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Adultery रश्मि दीदी
#3
अब अपना मुंह उसके चेहरे के पास ले गया और उसके बांए गाल को चूमने लगा। कुछेक "किस" उसके गालों पर देने के बाद मैने उसे चूमना छोड़ दिया और फ़िर से उसके दोनों स्तनों को पकड़ लिया और एक भरपूर कामुक दृष्टी उसके अर्धनग्न जवान शरीर पर डाली।

दीदी  की जिन उन्नत विशाल छातियों को पिछले आठ माह से देख कर मैं उसमें भरे यौवन के रस को पीने के लिये मचल रहा था और मुठ्ठ मार रहा था उसे छुने और मसलने का कोई क्षण मैं व्यर्थ नहीं करना चाहता था। आज की ये रात मेंरे जीवन में कितनी अनमोल थी इसका बयान करने के लिये मेंरे पास शब्द नही है। दीदी  के जवान नंगे बदन को देखना और फ़िर उसे भोगना ये एक ऎसा सुख था मेंरे लिये जिसे मैं शब्दों के जाल में नहीं बांध सकता था, ये तो गूंगे का गुड़ था जिसे वो खा तो सकता था लेकिन उसका स्वाद नहीं बता सकता था।

खर्राटों की तरफ़ ध्यान रखते हुए अब मैने उसकी चूत की तरफ़ देखा, उसका गाउन मैने पेट के उपर तक उठा दिया था और अब वो लग्भग नंगी ही कही जा सकती थी। मैं अपना मुंह उसकी चूत के पास ले कर गया और अपनी नाक उसकी चूत पर रख दी और उसकी जवान चूत की मदहोश करने वाली खुशबू को सूंघने लगा। उसकी चूत की खुशबू ने मुझे लग्भग पागल बना दिया और अब मै उसकी चूत पर अपना हाथ घुमाने लगा। नरम नरम क्लीनशेव जवान चूत पर मेंरा हाथ असानी से फ़िर रहा था, कुछ देर तक इसी तरह से उसकी चूत पर हाथ फ़ेरने के बाद मैंने अपनी पूरी हथेली उसकी चूत पर रख दी और अब उसकी पूरी चूत मेंरी हथेली में समा गई। और अब मैंने अपनी पहली उंगली उसकी चूत की दरार में हौले से घुसा दी और धीरे धीरे उसे सहलाने लगा।थोडी देर तक इसी तरह से उसकी चूत को सहलाने के बाद मैंने अपने बांए हाथ के अंगूठे और उंगली से उसकी चूत की दोनों फ़ांको को फ़ैलाया, अब मुझे उसकी चूत का गुलाबीपन साफ़ दिखाई देने लगा। अब मैं उसकी जवान बुर का रस पीने के लिये बेचैन होने लगा और मैंने धीरे से अपना मुंह उसकी चूत में लगा दिया और उसकी चूत से जवानी का रस चूसने लगा।
लगभग १० मीनट तक इसी प्रकार से उसकी चूत से खेलता रहा, इस दौरान मैं दीदी की चूत में इतना तल्लीन रहा की मैं अपनी सुध बुध भी भूल गया और मुझे इतना भी याद नहीं रहा कि मैं अपनी ही सोई हुई दीदी  के जिस्म से खेल रहा हूं और उसके खर्राटों पर से भी मेंरा ध्यान हट गया था, अचानक इसका खयाल आते ही मैं चौंका और उसके खर्राटों पर ध्यान दिया, कमरे में गूंजने वाले उसके खर्राटों की अवाज बंद हो चुकी थी और कमरे में सन्नाटा छाया हुआ था, अब मैं बुरी तरह से हड़्बड़ा कर वहां से उठा और दीदी  के चेहरे की तरफ़ देखा वो उसी तरह से सोई पड़ी थी, मैं हिम्मत करके उसके चेहरे के पास अपना मुंह ले जा कर देखा मुझे वो पूर्व की तरह ही गहन नींद में लगी और मुझे उसके नाक से सांसो की सीऽऽऽऽऽसीऽऽऽऽऽ आवाज सुनाई देने लगी।

अब मैंने पुनः राहत की सांस ली और धीरे अपना हाथ उसके उसके बांए स्तन पर रख दिया वो प्रतिक्रिया विहीन निष्चेट पड़ी रही। अब मैंने पुनः उसके स्तनों को धीरे धीरे मसलना चालू कए दिया,दीदी के बदन की मादक खुशबू को सूंधने और उसके स्तनों और चूत का स्वाद चख लेने के बाद मेंरे लिये खुद पर नियंत्रण काफ़ी कठिन हो गया था।दीदी  का गदराया मदमस्त नग्न शरीर मेंरे सामने पड़ा था और मैं उसे देख कर आहें भर रहा था। मुझे ऎसा लग रहा था कि अब मैं इस नग्न सोई हुई इस सुंदरी के शरीर से लिपट जाऊं और अपनी बलिष्ठ भुजाओं मे उसे कैद कर उसे अपनी बाहों मे भर लूं और अपना लंड़ उसकी चूत में ड़ाल दूं , लेकिन ऎसा करने की अभी मुझमें हिम्मत नहीं थी और मेंरा इरादा भी नहीं था।

