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Adultery रश्मि दीदी
#4
मेरी  बातों से उसे बड़ी लज्जा आ रही थी उसने मेरी बातों को सुन कर बेचैनी से अपना पहलू बदलने का प्रयास किया और तिरछी नजर सेमेरी  तरफ़ देखा। उसकी नजर मेरे से  मिल गई उसने देखा में  बड़े कामुक अंदाज में उसके शरीर का मुआयना कर रहा हु । मेरे  से नजर मिलते ही में मुस्कुरा दिया और फ़िर से उसे चूमते हुए उससे पूछने लगा "ड़ालने दोगी न?" दर असल अब में  पूरी तरह से रश्मी का मजा ले रहा था और केवल शारीरिक रुप से ही नहीं बल्की मान्सिक रुप से और अपनी बातों से भी वो उसको ये जता देना चाहता था कि तू पूरी तरह से मेंरे जाल मे फ़ंस चुकी है और मुझे तेरी खुशी और रजामंदि की कोई परवाह नहीं है। और ना ही मुझे किसी को पता चल जाने की कोई चिंता है। क्योंकि पता चल जाने पर भी नुकसान तो सबसे ज्यादा तेरा ही होना है।

कुछ देर तक इसी तरह से अपने पैरों पर पड़ी रश्मी के नंगे बदन का मन भर के मुआयना करने और हल्की कामुक बातें करने के बाद अब में  अत्यंत गरम हो चुका था और मेरे सब्र का बांध टूट
चुका था मेरे लिये खुद को रोक पाना संभव नहीं था। लंड़ उसका इतना कड़क हो चुका था कि अब वो दुखने लगा था जिसे बर्दाश्त करना अब मेरे  के बस में नहीं था। और फ़िर अपनी योजना के मुताबिक
में जीजाजी  के आने के पहले रश्मी की चूत में अपना लंड़ डाल कर उसकी सेक्स की भूख को जगा देना चाहता था,ताकि जीजाजी  के वापस जाने के बाद वो उसे अराम से जी-भर के चोद सके और उसके नंगे जिस्म से अपनी मर्जी के मुताबिक खिलवाड़ कर सके।वो उसके अंदर महिनों से दबी पड़ी कामवासना को जगा देना चाहता था। उसे पता था कि उसका बाकि काम उसका निकम्माजीजा उसके लिये आसान बना देगा।

अब मेने  फ़िर से उसके नंगे जिस्म पर हाथ घुमाना चालू कर दिया औरमें  उसके विशाल स्तनों को मसलने लगा। कुछ देर तक उसके दोनों स्तनो को मसलने के बाद में  बेकाबू होने लगा और मेने  एक हाथ से उसके स्तन को मसलना जारी रखा और दूसरा हाथ उसकी चूत पर रख दिया और धीरे धीरे उसे मसलने लगा। रश्मी लाख चाहे कि उसे मेरे  के साथ संबंध नही बनाना है लेकिन एक मर्द के इस तरह उसके नंगे बदन पर बार बार हाथ लगाने और उसके उत्तेजक अंगो को सहलाते रहने के कारण उसका शरीर धीरे धीरे गरम होने लगा। और उसे अपने अंग में अजिब सी सिहरन मह्सूस होने लगी। ना चाहते हुए भी उसे पुरुष के स्पर्श का आनंद तो मिल ही  रहा था। और उसे ड़र था कि कहीं वो बहक ना जाय इसलिये वो छटपटा रही थी कि किसी तरह से वो उसके चंगुल से अजाद हो जाय तो खुद पर काबू कर ले लेकिन मेरी  मजबूत पकड़ से निकलना उसके लिये संभव नहीं था।

