07-02-2020, 09:19 PM
(This post was last modified: 07-05-2021, 02:49 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
गारी रस धारा
लेकिन जीजू भी न , उन्होंने ज्योति से बोला ,
" क्यों ज्योति मिर्च थोड़ी कम थी न "
जवाब मीताने दिया ,
मिर्च थी भी क्या ,अरे मुझे तो एकदम बेस्वाद लगा फीका फीका।
" भैया आपकी साली बिचारी साली शहरवाली,उसे क्या मालूम देहाती गारी वारी , कहिये उसे तो बेबीडॉल पर डांस कर के भले दिखा दे। " ज्योति ने और पलीता लगाया।
' नहीं मालुम है तो कोई बात नहीं , ढोलक इधर लाइए न , अभी आप सब की पोल पट्टी उघाड़ के रख दूंगी , ऐसी मिर्च होगी न की परपराती फिरियेगा। "
छोटी मिर्ची नीतू बोली।
अब इज्जत की बात थी ,
बंसती ने मेरी ओर देखा , वो गाली जो बसन्ती जब शुरू करती थी हम सारी ननदे बस कान में उँगलियाँ डाल लेते थे ,
और टारगेट मैं ही होती थी असली। शुद्ध देहाती ,खुल्लम खुल्ला।
मैंने आज तक कभी गायी नहीं थी लेकिन सूना इतनी बार था की अच्छी तरह याद हो गयी थी ,
संध्या भाभी भी समझ गयीं , ढोलक की थाप एकदम तेज , साथ में
पीछे से घरातियों की लड़कीयों का कोरस ,
" चल मेरे घोड़े चने के खेत में ,चने के खेत में ,
चल मेरे घोड़े चने के खेत में ,
( और अब मीता , और बरात में आयी औरतें पहली बार मुस्करायीं ,
ये गारी तो ऐसी है जो शायद ही कोई ननद बची हो ,जिसे उसकी भाभियों ने न सुनाया हो ,
पीछे से मम्मी और मौसी ने भी हिम्मत बढ़ाई ,सूना दे कोमल आज खोल के )
संध्या भाभी ढोलक तेज की ,
" चल मेरे घोड़े चने के खेत में अरे चने के खेत में ,
अरे चने के खेत में बोया है गोभी , अरे बोया है गोभी ,
अरे दूल्हे की बहना को अरे नीतू छिनार को ,ले गया धोबी
चने के खेत में ,अरे चने के खेत में
अरे चने के खेत में बोया था गन्ना ,अरे बोया था गन्ना ,अरे बोया था गन्ना।
दूल्हे की बहना को ,अरे मेरे जीजू की बहना को ,
अरे जीजू के माल को , अरे ज्योति छिनार को ले गया बभना ,
चने के खेत में ,चने के खेत में अरे दबावे दोनों जोबना चने के खेत में।
अरे चने के खेत में बोई थी घुँची ,अरे बोई थी घुंची ,
अरे ज्योति छिनार को अरे ज्योति साली को ले गया मोची ,
अरे दबावे दोनों चूंची , ज्योति साली की मीजे दोनों चूंची ,चने के खेत में।
ढोलक तेजी से ठनक रही थी , साथ में भौजाइयों के हाथ में मंजीरा ,
उनकी और मेरी कजिन्स की तालियां।
ऐसी लड़कियां जो गारियाँ शुरू होते ही उछल जाती थी ,
क्या देहाती गँवारू
वो भी आज ,...
