09-02-2020, 01:27 PM
(This post was last modified: 10-05-2021, 11:30 AM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
कमल जीजू
जब मैं उठी तो साढ़े नौ बज गया था ,
और उठते ही पता चला की चीनू दी , हास्पिटल में भर्ती हो गयी हैं।
मेरी तो सोच सोच के ,डर से आशंका से हालात ख़राब ,
कल सुबह इसी समय तो विदाई हुयी थी उनकी ,कल रात ही तो सुहागरात थी ,इतनी मीठी मीठी बातें पर
और बिचारे कमल जीजू उनकी क्या हालत हुयी होगी ,
कुछ सोच नहीं पा रही थी , किसी ने बोला बड़ी मौसी ( चीनू दी की माँ )अभी हॉस्पिटल से चीनू को देख के आ रही हैं ,
बस दौड़ती हुयी मैं उनके कमरे में पहुंची।
और
मौसी और मेरी मम्मी जोर जोर से खिलखिला रही थीं।
मेरी घबड़ाई हालत देख के मौसी ने हँसते पूछा ,
" कोमलिया तुझे क्या हो गया ,सुबह सुबह इतनी परेशान , ... "
मैंने किसी तरह अपने को कंट्रोल करते बोला ,
" चीनू दी ,.. हास्पिटल ,... अभी आप "
एक बार फिर मौसी और मम्मी खिलखिलाने लगीं।
" अरे तेरी चीनू दी की तेरे उस दुष्ट जीजा ने फाड़ दी और कुछ नहीं। "
मौसी जोर जोर से हंसते बोलीं।
फटती तो सबकी है सुहागरात में ,
लेकिन हॉस्पिटल ,
मैं सोच रही थी की मम्मी ने सब हाल खुलासा किया।
कमल जीजू लगता है कुछ ज्यादा ही 'वेल एंडाऊड ' है , बस , चीनू दी की ब्लीडिंग रुक नहीं रही थी , इसलिए पास के नर्सिंग होम में भर्ती किया है , शायद एक दो टाँके वांके लगेंगे। मौसी देख के आयीं हैं ,उन्होंने डॉक्टर से बात भी की है , सब ठीक है परेशानी की कोई बात नहीं है।
और तबतक मंझली मौसी भी आ गयी और वो एकदम मेरे पीछे पड़ गयीं ,
जोर जोर से मेरे गाल मींजती बोली ,
" छोटी साली होने के तूने कुछ पकड़ वकड कर नाप वाप के देखना चाहिए था न। "
" लगता है चीनू की सास सच में गदहे घोड़े के पास गयी थी "
मम्मी हंसते हुए बोलीं।
" मैंने तो बोला ही था गाने में न ,लोग कहें गदहे का जना "
अब हँसते हुए मैं भी उन लोगों के मजाक में शामिल हो गयी।
कुछ देर में नहा धो के तैयार होके मैं नर्सिंग होम में गयी.
