07-02-2020, 08:21 PM
(This post was last modified: 07-05-2021, 08:58 AM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मंडप के मज़े
जैसे कोई बाहरी हमला होने पर सभी अंदरूनी ताकतें एकजुट हो जाती हैं , बस बरात आने पर घर में , ..
जो भाभियाँ पहला मौका मेरी और मेरी मौसेरी चचेरी फुफेरी बहनों के साया ,शलवार का नाडा खोलने में लग जाती थीं ,
गाने जो शादी के गानों से शुरू होते थे लेकिन थोड़ी ही देर में हम ननदों की ओर मुड़ जाते थे , फिर न कोई उमर न लिहाज और रतजगे के दिन तो कोई बचा नहीं चाहे कच्चे टिकोरे वालियां रही हो या मेरे जैसी तुरंत तुरंत शादी हुयी , सबकी नीचे वाले की न सिर्फ मुंह दिखाई हुयी बल्कि ऊँगली डाल के भाभियों ने गहराई भी नापी।
थी भी दर्जन भर से ऊपर चीनू की चचेरी , फुफेरी मोहल्ले की भाभियाँ , और सबकी नेता छंदा भाभी , तीन चार साल पहले ही शादी हुयी थी।
और सिर्फ हमारी भौजाइयां ही नहीं , मम्मी ,मौसियां मेरी चीनू की बुआ के पीछे , एक से एक गन्दी गालियां
और जो गालियां देने में भाभियाँ थोड़ा शर्माती झिझकती थीं ,उसके लिए बसन्ती नाउन को आगे कर देतीं थी ,हमारे नाउन की बहु होने के नाते भौजी ही लगती थी। सभी रस्में भी वही निभाती थी।
लेकिन उसका जवाब देने के लिए हम लोग चमेली को आगे कर देते थे , घर में काम करती थी लेकिन बेटी होने के नाते वो ननद लगती थी इसलिए हम लोगों का साथ देने आ जाती थी।
लेकिन आज सब एकजुट थीं।
जो छोटी लड़कियां थी हम लोगों के घर की उन्होंने अपना काम अंजाम दे दिया था। जीजू के घर की सारी लड़कियों का नाम उमर ,जो बरात में आयी थीं सबसे दोस्ती कर के और अब उनके सामने मिशन था जूता चुराने का।
हम सब जल्दी जल्दी तैयार हो रहे थे।
जीजू की कमजोरी मैंने भाप ली थी ,मेरे गदराये उभार।
लो कट चोली में मैंने उसकी गहराई की झलक तो उन्हें दिखा ही दी थी इसलिए अब मैंने एक बहुत टाइट सूट पहना , पीले रंग का सरसों के फूलों वाले , उभारों पर इसकी फिटिंग एकदम टाइट थी , कटाव उभार कड़ापन सब कुछ दिखता था और आफ कोर्स एक हाफ पुशअप ब्रा उसे और उभार रही थी।
चुन्नी मैंने डाली जरूर थी लेकिन एकदम गले से चिपका कर।
मेरी सारी बहने ,भाभियाँ ,मौसियां ,मम्मी ,बसन्ती और चमेली सब लोग मंडवे में बैठ गए थे।
लेकिन सबसे आगे छंदा भाभी
ढोलक उन्होंने ही सम्भाल रखी , बगल में मैं और मेरे बगल में बसन्ती और उसके पीछे चमेली ( एकदम ऐसे वैसे वाले गानों के लिए ) पीछे लड़कियों भौजाइयों का झुण्ड ,मम्मी मौसियां बुआ लोग भी.