अपनी बाएं हाथ से उसके स्तनों को बारी बारी से मसलते हुए मैने अब उसके पलंग से बाहर लटके हुए बांए हाथ को अपने हाथ में लिया और उसके मुठ्ठी को धीरे खोला और अपने फ़ौलाद की तरह कड़क हो चुके धधकते हुए लंड़ को उसके हाथों मे पकड़ा दिया और फ़िर से उसकी मुठ्ठी को बंद कर दिया। अब मेंरा लंड़ उसके बांए हाथ में था, आहहहह रोमांच का चरम क्षण था वो मेंरे लिये और अब मेंरा लंड़ अपने आप ही झटके मारने लगा था।

अब मैने अपने हाथों में उसका बांया पंजा पकड़ लिया जिसमें मेंरा लंड़ था और अब मैंने अपनी मुठ्ठी जोर से बंद कर दी इस तरह अब मेंरा लंड़ उसके नरम हाथॊं मे समा गया। उसके हाथों में मेंरा लंड़ समाते ही मैं बेकाबू हो गया और उसके स्तनों को और भी जरा जोरों से मसलने लगा और अपने दांए हाथ से उसके मेंरे लंड़ पकड़े हाथ को हिलाने लगा, इस तरह मेंरी हसीन दीदी  नींद में ही मेंरा मुठ्ठ मारने लगी।

अब उसके स्तनों को मैंने उत्तेजना में बुरी तरह से पकड़ लिया और इधर अपने एक हाथ से उसके अपने लंड़ पकड़े हाथ को जोर जोर से हिलाने लगा, इस तरह करने से उसका शरीर पलंग पर उसी तरह से हिलने लगा जैसे ट्रेन में सोए इंसान का शरीर हिलता है। उसके शरीर के इस प्रकार धीरे धीरे हिलने से उसके उन्नत स्तन भी हौले हौले हिल रहे थे जिसके कारण वातावरण और भी कामुक हो रहा था।

अब उत्तेजना के वशीभूत मैं अपने दांए हाथ को उसके पूरे शरीर पर फ़ेरने लगा तथा और भी तेजी से उसके हाथों को पकड़े हुए मुठ्ठ मारने लगा।

मेंरी उत्तेजना और वासना के अंत का अब समय आ चुका था और मुझे ऎसा लगने लगा कि कीसी भी समय मैं झड़ सकता हूं , अब मैं और तेजी से उसके हाथों को हिलाने लगा और अब मेंरे लंड़ की नसे फ़ड़कने लगी और मेंरी कमर भी हीलने लगी मुझे ऎसा लगा कि मेंरा वीर्य अब लंड़ में पहुंच चुका है तो मैंने तुरंत नींद मे बेखबर रश्मी के हाथ से अपना लंड़ बाहर निकाल लिया और अपना बांया पैर पलंग पर रखा और दांया पांव निचे ही रहने दिया। इस तरह अब मैं सोई हुई रश्मी के नंगे बदन के उपर था और मैंने उसी मुद्रा में खड़े खड़े ही उसके नंगे बदन को घूरते हुए और एक हाथ से उसके स्तनों को पकड़े हुए तेजी से अपना लंड़ हिलाने लगा। मै अपना पूरा वीर्य दीदी  के नंगे जिस्म पर उंड़ेलना चाहता था।

कुछ क्षणों तक इसी तरह से करने के बाद अचानक मेंरे लंड़ ने वीर्य की एक गरम पिचकारी छोड़ी जो सीधे ही नंगी रश्मी दीदी के पेट और स्तन पर गिरी और फ़िर इसी तरह मेंरे लंड़ ने एक के बाद एक पांच बार वीर्य की पिचकारी छोड़ी और वो पूरा का पूरा वीर्य मैने अपनी गदराई मदमस्त हसीना के नंगे शरीर पर उड़ेल दिया और उसका पूरा शरीर वीर्य से भर दिया। उसकी छाती पर पड़े हुए वीर्य की बूंदो को मैंने उसके पूरे स्तनों पर लगाया और कपड़ो पर पड़े हुए वीर्य को हाथ में ले कर उसके चेहरे पर धीरे से मल दिया और हाथों के बचे हुए वीर्य को उसकी चूत पर लगा दिया।
अब अपने लंड़ को दो तीन बार मैंने झटका तो उसमें बची हुई कुछेक बुंदे बाहर आ गई उसे मैंने अपने लंड़ को दबाते हुए झटका और उसकी नंगी चूत पर टपका दिया।