रूम में चीनू अकेली थी ,मुझे देख के उनका थका मुरझाया चेहरा खिल उठा ,
, मैं कुछ बोलती ,पूछती उसके पहले उन्होंने मुझे अपनी बाहों में भर लिया और अपनी टिपिकल शरारती आवाज में बोलीं
" बच गयी तू , मेरी जगह तू इस बेड पर होती ,अगर कमल तेरे ऊपर सबसे पहले चढ़ते न ,"
मेरा अगले सवाल का अंदाज उन्हें हो गया था , इसलिए मेरे बिना पूछे बता दिया पूरा बित्ता फैला के जीजू की साइज ,
मेरी तो आँखे फटी की फटी रह गयी।
और मेरी कलाई पकड़ के दबाते चीनू ने इशारा किया उनके औजार की मोटाई का ,
मेरी साँस रुक गयी ,सच में गदहे वाली साइज।
' तभी ,लेकिन जीजू ने इत्ती जल्दी बाजी क्यों की "
मैं बोली पर चीनू दी ने मान ली गलती उन्ही की थी,मेरे जीजू की नहीं।
वो कुछ ज्यादा ही नखड़े दिखा रही थी ,पहले तो आज नहीं ,आज नहीं कहती रही ,
और घण्टे भर बाद जब अपनी जाँघे खोलीं भी तो जैसे ही जीजू ने घुसेड़ा,बजाय टाँगे फैलाने के , साथ देने के ,उन्होंने अपनी टाँगे भींच ली।
फिर डाक्टरनी ने बोला की उनकी झिल्ली थोड़ी मोटी भी थी ,इसलिए, थोड़ा बहुत खून निकला था ,
वो तो कह रही थी की हॉस्पिटल ले जाने की कोई जरूरत नहीं है लेकिन कमल जीजू एकदम परेशान हो गए और उन्हें यहां ले आये ,
अभी थोड़ी देर पहले ही गए हैं।
' सजा मिली दी आपको मेरे सीधे साधे जीजू को तंग करने की "
मैंने उन्हें चिढाया।
" घबड़ा मत जब तेरे ऊपर चढ़ेगा न तो फिर पूछुंगी तुझसे। "
अब वो भी मस्ती के मूड में आगयी थीं।
मेरे दिमाग में तो जीजू के औजार का साइज घूम रहा था , ये तो एकदम जैसे ब्ल्यू फिल्मों में देखते हैं एकदम वैसा ,
ऊपर से उनका एट्टीट्यूड भी एकदम फुल्ली मस्त
सच में बिचारी दी , इत्ता लंबा ,मोटा ,
बिचारी क्यों ,मजा भी तो खूब आया होगा।
मैंने सोचा,
मेरे आंख के सामने बस जीजू और उन का औजार घूम रहा था ,
कहते हैं न ,थिंक आफ डेविल , ... बस वही हुआ।
उसी समय बस बाहर से जीजू की आवाज सुनाई दी ,
मैंने मुस्कराते हुए चीनू दी को चुप रहने का इशारा किया और चुपके से कमरे से बाहर निकल आयी।
वो डाक्टरनी से बाते कर रहे थे ,
टॉल , फेयर ,हैंडसम,
लेकिन बरात में जो उनका हंसता हुआ चेहरा था ,अभी एकदम लटका हुआ ,
और डाक्टरनी भी उन्हें समझा रही थी।
डोंट ब्लेम योरसेल्फ ,ये होता है ,नथिंग ऐबनार्मल। वो अभी एकदम ठीक है।
मैंने तीन चार टाँके लगा दिया है, सब ठीक है। बस एक दिन यहाँ रहना होगा कल सुबह डिस्चार्ज होजायेगी।
एक बहुत छोटा सा टियर था मैंने ग्राफ्ट कर दिया है , बस कल शी विल बी ऐज गुड ऐज न्यू। कल रात जैसे थी बस वैसे , बल्कि बेहतर टाइटर।
थोड़ा जीजू के चेहरे पे मुस्कान लौटी ,और वो चीनू के कमरे में घुसे।
चीनू दी को वो समझा रहे थे की उन्हें कल डिस्चार्ज किया जायेगा , और सब एकदम ठीक है।
चुपके से मैंने पीछे से जाके उन्हें पकड़ लिया।
मेरी टाइट टी शर्ट मेरी लो राइज जीन्स में टक थी और मेरे बूब्स ,बस आप सोच सकते हैं , कटाव उभार के साथ निपल तक झलक रहे थे।
और पीछे से जीजू की पीठ में गड रहे थे।
जीजू का उदास चेहरा मुझसे नहीं देखा जा रहा था ,मैंने अपनी जीभ के टिप्स से उनके इयर लोब्स को हलके से छू दिया ,
बस वो ,
और मैं और चीनू खिलखिलाने लगे।
" क्यों जीजू इत्ते उदास क्यों हैं ,आज की रात का उपवास हो जाएगा ,इसलिए ? "
मैंने उन्हें चिढ़ाया।