मेरे साथ मुझसे भी तेज आवाज में दुहरा रही थीं ,इशारा कर कर के गा रही थीं ,
ज्योती छिनार दबवावे दोनों चूंची चने के खेत में।
मीता मुस्करा रही थी अपने नंबर का इन्तजार करती और उसका भी नम्बर लगवा दिया मैंने ,
चल मेरे घोड़े,चने के खेत में ,चने के खेत में ,
चल मेरे घोड़े चने के खेत में , चने के खेत में ,
चने के खेत में पड़ी थी राई ,अरे पड़ी थी राई
अरे जीजू की बहना की हमारी प्यारी ननदी की ,
अरे मीता रानी की हो रही चुदाई चने के खेत में।
चने के खेत में अरे चने के खेत में ,
मीता छिनार को चोदे हमार भाई ,चने के खेत में।
चल मेरे घोड़े चने के खेत में ,चने के खेत में पड़ा था रोड़ा
अरे मीता बुरचोदो को ले गया घोड़ा चने के खेत में ,
अरे जीजू भंडुए की मीता को ले गया घोड़ा चने के खेत में ,
अरे चोद रहा घोडा ,चने के खेत में
अरे मीता भाईचोदी घोंट रही लौंडा चने के खेत में।
बरात की कोई लड़की बची नही ,और मीता का नाम तो सबसे जोड़ के ,
यहां तक की गधा घोडा कुत्ता कोई नहीं बचा जिस्ससे मैंने उसे न चुदवाया हो।
गाना ख़तम होते ही जबरदस्त शोर हुआ. हमारे घर सारी लड़कियों ने जबरदस्त शोर किया ,भाभियों ने भी।
इसलिए भी की जूता चोरी का मिशन कामयाब हो गया था और जूता ,मीता ज्योति को दिखाते हुए मेरी कस्टडी में कर दिया गया था।
उधर से कोई कमेंट आता उसके पहले ही मैंने दूसरा गाना शुरू कर दिया ,एकदम नया लेकिन उसी तरह हॉट
जीजू का एक दोस्त बार बार अपनी घडी मीता को दिखा रहा थे ,शायद कोई इम्पोर्टेड थी ,
बस उसी को देख के मैं चालू हो गयी ,
अरे सुई डोले कलाई बिच घड़िया में ,
अरे सुई डोले कलाई बिच घड़िया में ,
अरे दूल्हा की बहिनी के दुई दरवाजा ,
अरे जीजू भंडुवा के बहिनी के दुई दरवाजा
मीता छिनरो के ,ज्योति साली के दुई दरवाजा
अरे मिल के घरतिया बजावे ला बाजा ,
अरे ले भागे कुठरिया में ,सुई डोले
अरे सुई डोले कलाई बिच घड़िया में , सुई डोले
अरे मीता बुजरो खूब चोदवावै , अरे दूल्हा क बहिना खूब चोदवावे
हो खूब चोदवावे ,हो खूब चोदवावे, दूल्हा के सालों से चूंची मिसवावे
चूंची मिजवावै और गाल कटवावे , अरे घोंटे उ लौंडा कुठरिया में ,
सूई डोले ,अरे सूई डोले कलाइ बिच घड़िया में , सुई डोले।
इसी बीच कुछ हम लोगों के यहां लड़के बरातियों को चाय पिला रहे थे तो दो ने मीता और नीतू को टारगेट किया ,
दोनों नखड़े कर रही थी
और मैंने अगला गाना चालु कर दिया ,
लीला लीला हो ननदी लीला ,
अरे दूल्हे की बहना लीला हो ,लीला ,लीला।
अरे मीता छिनार अरे नीतू छिनार तानी लीला हो ,लीला लीला।
अरे चट्ट लीला ,पट्ट लीला घुमा करवट सटासट लीला,
अरे दुनो जांघिया फैलाय ,गपागप लीला।
अबहीं उमरिया बा ननदी क बारी ,
अबहीं उमरिया बा मीता क बारी ,अरे नीतू क बारी
सारे घरतिया सटासट मारी ,सटासट मारी ,
अरे इधर उधर जिन हिला ,अरे भैया हमार ठेल दिहैं किल्ला ,
लीला लीला।
मैंने थोड़ा सा ब्रेक लिया तो संध्या भाभी और बंसती ने मोर्चा सम्हाल लिया ,
पर वो गालियां तो मेरा हरदम मेरा ही नाम लगा के दी जाती थीं इसलिए मुझे पूरा याद थीं ,
गंगा जी तेरा भला करे ,गंगा जी ,
अरे दूल्हा की बहिनी क बुरिया , अरे मीता क बुरिया ज्योती क बुरिया ,
पोखरवा जइसन ,तलबवा जइसन ,
ओहमा ९०० छैला कूदा करे ,मजा लूटा करें ,
बुर चोदा करें ,
गंगा जी ,
......
अरिया अरिया सगिया लगाया बिचवा लगाएंन चौरैया जी ,
सागवा खोटन चली दूल्हा क बहिना
अरे कमल भंडुवे की बहिना , अरे मीता छिनार अरे नीतू छिनार
गिरी पड़ीं बिछलायी जी ,अरे भोसड़ी में घुस गय लकड़िया जी।
अरे दौड़ा दौड़ा कमल भैया , भोंसड़ी से खींचा लकड़िया जी
अरे गांड़िया से खींचा लकड़िया जी ,
अरे दौडें आये दूल्हे राजा अरे कमल भैया ,
अरे उन्ही के गांडी में घुस गय लकड़िया जी
पूरे पांच घण्टे तक गाने चले। ११ बजे कमल जीजू मंडप में आये थे और पांच बजे सुबह कोहबर के लिए उठे।
कम से कम दो दर्जन से ज्यादा गारियां , मैंने खुद गायीं थी।
बरात में आयी लड़कियों पर तो सबसे ज्यादा लेकिन मैंने जीजू की माँ ,बुआ चाची किसी को नहीं बखसा ,गदहा ,घोडा ,कुत्ता सब का नाम लगा लगा के और आफ कोर्स जीजू का नाम तो सबके साथ जोड़ा।
और जीजू और उनके दोस्तों को भी नाम ले ले के ,
भँडुआ ,गंडुआ ,मादरचोद ,बहनचोद सब ,
और यह प्रेम भरी छेड़छाड़ तो कोहबर में जारी रही ,;लेकिन उसके पहले
….
