10-02-2020, 08:53 PM
(This post was last modified: 10-02-2020, 10:07 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
तीन तितलियाँ
अगले दिन शाम को तीनों तितलियाँ , उछलती कूदती , उड़ती , शाम को चार बजे कॉलेज से सीधे मेरे कमरे में , ... उनका कॉलेज गवर्मेंट गर्ल्स इंटर कालेज एकदम हम लोगों के घर के पास ही था , बस बगल वाली सड़क पे , ...
ऊपर वाले जिस कमरे में मैं रहती थी , उसके छत के एक कोने से तो कॉलेज का गेट तक दिखता था ,
सुबह शाम जितनी तितलियाँ उससे ज्यादा भौंरे , ...
वैसे तो इस समय , इन तितलियों को नीचे मेरी जेठानी ही दबोच लेतीं , खिलती हुयी कच्ची कलियाँ किसे नहीं पसंद होतीं ,
और फिर मैं भी उनके साथ होती ,
लेकिन इस हफ्ते , ... जेठानी जी और उनकी दो चार सहेलियों ने कोई बेकिंग का कोर्स ज्वाइन कर लिया था , पांच दिन का दोपहर दो बजे से शाम सात बजे तक का।
और सासु जी का ये समय गहरी नींद वाला था , इस लिए मैं भी ऊपर अपने कमरे में , ...
ये तो बंगलौर में अपनी ट्रेनिंग में लगे थे , ... मुझे भी नींद कहा आती ( और ये पास होते तो सोने कौन देता , और सोना चाहता भी कौन ) ,
मैं ' अच्छी वाली ' फ़िल्में देख रही थीं ,... इनकी संगत में ये बात मैंने और अच्छी तरह सीख ली थी , ...
' पॉर्न ' ... ये कहना एकदम गलत है की सिर्फ लड़के ही ,...
असल में जो काम लड़के माना जाता है करते हैं ,
जब वो लड़कियां शुरू करती हैं न तो भले ही शुरू में थोड़ी हिचके , झिझकें शर्माएं , ... स्लो स्टार्टर ,..
लेकिन अगर एक बार शुरू हो जाएँ न तो बस , ... लड़कों के कान काटती हैं , .... हर चीज़ में , ... और मैंने जब उनके 'कलेक्शन ' में दर्जन भर मस्तराम देखीं वो भी छुपाकर रखी , तो बस मैं मुस्कराकर रह गयी , ...
मैंने कब की , ...
रीतू भाभी जब शादी में आयी में थी उसी साल , ... भइया , उन के सैंया , रात में ,... और दिन में वो नंदों के साथ , ...
मैं तो उनकी फेवरिट ननद थी , इसलिए न उन्होंने मुझे न सिर्फ दिखाई पढ़ाई , ... बल्कि बोल बोल कर , पढ़वाई , ... और अगर मैं जहाँ रूकती झिझकती , वो ' सब ' ( लंड , बुर , गाँड़ चुदाई ) बोलने में ,
कचकचा के वो मेरे नए आये कच्चे टिकोरे ,
या स्कर्ट उठा कर सीधे सहेली पर , ...
और दो चार दिन में तो एक्शन रिप्ले , ...
लड़कों वाले पार्ट वो बोलतीं , और लड़की वाले मैं ,... फिर कॉलेज में मेरी सहलियां , ...
एक को किसी लड़के ने एक एम् एम् एस भेज दिया ,
उसका कोई कजिन था , पहली बार मैंने वीडियो देखा था , मैं नौ में थी उस समय , ...
लेकिन यहाँ आने पर , ... जब में समझ गयी ' ये सब ' इन्हे अच्छा लगता है , पर बस ' अच्छे बच्चे वाले इमेज का चक्कर ' ,...