" अरे वाह उपवास क्यों होगा , इत्ती अच्छी सी प्यारी सेक्सी साली जो है ,"
चीनू भी उन्हें चिढाने में जुट गयी।
" और क्या दी ,आपका घाटा तो मेरा फायदा , और जीजू रात की बात तो रात को, कहिये तो थोड़ा बहुत ब्रेकफास्ट अभी आपको करा दूँ , थोड़ी सी पेट पूजा कहीं भी ,कभी भी। "
मैं भी चीनू के साथ मिल गयी।
जीजू के चेहरे पर थोड़ी सी मुस्कान लौटी।
" देखा मेरी बहन है पीछे नहीं हटने वाली " चीनू भी हंसते हुए बोली।
" कहिये तो दरवाजा बंद करूँ और यही बिस्तर पे ,चीनू की बगल में ,
बहुत जगह है इसके बिस्तर पे ,वरना जिंदगी भर शिकायत करेगी ,मेरे मरद को भूखा रखा। "
मैं बोली।
" वैसलीन लगा के आयी हो क्या "
जीजू अब अपने असली मूड में आ गए थे , चिढाते हुए बोले।
" जीजू मैं परफेक्ट आर्गेनिक हूँ , सिर्फ सैलाइवा ,
वैसे भी सच में बोलूं आप को देखते ही लार टपकने लगती है और वो साली की साली वो भी गीली हो जाती है। इसलिए एवर रेडी फॉर माई हैंडसम जीजू "
मैं भी जीजू के लेवल पर आ गयी थी।
लेकिन बुरा हो हॉस्पिटल वालों का तभी एक नर्स आगयी चूतड़ मटकाती ,दी को इंजेक्शन लगाने और हम दोनों को निकालने ,
विजिटिंग ऑवर खत्म हो गया था ,
जीजू की निगाह उस नर्स के पिछवाड़े चिपकी थी।
" क्यों जीजू , मस्त पिछवाड़ा है न बहुत ललचा रहे हो। "
लेकिन अब कमल जीजू अपने रंग में आ चुके थे , पीछे से मेरी टाइट जीन्स में कसर मसर करते गुदाज चूतड़ों के बीच दरार में ऊँगली रगड़ते बोले ,
" लेकिन मेरी साली से ज्यादा नहीं। "
फिर ऊँगली और ज्यादा धंसाते बोले ,
" तुझे मालूम है ,मैं पिछवाड़े का भी उतना ही शौक़ीन हूँ जितना अगवाड़े का ,तेरा पिछवाड़ा भी नहीं छोडूंगा , बिना बजाये। "
मैं सच में गीली हो गयी ,
मेरे सामने चीनू दी का डिस्क्रिप्शन घूम गया ,
बालिश्त भर लंबा और मेरी कलाई के बराबर मोटा।
मैंने इधर उधर देखा , हॉस्पिटल में सन्नाटा था।
मैंने जोर से जीजू की जीन्स के ऊपर से ही बल्ज जोर से दबाया /
तन्ना रहा था ,और हँसते हुए बोली ,
" एकदम जीजू वरना मेरा पिछवाड़ा गुस्सा नहीं हो जाएगा। मुझे भेदभाव एकदम पसंद नहीं। "
न उन्होंने मेरी गांड की दरार पर से ऊँगली हटाई और न मैंने उनके तन्नाते , टेंट पोल पर से अपना हाथ।
" जीजू ,इसपर पहला नम्बर तो मेरा लगना था लेकिन चलिए चीनू बड़ी है मैंने बख्श दिया ,पर आज मैं नहीं छोडूंगी आज की रात साली के नाम "
मैंने जीजू के टेंट पोल को अब खुल के रगड़ते बोली।
जीजू का दूसरा हाथ मेरे कंधे पर था जो सरक कर टी फाड़ते मेरी गोलाई पर आ पहुँचा ,और खुल के दबाते बोले,
" तुझपे भी तो पहला नंबर मेरा लगना था पर , अब आज की रात तू बचेगी नहीं ,न अगवाड़ा न पिछवाड़ा। "
हम लोगों को अलग अलग करने वाला रास्ता आ गया था ,
उन्हें दिखाते ललचाते मैंने एक जोर की अंगड़ाई ली ,मेरे दोनों कबूतर एकदम छलक रहे थे , और बोली ,
" जीजू आपके मुंह में घी शक्कर , बचना कौन साली चाहती है। और ये साली मना करने वाली नहीं है। "
जीजू हँसते हुए बोले ,
" और अगर मना करे तो ,... "
" तो मानियेगा मत ,... " और मैंने उन्हें दिखा के ,अपने मस्त चूतड़ मटकाते ललचाते मौसी के घर की ओर चल पड़ी।
रात आयी लेकिन ,
जीजू नहीं आये , वो बिचारे हॉस्पिटल में चीनू के कमरे के बाहर एक कुर्सी पर बैठे , जागते हुए उन्होंने रात गुजारी। .
