प्यार ??
इसी तरह लिखती रहो,,शुभकामनाएं कोमल जी इस उत्कृष्ट लेखन के लिए ??
Thanks so much


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