मीता आयी मेरे पास ,मेरी सारी गालियों का टारगेट और मुझे अँकवार में भर लिया , बोली।
" आज से आप मेरी सबसे प्यारी वाली ,मीठीं मीठी छुटकी भौजी हो। "
इत्ती गालियां दी थी मैंने उसे ,
पर रिश्ते में में मेरी ननद थी छेड़ने का मौक़ा कैसे छोड़ती मैं ,
कचाक से मीता के गोर गुलाबी मालपुआ ऐसे गाल मुंह में भर के हलके से बाइट ले ली ,
" अरे बिना चखे कैसे पता चलेगा की मेरी फेवरिट ननद कित्ती मीठी है ? "
और जवाब में उसने भी ,मुझसे भी ज्यादा जोर से मेरे गाल को कचकचा के काट लिया और बोली ,
"अरे मेरे भैया से तो कटवाइयेगा ही न तबतक बहन से ही। "
और जवाब मैंने अपने टाइट कुर्ते को फाड़ते भरे भरे जोबन से उसकी चोली में फंसी कच्ची अमिया को कस के रगड़ के दिया।
हम दोनों में पक्की दोस्ती हो गयी थी और असली ननद भाभी का मीठा वाला रिश्ता भी।
तबतक कोहबर की घेरा बन्दी शुरू हो गयी थी और जूते के लिए सौदेबाजी भी ,
मैं अपनी कजिन्स और भौजाइयों के साथ कोहबर के दरवाजे पर मोर्चा लगा के बैठे , और उधर दूल्हे के साथ उनकी बहनें दोस्त सब ,
लेकिन जीजू भी न , उन्होंने ज्योति से बोला ,
" क्यों ज्योति मिर्च थोड़ी कम थी न "
जवाब मीताने दिया ,
मिर्च थी भी क्या ,अरे मुझे तो एकदम बेस्वाद लगा फीका फीका।
" भैया आपकी साली बिचारी साली शहरवाली,उसे क्या मालूम देहाती गारी वारी , कहिये उसे तो बेबीडॉल पर डांस कर के भले दिखा दे। " ज्योति ने और पलीता लगाया।
' नहीं मालुम है तो कोई बात नहीं , ढोलक इधर लाइए न , अभी आप सब की पोल पट्टी उघाड़ के रख दूंगी , ऐसी मिर्च होगी न की परपराती फिरियेगा। "
छोटी मिर्ची नीतू बोली।
अब इज्जत की बात थी ,
बंसती ने मेरी ओर देखा , वो गाली जो बसन्ती जब शुरू करती थी हम सारी ननदे बस कान में उँगलियाँ डाल लेते थे ,
और टारगेट मैं ही होती थी असली। शुद्ध देहाती ,खुल्लम खुल्ला।
मैंने आज तक कभी गायी नहीं थी लेकिन सूना इतनी बार था की अच्छी तरह याद हो गयी थी ,
संध्या भाभी भी समझ गयीं , ढोलक की थाप एकदम तेज , साथ में
पीछे से घरातियों की लड़कीयों का कोरस ,
" चल मेरे घोड़े चने के खेत में ,चने के खेत में ,
चल मेरे घोड़े चने के खेत में ,
( और अब मीता , और बरात में आयी औरतें पहली बार मुस्करायीं ,
ये गारी तो ऐसी है जो शायद ही कोई ननद बची हो ,जिसे उसकी भाभियों ने न सुनाया हो ,
पीछे से मम्मी और मौसी ने भी हिम्मत बढ़ाई ,सूना दे कोमल आज खोल के )
संध्या भाभी ढोलक तेज की ,
" चल मेरे घोड़े चने के खेत में अरे चने के खेत में ,
अरे चने के खेत में बोया है गोभी , अरे बोया है गोभी ,
अरे दूल्हे की बहना को अरे नीतू छिनार को ,ले गया धोबी
चने के खेत में ,अरे चने के खेत में
अरे चने के खेत में बोया था गन्ना ,अरे बोया था गन्ना ,अरे बोया था गन्ना।
दूल्हे की बहना को ,अरे मेरे जीजू की बहना को ,
अरे जीजू के माल को , अरे ज्योति छिनार को ले गया बभना ,
चने के खेत में ,चने के खेत में अरे दबावे दोनों जोबना चने के खेत में।
अरे चने के खेत में बोई थी घुँची ,अरे बोई थी घुंची ,
अरे ज्योति छिनार को अरे ज्योति साली को ले गया मोची ,
अरे दबावे दोनों चूंची , ज्योति साली की मीजे दोनों चूंची ,चने के खेत में।
ढोलक तेजी से ठनक रही थी , साथ में भौजाइयों के हाथ में मंजीरा ,
उनकी और मेरी कजिन्स की तालियां।
ऐसी लड़कियां जो गारियाँ शुरू होते ही उछल जाती थी ,
क्या देहाती गँवारू
वो भी आज ,...