ईश्वर ने स्त्री को रुप,यौवन आदि दे कर उसे बड़ा वरदान दिया है जिसके बल पर वो पुरुषों पर बहुत इतराती है लेकिन एक अन्याय भी कर दिया है उसके साथ कि उसे शक्ति नहीं प्रदान की अपने यौवन की रक्षा के लिये और पुरुषों की किस्मत में ना स्त्रीयों की तरह ना रुप ना यौवन लेकिन उसे शक्ति और अधीरता प्रदान कर दी। और वही पुरुष जब अधीर हो कर किसी स्त्री के यौवन को हासिल करने के लिये जब अपनी शक्ति का प्रयोग करता तो स्त्री के लिये अपने यौवन को बचा पाना संभव नहीं होता।शायद ये स्त्री को उसके रुप पर घमंड़ करने की सजा है। रश्मी की हालत भी ऐसी ही थी उसके यौवन में और उसके गदराए बदन में वो ताकत तो थी कि वो मेरे जैसे मर्दों को आकर्षित कर अपने पास बुला ले लेकिन उसे दूर करने की शक्ति उसमें नहीं थी। नतिजा सामने था जिस तरह चंदन के वृक्ष पर सांप लिपटे रहते हैं उसी तरह रश्मी नंगे जिस्म पर में लिपट चुका था।

अब धीरे धीरेमें ने उसकी चूत की दरार में अपनी उंगली ड़ाल दि औरमें उसकी चूत के अंदर हिलाने लगा। रश्मी बुरी तरफ़ तडफ़ उठी ।मेने  उसकी चूत में उंगली रगड़ने की गती जरा तेज कर दी । अब तो रश्मी के लिये खुद पर काबू रखना काफ़ी मुश्किल हो रहा था।
में  रश्मी की चूत में उंगली अब कुछ ज्यादा ही तेजी से रगड़ने लगा, रश्मी भी अब अपने आपे से बाहर होते जा रही थी। तभी मेने रश्मी की चूत के दरारों पर उंगली रगड़्ना बंद कर दिया और धीरे से वो उसकी चूत का वो हसीन छेद तलाशने लगा जिसे पाना और उसका भोग करना हर कामुक मर्द की हसरत होती है। आखिर में ने रश्मी की चूत के छेद पर उंगली रख दी और फ़िर हौले से उसे धक्का लगाते हुए उसने अपनी उंगली एक पोर उसमें ड़ाल दिया और धीरे धीरे उसे अंदर बाहर करने लगा।

रश्मी के लिये ये एक विचित्र अनुभव था हालांकि शादि के बाद राज जीजाजी के साथ उसके कुछेक बार शारीरिक संबंध बने जरुर थे लेकिन उसने ऐसा कुछ नहीं किया उसके था। उसने कभी रश्मी को उत्तेजित करने की जरुरत नहीं समझी थी या शायद उसे ये पता ही नहीं था कि सेक्स केवल खुद के मजा लेने का नाम नहीं है बल्कि अपने साथी को भी चरम सुख तक पहुंचाने का नाम है। वही सेक्स सच्चा सेक्स होता है जिसमें दोनों परमसुख की प्राप्ति कर सके। अगर एक भी पक्ष नासमझ हो खासकर पुरुष तो फ़िर वो सेक्स ना हो कर केवल एक नीरस शारीरिक क्रिया मात्र रह जाती है। राज इस मामले में फ़िसड्डी साबित हुआ था।

इस तरह उंगली के अंदर बाहर होने से ना चाहते हुए भी रश्मी की चूत गीली होने लगी और उसमें से एक चिकना पदार्थ बाहर आने लगा जिससे में और भी असानी से अपनी उंगली अंदर बाहर करने लगा। तभी अचानक रश्मी की कमर ने एक हल्का सा झटका लगाया। ये रश्मी ने नहीं लगाया था लेकिन काम की अधिकता से अपने आप ही हो गया था जो अत्यंत स्वाभाविक था।मेने भी इसे साफ़ महसूस किया और समझ गया कि अब मेंरी रानी वासना के समुंदर मे गोते लगाने के लिये तैयार हो चुकी है। उसने उसी तरह बैठे हुए पूछा " मजा आ रहा है जान, पूरी उंगली ड़ाल दूं क्या तेरी चूत में? अबमेने  रश्मी से सभ्य भाषा में बात करना छोड़ ही दिया था और वो उससे अश्लील भाषा का ही प्रयोग करने लगा था। ऐसा करने से उसे रश्मी की नंगी जवानी पर पूर्ण विजय और अधिकार का अहसास जो होता था।