लेकिन टीम की सेंटर फारवर्ड कहें या ओपनिंग बैट्समैन या कप्तानी , ये जिम्मेदारी मेरे ही कंधो पर थी , एक तो मैं छोटी साली ,दूसरे अभी अभी शादी हुयी ,हनीमून से सीधे यहीं आयी इसलिए भौजाइयों का मानना था की मैंने भी ' खून चख लिया ' है इसलिए मैं भी एकतरह से उनकी ही बिरादरी में शामिल हो गयी हूँ।
फिर कमल जीजू से खाने के समय जो ' इंटरैक्शन ' हुआ , मैंने भी ठान लिया था ,आज इन सब की ऐसी की तैसी करनी है।
मुझे मालुम था न वो बुरा मानने वाले हैं न बाकी बरात वाले।
कमल जीजू आके बैठ गए ,जैसे कोई बैट्समैन सारे फील्डर्स का मुआयना करता है ,पिच को देखता भालता है बस उसी तरह और फिर उन्होंने सीधे मेरी आँखों में आंखे डाल के और फिर उनकी निगाहे सीधे मेरे टाइट कुर्ते को फाड़ते जोबन पे ,जैसे दो बरछी चुभ जाए वो असर हुआ उन पे।
और उन्होंने बिना इस बात की परवाह किये मेरी सारी भाभियाँ ,मम्मी ,मौसियां बैठी हैं अपने जीभ होंठो पर फिराई , एकदम साफ़ था वो क्या देख रहे हैं और क्या असर हुआ।
" चल गयी तेरी दुनाली ,बिचारा घायल होगया। "
संध्या भाभी ने मुझे चिढ़ाया।
मैंने कमल जीजू को जैसे दिखाते हुए अपनी चुन्नी ठीक की , उसे उभारो पर करने का नाटक किया लेकिन कमल जीजू ,नम्बरी दुष्ट ,बेशरम ,सबके सामने उन्होंने सर हिलाके आँखों से मुझे बरज दिया , और एक बार चुन्नी फिर उभारों से दूर गले से चिपक गयी।
संध्या भाभी ने तबतक ढोलक पर थाप देनी शुरू कर दी ,पीछे से लड़कियों ने भी ताली से साथ देना शुरू कर दिया ,
और मैंने जीजू के पाले में पहली गेंद डाल दी ,गाने शुरू हो गए ,
जीजू को देखते ,चिढाते मैंने शुरू कर दिया ,
" अरे स्वागत में गारी सुनाओ ,स्वागत में , अरे स्वागत में
अरे दूल्हे के तन पे सूट नहीं है ,अरे उसको उसको तो ,
( पहली लाइन मैं गाती और जवाब की लाइन सारी मेरी कजिन्स , भाभियाँ मिल के )
... अरे उसको तो साडी और ,अरे साडी और ब्लाउज पहनाओ।
अरे उसको तो चोली पहनाओ ,अरे उसको तो
( तब तक मम्मी ने एक लाइन जोड़ी ,
अरे उसके तन पर बंडी नहीं है , बंडी नहीं है
उसको तो ब्रा पहनाओ ,अरे उसको तो ब्रा पहनाओ )
अरे स्वागत में गारी सुनाओ ( मैं फिर चालू हो गयी ) अरे स्वागत में ,
दूल्हे के कलाई में घड़िया नहीं है , अरे उसको तो अरे उसको तो चूड़ियां पहनाओ।
तबतक झरर मार के ढेर सारी बरात वाली लड़कियां आगयीं और दूल्हे को घेर के बैठ गयीं।
पीछे से मेरी कजिन्स मुझे फीड बैक,...
वो फिरोजी फ्राक वाली ,नीतू है टेंथ अभी पास किया है।
जीन्स टॉप वाली उनकी मौसेरी बहन ज्योती ,बी ए सेकेण्ड इयर ,
उसके पीछे जो एकदम चिपक के बैठी है ,चोली लहंगे वाली मीता उनकी ममेरी बहन,
और मैंने गाना आगे बढ़ाया ,
अरे स्वागत में गारी सुनाओ , मेरी सखियों स्वागत में अरे स्वागत में गारी सुनाओ ,
अरे दूल्हे के संग में , अरे दूल्हे के संग में , अरे दूल्हे के संग में रंडी नहीं है,
दूल्हे की बहना नचाओ ,अरे नीतू और ज्योति को नचाओ।
अरे मीता छिनार को नचाओ ,नचाओ मेरी सखियों ,नचाओ मेरी बहनों ,
दूल्हे की बहना नचाओ।
( तबतक मुझे पीछे से मौसी और बुआ की डाँट पड़ गयी , तुझे खाली अपनी ननदों की फिकर है ,ज़रा हमारी समधन को भी तो ,मैंने जोड़ दिया )
अरे दूल्हा की अम्मा नचाओ ,अरे दूल्हे की बुआ नचाओ ,मेरी सखियों।
स्वागत में गारी सुनाओ।
तबतक दूल्हे के चच्चा ,ताऊ ,मामा ,फूफा ये लोग भी आगये और अब शादी की रस्में बस शुरू ही होने वाली थी।
और मैंने दूसरा गाना शुरू कर दिया ,लेकिन अब फोकस थोड़ा चेंज हो गया था
मैंने बन्ना गाना शुरू किया साथ में मेरी कजिन्स ,भाभियाँ ,बसंती सभी।
मेरा प्यारा बन्ना ,मेरा सुन्दर बन्ना।
बन्ने के सर पे सेहरा सोहे , अरे सेहरा सोहे
प्यारे बन्ने के सर पे सेहरा सोहे ,
अरे लोग कहें , अरे लोग कहें