लेकिन मैं तो आयी ही थी इन्हे "अच्छे से बुरा बनाने ",... बस थोड़ा सा मैं इनके रंग में रंगी और ज्यादा ये मेरे रंग में रंगे , ... अब तो हम दोनों खुल के , मिल के ,...
इंटरनेट के तो ये मास्टर थे , और इन्होने बहोत सी ' अच्छी ' वाली फ़िल्में डाउनलोड कर रखी थीं , वो सब तो मैंने ट्रांसफर कर ही लीं ,... इन्होने मुझे टॉरेंट से नीली पीली फ़िल्में डाउनलोड करना , ...
जेठानी जी को भी पसंद था
उनके साथ तो मैं टीवी पर सीधे , डीवीडी लगा के , ...
देखने के साथ हम लोग नोट्स भी कम्पेयर करते थे , जेठजी को क्या पसंद है , और उनके देवर को क्या अच्छा लगता है
और अब जब वो ट्रेनिंग के लिए गए थे तो मैंने सोचा मैं भी कम से कम थ्योरी वाली ट्रेनिंग , ...
मैं समझ गयी थी उस लड़के को सेक्स में मजा बहुत आता है , ... और जितना उसे आता है , उसका चौगुना मुझे , ... और नथिंग इज प्राहिबेटेड , ... जो जो उसे अच्छा लगेगा , मुझे भी , ... और ये भी भी सीख गयी थी , की कभी कभी उसे जबरदस्ती करवाने में भी , मज़ा आता है ,
और अगर कहीं होली में ये ससुराल चले गए तो फिर तो उनकी सलहज , साली , ... ऐसी जबरदस्त रगड़ाई होने वाली थी इनकी , ... और सास भले थोड़ी दूर रहें लेकिन उकसाने , प्लान बनाने में सलहज से पीछे नहीं रहने वाली , ...
तो मैं उस समय कन्या रस वाली एक पिक्चर देख रही थीं ,
एक थोड़ी वयस्क , और एक कच्ची कली , ...
मेरे दिमाग में मेरी ननद की तस्वीर चल रही थी , वही दर्जा आठ वाली , गुड्डी रानी , एलवल वाली , इनकी ममेरी बहन , ...
उस कच्ची कली की जगह मुझे वही दिखाई दे रही थी , ..
और थिंक आफ द डेविल , ...
तीनों तितलियाँ , गुड्डी रानी और उनकी दोनों सहेलियां , रेनू और लीला , ... उड़ते हुए सीधे अपने कॉलेज से मेरे कमरे में , ऊपर
और मैंने झट से फिल्म बंद की और सबसे पहले लीला को गपुच लिया।
सब से गदरायी वही थी ,
बाकी दोनों , मेरी ननदिया , गुड्डी रानी और रेनू कच्ची अमिया वाली थीं , २८ नंबर वाली
तो लीला ३० नंबर साइज की , पूरे कच्चे टिकोरे ,
और लीला ने लील भी लिया था , और किसी का नहीं , अपने भैया का , ... ठीक राखी के दिन ,
और फिर बिना नागा कबड्डी ,...
रेनू बाल बाल बची थी , चड्ढी खुल गयी थी , लेकिन ऐन मौके पर , ...
मैंने बहुत पहले समझ लिया था , ननद भौजाई में दुआ सलाम , नमस्ते , हाथ मिला कर नहीं होती गले मिल कर होती है और वो भी मेरी भौजी के स्टाइल में ,
सीधे मेरे होंठ लीला के होंठों पर , और हाथ जोबन पर
अच्छे खासे गदरा रहे थे , इस उम्र की लड़की के लिए ,...
मैं हलके हलके मसल रही थी और तिरछी निगाह से गुड्डी की ओर देख रही थी , उसपर क्या असर हो रहा था ,
साथ में मेरे होंठ भी उस की सहेली लीला के होंठ से चिपक गए , और मेरी जीभ अंदर , ...