मुझे अगली सुबह वापस जाना था ,लेकिन घर पहुँचते ही पहला फोन कमल जीजू का आया ,
वही मस्ती ,वही अंदाज ,
" तू अबकी तो बच गयी पर अगली बार नहीं बचेगी। "
" अरे जीजू आपको कित्ती बार समझाऊं , ये साली बचना नहीं चाहती। "
फिर पूरे आधे घंटे तक वो खुल के मजाक ,द्विअर्थी डायलाग।
और उस के बाद हर हफ्ते दस दिन में उनका फोन आ जाता था , बस वही कोहबर की शर्त याद दिलाते , जबरदस्त सेन्स आफ ह्यूमर।
लेकिन मैं बची रही ,उनसे मुलाक़ात ही नहीं हुयी ,फिर मेरा ससुराल , हर तरह की पाबन्दी।
डेढ़ साल से ऊपर हो गए ,
जब मैं उठी तो साढ़े नौ बज गया था ,
और उठते ही पता चला की चीनू दी , हास्पिटल में भर्ती हो गयी हैं।
मेरी तो सोच सोच के ,डर से आशंका से हालात ख़राब ,
कल सुबह इसी समय तो विदाई हुयी थी उनकी ,कल रात ही तो सुहागरात थी ,इतनी मीठी मीठी बातें पर
और बिचारे कमल जीजू उनकी क्या हालत हुयी होगी ,
कुछ सोच नहीं पा रही थी , किसी ने बोला बड़ी मौसी ( चीनू दी की माँ )अभी हॉस्पिटल से चीनू को देख के आ रही हैं ,
बस दौड़ती हुयी मैं उनके कमरे में पहुंची।
और
मौसी और मेरी मम्मी जोर जोर से खिलखिला रही थीं।
मेरी घबड़ाई हालत देख के मौसी ने हँसते पूछा ,
" कोमलिया तुझे क्या हो गया ,सुबह सुबह इतनी परेशान , ... "
मैंने किसी तरह अपने को कंट्रोल करते बोला ,
" चीनू दी ,.. हास्पिटल ,... अभी आप "
एक बार फिर मौसी और मम्मी खिलखिलाने लगीं।
" अरे तेरी चीनू दी की तेरे उस दुष्ट जीजा ने फाड़ दी और कुछ नहीं। "
मौसी जोर जोर से हंसते बोलीं।
फटती तो सबकी है सुहागरात में ,
लेकिन हॉस्पिटल ,
मैं सोच रही थी की मम्मी ने सब हाल खुलासा किया।
कमल जीजू लगता है कुछ ज्यादा ही 'वेल एंडाऊड ' है , बस , चीनू दी की ब्लीडिंग रुक नहीं रही थी , इसलिए पास के नर्सिंग होम में भर्ती किया है , शायद एक दो टाँके वांके लगेंगे। मौसी देख के आयीं हैं ,उन्होंने डॉक्टर से बात भी की है , सब ठीक है परेशानी की कोई बात नहीं है।
और तबतक मंझली मौसी भी आ गयी और वो एकदम मेरे पीछे पड़ गयीं ,
जोर जोर से मेरे गाल मींजती बोली ,
" छोटी साली होने के तूने कुछ पकड़ वकड कर नाप वाप के देखना चाहिए था न। "
" लगता है चीनू की सास सच में गदहे घोड़े के पास गयी थी "
मम्मी हंसते हुए बोलीं।
" मैंने तो बोला ही था गाने में न ,लोग कहें गदहे का जना "
अब हँसते हुए मैं भी उन लोगों के मजाक में शामिल हो गयी।
कुछ देर में नहा धो के तैयार होके मैं नर्सिंग होम में गयी.