अब मेने उसकी चूत में अपनी उंगली और गहराई तक घुसा दी और उसे और भी तेजी से अंदर बाहर करने लगा । अब तो रश्मी का अपने शरीर से नियंत्रण खतम होने लगा और उसकी कमर उसकी इच्छा के विरुद्द झटके देने लगी। वो बड़ी लज्जित थी और शर्म के मारे उसने अपनी आंखे बंद कर ली थी। वो शुरु सेमेरे  से हर क्षेत्र में लगातार हार ही रही थी और आज भी उसके सामने पूरी तरह से बेनकाब हो गई और अपनी इसी झेंप को मिटाने के लिये वो आंखे बंद किये हुए अपना सर दांए बांए घुमा रही थी और बड़बड़ाते जा रही थी " नहीं प्लीज छोड़ दो मुझे , बस अब नहीं आह मैं मर जाउंगी मेंरा सर चकरा रहा है मुझे छोड़ दो। रश्मी बोले जारही थी लेकिन मेरे  के उपर इसका कोई असर नहीं हो रहा था बल्कि में  तो और भी उत्तेजित हो रहा था।
अब मेने  उसकी पीठ से अपना हाथ घुमाते हुए उसके सीर पर ले गया और उस पर उसके सर और बालों से खेलने लगा ।में उसके सर पर उसी अंदाज में हाथ घुमा रहा था जिस अंदाज मे एक कुत्ते का मालिक अपने कुत्ते के उपर घुमाता है। ऐसा कर के वो अपने कुत्ते से प्यार तो जताता ही है लेकिन अप्रत्यक्ष रुप से उसे ये भी बता देता है कि तू मेंरा पालतू है और मैं तेरा मालिक तुझे अंतत: मेरे ही इशारों पर नाचना है। में भी रश्मी के सर पर हाथ फ़ेर कर प्यार तो कर ही रहा था लेकिन साथ ही साथ ये भी जता रहा था कि अब मैं ही तेरे इस खूबसूरत नंगे जिस्म का मालिक हूं और तेरी मर्जी मेंरे लिये कोई अहमियत नहीं रखती।

में  अब अपना होंठ उसके गालों पर ले जाता है और उसे चूमने लगता है, रश्मी अपना मुंह शर्म के मारे नीचे करने की कोशीश करती है लेकिन में र उसकी ठोड़ी को पकड़ कर उसका चेहरा उपर उठाता है और उसके होठों से अपना होंठ लगा देता है और उसके मीठे मीठे, नरम और रसीले होठों को चूसना शुरु कर देता है। रश्मी के लिये ये सब नितांत नये अनुभव थे और वो धीरे धीरे वासना के नशें ड़ूबती जा रही थी। उसका मन कह रहा था कि ड़ूब जा इस नशें में लेकिन दिमाग इंकार कर रहा था। लेकिन ऐसा लग रहा था कि रश्मी मन जीत रहा था और दिमाग हार रहा था। उसके मन से दिमाग का नियंत्रण खतम होते जा रहा था।

लगभग ३-४ मीनट तक अपनी दीदी  के होठों चूसने के बाद में धीरे से उसको उठाकर अपनी गोद में बिठा लेता हु और अपना दांया पांव उपर उठा लेता हु और उसका तकिया बना कर रश्मी का सर उसमें रख देता हु । अब रश्मी का सर पीछे की तरफ़ लटक जाता है और उसके दोनों विशाल स्तन आगे की ओर उभर जाते हैं, में  हौले हौले उसके स्तनों को मसलना चालू कर देता हु । रश्मी के मुंह से एक हल्की सी अवाज निकलती है आआआहहहहह , में  उसके स्तनों को मसलाना जारी रखता हु । स्तनों को मसलते हुए में  अब उसकी नरम चूंचियों को भी मसलने लगता हु । चूंचियों को मसलने से उसकी चूंची कुछ ही क्षणों में कड़क हो जाती है। में  समझ जाता हु  कि ये गदराई हसीना भी अब जवानी के मजे लूटने लगी है।अन्जाने ही सही या अनचाहे ही सही लेकिन स्त्री और पुरुष के शरीर के मिलने पर काम का सुख तो दोनों को ही मिलता है, और रश्मी के साथ भी यही हो रहा था।अब तुषारमें  बुरी तरह से उत्तेजित हो चुका था और मेने उसके दूध को मसलना छोड़ कर अब उसके निप्पल पर अपना मुंह लगा दिया । अब रश्मी का बांया स्तन और उसकी निप्पल मेरे मुंह मे था और में उसे जोर जोर से चूस रहा था और मेरा  दूसरा हाथ उसके दायें स्तन को बुरी तरह से मसल रहे थे। में ने पागलों की तरह उसके एक स्तन पर अपना मुंह लगा रखा था और उसे चूस रहा था और इधर रश्मी की सांसे तेज होती जा रही थी और उसका पेट भी बुरी तरह से हिल रहा था। रश्मी ने अपने दोनो पैर जमीन पर फ़ैला दिये और उत्तेजना के मारे वो उसे इधर उधर फ़ेंकने लगी। अब उसका खुद से नियंत्रण समाप्त हो रहा था और उसके मुंह से अवाज निकलने लगी थी आह आह अह्ह आह उईमां ओफ़ ओफ़ आई आह।