( फिर मैंने एक मीनिंगफुल पॉज दिया , और सभी लोग रुक गए ,यहाँ तक की ढोलक की थाप भी ,
अरे लोग कहें मलिया का जना , बड़ी धूम डगर से आया रे बना
मैंने गाया और साथ में सबने दुहराया ,
अरे लोग कहें मलिया का जना , अरे मलिया का जना।
(मैंने गाना आगे बढ़ाया )
बड़ी धूम डगर से आया रे बना , बन्ने के तन पे सूट सोहे ,सूट सोहे टाई सोहे ,
अरे सूट सोहे , टाई सोहे ,
अरे लोग कहें , अरे लोग कहें बजजवा जना , अरे दरजी का जना।
बड़ी धूम डगर से आया रे बन्ना , बन्ने के पैरों में , अरे बन्नो के पैरों में
बन्ने के पैरों में जूता सोहे , जूता सोहे मोजा सोहे ,अरे लोग कहें
अरे लोग कहें , अरे लोग कहें मोचिया का जना , अरे मोचिया जना।
( पीछे से मौसी बुआ सब ,दूल्हे को चिढा चिढा के बोलने लगीं ,
अरे इसकी माँ किसके किसके पास गयीं ,
बिचारी को पता ही नहीं होगा उनका पेट किसने फुलाया )
लेकिन असली हथियार तो मैंने बचा रखा था , मैं फिर चालू हो गयी ,
" अरे बड़ी धूम डगर से आया रे बना , अरे धोबी की गली से आया रे बना ,
अरे लोग कहें , अरे लोग कहें ( अबकी मैंने बरज दिया था सबको कोई पूरा नहीं करेगा मैं ही बोली )
अरे लोग कहें गदहवा जना , अरे गदहवा जना।
फिर तो ये ठहाके लगे ,सब लोग बस यही अरे समधन की बड़ी कैपिसिटी है ,क्या ताकत है ,गदहे के साथ भी।
( लेकिन हमें क्या पता था की दो दिन बाद यही बात फिर से , ... )
जैसे कोई बाहरी हमला होने पर सभी अंदरूनी ताकतें एकजुट हो जाती हैं , बस बरात आने पर घर में , ..
जो भाभियाँ पहला मौका मेरी और मेरी मौसेरी चचेरी फुफेरी बहनों के साया ,शलवार का नाडा खोलने में लग जाती थीं ,
गाने जो शादी के गानों से शुरू होते थे लेकिन थोड़ी ही देर में हम ननदों की ओर मुड़ जाते थे , फिर न कोई उमर न लिहाज और रतजगे के दिन तो कोई बचा नहीं चाहे कच्चे टिकोरे वालियां रही हो या मेरे जैसी तुरंत तुरंत शादी हुयी , सबकी नीचे वाले की न सिर्फ मुंह दिखाई हुयी बल्कि ऊँगली डाल के भाभियों ने गहराई भी नापी।
थी भी दर्जन भर से ऊपर चीनू की चचेरी , फुफेरी मोहल्ले की भाभियाँ , और सबकी नेता छंदा भाभी , तीन चार साल पहले ही शादी हुयी थी।
और सिर्फ हमारी भौजाइयां ही नहीं , मम्मी ,मौसियां मेरी चीनू की बुआ के पीछे , एक से एक गन्दी गालियां
और जो गालियां देने में भाभियाँ थोड़ा शर्माती झिझकती थीं ,उसके लिए बसन्ती नाउन को आगे कर देतीं थी ,हमारे नाउन की बहु होने के नाते भौजी ही लगती थी। सभी रस्में भी वही निभाती थी।
लेकिन उसका जवाब देने के लिए हम लोग चमेली को आगे कर देते थे , घर में काम करती थी लेकिन बेटी होने के नाते वो ननद लगती थी इसलिए हम लोगों का साथ देने आ जाती थी।
लेकिन आज सब एकजुट थीं।
जो छोटी लड़कियां थी हम लोगों के घर की उन्होंने अपना काम अंजाम दे दिया था। जीजू के घर की सारी लड़कियों का नाम उमर ,जो बरात में आयी थीं सबसे दोस्ती कर के और अब उनके सामने मिशन था जूता चुराने का।
हम सब जल्दी जल्दी तैयार हो रहे थे।
जीजू की कमजोरी मैंने भाप ली थी ,मेरे गदराये उभार।
लो कट चोली में मैंने उसकी गहराई की झलक तो उन्हें दिखा ही दी थी इसलिए अब मैंने एक बहुत टाइट सूट पहना , पीले रंग का सरसों के फूलों वाले , उभारों पर इसकी फिटिंग एकदम टाइट थी , कटाव उभार कड़ापन सब कुछ दिखता था और आफ कोर्स एक हाफ पुशअप ब्रा उसे और उभार रही थी।
चुन्नी मैंने डाली जरूर थी लेकिन एकदम गले से चिपका कर।
मेरी सारी बहने ,भाभियाँ ,मौसियां ,मम्मी ,बसन्ती और चमेली सब लोग मंडवे में बैठ गए थे।
लेकिन सबसे आगे छंदा भाभी
ढोलक उन्होंने ही सम्भाल रखी , बगल में मैं और मेरे बगल में बसन्ती और उसके पीछे चमेली ( एकदम ऐसे वैसे वाले गानों के लिए ) पीछे लड़कियों भौजाइयों का झुण्ड ,मम्मी मौसियां बुआ लोग भी.