रूम में चीनू अकेली थी ,मुझे देख के उनका थका मुरझाया चेहरा खिल उठा ,
, मैं कुछ बोलती ,पूछती उसके पहले उन्होंने मुझे अपनी बाहों में भर लिया और अपनी टिपिकल शरारती आवाज में बोलीं
" बच गयी तू , मेरी जगह तू इस बेड पर होती ,अगर कमल तेरे ऊपर सबसे पहले चढ़ते न ,"
मेरा अगले सवाल का अंदाज उन्हें हो गया था , इसलिए मेरे बिना पूछे बता दिया पूरा बित्ता फैला के जीजू की साइज ,
मेरी तो आँखे फटी की फटी रह गयी।
और मेरी कलाई पकड़ के दबाते चीनू ने इशारा किया उनके औजार की मोटाई का ,
मेरी साँस रुक गयी ,सच में गदहे वाली साइज।
' तभी ,लेकिन जीजू ने इत्ती जल्दी बाजी क्यों की "
मैं बोली पर चीनू दी ने मान ली गलती उन्ही की थी,मेरे जीजू की नहीं।
वो कुछ ज्यादा ही नखड़े दिखा रही थी ,पहले तो आज नहीं ,आज नहीं कहती रही ,
और घण्टे भर बाद जब अपनी जाँघे खोलीं भी तो जैसे ही जीजू ने घुसेड़ा,बजाय टाँगे फैलाने के , साथ देने के ,उन्होंने अपनी टाँगे भींच ली।
फिर डाक्टरनी ने बोला की उनकी झिल्ली थोड़ी मोटी भी थी ,इसलिए, थोड़ा बहुत खून निकला था ,
वो तो कह रही थी की हॉस्पिटल ले जाने की कोई जरूरत नहीं है लेकिन कमल जीजू एकदम परेशान हो गए और उन्हें यहां ले आये ,
अभी थोड़ी देर पहले ही गए हैं।
' सजा मिली दी आपको मेरे सीधे साधे जीजू को तंग करने की "
मैंने उन्हें चिढाया।
" घबड़ा मत जब तेरे ऊपर चढ़ेगा न तो फिर पूछुंगी तुझसे। "
अब वो भी मस्ती के मूड में आगयी थीं।
मेरे दिमाग में तो जीजू के औजार का साइज घूम रहा था , ये तो एकदम जैसे ब्ल्यू फिल्मों में देखते हैं एकदम वैसा ,
ऊपर से उनका एट्टीट्यूड भी एकदम फुल्ली मस्त
सच में बिचारी दी , इत्ता लंबा ,मोटा ,
बिचारी क्यों ,मजा भी तो खूब आया होगा।
मैंने सोचा,
मेरे आंख के सामने बस जीजू और उन का औजार घूम रहा था ,
कहते हैं न ,थिंक आफ डेविल , ... बस वही हुआ।
उसी समय बस बाहर से जीजू की आवाज सुनाई दी ,
मैंने मुस्कराते हुए चीनू दी को चुप रहने का इशारा किया और चुपके से कमरे से बाहर निकल आयी।
वो डाक्टरनी से बाते कर रहे थे ,
टॉल , फेयर ,हैंडसम,
लेकिन बरात में जो उनका हंसता हुआ चेहरा था ,अभी एकदम लटका हुआ ,
और डाक्टरनी भी उन्हें समझा रही थी।
डोंट ब्लेम योरसेल्फ ,ये होता है ,नथिंग ऐबनार्मल। वो अभी एकदम ठीक है।
मैंने तीन चार टाँके लगा दिया है, सब ठीक है। बस एक दिन यहाँ रहना होगा कल सुबह डिस्चार्ज होजायेगी।
