09-02-2019, 12:52 AM
अपडेट - 6
भैरव का पत्र: महारानी हम एक अनजान रोग से ग्रस्त है हमे नही पता हम और कितने दिन जियेंगे लेकिन हमने आपकी और आपके राज्य की सुरक्षा के लिए कुछ तांत्रिक बुलाये है। ये आपको एक ऐसा यंत्र बना कर देंगे जिस से आप दुश्मन की और उसके बल वैभव की समस्त जानकारी आसानी से पा लेंगी। लेकिन सावधान ये तांत्रिक लोभी है। इस उम्मीद के साथ मृत्यु को गले लगा रहा हूँ कि एक दिन आप हमें माफ करके स्वीकार कर लेंगी।।
अब आगे....
तभी रात के बारह बजने का घंटा सुनाई पड़ता है जो नानी की पुरानी घड़ी जो घर में टंगी थी के बजने का था।
नानी: अब सो जाओ बेटा बाकी कहानी कल सुना दूंगी।
राज: नहीं नानी अभी तो कहानी में मज़ा आना शुरू हुआ था। और वैसे भी अगर आप ऐसी सिचुएशन मैं कहानी बन्द करोगी तो मुझे कोनसा नींद आने वाली है मैं तो सारी रात इस कहानी के बारे में ही सोचता रहूंगा।
नानी राज का उत्साह देख कर मुस्कुराने लगती है। और बोलती है।
नानी: ठीक है बेटा तो आगे सुनो।
जब नेत्रा भैरव का पत्र पड़ती है तो उसकी आंखें नम थी। वो मन ही मन कहती है। " भैरव भले तुम्हारा प्रेम निश्चल था लेकिन मैं तुम्हे कभी माफ नही कर पाऊंगी। हो सके तो तुम मुझे माफ़ कर देना। इतना सोच कर नेत्रा ने भैरव का पत्र जला दिया।
इधर नेत्रा ने भैरव का पत्र जलाया उधर भैरव की सांस उसका साथ छोड़ गई।
यही कोई 5-6 दिन बाद वो तांत्रिक नेत्रा के महल में आ गये।
नेत्रा के महल के सुरक्षा कर्मचारी उन तांत्रिकों को रोकने का प्रयास कर रहे थे लेकिन उन सभी तांत्रिकों का सरदार अपने जादू से सभी को मूर्छित करते हुए आगे बढ़ता हुआ नेत्रा के महल में पहुंच गया।
नेत्रा ने जब उन सभी तांत्रिकों को देखा तो उसे शर्म सी आने लगी।
कोई भी तांत्रिक वस्त्र नही पहन रखा था। सभी तांत्रिकों की जटाएं बढ़ी हुई थी । उनके शरीर पर राख लिपटी हुई थी और गले में पुष्पों की मालाएं थी। चिलम फूंक रहे थे। गांजे की धुंआ और खुशबू चारों और फैली हुई थी।
एक तांत्रिक ने अपने शरीर की राख को अपनी मुट्ठी में लेकर जोर से महल के आंगन में फेंका। तांत्रिक के ऐसा करते ही नेत्रा और तांत्रिक के चारों और एक धुएं का सुरक्षा चक्र बन गया।
तभी उन तांत्रिको मैं से एक तांत्रिक ने नेत्रा की और देख कर कहा।
तांत्रिक: महारानी महाराज भैरव ने हमे आपके लिए एक आईना बनाने को कहा है। जिस आईने से आप किसी का भी भूत भविष्य वर्तमान जान सके। यहां तक कि आप वहां पर जा भी सके। महारानी भैरव ने हमे अपनी आत्मा सौंपी है इसलिए हमें इस आईने का निर्माण हर हालत में करना ही होगा चाहे आप माने या ना माने। लेकिन आपको उस आईने की सम्पूर्ण शक्तियों का प्रयोग करने के लिए कुछ अंगूठियां धारण करनी पड़ सकती उस समय तक जिस समय तक आप आईने की किसी शक्ति का प्रयोग कर रही हो।
नेत्रा: वैसे तो हमें ऐसे किसी आईने की ज़रूरत नही है ना ही हम ऐसी किसी बेहूदा बातों पर यकीन करते है।
नेत्रा की ऐसी बात सुनकर तांत्रिकों का सरदार क्रोधित हो गया।
उसने नेत्रा की क्रोधित नज़रों से देखते हुए कहा...