लेकिन टीम की सेंटर फारवर्ड कहें या ओपनिंग बैट्समैन या कप्तानी , ये जिम्मेदारी मेरे ही कंधो पर थी , एक तो मैं छोटी साली ,दूसरे अभी अभी शादी हुयी ,हनीमून से सीधे यहीं आयी इसलिए भौजाइयों का मानना था की मैंने भी ' खून चख लिया ' है इसलिए मैं भी एकतरह से उनकी ही बिरादरी में शामिल हो गयी हूँ।
फिर कमल जीजू से खाने के समय जो ' इंटरैक्शन ' हुआ , मैंने भी ठान लिया था ,आज इन सब की ऐसी की तैसी करनी है।
मुझे मालुम था न वो बुरा मानने वाले हैं न बाकी बरात वाले।
कमल जीजू आके बैठ गए ,जैसे कोई बैट्समैन सारे फील्डर्स का मुआयना करता है ,पिच को देखता भालता है बस उसी तरह और फिर उन्होंने सीधे मेरी आँखों में आंखे डाल के और फिर उनकी निगाहे सीधे मेरे टाइट कुर्ते को फाड़ते जोबन पे ,जैसे दो बरछी चुभ जाए वो असर हुआ उन पे।
और उन्होंने बिना इस बात की परवाह किये मेरी सारी भाभियाँ ,मम्मी ,मौसियां बैठी हैं अपने जीभ होंठो पर फिराई , एकदम साफ़ था वो क्या देख रहे हैं और क्या असर हुआ।
" चल गयी तेरी दुनाली ,बिचारा घायल होगया। "
संध्या भाभी ने मुझे चिढ़ाया।
मैंने कमल जीजू को जैसे दिखाते हुए अपनी चुन्नी ठीक की , उसे उभारो पर करने का नाटक किया लेकिन कमल जीजू ,नम्बरी दुष्ट ,बेशरम ,सबके सामने उन्होंने सर हिलाके आँखों से मुझे बरज दिया , और एक बार चुन्नी फिर उभारों से दूर गले से चिपक गयी।
संध्या भाभी ने तबतक ढोलक पर थाप देनी शुरू कर दी ,पीछे से लड़कियों ने भी ताली से साथ देना शुरू कर दिया ,
और मैंने जीजू के पाले में पहली गेंद डाल दी ,गाने शुरू हो गए ,
जीजू को देखते ,चिढाते मैंने शुरू कर दिया ,
" अरे स्वागत में गारी सुनाओ ,स्वागत में , अरे स्वागत में
अरे दूल्हे के तन पे सूट नहीं है ,अरे उसको उसको तो ,
( पहली लाइन मैं गाती और जवाब की लाइन सारी मेरी कजिन्स , भाभियाँ मिल के )
... अरे उसको तो साडी और ,अरे साडी और ब्लाउज पहनाओ।
अरे उसको तो चोली पहनाओ ,अरे उसको तो
( तब तक मम्मी ने एक लाइन जोड़ी ,
अरे उसके तन पर बंडी नहीं है , बंडी नहीं है
उसको तो ब्रा पहनाओ ,अरे उसको तो ब्रा पहनाओ )
अरे स्वागत में गारी सुनाओ ( मैं फिर चालू हो गयी ) अरे स्वागत में ,
दूल्हे के कलाई में घड़िया नहीं है , अरे उसको तो अरे उसको तो चूड़ियां पहनाओ।
तबतक झरर मार के ढेर सारी बरात वाली लड़कियां आगयीं और दूल्हे को घेर के बैठ गयीं।
पीछे से मेरी कजिन्स मुझे फीड बैक,...