इस प्रकार उसके शरीर को अपने वीर्य से नहलाने के बाद मैने अपना पैर पलंग से निचे रखा और वही निचे बैठ गया और उसकी चूत पर एक "किस" किया फ़िर उसके दोनों स्तनों और चेहरे को प्यार से चूमा और उसकी निचे लटकी टांग को हौले उठाकर पलंग पर रखा और उसके हाथ को भी उसी तरह उठाकर पलंग पर रखा और उसको हौले से दांई करवट सुलाया और एक नजर उसके नंगे बदन पर ड़ालने के बाद मै दरवाजे की तरफ़ बढ़ा वहां से उसे देखा तो वो उसी तरह से सोई पड़ी है और गाउन के कमर के भी उपर होने के कारण उसकी दोनों बड़ी बड़ी गांड़ दिखाई दे रही थी।

उसे देख मैं पुनः उसके पास गया और उसकी दोनों गांड़ो को कई बार चूमा और उठकर उसके कमरे से तेजी से बाहर निकल गया।
वो धीरे धीरे अपनी चूत को सहला रही थी और अंदर तक साबुन लगा कर उसे साफ़ कर रही थी। अब तक उसकी आंखें बंद ही थी क्योंकि साबुन उसके चेहरे पर लगा हुआ था और में  उसी तरह बेखौफ़ रश्मी के नंगे बदन को घुरते रहा । उसने देखा अब रश्मी कुछ ज्यादा ही जोर से अपनी चूत को मसल रही थी शायद उसे ऐसा करने में मजा आ रहा था।

अब उसने अपनी उंगली को हल्का सा साबुन वाला कर के उसे अपनी चूत के अंदर डाल दिया और उसे अंदर तक साफ़ करने लगी और धीरे धीरे उसे अंदर बाहर करने लगी।

स्त्री की योनी की बनावट ही ऎसी होती है कि उसे अपनी योनी की सफ़ाई पर खास ध्यान देना होता है अन्यथा उसके संक्रमित होने का खतरा बना रहता है और उसे यूरिन इन्फ़ेक्शन का खतरा हो सकता है।लेकिन मुझे  को ऐसा लगा कि रश्मी चूत की सफ़ाई के अलावा भी कुछ और कर रही है। बेचारी बिना पति के आखिर करे भी क्या? लेकिन उसका नितांत गोपनीय रहस्य भी अबमेरे  सामने उजागर हो गया।

अंदर तक उंगली ड़ालने के कारण कई बार उसके मुंह से एक हल्की सी आह निकल जाती जिसे उसके एक्दम सामने खड़े मेरे  को साफ़ सुनाई दे रही थी। कभी कभी उसके मुंह से सी सी की अवाज भी निकल जाती थी। में इन बातों क मतलब अच्छी तरह्से समझता था। कुछ देर तक इसी तरह से अपनी चूत की सफ़ाई करने के बाद अब वो शावर चालू करने के लिये उसकी चकरी ढूंढने लगती है । आंखे बंद किये हुए वो दिवाल के पास हाथ को इधर उधर धूमाने लगती है और कुछ ही क्षणों में वो शावर की चकरी को पकड़ कर उसे घुमाने लगती है और शावर चालू हो जाता है और उसका पानी उसके चेहरे में पड़्ने लगता है और वो अपना मुंह से साबुन साफ़ कर लेती है।

मुंह से साबुन निकलते ही रश्मी फ़िर से अपनी आंख खोल देती है और जैसे वो अपनी आंख खोलती है में  तत्काल वहां से हट कर थोड़ा आगे चला जाता हु और बाथरुम की दिवार से सट कर बांए तरफ़ चिपक कर खड़ा हो जाता हु । अब यदी रश्मी बाहर आती तो उसे तुरंतमें  दिखाई नही देता लेकिन कपड़े के पास आते ही उनका सामना होना तय था। अब में  उसके बाहर आने का इंतजार करने लगा।
अब वो रश्मी के बेहद करीब चले जाता है और उसके नंगे बदन से लगभग चिपक जाता है , रश्मी को अपनी लजा बचाने का एक ही उपाय सूझता है कि वो बैठ जाय और वो अपने पैरों को ढीला छोड़ देती है जिसके  लिये उसे खड़ा रखना संभव नहीं रह पाता अब रश्मी जमीन पर बैठ जाती है तोमें भी उसके सामने उकड़ू बैठ जाता है।