मेरे साथ मुझसे भी तेज आवाज में दुहरा रही थीं ,इशारा कर कर के गा रही थीं ,
ज्योती छिनार दबवावे दोनों चूंची चने के खेत में।
मीता मुस्करा रही थी अपने नंबर का इन्तजार करती और उसका भी नम्बर लगवा दिया मैंने ,
चल मेरे घोड़े,चने के खेत में ,चने के खेत में ,
चल मेरे घोड़े चने के खेत में , चने के खेत में ,
चने के खेत में पड़ी थी राई ,अरे पड़ी थी राई
अरे जीजू की बहना की हमारी प्यारी ननदी की ,
अरे मीता रानी की हो रही चुदाई चने के खेत में।
चने के खेत में अरे चने के खेत में ,
मीता छिनार को चोदे हमार भाई ,चने के खेत में।
चल मेरे घोड़े चने के खेत में ,चने के खेत में पड़ा था रोड़ा
अरे मीता बुरचोदो को ले गया घोड़ा चने के खेत में ,
अरे जीजू भंडुए की मीता को ले गया घोड़ा चने के खेत में ,
अरे चोद रहा घोडा ,चने के खेत में
अरे मीता भाईचोदी घोंट रही लौंडा चने के खेत में।
बरात की कोई लड़की बची नही ,और मीता का नाम तो सबसे जोड़ के ,
यहां तक की गधा घोडा कुत्ता कोई नहीं बचा जिस्ससे मैंने उसे न चुदवाया हो।
गाना ख़तम होते ही जबरदस्त शोर हुआ. हमारे घर सारी लड़कियों ने जबरदस्त शोर किया ,भाभियों ने भी।
इसलिए भी की जूता चोरी का मिशन कामयाब हो गया था और जूता ,मीता ज्योति को दिखाते हुए मेरी कस्टडी में कर दिया गया था।
उधर से कोई कमेंट आता उसके पहले ही मैंने दूसरा गाना शुरू कर दिया ,एकदम नया लेकिन उसी तरह हॉट
जीजू का एक दोस्त बार बार अपनी घडी मीता को दिखा रहा थे ,शायद कोई इम्पोर्टेड थी ,
बस उसी को देख के मैं चालू हो गयी ,
अरे सुई डोले कलाई बिच घड़िया में ,
अरे सुई डोले कलाई बिच घड़िया में ,
अरे दूल्हा की बहिनी के दुई दरवाजा ,
अरे जीजू भंडुवा के बहिनी के दुई दरवाजा
मीता छिनरो के ,ज्योति साली के दुई दरवाजा
अरे मिल के घरतिया बजावे ला बाजा ,
अरे ले भागे कुठरिया में ,सुई डोले
अरे सुई डोले कलाई बिच घड़िया में , सुई डोले
अरे मीता बुजरो खूब चोदवावै , अरे दूल्हा क बहिना खूब चोदवावे
हो खूब चोदवावे ,हो खूब चोदवावे, दूल्हा के सालों से चूंची मिसवावे
चूंची मिजवावै और गाल कटवावे , अरे घोंटे उ लौंडा कुठरिया में ,
सूई डोले ,अरे सूई डोले कलाइ बिच घड़िया में , सुई डोले।
इसी बीच कुछ हम लोगों के यहां लड़के बरातियों को चाय पिला रहे थे तो दो ने मीता और नीतू को टारगेट किया ,
दोनों नखड़े कर रही थी
और मैंने अगला गाना चालु कर दिया ,
लीला लीला हो ननदी लीला ,
अरे दूल्हे की बहना लीला हो ,लीला ,लीला।
अरे मीता छिनार अरे नीतू छिनार तानी लीला हो ,लीला लीला।
अरे चट्ट लीला ,पट्ट लीला घुमा करवट सटासट लीला,
अरे दुनो जांघिया फैलाय ,गपागप लीला।
अबहीं उमरिया बा ननदी क बारी ,