वो फिरोजी फ्राक वाली ,नीतू है टेंथ अभी पास किया है।
जीन्स टॉप वाली उनकी मौसेरी बहन ज्योती ,बी ए सेकेण्ड इयर ,
उसके पीछे जो एकदम चिपक के बैठी है ,चोली लहंगे वाली मीता उनकी ममेरी बहन,
और मैंने गाना आगे बढ़ाया ,
अरे स्वागत में गारी सुनाओ , मेरी सखियों स्वागत में अरे स्वागत में गारी सुनाओ ,
अरे दूल्हे के संग में , अरे दूल्हे के संग में , अरे दूल्हे के संग में रंडी नहीं है,
दूल्हे की बहना नचाओ ,अरे नीतू और ज्योति को नचाओ।
अरे मीता छिनार को नचाओ ,नचाओ मेरी सखियों ,नचाओ मेरी बहनों ,
दूल्हे की बहना नचाओ।
( तबतक मुझे पीछे से मौसी और बुआ की डाँट पड़ गयी , तुझे खाली अपनी ननदों की फिकर है ,ज़रा हमारी समधन को भी तो ,मैंने जोड़ दिया )
अरे दूल्हा की अम्मा नचाओ ,अरे दूल्हे की बुआ नचाओ ,मेरी सखियों।
स्वागत में गारी सुनाओ।
तबतक दूल्हे के चच्चा ,ताऊ ,मामा ,फूफा ये लोग भी आगये और अब शादी की रस्में बस शुरू ही होने वाली थी।
और मैंने दूसरा गाना शुरू कर दिया ,लेकिन अब फोकस थोड़ा चेंज हो गया था
मैंने बन्ना गाना शुरू किया साथ में मेरी कजिन्स ,भाभियाँ ,बसंती सभी।
मेरा प्यारा बन्ना ,मेरा सुन्दर बन्ना।
बन्ने के सर पे सेहरा सोहे , अरे सेहरा सोहे
प्यारे बन्ने के सर पे सेहरा सोहे ,
अरे लोग कहें , अरे लोग कहें
( फिर मैंने एक मीनिंगफुल पॉज दिया , और सभी लोग रुक गए ,यहाँ तक की ढोलक की थाप भी ,
अरे लोग कहें मलिया का जना , बड़ी धूम डगर से आया रे बना
मैंने गाया और साथ में सबने दुहराया ,
अरे लोग कहें मलिया का जना , अरे मलिया का जना।
(मैंने गाना आगे बढ़ाया )
बड़ी धूम डगर से आया रे बना , बन्ने के तन पे सूट सोहे ,सूट सोहे टाई सोहे ,
अरे सूट सोहे , टाई सोहे ,
अरे लोग कहें , अरे लोग कहें बजजवा जना , अरे दरजी का जना।
बड़ी धूम डगर से आया रे बन्ना , बन्ने के पैरों में , अरे बन्नो के पैरों में
बन्ने के पैरों में जूता सोहे , जूता सोहे मोजा सोहे ,अरे लोग कहें
अरे लोग कहें , अरे लोग कहें मोचिया का जना , अरे मोचिया जना।
( पीछे से मौसी बुआ सब ,दूल्हे को चिढा चिढा के बोलने लगीं ,
अरे इसकी माँ किसके किसके पास गयीं ,
बिचारी को पता ही नहीं होगा उनका पेट किसने फुलाया )
लेकिन असली हथियार तो मैंने बचा रखा था , मैं फिर चालू हो गयी ,
" अरे बड़ी धूम डगर से आया रे बना , अरे धोबी की गली से आया रे बना ,
अरे लोग कहें , अरे लोग कहें ( अबकी मैंने बरज दिया था सबको कोई पूरा नहीं करेगा मैं ही बोली )
अरे लोग कहें गदहवा जना , अरे गदहवा जना।
फिर तो ये ठहाके लगे ,सब लोग बस यही अरे समधन की बड़ी कैपिसिटी है ,क्या ताकत है ,गदहे के साथ भी।
( लेकिन हमें क्या पता था की दो दिन बाद यही बात फिर से , ... )