तांत्रिकों का सरदार:- मूर्ख नारी तुम्हे हमारी सिद्धि पर शक है। हम वो आईना ज़रूर बनाएंगे और उस आईने के लिए हम सभी उस आईने में समा जाएंगे लेकिन जो कोई भी उस आईने का प्रयोग करेगा उसे हमे अपनी अत्यंत प्रिय कोई भी वस्तु, जीव, जगह जो भी हो वो हमें देनी होगी तभी आईना उसकी 1 दिवस की सभी कामनाएं पूरी करेगा।
ऐसा कह कर तांत्रिक महल के पीछे चले गए।
नेत्रा तांत्रिक का व्यवहार देख कर बहुत डर गई थी लेकिन वो एक रानी थी इस लिए उसने खुद को मजबूत बनाये रखा। नेत्रा उन तांत्रिकों को ऐसा करने से , उस आईने को बनाने से रोकना चाहती थी लेकिन पता नही क्यों वो उन्हें रोक ना सकी।
तांत्रिकों ने एक यज्ञ किया जो पूरे 151 दिन चला इस यज्ञ से एक आईना मिला।
वो आईना बहुत ही खूब सूरत था बस उसमें कुछ कुछ जगह पर बड़े बड़े छेद थे जैसे उनमे जड़ी कोई चीज निकाली हुई हो।
उस आईने में सभी तांत्रिकों ने अपनी अपनी सभी शक्तियां डाल दी। जैसे ही सभी तांत्रिकों की शक्तियां खत्म हुई उन्होंने एक- एक करके सात अंगूठियां भी बनाई ओर अंगूठियां बना कर खुद पत्थर बन गए और आईने में जड़ गए।
एक तांत्रिक बचा था जो उन सभी का सरदार था। उसने वो आईना नेत्रा सौंप कर उसके प्रोग विधि और दुरुपयोग सब कुछ बता दिया लेकिन ये नही बताया कि ये आईना काली शक्तियों की सहायता से बनाया गया है। नेत्रा ने जैसे ही वो आईना हाथ में लिया तांत्रिकों का सरदार भी पत्थर बनकर उस आईने में जड़ गया।
अब नेत्रा अपने पसंद के जेवर और कपड़े उस आईने में डालती जाती और अपने शत्रुओं की सभी जानकारी निकाल कर उनका वध करती जाती।
लेकिन धीरे-धीरे समय के साथ नेत्रा उन काली शक्तियों के प्रभाव में आ गयी और उसने उस आईने को दफ़न करवा दिया जी एक आदमी ने कुछ सालों पहले ढूंढ निकाला था और उस आईने की काली शक्तियों ने उस आदमी को भी निगल लिया।
नानी: कहानी खत्म हो गयी बेटा अब तो सो जाओ।
राज: लेकिन नानी आपने ये तो बताया ही नही की नेत्रा कैसी काली शक्तियों के प्रभाव में आ गयी और वो आईना उसने कहाँ दफ़नाया था।
नानी: वो आईना उसने चुपके से घोड़ों के अस्तबल मैं दबाया था।
अब कोई सवाल नही चुप चाप सो जाओ बाकी सब कल पूछना।
रात के 3 बजे राज खूब सोचते सोचते सो गया। और उसकी नानी राज के सवाल पर किसी सोच में डूब गयी।
अभी राज को साये क़रीब तीस मिनट का समय भी नही हुआ था कि राज के सपने में उसे उसके नाना जी दिखते है। वो बैठे बैठे राज की और देख कर मुस्कुरा रहे थे लेकिन अचानक कुछ लोग आतें है जो बिल्कुल धुंधले नज़र आ रहे थे। वो राज के नाना जी को उनका हाथ पकड़ कर उनकी मर्जी के खिलाफ उन्हें वहां से ले जा रहे थे । राज उन्हें रोकने की कोशिश करता है लेकिन वो हिल भी नही पा रहा था बड़ी मुश्किल से वो हिला तो उसे ऐसा लगा जैसे कोई सीसे जैसी दीवार राज को उसके नाना जी के पास जाने से रोक रही है ।
राज उस दीवार को जोर जोर से हाथों से मारता है लेकिन वो दीवार टूटना तो दूर की बात हिलती तक नहीं है। अचानक राज के नाना जी राज की नज़रों के सामने से उन सभी लोगो के साथ गायब हो जाते है। राज के नाना जी गायब होने से पहले पीछे मुड़ कर देखते है तो उनकी आंखों में आंसू थे जिन्हें राज देख कर बहुत दुखी हो जाता है और नींद में ही रोने लगता है।
