09-02-2020, 12:44 PM
(This post was last modified: 09-05-2021, 02:59 PM by komaalrani. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
ननद और भौजाइ
उस रात ,...
अगली सुबह मैं देर से उठी , और जब उठी तो पता चला,...
सोई भी तो बहुत देर से थी, और सोता भी कौन ,
एक बड़े से कमरे में हम ननदों और भौजाइयों के सोने का इंतजाम था , जैसा शादी वाले घर में होता है , जमीन पर बिस्तर लगा हुआ था , गद्दे चद्दर , जाड़े का मौसम था इसलिए खूब मोटी मोटी लंबी लंबी रजाइयां , और बस ,
लिहाफ के अंदर चाहे कोई कच्चे टिकोरे वाली ननद हो या बस अभी झांटे आ रही थी ,
भौजाइयों उसे गपुच लेती थीं , और फिर जोर जबरदस्ती थोड़ी मान मनौवल ,
अरे तेरे भैया नहीं तो आज तेरे हो साथ ,
मेरे ऊपर तो भौजाइयों की 'विशेष कृपा' रहती थी ,
और उस रात तो और ,
शादी के अगले दिन की रात ,कुछ लोग चले गए थे ,बाकी ज्यादातर कल सुबह चले जाने वाले थे ,फिर पता नहीं कब मिलते।
शादी के काम का प्रेशर भी नहीं था। ,... आज आखिरी मौका था , तो ,... कौन सोता कौन सोने देता ,...
मेरे बगल की रजाई में चीनू दी की दो छोटी चचेरी बहने , गीता और नीता थीं , अभी दोनों बारहवे में गयी ही थी ,
और भौजाइयां चालू हो गयी ,
मुश्किल से १० बजा होगा और किसी ने कमरे की बत्ती बंद कर दी ,
" हे मालूम है तुझे तेरी बहन की फट रही होगी इस समय , "
एक भौजी ने गीता से कहा ,
" फट नहीं रही होगी ,अब तक फट गयी होगी , दूल्हा उसका ऐसे छोड़ने वाला नहीं है "
नीलू भाभी ने अपनी राय दी।
अबतक गीता एक भाभी की बाहों में थीं ,
" चल तुझे बताती हूँ की कैसे फटी होगी तेरी दी की आज रात। "
लेकिन तबतक संध्या भाभी मेरे पीछे पड़ गयीं , अरे चल पहले इसकी ले के बताते हैं न , ये लड़कियां भी देख के सीख जाएंगी ,
मेरी रजाई और साया एक साथ उन्होंने नीलू भाभी के साथ पलट दिया ,
फिर तो चीनू दी का नाम ले के , मैं चीनू दी बन के रोल प्ले कर रही थी नीचे से कभी चूतड़ उचका के कभी सिसक के कभी चीख के और
संध्या भाभी कमल जीजू का
( लेकिन मन में मेरे सचमुच में कमल जीजू ही थे , मुझे मालूम था की मेरी वो छोड़ने वाले नहीं थे , )
और बारह बजने तक तो कोई ननद बची नहीं थी , उधर वहां चीनू दी की सुहागरात उनकी ससुराल में हो रही होगी और यहां ,
कच्चे टिकोरे हों या आ रही छोटी छोटी अमिया हो , शलवार ,स्कर्ट ,कैपरी सब की सब सरक के नीचे उतर चुकी थीं ,
नयी गीली गुलाबी चूतो पर भाभियों की खूब धक्का खायी बुरें , रगड़ घिस्स ,रगड़ घिस्स।
" अरे गनीमत मान होने वाले ननदोई जी का ख्याल कर के पूरी ऊँगली नहीं पेल रही हूँ , बिचारे को झिल्ली इंटैक्ट मिले , लेकिन ज़रा नीचे वाली कुठरिया का ले ले लेने दे। "
किसी कोने से रजाई के अंदर से भौजाई की आवाज आती , तो कहीं कोई किसी शर्माती घबड़ाती ननद को कोई चिढाती ,
" काहें को इतना शरमा रही है वहां तेरी चीनू दी की झिल्ली कब की फट चुकी होगी ,
अब तो वो तेरे जीजू के हर धक्के का जवाब धक्के से दे रही होंगी। "
चीनू दी का तो पता नहीं पर मैंने संध्या भाभी के हर धक्के का जवाब धक्के से दे रही थी।
उतनी खेली खायी तो नहीं थी पर मैं भी अभी अभी हनीमून से सीधे यहाँ लौटी थी , ढेर सारे दांवपेंच ,पैंतरे मैंने भी सीख लिए थे , बेड रेसलिंग के।
कुछ देर में संध्या भाभी नीचे ,मैं ऊपर ,उनके दोनों गुदाज उभार मेरे हाथों में और मेरी चूत उनकी बुर की रगड़ाई करती।
बत्ती बंद थी , पर रोशनदान से आती चांदनी से सब कुछ साफ़ साफ़ दिखता था ,
और मेरी बगल की रजाई में दोनों कजिन्स ,गीता और नीता बैठ कर टुकुर टुकुर ,
सिर्फ बुर की रगड़ाई घिसाई नहीं ,
चूसना चाटना ,
69 सब कुछ ,
तीन चार बार से कम कोई नहीं झड़ा होगा ,चाहे कच्ची कुँवारी किशोर कलियाँ रही हों या दो दो बच्चे की माँ भौजाइयां ,
और मेरे साथ तो ,..
