09-02-2020, 12:31 PM
(This post was last modified: 09-05-2021, 09:26 AM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
कोहबर
तबतक कोहबर की घेरा बन्दी शुरू हो गयी थी और जूते के लिए सौदेबाजी भी ,
मैं अपनी कजिन्स और भौजाइयों के साथ कोहबर के दरवाजे पर मोर्चा लगा के बैठे , और उधर दूल्हे के साथ उनकी बहनें दोस्त सब ,
और जीजू के दोस्त भी एकदम खुल के मजाक करने वाले , लेकिन मैं और संध्या भाभी तो थे ही आज हम लोगो के यहां की छुटकियां भी ,
मीता के बगल में कमल जीजू का एक दोस्त खड़ा था ,बोला
" अरे घुसने दीजिये न वरना हम धक्का मार के घुस जाएंगे। "
" लगता था इस छिनार के साथ बहुत धक्का मारने की प्रैक्टिस कर के आये हैं सब बराती।"
मीता की ओर इशारा करके संध्या भाभी ने चिढ़ाया।
" देखिये यहां घुसने का हक़ सिर्फ मेरे जीजू का है , और मैं उन्हें मना भी नहीं करुँगी , बस फ़ीस दे अंदर जाएँ। : "
मैं आँखे नचाते उस लड़के से बोली।
मीता फिर अपने रंग पे आ गयी थी ,
अपने भैया से सटती बोली,
" अरे आप लोग घुसने देने का पैसा चार्ज करती है ,क्या रेट है ,सबका एक ही रेट है या अलग अलग?"
" वो बातें तो हम जीजू से अंदर कर लेंगी लेकिन अभी आप लोग जूते का नेग दीजिये , "
हमारी ओर की एक छुटकी जो उम्र में मीता के ही बराबर रही होगी।
" इस नोटबंदी के जमाने में पैसा कहाँ होगा अरे अपनी मशीन खोलिये , बस भैया अपना कार्ड डाल देंगे , "
नीतू भी अब चहक रही थी।
हमारे घर के लड़के भी बरातियों की लड़कियों के आस पास मंडरा रहे थे।
बंसती हम लोगों से बोलीं , अरे आवे दा दूल्हा के ,
और जब तक हम लोग कुछ समझते , हमारे यहां के लड़को को मीता और नीतू की ओर इशारा करके बोली ,
"इन दोनों को लेजाओ न बहुत गरमा रही हैं इन दोनों की नथ उतराई में ही इतना पैसा मिल जाएगा की सब नेग की रस्म हो जायेगी। "
अंत में समझौता हो गया , लड़कियां जिद कर रही थीं की वो भी अपने भैया के साथ कोहबर में आएँगी।
लेकिन हमने सिर्फ कमल जीजू को अंदर घुसने दिया।
पर वो भी ,टिपिकल कमल जीजू , मुझे दरेरते रगड़ते अंदर घुसे , पर मैं भी तो यही चाहती थी और रास्ता छेंके खड़ी रही।
पर जो नहीं सोचती थी वो भी हुआ ,मौके का फायदा उठा के मेरे टाइट कुर्ते से झांकते दोनों उभारों को जीजू ने कस के दबोच भी लिया।
मौके का फायदा सिर्फ वही उठा सकते थे क्या ,आखिर उनकी छोटी साली थी मैं ,
मैंने भी उस भीड़ धक्का मुक्की में अपने मेंहदी लगे हाथ सीधे उनके बल्ज पे , और जिस ताकत से उन्होंने मेरे कबूतरों को रगड़ा मसला था उससे भी दूनी जोर से ,
आखिर उन्हें भी तो ससुराल का ,कोहबर का और साली का मजा मिलना चाहिए।
कोहबर में खूब रगड़ाई हुयी उनकी , धान कुटवाया गया और साथ में गारियाँ भी ,
धान कूटा हो दूल्हा धान कूटा हो ,अपनी बहिनी क ओखरी में धान कूटा हो /
और छोटी साली होने के नाते सब रस्में भी मैंने कराई ,
दुल्हन के हाथ कमल जीजू को पानी पिलाने का काम ,
( आफ कोर्स ,वो चीनू दी का जूठा था ) ,
दुल्हन के हाथ कमल जीजू को पान खिलाने का काम