वही राज की नानी राज के अंतिम सवाल का अधूरा जवाब देकर वो लम्हा याद करने लगती है जब नेत्रा पर आईने की काली शक्तियों का प्रभाव पड़ने लगा था। उसकी नानी याद करती है जो उसके पति ने बताया और दिखाया भी था ।
नेत्रा के वो सफेद कपड़े जिनमे कभी सोने की कढ़ाई का काम हुआ करता था अब धीरे धीरे काले पड़ते जा रहे थे ।
एक अजीब सी शांति और दुख उसके चेहरे से झलकने लगा था।
उसकी जिस्म की प्यास इसकदर बढ़ गयी थी कि उसको मिटाने के लिए वो राज्य में भेष बदल कर वेश्याघर के आसपास या कभी किसी गैर कर घर तक के बाहर से अपने लिए मर्दो की तलाश करने लगी थी।
एक महारानी होने के बाद भी उसे चारों और से अकेलापन ही मिल रहा था। उसकी हवस उस पर इतनी हावी हो गई थी कि मर्द रात को निकलने से भी डरने लगे थे।
एक ख़ूबसूरत महान महारानी की जिसके चेहरे से दूर से ही चांद जैसा नूर टपकता था उसकी एक वेश्या से भी बुरी गत हो गयी थी। नेत्रा के काले होते कपड़े और उसकी हवस ने उसे अपने ही राज्य में डायन के नाम से प्रसिद्ध कर दिया था। चेहरे पर वही नूर तो अब भी था बस कल तक जो राज्य की सुरक्षा के लिए लड़ती थी आज वो राज्य की प्रजा के लिए डायन बन चुकी थी।
और फिर लोग उसे डायन क्यों ना कहते । नेत्रा के पूरे शरीर पर पर अजीब से निशान जो बन ने लगे थे। वो निशान नेत्रा की निजी दासियों ने देखे थे। बहुत डरावने थे जैसे किसी ने गर्म सलाखों से दाग कर बनाया हो।
जब नेत्रा को इस बात का एहसास हुआ तो नेत्रा ने उस आईने को अपने अस्तबल मैं गढ़वा दिया। लेकिन उस आईने को अस्तबल मैं दफना ने से पहले वो खुद उस आईने में अपने आपको समर्पित कर उस आईने में समा चुकी थी। अंतिम बार जिस किसी ने नेत्रा को देखा था उस वक़्त नेत्रा ऐसी ही दिख रही थी।
उस आईने को दफनाने के बाद कई लोगो ने उस आईने को निकालने की कोशिश की लेकिन पता ही नही वो आईने किसी को भी क्यों नही मिला । फिर वो आईना एक दिन राज के नाना जी को मिला । उन्होंने कभी नही बताया कि वो आईना उन्हें कहाँ से मिला कब मिला ? बस चुप चाप अपने झोपड़े मैं किताबों मैं खोये रहते थे। ना जाने क्या तलाशते थे ? उन्होंने वो आईना अपनी मौत से पहले कहां रखा किसी को पता नही। काश वो उस आईने को नष्ट कर देते ।
तभी सुबह हो गयी राज उठा तो उसे वो सपना बार बार तंग कर रहा था। उसने सोचा क्यों ना नानी को बताया जाए। लेकिन फिर सोचा अगर नानी ने सोच लिया कि मैं कहानी से डर गया तो फिर कहाँनी कभी नहीं सुनाएंगी। वहीं नानी सुबह उठते ही घर के काम करने में जुट गई और राज को खेलने छोटू के साथ बाहर भेज दिया । ताकि राज का दिल लगा रहे।
वही दूसरी और राज के पाप भी रात को घर पहुंच गए थे।
भैरव का पत्र: महारानी हम एक अनजान रोग से ग्रस्त है हमे नही पता हम और कितने दिन जियेंगे लेकिन हमने आपकी और आपके राज्य की सुरक्षा के लिए कुछ तांत्रिक बुलाये है। ये आपको एक ऐसा यंत्र बना कर देंगे जिस से आप दुश्मन की और उसके बल वैभव की समस्त जानकारी आसानी से पा लेंगी। लेकिन सावधान ये तांत्रिक लोभी है। इस उम्मीद के साथ मृत्यु को गले लगा रहा हूँ कि एक दिन आप हमें माफ करके स्वीकार कर लेंगी।।
अब आगे....