संध्या भाभी हटीं तो रानू भाभी पहले से घात लगाये बैठीं थी।
४-५ भौजाइयां, एक के बाद एक
सारी भौजाइयों ने मुझसे अपनी चूत चटवायी , चुसवाई
और वो भी बगल में टुकुर टुकुर देखती , मेरी छोटी कजिन्स को दिखा दिखा के ,
" देख ऐसे चाटते है , सीख ले , बहुत काम आएगा , ... "
मैं कभी जीभ की टिप से भाभी की क्लिट छेड़ देती , कभी पूरी जीभ अंदर डाल के जैसे कोई मर्द चोद रहा हो वैसे बुर उनकी चोदती , और चिढ़ाती भी ,
" क्यों भैया ऐसे ही चोद चोद के आपको झाड़ते हैं न ,... "
और यही नहीं जब सुबह होने वाली थी ,
दो भौजाइयों ने मेरे दोनों हाथ पकडे , दो ने दोनों टाँगे फैला दी
और मेरी छोटी बहनों से मेरी चूत चुसवाई
जब तक मैं झड़ झड़ कर थेथर नहीं हो गयी
पांच बजे के आसपास ही सोने को मिला और तब तक एकदम लस्त पस्त.
जब मैं उठी तो साढ़े नौ बज गया था ,
और उठते ही पता चला की चीनू दी , हास्पिटल में भर्ती हो गयी हैं।
उस रात ,...
अगली सुबह मैं देर से उठी , और जब उठी तो पता चला,...
सोई भी तो बहुत देर से थी, और सोता भी कौन ,
एक बड़े से कमरे में हम ननदों और भौजाइयों के सोने का इंतजाम था , जैसा शादी वाले घर में होता है , जमीन पर बिस्तर लगा हुआ था , गद्दे चद्दर , जाड़े का मौसम था इसलिए खूब मोटी मोटी लंबी लंबी रजाइयां , और बस ,
लिहाफ के अंदर चाहे कोई कच्चे टिकोरे वाली ननद हो या बस अभी झांटे आ रही थी ,
भौजाइयों उसे गपुच लेती थीं , और फिर जोर जबरदस्ती थोड़ी मान मनौवल ,
अरे तेरे भैया नहीं तो आज तेरे हो साथ ,
मेरे ऊपर तो भौजाइयों की 'विशेष कृपा' रहती थी ,
और उस रात तो और ,
शादी के अगले दिन की रात ,कुछ लोग चले गए थे ,बाकी ज्यादातर कल सुबह चले जाने वाले थे ,फिर पता नहीं कब मिलते।
शादी के काम का प्रेशर भी नहीं था। ,... आज आखिरी मौका था , तो ,... कौन सोता कौन सोने देता ,...