( उसके अंदर भी एक छोटा सा पान था जिसे चीनू दी ने घंटो मुंह में रखकर कुचला चुभलाया था )
हमी तीनो थे ,उस समय मैंने मौके का फायदा उठा के कमल जीजू से दिल की बात कह दी ,
( मैंने एकदम खुल कर गालियां दी थीं ,उन्हें भँडुआ ,गंडुआ ,मादरचोद ,बहनचोद सब तो बोला था , सिर्फ मीता और नीतू से नहीं बल्कि उनकी माँ और मौसी से भी रिश्ता जोड़ जोड़ के , तो मुझे लगा की कहीं ज्यादा तो नहीं हो गया )
" जीजू आपने बुरा तो नहीं माना " हिचकते हुए मैं बोल गयी।
पर कमल जीजू न , एकदम मेरे अच्छे वाले प्यारे जीजू , परफेक्ट जीजू ,
बिना इस बात का ख्याल किये की उनकी दुल्हन बगल में बैठी है ,सास और सलहजें भी सुन सकती है , मुस्कराते बोले ,
" अरे बुरवाली की बात का क्या बुरा मानना "
मुझे लगा चीनू दी बुरा मान जाएंगे पर वो भी अब एकदम अपने साजन की हो गयी थीं , ... वो मुस्कराने लगीं।
" और जब मैं कुछ करूँगा तो तू बुरा तो नहीं मानेगी न " जीजू मुझसे एडवांस में गारंटी लेना चाहते थे।
मैं मुस्कराते हुए चुप रही ,पर चीनू दी भी न उन्होंने एकदम पाला बदल लिया था , हम बहनों का साथ छोड़ के मेरे जीजू की तरफ चली गयी थी।
मुझे कोहनी मारती बोलीं ,
" अब चुप क्यों है बोल न "
" जीजू , ये बुरवाली बुरा मानने वाली नहीं है , और ये साली आधी घरवाली नहीं डबल घरवाली है ,जित्ता दी के साथ , उसका दूना इस बुरवाली साली के साथ। "
अब हम तीनों में कोई पर्दा नहीं रह गया था ,और कोहबर की शर्त तो हमेशा की शर्त हो जाती है।
लेकिन चीनू दी अगर मेरे कमल जीजू की ओर डिफेक्ट कर गयीं थीं ,मेरा साथ छोड़ के तो मैं क्यों उनका साथ देती।
एक बार फिर से उन दोनों की गाँठ जोड़ते मैंने जीजू को उनके फायदे की बात बता दी ,
" जीजू , पिछले चार दिन से जब से दी की को पांचदिन वाली सहेली गयीं है न ,दी पिल पर हैं। इसलिए आप को बेकार में रबड़ वबड पे पैसा खर्च करने की जरूरत नहीं है , "
चीनू दी ने मुझे घूर के देखा पर मुस्कराहट नहीं रोक पायीं ,अब वो बात तो पता नहीं जीजू से कह पाती की नहीं तो मैंने कह दी।
और मालूम तो सब को था ही की आज रात चीनू दी के साथ क्या होना है।
तबतक कोहबर की घेरा बन्दी शुरू हो गयी थी और जूते के लिए सौदेबाजी भी ,
मैं अपनी कजिन्स और भौजाइयों के साथ कोहबर के दरवाजे पर मोर्चा लगा के बैठे , और उधर दूल्हे के साथ उनकी बहनें दोस्त सब ,
और जीजू के दोस्त भी एकदम खुल के मजाक करने वाले , लेकिन मैं और संध्या भाभी तो थे ही आज हम लोगो के यहां की छुटकियां भी ,
मीता के बगल में कमल जीजू का एक दोस्त खड़ा था ,बोला
" अरे घुसने दीजिये न वरना हम धक्का मार के घुस जाएंगे। "
" लगता था इस छिनार के साथ बहुत धक्का मारने की प्रैक्टिस कर के आये हैं सब बराती।"
मीता की ओर इशारा करके संध्या भाभी ने चिढ़ाया।
" देखिये यहां घुसने का हक़ सिर्फ मेरे जीजू का है , और मैं उन्हें मना भी नहीं करुँगी , बस फ़ीस दे अंदर जाएँ। : "
मैं आँखे नचाते उस लड़के से बोली।
मीता फिर अपने रंग पे आ गयी थी ,
अपने भैया से सटती बोली,
" अरे आप लोग घुसने देने का पैसा चार्ज करती है ,क्या रेट है ,सबका एक ही रेट है या अलग अलग?"