तभी रात के बारह बजने का घंटा सुनाई पड़ता है जो नानी की पुरानी घड़ी जो घर में टंगी थी के बजने का था।
नानी: अब सो जाओ बेटा बाकी कहानी कल सुना दूंगी।
राज: नहीं नानी अभी तो कहानी में मज़ा आना शुरू हुआ था। और वैसे भी अगर आप ऐसी सिचुएशन मैं कहानी बन्द करोगी तो मुझे कोनसा नींद आने वाली है मैं तो सारी रात इस कहानी के बारे में ही सोचता रहूंगा।
नानी राज का उत्साह देख कर मुस्कुराने लगती है। और बोलती है।
नानी: ठीक है बेटा तो आगे सुनो।
जब नेत्रा भैरव का पत्र पड़ती है तो उसकी आंखें नम थी। वो मन ही मन कहती है। " भैरव भले तुम्हारा प्रेम निश्चल था लेकिन मैं तुम्हे कभी माफ नही कर पाऊंगी। हो सके तो तुम मुझे माफ़ कर देना। इतना सोच कर नेत्रा ने भैरव का पत्र जला दिया।
इधर नेत्रा ने भैरव का पत्र जलाया उधर भैरव की सांस उसका साथ छोड़ गई।
यही कोई 5-6 दिन बाद वो तांत्रिक नेत्रा के महल में आ गये।
नेत्रा के महल के सुरक्षा कर्मचारी उन तांत्रिकों को रोकने का प्रयास कर रहे थे लेकिन उन सभी तांत्रिकों का सरदार अपने जादू से सभी को मूर्छित करते हुए आगे बढ़ता हुआ नेत्रा के महल में पहुंच गया।
नेत्रा ने जब उन सभी तांत्रिकों को देखा तो उसे शर्म सी आने लगी।
कोई भी तांत्रिक वस्त्र नही पहन रखा था। सभी तांत्रिकों की जटाएं बढ़ी हुई थी । उनके शरीर पर राख लिपटी हुई थी और गले में पुष्पों की मालाएं थी। चिलम फूंक रहे थे। गांजे की धुंआ और खुशबू चारों और फैली हुई थी।
![[Image: 5c5dffab13c7b.jpg]](https://imgadult.com/upload/small-medium/2019/02/08/5c5dffab13c7b.jpg)
एक तांत्रिक ने अपने शरीर की राख को अपनी मुट्ठी में लेकर जोर से महल के आंगन में फेंका। तांत्रिक के ऐसा करते ही नेत्रा और तांत्रिक के चारों और एक धुएं का सुरक्षा चक्र बन गया।
![[Image: 5c5dffe6ca14f.jpg]](https://imgadult.com/upload/small-medium/2019/02/08/5c5dffe6ca14f.jpg)
तभी उन तांत्रिको मैं से एक तांत्रिक ने नेत्रा की और देख कर कहा।
तांत्रिक: महारानी महाराज भैरव ने हमे आपके लिए एक आईना बनाने को कहा है। जिस आईने से आप किसी का भी भूत भविष्य वर्तमान जान सके। यहां तक कि आप वहां पर जा भी सके। महारानी भैरव ने हमे अपनी आत्मा सौंपी है इसलिए हमें इस आईने का निर्माण हर हालत में करना ही होगा चाहे आप माने या ना माने। लेकिन आपको उस आईने की सम्पूर्ण शक्तियों का प्रयोग करने के लिए कुछ अंगूठियां धारण करनी पड़ सकती उस समय तक जिस समय तक आप आईने की किसी शक्ति का प्रयोग कर रही हो।
नेत्रा: वैसे तो हमें ऐसे किसी आईने की ज़रूरत नही है ना ही हम ऐसी किसी बेहूदा बातों पर यकीन करते है।
नेत्रा की ऐसी बात सुनकर तांत्रिकों का सरदार क्रोधित हो गया।
उसने नेत्रा की क्रोधित नज़रों से देखते हुए कहा...