एक बहुत छोटा सा टियर था मैंने ग्राफ्ट कर दिया है , बस कल शी विल बी ऐज गुड ऐज न्यू। कल रात जैसे थी बस वैसे , बल्कि बेहतर टाइटर।
थोड़ा जीजू के चेहरे पे मुस्कान लौटी ,और वो चीनू के कमरे में घुसे।
चीनू दी को वो समझा रहे थे की उन्हें कल डिस्चार्ज किया जायेगा , और सब एकदम ठीक है।
चुपके से मैंने पीछे से जाके उन्हें पकड़ लिया।
मेरी टाइट टी शर्ट मेरी लो राइज जीन्स में टक थी और मेरे बूब्स ,बस आप सोच सकते हैं , कटाव उभार के साथ निपल तक झलक रहे थे।
और पीछे से जीजू की पीठ में गड रहे थे।
जीजू का उदास चेहरा मुझसे नहीं देखा जा रहा था ,मैंने अपनी जीभ के टिप्स से उनके इयर लोब्स को हलके से छू दिया ,
बस वो ,
और मैं और चीनू खिलखिलाने लगे।
" क्यों जीजू इत्ते उदास क्यों हैं ,आज की रात का उपवास हो जाएगा ,इसलिए ? "
मैंने उन्हें चिढ़ाया।
" अरे वाह उपवास क्यों होगा , इत्ती अच्छी सी प्यारी सेक्सी साली जो है ,"
चीनू भी उन्हें चिढाने में जुट गयी।
" और क्या दी ,आपका घाटा तो मेरा फायदा , और जीजू रात की बात तो रात को, कहिये तो थोड़ा बहुत ब्रेकफास्ट अभी आपको करा दूँ , थोड़ी सी पेट पूजा कहीं भी ,कभी भी। "
मैं भी चीनू के साथ मिल गयी।
जीजू के चेहरे पर थोड़ी सी मुस्कान लौटी।
" देखा मेरी बहन है पीछे नहीं हटने वाली " चीनू भी हंसते हुए बोली।
" कहिये तो दरवाजा बंद करूँ और यही बिस्तर पे ,चीनू की बगल में ,
बहुत जगह है इसके बिस्तर पे ,वरना जिंदगी भर शिकायत करेगी ,मेरे मरद को भूखा रखा। "
मैं बोली।
" वैसलीन लगा के आयी हो क्या "
जीजू अब अपने असली मूड में आ गए थे , चिढाते हुए बोले।
" जीजू मैं परफेक्ट आर्गेनिक हूँ , सिर्फ सैलाइवा ,
वैसे भी सच में बोलूं आप को देखते ही लार टपकने लगती है और वो साली की साली वो भी गीली हो जाती है। इसलिए एवर रेडी फॉर माई हैंडसम जीजू "
मैं भी जीजू के लेवल पर आ गयी थी।
लेकिन बुरा हो हॉस्पिटल वालों का तभी एक नर्स आगयी चूतड़ मटकाती ,दी को इंजेक्शन लगाने और हम दोनों को निकालने ,
विजिटिंग ऑवर खत्म हो गया था ,
जीजू की निगाह उस नर्स के पिछवाड़े चिपकी थी।
" क्यों जीजू , मस्त पिछवाड़ा है न बहुत ललचा रहे हो। "
लेकिन अब कमल जीजू अपने रंग में आ चुके थे , पीछे से मेरी टाइट जीन्स में कसर मसर करते गुदाज चूतड़ों के बीच दरार में ऊँगली रगड़ते बोले ,