और जब मैंने जीभ निकाली तो लीला को चिढ़ाती बोली ,
" क्यों ननद रानी , कल लीला की नहीं। "
अगले दिन शाम को तीनों तितलियाँ , उछलती कूदती , उड़ती , शाम को चार बजे कॉलेज से सीधे मेरे कमरे में , ... उनका कॉलेज गवर्मेंट गर्ल्स इंटर कालेज एकदम हम लोगों के घर के पास ही था , बस बगल वाली सड़क पे , ...
ऊपर वाले जिस कमरे में मैं रहती थी , उसके छत के एक कोने से तो कॉलेज का गेट तक दिखता था ,
सुबह शाम जितनी तितलियाँ उससे ज्यादा भौंरे , ...
वैसे तो इस समय , इन तितलियों को नीचे मेरी जेठानी ही दबोच लेतीं , खिलती हुयी कच्ची कलियाँ किसे नहीं पसंद होतीं ,
और फिर मैं भी उनके साथ होती ,
लेकिन इस हफ्ते , ... जेठानी जी और उनकी दो चार सहेलियों ने कोई बेकिंग का कोर्स ज्वाइन कर लिया था , पांच दिन का दोपहर दो बजे से शाम सात बजे तक का।
और सासु जी का ये समय गहरी नींद वाला था , इस लिए मैं भी ऊपर अपने कमरे में , ...
ये तो बंगलौर में अपनी ट्रेनिंग में लगे थे , ... मुझे भी नींद कहा आती ( और ये पास होते तो सोने कौन देता , और सोना चाहता भी कौन ) ,
मैं ' अच्छी वाली ' फ़िल्में देख रही थीं ,... इनकी संगत में ये बात मैंने और अच्छी तरह सीख ली थी , ...
' पॉर्न ' ... ये कहना एकदम गलत है की सिर्फ लड़के ही ,...
असल में जो काम लड़के माना जाता है करते हैं ,
जब वो लड़कियां शुरू करती हैं न तो भले ही शुरू में थोड़ी हिचके , झिझकें शर्माएं , ... स्लो स्टार्टर ,..
लेकिन अगर एक बार शुरू हो जाएँ न तो बस , ... लड़कों के कान काटती हैं , .... हर चीज़ में , ... और मैंने जब उनके 'कलेक्शन ' में दर्जन भर मस्तराम देखीं वो भी छुपाकर रखी , तो बस मैं मुस्कराकर रह गयी , ...
मैंने कब की , ...
रीतू भाभी जब शादी में आयी में थी उसी साल , ... भइया , उन के सैंया , रात में ,... और दिन में वो नंदों के साथ , ...
मैं तो उनकी फेवरिट ननद थी , इसलिए न उन्होंने मुझे न सिर्फ दिखाई पढ़ाई , ... बल्कि बोल बोल कर , पढ़वाई , ... और अगर मैं जहाँ रूकती झिझकती , वो ' सब ' ( लंड , बुर , गाँड़ चुदाई ) बोलने में ,
कचकचा के वो मेरे नए आये कच्चे टिकोरे ,
या स्कर्ट उठा कर सीधे सहेली पर , ...
और दो चार दिन में तो एक्शन रिप्ले , ...
लड़कों वाले पार्ट वो बोलतीं , और लड़की वाले मैं ,... फिर कॉलेज में मेरी सहलियां , ...
एक को किसी लड़के ने एक एम् एम् एस भेज दिया ,
उसका कोई कजिन था , पहली बार मैंने वीडियो देखा था , मैं नौ में थी उस समय , ...
लेकिन यहाँ आने पर , ... जब में समझ गयी ' ये सब ' इन्हे अच्छा लगता है , पर बस ' अच्छे बच्चे वाले इमेज का चक्कर ' ,...
लेकिन मैं तो आयी ही थी इन्हे "अच्छे से बुरा बनाने ",... बस थोड़ा सा मैं इनके रंग में रंगी और ज्यादा ये मेरे रंग में रंगे , ... अब तो हम दोनों खुल के , मिल के ,...