में  उसके हाथों को छोड़ देता हु रश्मी दोनों हथों के अजाद होते ही अपने हाथों को अपने सीने से लगा देती है और अपने स्तनों को छुपाने का असफ़ल प्रयास करती है वो अपने दोनों पैरों को सिकोड़ लेती है और अपना सर घुटनों में दबा कर अपना मुंह छुपाने का प्रयास करती है। रश्मी को इस मुद्रा में देख कर मेरे  को करीब करीब ये अंदाज तो हो ही जाता है कि अब इसका समर्पण  लग्भग हो चुका है।

अब में रश्मी के दांए तरफ़ बैठ जाता हु  और उसके दांए पैर को पकड़ कर सीधा कर देताहु और उसके घुटनों पर अपना घुटना रख देता हु  और धीरे धीरे उसकी चिकनी जांघ को सहलाने लगता हु । रश्मी उसी तरह अपना चेहरा घुटनों छुपाए हुएमेरे  से कहती है "आप जो भी कर रहे हैं वो बहुत गलत है दीदी तो मां के समान होती है, प्लीज मुझे छोड़ दिजिये मैं आपके हाथ जोड़ती हूं। अपनी मां समान दीदी को ऐसे बेईज्जत मत किजिये।

में  पूरी तरह वासना की तरंग में झूम रहा था और इस तरह से रश्मी को अनुनय करते देख मेरी उत्तेजना और बढ़ जाती है। अब में  रश्मी के बगल में बैठ जाता हु  और उसको बांए कंधो से पकड़ कर अपनी तरफ़ खींच लेता है और अपनी गोद में उसका सर रख लेता है और उसके दोनों हाथों को पकड़ कर फ़िर से उसके सर के उपर कर लेता है। और उसके विशाल स्तन फ़िर से मेरेसामने झूलने लगते हैं।

इतनी खूबसूरत नंगी लड़्की को अपनी गोद में पाकरमें  तो जैसे पागल हो जाता हु और में पागलों की तरह से उसके चेहरे को चूमने लगताहु और अपने एक हाथ को उसके स्तन पर रख उसे मसलना चालू कर देता है।में  रश्मी के कानों के पास अपना मुंह ले जा कर धीरे से बोलता हु  " तू ठीक बोलती है कि दीदी  मां के समान होती है लेकिन तब जब वो ४५ या फ़िर ५० साल की हो लेकिन जानम तुम तो मेंरे से भी एक साल छोटी हो मैं २४ साल का हूं और तू तो २३ साल की ही है तो फ़िर तू मेंरी मां कैसे हो सकती है? जानेमन तू मेंरे लिये "मां" समान नही बल्कि "माल" के समान है। और में  अपने गोद में निढाल पड़ी रश्मी के स्तनों में हाथ घुमाने लगता हु  फ़िर में अपना हाथ उसके पेट में घुमाते हुए उसकी बिना बालों वाली चिकनी चूत में रख देता हु ।

अपनी नरम चूत पर मेरा  हाथ लगते ही रश्मी चिहुंक उठती हु  और में  हौले हौले उसे सहलाने लगता है, और बड़े ही बेशर्म तरिके से और कामुक अंदाज में उससे कहता है आज इसके अंदर अपना ड़ालूंगा और इसको खूब प्यार करुंगा। आज से ये मेंरी है। बोल जानम देगी न मुझे इसके अंदर अपना लंबा वाला ड़ालने के लिये।

मेरा  कहना जारी रहता है "ऐसा मैंने सुना है कि शर्म किसी भी औरत का आभूषण होता है लेकिन रश्मी मै इसमें आगे और एक बान जोड़्ना चाहता हूं कि नग्नता किसी भी खूबसूरत औरत का सबसे बढिया बस्त्र होता है। और आज तूने अपना सबसे अच्छा बस्त्र पहना है मेंरे सामने। रश्मी तू सदा इसी वस्त्र में आना मेंरे सामने मैं तुझे इसी बस्त्र में देखना चाहता हूं।

अब में  अपनी बातों में भी हल्कापन ले आता हु उससे हल्के स्तर की सेक्सी बातें करने लगता हु । में  कहने लगता हु  तू नंगी बहुत अच्छी लगती है रश्मी, तू सदा मेंरे सामने नंगी ही रहना। तेरे इस खूबसूरत नंगे बदन को देख कर मुझे बड़ा सकून मिल रहा है।
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रश्मि दीदी - by jjuhi1993 - 07-02-2019, 12:21 PM
रश्मि दीदी - by jjuhi1993 - 07-02-2019, 12:22 PM
RE: रश्मि दीदी - by jjuhi1993 - 09-02-2019, 10:36 AM
RE: रश्मि दीदी - by jjuhi1993 - 09-02-2019, 10:37 AM
RE: रश्मि दीदी - by jjuhi1993 - 12-02-2019, 11:48 AM
RE: रश्मि दीदी - by jjuhi1993 - 12-02-2019, 11:51 AM
RE: रश्मि दीदी - by jjuhi1993 - 12-02-2019, 11:53 AM



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