" लेकिन मेरी साली से ज्यादा नहीं। "
फिर ऊँगली और ज्यादा धंसाते बोले ,
" तुझे मालूम है ,मैं पिछवाड़े का भी उतना ही शौक़ीन हूँ जितना अगवाड़े का ,तेरा पिछवाड़ा भी नहीं छोडूंगा , बिना बजाये। "
मैं सच में गीली हो गयी ,
मेरे सामने चीनू दी का डिस्क्रिप्शन घूम गया ,
बालिश्त भर लंबा और मेरी कलाई के बराबर मोटा।
मैंने इधर उधर देखा , हॉस्पिटल में सन्नाटा था।
मैंने जोर से जीजू की जीन्स के ऊपर से ही बल्ज जोर से दबाया /
तन्ना रहा था ,और हँसते हुए बोली ,
" एकदम जीजू वरना मेरा पिछवाड़ा गुस्सा नहीं हो जाएगा। मुझे भेदभाव एकदम पसंद नहीं। "
न उन्होंने मेरी गांड की दरार पर से ऊँगली हटाई और न मैंने उनके तन्नाते , टेंट पोल पर से अपना हाथ।
" जीजू ,इसपर पहला नम्बर तो मेरा लगना था लेकिन चलिए चीनू बड़ी है मैंने बख्श दिया ,पर आज मैं नहीं छोडूंगी आज की रात साली के नाम "
मैंने जीजू के टेंट पोल को अब खुल के रगड़ते बोली।
जीजू का दूसरा हाथ मेरे कंधे पर था जो सरक कर टी फाड़ते मेरी गोलाई पर आ पहुँचा ,और खुल के दबाते बोले,
" तुझपे भी तो पहला नंबर मेरा लगना था पर , अब आज की रात तू बचेगी नहीं ,न अगवाड़ा न पिछवाड़ा। "
हम लोगों को अलग अलग करने वाला रास्ता आ गया था ,
उन्हें दिखाते ललचाते मैंने एक जोर की अंगड़ाई ली ,मेरे दोनों कबूतर एकदम छलक रहे थे , और बोली ,
" जीजू आपके मुंह में घी शक्कर , बचना कौन साली चाहती है। और ये साली मना करने वाली नहीं है। "
जीजू हँसते हुए बोले ,
" और अगर मना करे तो ,... "
" तो मानियेगा मत ,... " और मैंने उन्हें दिखा के ,अपने मस्त चूतड़ मटकाते ललचाते मौसी के घर की ओर चल पड़ी।
रात आयी लेकिन ,
जीजू नहीं आये , वो बिचारे हॉस्पिटल में चीनू के कमरे के बाहर एक कुर्सी पर बैठे , जागते हुए उन्होंने रात गुजारी। .
मुझे अगली सुबह वापस जाना था ,लेकिन घर पहुँचते ही पहला फोन कमल जीजू का आया ,
वही मस्ती ,वही अंदाज ,
" तू अबकी तो बच गयी पर अगली बार नहीं बचेगी। "
" अरे जीजू आपको कित्ती बार समझाऊं , ये साली बचना नहीं चाहती। "
फिर पूरे आधे घंटे तक वो खुल के मजाक ,द्विअर्थी डायलाग।
और उस के बाद हर हफ्ते दस दिन में उनका फोन आ जाता था , बस वही कोहबर की शर्त याद दिलाते , जबरदस्त सेन्स आफ ह्यूमर।
लेकिन मैं बची रही ,उनसे मुलाक़ात ही नहीं हुयी ,फिर मेरा ससुराल , हर तरह की पाबन्दी।
डेढ़ साल से ऊपर हो गए ,