इंटरनेट के तो ये मास्टर थे , और इन्होने बहोत सी ' अच्छी ' वाली फ़िल्में डाउनलोड कर रखी थीं , वो सब तो मैंने ट्रांसफर कर ही लीं ,... इन्होने मुझे टॉरेंट से नीली पीली फ़िल्में डाउनलोड करना , ...
जेठानी जी को भी पसंद था
उनके साथ तो मैं टीवी पर सीधे , डीवीडी लगा के , ...
देखने के साथ हम लोग नोट्स भी कम्पेयर करते थे , जेठजी को क्या पसंद है , और उनके देवर को क्या अच्छा लगता है
और अब जब वो ट्रेनिंग के लिए गए थे तो मैंने सोचा मैं भी कम से कम थ्योरी वाली ट्रेनिंग , ...
मैं समझ गयी थी उस लड़के को सेक्स में मजा बहुत आता है , ... और जितना उसे आता है , उसका चौगुना मुझे , ... और नथिंग इज प्राहिबेटेड , ... जो जो उसे अच्छा लगेगा , मुझे भी , ... और ये भी भी सीख गयी थी , की कभी कभी उसे जबरदस्ती करवाने में भी , मज़ा आता है ,
और अगर कहीं होली में ये ससुराल चले गए तो फिर तो उनकी सलहज , साली , ... ऐसी जबरदस्त रगड़ाई होने वाली थी इनकी , ... और सास भले थोड़ी दूर रहें लेकिन उकसाने , प्लान बनाने में सलहज से पीछे नहीं रहने वाली , ...
तो मैं उस समय कन्या रस वाली एक पिक्चर देख रही थीं ,
एक थोड़ी वयस्क , और एक कच्ची कली , ...
मेरे दिमाग में मेरी ननद की तस्वीर चल रही थी , वही दर्जा आठ वाली , गुड्डी रानी , एलवल वाली , इनकी ममेरी बहन , ...
उस कच्ची कली की जगह मुझे वही दिखाई दे रही थी , ..
और थिंक आफ द डेविल , ...
तीनों तितलियाँ , गुड्डी रानी और उनकी दोनों सहेलियां , रेनू और लीला , ... उड़ते हुए सीधे अपने कॉलेज से मेरे कमरे में , ऊपर
और मैंने झट से फिल्म बंद की और सबसे पहले लीला को गपुच लिया।
सब से गदरायी वही थी ,
बाकी दोनों , मेरी ननदिया , गुड्डी रानी और रेनू कच्ची अमिया वाली थीं , २८ नंबर वाली
तो लीला ३० नंबर साइज की , पूरे कच्चे टिकोरे ,
और लीला ने लील भी लिया था , और किसी का नहीं , अपने भैया का , ... ठीक राखी के दिन ,
और फिर बिना नागा कबड्डी ,...
रेनू बाल बाल बची थी , चड्ढी खुल गयी थी , लेकिन ऐन मौके पर , ...
मैंने बहुत पहले समझ लिया था , ननद भौजाई में दुआ सलाम , नमस्ते , हाथ मिला कर नहीं होती गले मिल कर होती है और वो भी मेरी भौजी के स्टाइल में ,
सीधे मेरे होंठ लीला के होंठों पर , और हाथ जोबन पर
अच्छे खासे गदरा रहे थे , इस उम्र की लड़की के लिए ,...
मैं हलके हलके मसल रही थी और तिरछी निगाह से गुड्डी की ओर देख रही थी , उसपर क्या असर हो रहा था ,
साथ में मेरे होंठ भी उस की सहेली लीला के होंठ से चिपक गए , और मेरी जीभ अंदर , ...
और जब मैंने जीभ निकाली तो लीला को चिढ़ाती बोली ,
" क्यों ननद रानी , कल लीला की नहीं। "