अबहीं उमरिया बा मीता क बारी ,अरे नीतू क बारी
सारे घरतिया सटासट मारी ,सटासट मारी ,
अरे इधर उधर जिन हिला ,अरे भैया हमार ठेल दिहैं किल्ला ,
लीला लीला।
मैंने थोड़ा सा ब्रेक लिया तो संध्या भाभी और बंसती ने मोर्चा सम्हाल लिया ,
पर वो गालियां तो मेरा हरदम मेरा ही नाम लगा के दी जाती थीं इसलिए मुझे पूरा याद थीं ,
गंगा जी तेरा भला करे ,गंगा जी ,
अरे दूल्हा की बहिनी क बुरिया , अरे मीता क बुरिया ज्योती क बुरिया ,
पोखरवा जइसन ,तलबवा जइसन ,
ओहमा ९०० छैला कूदा करे ,मजा लूटा करें ,
बुर चोदा करें ,
गंगा जी ,
......
अरिया अरिया सगिया लगाया बिचवा लगाएंन चौरैया जी ,
सागवा खोटन चली दूल्हा क बहिना
अरे कमल भंडुवे की बहिना , अरे मीता छिनार अरे नीतू छिनार
गिरी पड़ीं बिछलायी जी ,अरे भोसड़ी में घुस गय लकड़िया जी।
अरे दौड़ा दौड़ा कमल भैया , भोंसड़ी से खींचा लकड़िया जी
अरे गांड़िया से खींचा लकड़िया जी ,
अरे दौडें आये दूल्हे राजा अरे कमल भैया ,
अरे उन्ही के गांडी में घुस गय लकड़िया जी
पूरे पांच घण्टे तक गाने चले। ११ बजे कमल जीजू मंडप में आये थे और पांच बजे सुबह कोहबर के लिए उठे।
कम से कम दो दर्जन से ज्यादा गारियां , मैंने खुद गायीं थी।
बरात में आयी लड़कियों पर तो सबसे ज्यादा लेकिन मैंने जीजू की माँ ,बुआ चाची किसी को नहीं बखसा ,गदहा ,घोडा ,कुत्ता सब का नाम लगा लगा के और आफ कोर्स जीजू का नाम तो सबके साथ जोड़ा।
और जीजू और उनके दोस्तों को भी नाम ले ले के ,
भँडुआ ,गंडुआ ,मादरचोद ,बहनचोद सब ,
और यह प्रेम भरी छेड़छाड़ तो कोहबर में जारी रही ,;लेकिन उसके पहले
….
मीता आयी मेरे पास ,मेरी सारी गालियों का टारगेट और मुझे अँकवार में भर लिया , बोली।
" आज से आप मेरी सबसे प्यारी वाली ,मीठीं मीठी छुटकी भौजी हो। "
इत्ती गालियां दी थी मैंने उसे ,
पर रिश्ते में में मेरी ननद थी छेड़ने का मौक़ा कैसे छोड़ती मैं ,
कचाक से मीता के गोर गुलाबी मालपुआ ऐसे गाल मुंह में भर के हलके से बाइट ले ली ,
" अरे बिना चखे कैसे पता चलेगा की मेरी फेवरिट ननद कित्ती मीठी है ? "
और जवाब में उसने भी ,मुझसे भी ज्यादा जोर से मेरे गाल को कचकचा के काट लिया और बोली ,
"अरे मेरे भैया से तो कटवाइयेगा ही न तबतक बहन से ही। "
और जवाब मैंने अपने टाइट कुर्ते को फाड़ते भरे भरे जोबन से उसकी चोली में फंसी कच्ची अमिया को कस के रगड़ के दिया।
हम दोनों में पक्की दोस्ती हो गयी थी और असली ननद भाभी का मीठा वाला रिश्ता भी।
तबतक कोहबर की घेरा बन्दी शुरू हो गयी थी और जूते के लिए सौदेबाजी भी ,
मैं अपनी कजिन्स और भौजाइयों के साथ कोहबर के दरवाजे पर मोर्चा लगा के बैठे , और उधर दूल्हे के साथ उनकी बहनें दोस्त सब ,