अब में ने उसके दांए स्तन को मसलना बंद किया और अपना बांया उसके शरीर पर घुमाते हुए उसकी चूत पर रख दिया और वो उस्का छेद तलाशने लगा। कुछ ही क्षणों मे ने अपनी उंगली उसकी चूत के छेद पर रख दी और उसे मसलने लगा । रश्मी को मानो करंट लग गया और बुरी तरह से छट्पटाने लगी। महीनों से उसके अंदर दबी पड़ी कामवासना अब जागने लगी थी। थोड़ी देर में मेने अपना मुंह रश्मी के कान के पास ले गया और धीरे से उसके कान में कहता हु "तेरे इसी छेद में मैं अभी अपना ड़ालूंगा और जीवनभर इसको अपनी बना कर रखूंगा। मैं पिछले कई महिनों से तरस रहा था दीदी तेरी इस चूत को पाने के लिये। आआआह्ह्ह्ह्ह कितनी नरम है रानी तेरी ये चूत, मैं तो धन्य हो गया दीदी तुझे नंगी पा कर। कितनी खूबसूरत नंगी है तू रश्मी आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह कैसा गदराया बदन है तेरा मेंरी जान।

आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ला अब तेरी इस रसीली चूत को चूम लूं।
अब में रस्मी को पीछे की तरफ़ घुमा देता हु और उसकी गांड़  मेरी तरफ़ हो जाती है , में उत्तेजना के मारे पागल हो रहा था । पिछले कई महीनों से जिस हसीना को चोदने के लिये वो तरह तरह
की योजना बना रहा था उसकी वही गदराई हसीना आज मेरे सामने पूरी तरह से नतमस्तक खड़ी थी में उसके तमाम अंगो से खिलवाड़ कर रहा था और अब उसे रोकने वाला कोई नहीं था। रश्मी पूरी
तरह से मेरे कब्जे में थी। में निचे   बैठ जाता हु और उसकी गांड़ो को चूमने लगता हु , रश्मी की नरम नरम उत्तेजक गांड़ को चूमने से मेरी उत्तेजना नई उचांईयो में पहुंच जाती है। रश्मी की गांड़ो को मेने पिछले दिनो कई बार छुआ था और उसके स्पर्श का आनंद लिया था लेकिन उसकी मादकता का अहसास मुझे आज पहली बार हो रहा था।

में रश्मी की गांड को चूमते जा रहा था और बीच बीच में उत्तेजना के कारण उसे अपने दांतो से काट भी लेता था। अब में ने उसकी गांड को चूमना छोड़ कर पूरी तरह से अपना मुंह नीचे फ़र्श तक ले जाता हु और उसको नीचे चूमना शुरु करता हु पहले नंगी खड़ी रश्मी की ऐड़ी फ़िर टखने उसके बाद उसकी पीड़्ली फ़िर जांघ ,कमर और पीठ और आखिरी में गर्दन में अब पूरी तरह से नंगी खड़ी रश्मी के पिछे खड़ा हो जाता हु और उसे पिछे से दबोच लेता हु अब मेरा लंड़ उसकी गाम्ड़ से चिपक जाता है और में अपने दोनों हाथ आगे की तरफ़ ले जा कर उसके दोनो विशाल स्तनों को पकड़ लेता हु ।