" वो बातें तो हम जीजू से अंदर कर लेंगी लेकिन अभी आप लोग जूते का नेग दीजिये , "
हमारी ओर की एक छुटकी जो उम्र में मीता के ही बराबर रही होगी।
" इस नोटबंदी के जमाने में पैसा कहाँ होगा अरे अपनी मशीन खोलिये , बस भैया अपना कार्ड डाल देंगे , "
नीतू भी अब चहक रही थी।
हमारे घर के लड़के भी बरातियों की लड़कियों के आस पास मंडरा रहे थे।
बंसती हम लोगों से बोलीं , अरे आवे दा दूल्हा के ,
और जब तक हम लोग कुछ समझते , हमारे यहां के लड़को को मीता और नीतू की ओर इशारा करके बोली ,
"इन दोनों को लेजाओ न बहुत गरमा रही हैं इन दोनों की नथ उतराई में ही इतना पैसा मिल जाएगा की सब नेग की रस्म हो जायेगी। "
अंत में समझौता हो गया , लड़कियां जिद कर रही थीं की वो भी अपने भैया के साथ कोहबर में आएँगी।
लेकिन हमने सिर्फ कमल जीजू को अंदर घुसने दिया।
पर वो भी ,टिपिकल कमल जीजू , मुझे दरेरते रगड़ते अंदर घुसे , पर मैं भी तो यही चाहती थी और रास्ता छेंके खड़ी रही।
पर जो नहीं सोचती थी वो भी हुआ ,मौके का फायदा उठा के मेरे टाइट कुर्ते से झांकते दोनों उभारों को जीजू ने कस के दबोच भी लिया।
मौके का फायदा सिर्फ वही उठा सकते थे क्या ,आखिर उनकी छोटी साली थी मैं ,
मैंने भी उस भीड़ धक्का मुक्की में अपने मेंहदी लगे हाथ सीधे उनके बल्ज पे , और जिस ताकत से उन्होंने मेरे कबूतरों को रगड़ा मसला था उससे भी दूनी जोर से ,
आखिर उन्हें भी तो ससुराल का ,कोहबर का और साली का मजा मिलना चाहिए।
कोहबर में खूब रगड़ाई हुयी उनकी , धान कुटवाया गया और साथ में गारियाँ भी ,
धान कूटा हो दूल्हा धान कूटा हो ,अपनी बहिनी क ओखरी में धान कूटा हो /
और छोटी साली होने के नाते सब रस्में भी मैंने कराई ,
दुल्हन के हाथ कमल जीजू को पानी पिलाने का काम ,
( आफ कोर्स ,वो चीनू दी का जूठा था ) ,
दुल्हन के हाथ कमल जीजू को पान खिलाने का काम
( उसके अंदर भी एक छोटा सा पान था जिसे चीनू दी ने घंटो मुंह में रखकर कुचला चुभलाया था )
हमी तीनो थे ,उस समय मैंने मौके का फायदा उठा के कमल जीजू से दिल की बात कह दी ,
( मैंने एकदम खुल कर गालियां दी थीं ,उन्हें भँडुआ ,गंडुआ ,मादरचोद ,बहनचोद सब तो बोला था , सिर्फ मीता और नीतू से नहीं बल्कि उनकी माँ और मौसी से भी रिश्ता जोड़ जोड़ के , तो मुझे लगा की कहीं ज्यादा तो नहीं हो गया )
" जीजू आपने बुरा तो नहीं माना " हिचकते हुए मैं बोल गयी।
पर कमल जीजू न , एकदम मेरे अच्छे वाले प्यारे जीजू , परफेक्ट जीजू ,
बिना इस बात का ख्याल किये की उनकी दुल्हन बगल में बैठी है ,सास और सलहजें भी सुन सकती है , मुस्कराते बोले ,
" अरे बुरवाली की बात का क्या बुरा मानना "
मुझे लगा चीनू दी बुरा मान जाएंगे पर वो भी अब एकदम अपने साजन की हो गयी थीं , ... वो मुस्कराने लगीं।
" और जब मैं कुछ करूँगा तो तू बुरा तो नहीं मानेगी न " जीजू मुझसे एडवांस में गारंटी लेना चाहते थे।
मैं मुस्कराते हुए चुप रही ,पर चीनू दी भी न उन्होंने एकदम पाला बदल लिया था , हम बहनों का साथ छोड़ के मेरे जीजू की तरफ चली गयी थी।
मुझे कोहनी मारती बोलीं ,
" अब चुप क्यों है बोल न "
" जीजू , ये बुरवाली बुरा मानने वाली नहीं है , और ये साली आधी घरवाली नहीं डबल घरवाली है ,जित्ता दी के साथ , उसका दूना इस बुरवाली साली के साथ। "
अब हम तीनों में कोई पर्दा नहीं रह गया था ,और कोहबर की शर्त तो हमेशा की शर्त हो जाती है।
लेकिन चीनू दी अगर मेरे कमल जीजू की ओर डिफेक्ट कर गयीं थीं ,मेरा साथ छोड़ के तो मैं क्यों उनका साथ देती।
एक बार फिर से उन दोनों की गाँठ जोड़ते मैंने जीजू को उनके फायदे की बात बता दी ,
" जीजू , पिछले चार दिन से जब से दी की को पांचदिन वाली सहेली गयीं है न ,दी पिल पर हैं। इसलिए आप को बेकार में रबड़ वबड पे पैसा खर्च करने की जरूरत नहीं है , "
चीनू दी ने मुझे घूर के देखा पर मुस्कराहट नहीं रोक पायीं ,अब वो बात तो पता नहीं जीजू से कह पाती की नहीं तो मैंने कह दी।
और मालूम तो सब को था ही की आज रात चीनू दी के साथ क्या होना है।