मेरे बगल की रजाई में चीनू दी की दो छोटी चचेरी बहने , गीता और नीता थीं , अभी दोनों बारहवे में गयी ही थी ,
और भौजाइयां चालू हो गयी ,
मुश्किल से १० बजा होगा और किसी ने कमरे की बत्ती बंद कर दी ,
" हे मालूम है तुझे तेरी बहन की फट रही होगी इस समय , "
एक भौजी ने गीता से कहा ,
" फट नहीं रही होगी ,अब तक फट गयी होगी , दूल्हा उसका ऐसे छोड़ने वाला नहीं है "
नीलू भाभी ने अपनी राय दी।
अबतक गीता एक भाभी की बाहों में थीं ,
" चल तुझे बताती हूँ की कैसे फटी होगी तेरी दी की आज रात। "
लेकिन तबतक संध्या भाभी मेरे पीछे पड़ गयीं , अरे चल पहले इसकी ले के बताते हैं न , ये लड़कियां भी देख के सीख जाएंगी ,
मेरी रजाई और साया एक साथ उन्होंने नीलू भाभी के साथ पलट दिया ,
फिर तो चीनू दी का नाम ले के , मैं चीनू दी बन के रोल प्ले कर रही थी नीचे से कभी चूतड़ उचका के कभी सिसक के कभी चीख के और
संध्या भाभी कमल जीजू का
( लेकिन मन में मेरे सचमुच में कमल जीजू ही थे , मुझे मालूम था की मेरी वो छोड़ने वाले नहीं थे , )
और बारह बजने तक तो कोई ननद बची नहीं थी , उधर वहां चीनू दी की सुहागरात उनकी ससुराल में हो रही होगी और यहां ,
कच्चे टिकोरे हों या आ रही छोटी छोटी अमिया हो , शलवार ,स्कर्ट ,कैपरी सब की सब सरक के नीचे उतर चुकी थीं ,
नयी गीली गुलाबी चूतो पर भाभियों की खूब धक्का खायी बुरें , रगड़ घिस्स ,रगड़ घिस्स।
" अरे गनीमत मान होने वाले ननदोई जी का ख्याल कर के पूरी ऊँगली नहीं पेल रही हूँ , बिचारे को झिल्ली इंटैक्ट मिले , लेकिन ज़रा नीचे वाली कुठरिया का ले ले लेने दे। "
किसी कोने से रजाई के अंदर से भौजाई की आवाज आती , तो कहीं कोई किसी शर्माती घबड़ाती ननद को कोई चिढाती ,
" काहें को इतना शरमा रही है वहां तेरी चीनू दी की झिल्ली कब की फट चुकी होगी ,
अब तो वो तेरे जीजू के हर धक्के का जवाब धक्के से दे रही होंगी। "
चीनू दी का तो पता नहीं पर मैंने संध्या भाभी के हर धक्के का जवाब धक्के से दे रही थी।
उतनी खेली खायी तो नहीं थी पर मैं भी अभी अभी हनीमून से सीधे यहाँ लौटी थी , ढेर सारे दांवपेंच ,पैंतरे मैंने भी सीख लिए थे , बेड रेसलिंग के।
कुछ देर में संध्या भाभी नीचे ,मैं ऊपर ,उनके दोनों गुदाज उभार मेरे हाथों में और मेरी चूत उनकी बुर की रगड़ाई करती।
बत्ती बंद थी , पर रोशनदान से आती चांदनी से सब कुछ साफ़ साफ़ दिखता था ,
और मेरी बगल की रजाई में दोनों कजिन्स ,गीता और नीता बैठ कर टुकुर टुकुर ,
सिर्फ बुर की रगड़ाई घिसाई नहीं ,
चूसना चाटना ,
69 सब कुछ ,
तीन चार बार से कम कोई नहीं झड़ा होगा ,चाहे कच्ची कुँवारी किशोर कलियाँ रही हों या दो दो बच्चे की माँ भौजाइयां ,
और मेरे साथ तो ,..
संध्या भाभी हटीं तो रानू भाभी पहले से घात लगाये बैठीं थी।
४-५ भौजाइयां, एक के बाद एक
सारी भौजाइयों ने मुझसे अपनी चूत चटवायी , चुसवाई
और वो भी बगल में टुकुर टुकुर देखती , मेरी छोटी कजिन्स को दिखा दिखा के ,
" देख ऐसे चाटते है , सीख ले , बहुत काम आएगा , ... "
मैं कभी जीभ की टिप से भाभी की क्लिट छेड़ देती , कभी पूरी जीभ अंदर डाल के जैसे कोई मर्द चोद रहा हो वैसे बुर उनकी चोदती , और चिढ़ाती भी ,
" क्यों भैया ऐसे ही चोद चोद के आपको झाड़ते हैं न ,... "
और यही नहीं जब सुबह होने वाली थी ,
दो भौजाइयों ने मेरे दोनों हाथ पकडे , दो ने दोनों टाँगे फैला दी
और मेरी छोटी बहनों से मेरी चूत चुसवाई
जब तक मैं झड़ झड़ कर थेथर नहीं हो गयी
पांच बजे के आसपास ही सोने को मिला और तब तक एकदम लस्त पस्त.
जब मैं उठी तो साढ़े नौ बज गया था ,
और उठते ही पता चला की चीनू दी , हास्पिटल में भर्ती हो गयी हैं।