अपना मुंह उसके गालों से लगा कर में उसके गालों को चूमने लगता हु । अब में उसको कहता हु " रानी अभी पता है तुमको कितने बजे है? " रश्मी कोई उत्तर नहीं देती है तो में कहता हु " साढे़ आठ बजे है अभी और तुमको ११:३० तक नीचे जाना है यानी अभी हमारे पास तीन घंटे है, रश्मी मेंरी जान इन तीन घंटो में मै कम से कम दो बार तेरी चूत में अपना ड़ालुंगा। ऐसा बोलते हुए में अपना एक हाथ उसकी चूत के उपर ले आताहु और उसको मसलने लगता है दूसरे हाथ सेमें उसका स्तन बुरी तरह से मसल रहा था और अपना लंड़ मेने बड़ी जोर से उसकी गांड़ मे दबा कर रखा हुआ था।

रश्मी को इस तरह अपने बदन को मसले जाने से उत्तेजना होने लगी थी लेकिन में आखिर उसका पति तो था नहीं औरमें जो भी कर रहा था वो बलात ही कर रहा था इसलिये रश्मी की आंखो में आंसू भी भरे हुए थे। वो कभी रो पड़्ती थी और कभी उसके मुंह से सिसकियां निकल पड़ती थी आह्ह्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह्ह बस करो भाई  मुझे जाने दो।

सेक्स के दौरान स्त्री के आंसू,सिसकियां और इंकार से शायद ही किसी पुरुष का मन पिघला हो बल्कि ये तो पुरुष की उत्तेजना को और भी बढाने का काम करते है। और रश्मी की सिस्कियां और आंसू भीमेरी  वासना की भूख को और भी बढा रहे थे। और में पागलों की तरह से उसके पूरे बदन को बेदर्दी से मसलने लगता हु ।

अब में रश्मी को ढीला छोड़ देता है और बाथरुम से बाहर आ जाता हु  , बाहर आ कर में  रश्मी को भी उसका हाथ पकड़ कर बाहर खींच लेता हु \ नग्न रश्मी बाथरुम से बाहर आती है औरमें  फ़िर से उसे अपने सीने से लगा लेता हु  और उसके बदन को मसलना चालू कर देता हु । कुछ देर तक उसे इसी तरह से मसलने के बाद में उसे अलग करता हु  उसका चेहरा शर्म से झुका हुआ था और आंखे बंद थी ।में  उसकी ठोड़ी पकड़ कर उसका चेहरा उपर उठाता हु  और उसके होठों को चूम लेता हु । अब मेरे लिये बर्दाश्त करना काफ़ी कठीन हो जाता है और में अपने कपड़े उतारने लगता हु । पहले शर्ट फ़िर बनियान फ़िर अपनी पेन्ट को में  उतार के फ़ेंक देता हु  ।
में ने अब अपना अंतिम वस्त्र भी उतार कर फ़ेंक दिया और अब में  भी रस्मी के सामने उसी की तरह नंगा हो जाता हु ।मेरा  लंड़ उत्तेजना के मारे झटके मार रहा था। रश्मी में इतना साहस नहीं था कि वो मेरे  नंगे बदन को देख सके इसलिये वो आंखे बंद किये खड़ी थी। नंगे खडे में ने रश्मी को फ़िर से अपने पास खिंचा और उसके बदन से चिपक गया। रश्मी ने पहली बार मेरे  बदन की गर्मी को मह्सूस किया। पहली बार  हम दोनो पूरी तरह से नग्न हो कर आलिंगनबद्द थे। रश्मी ने साफ़ मह्सूस किया कि में  इस वक्त काम के नशे में इस कदर डूबा हुआ हु  किमेरा पूरा बदन किसी भट्टी की तरह गरम हो चुका है।

कुछ देर तक रश्मी को अपने नंगे बदन से चिपका कर रखने और उसकी नंगी काया की गर्मी का सुख लेने के बाद में उससे अलग होता हु  और उसे खीच कर पलंग के पास लाता हु  और एक हल्का सा धक्का दे कर उसे पलंग पर बैठा देता हु ,  अब रश्मी के दोनों पैर पलंग पर लटक रहे थे और वो पलंग पर बठी थी। उसके पास खड़े होकर में  ने अब उसका एक हाथ उठाया और उसकी हथेली पर अपना लंड़ रख दिया और उसकी मुठ्ठी को बंद कर दिया।मेरा  लंड़ अब रश्मी के मुठ्ठी में था और में  उसके हाथों को पकड़ अपनी मुठ्ठ मरवाने लगा। दीदी  के लिये एक नितांत नवीन अनुभव था उसने पहली बार किसी मर्द का लंड़ अपने हाथों मे पकड़ा था, उसने मह्सूस किया किमेरा लंड़ फ़ौलाद की तरह कड़क और किसी भट्टी में तपाये लोहे की तरह गरम है। हालंकि शादी के बाद जीजाजी  ने उसे चार,पांच बार चोदा था लेकिन उन्होंने  कभी भी रश्मी को अपना लंड़ नहीं पकड़ाया था।उन्हें  तो उसकी चूत के अंदर अपना लंड़ ड़ाल कर अपना माल उसमें टपकाने की जल्दी रहती थी।
रश्मी के नरम नरम हाथ जब मेरे  लंड़ पर आगे पिछे सरक रहे थे तो मुझे  एक अजीब आनंद का अनुभव हो रहा था।मुझे  कभी गुमान भी न था कि रश्मी के हाथों में ऐसा जादू छिपा है।मेरा लंड़ अब बुरी तरह से कड़्क हो गया था और उसे निचे करना संभव नहीं था इसलिये रश्मी अब मेरे लंड़ को उपर से नीचे की तरफ़ सहला रही थी।में अब बुरी तरह से उत्तेजित हो चुका था और लंड में अत्यधिक तनाव के कारण अब वो दुखने लगा था। तनाव और उत्तेजना के कारणमुझे  अब ऐसा लगने लगा था कि यदि इसे जल्द ही इसकी चूत में ना ड़ाला तो ये अब फ़ट जायेगा।

मेने रश्मी के हाथों को अपने लंड़ से अजाद किया और में रश्मी के और भी सामने आ कर खड़ा हो गया, अबमेरा   लंड़ रश्मी के एकदम मुंह के सामने था । मेने अपना लंड़ रश्मी के गालों में लगाया और वहां उसे रगड़ने लगा। में  रश्मी दीदी  के पूरे जिस्म में अपना लंड़ रगड़ना चाहता था, अब मेने  अपना लंड़ उसके गालों से हटा कर उसके पूरे चेहरे में घुमाने लगा। रश्मी बेहद शर्मसार थी और आंखे बंद किये हुएअपने नंगे जिस्म के साथ खिलवाड़ को महसूस कर रही थी।

में अब अपने लंड़ को उसके होठों पर घुमाने लगा मानो में अपने लंड़ से उसके होठों लिपिस्टिक लगा रहा हु । रश्मी ने अपने मुंह को को जोर से भीच लिया और अपने होठोंं को भी जोर से बंद कर लिया कहीं गलती से मेरा  लंड़ उसके मुंह मे ना घुस जाय। किसी मर्द के लंड़ का अपने मुंह से खिलवाड़ उसके साथ पहली बार हो रहा था , उसे ऐसा लग रहा था कि अभी उसे उबकाई आ जायेगी और वो उल्टी कर देगी। लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं और कुछ ही क्षणों में वो उसके लंड़ की की अभ्यस्त हो गई।
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रश्मि दीदी - by jjuhi1993 - 07-02-2019, 12:21 PM
रश्मि दीदी - by jjuhi1993 - 07-02-2019, 12:22 PM
RE: रश्मि दीदी - by jjuhi1993 - 09-02-2019, 10:36 AM
RE: रश्मि दीदी - by jjuhi1993 - 09-02-2019, 10:37 AM
RE: रश्मि दीदी - by jjuhi1993 - 12-02-2019, 11:48 AM
RE: रश्मि दीदी - by jjuhi1993 - 12-02-2019, 11:51 AM
RE: रश्मि दीदी - by jjuhi1993 - 12-02-2019, 11:53 AM



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