![[Image: 5c5e0050d5827.jpg]](https://imgadult.com/upload/small-medium/2019/02/08/5c5e0050d5827.jpg)
तांत्रिकों का सरदार:- मूर्ख नारी तुम्हे हमारी सिद्धि पर शक है। हम वो आईना ज़रूर बनाएंगे और उस आईने के लिए हम सभी उस आईने में समा जाएंगे लेकिन जो कोई भी उस आईने का प्रयोग करेगा उसे हमे अपनी अत्यंत प्रिय कोई भी वस्तु, जीव, जगह जो भी हो वो हमें देनी होगी तभी आईना उसकी 1 दिवस की सभी कामनाएं पूरी करेगा।
ऐसा कह कर तांत्रिक महल के पीछे चले गए।
नेत्रा तांत्रिक का व्यवहार देख कर बहुत डर गई थी लेकिन वो एक रानी थी इस लिए उसने खुद को मजबूत बनाये रखा। नेत्रा उन तांत्रिकों को ऐसा करने से , उस आईने को बनाने से रोकना चाहती थी लेकिन पता नही क्यों वो उन्हें रोक ना सकी।
तांत्रिकों ने एक यज्ञ किया जो पूरे 151 दिन चला इस यज्ञ से एक आईना मिला।
![[Image: 5c5e00b27af1e.jpg]](https://imgadult.com/upload/small-medium/2019/02/08/5c5e00b27af1e.jpg)
वो आईना बहुत ही खूब सूरत था बस उसमें कुछ कुछ जगह पर बड़े बड़े छेद थे जैसे उनमे जड़ी कोई चीज निकाली हुई हो।
उस आईने में सभी तांत्रिकों ने अपनी अपनी सभी शक्तियां डाल दी। जैसे ही सभी तांत्रिकों की शक्तियां खत्म हुई उन्होंने एक- एक करके सात अंगूठियां भी बनाई ओर अंगूठियां बना कर खुद पत्थर बन गए और आईने में जड़ गए।
एक तांत्रिक बचा था जो उन सभी का सरदार था। उसने वो आईना नेत्रा सौंप कर उसके प्रोग विधि और दुरुपयोग सब कुछ बता दिया लेकिन ये नही बताया कि ये आईना काली शक्तियों की सहायता से बनाया गया है। नेत्रा ने जैसे ही वो आईना हाथ में लिया तांत्रिकों का सरदार भी पत्थर बनकर उस आईने में जड़ गया।
अब नेत्रा अपने पसंद के जेवर और कपड़े उस आईने में डालती जाती और अपने शत्रुओं की सभी जानकारी निकाल कर उनका वध करती जाती।
![[Image: 5c5e00f22ea2b.jpg]](https://imgadult.com/upload/small-medium/2019/02/08/5c5e00f22ea2b.jpg)
लेकिन धीरे-धीरे समय के साथ नेत्रा उन काली शक्तियों के प्रभाव में आ गयी और उसने उस आईने को दफ़न करवा दिया जी एक आदमी ने कुछ सालों पहले ढूंढ निकाला था और उस आईने की काली शक्तियों ने उस आदमी को भी निगल लिया।
नानी: कहानी खत्म हो गयी बेटा अब तो सो जाओ।
राज: लेकिन नानी आपने ये तो बताया ही नही की नेत्रा कैसी काली शक्तियों के प्रभाव में आ गयी और वो आईना उसने कहाँ दफ़नाया था।
नानी: वो आईना उसने चुपके से घोड़ों के अस्तबल मैं दबाया था।
अब कोई सवाल नही चुप चाप सो जाओ बाकी सब कल पूछना।
रात के 3 बजे राज खूब सोचते सोचते सो गया। और उसकी नानी राज के सवाल पर किसी सोच में डूब गयी।
अभी राज को साये क़रीब तीस मिनट का समय भी नही हुआ था कि राज के सपने में उसे उसके नाना जी दिखते है। वो बैठे बैठे राज की और देख कर मुस्कुरा रहे थे लेकिन अचानक कुछ लोग आतें है जो बिल्कुल धुंधले नज़र आ रहे थे। वो राज के नाना जी को उनका हाथ पकड़ कर उनकी मर्जी के खिलाफ उन्हें वहां से ले जा रहे थे । राज उन्हें रोकने की कोशिश करता है लेकिन वो हिल भी नही पा रहा था बड़ी मुश्किल से वो हिला तो उसे ऐसा लगा जैसे कोई सीसे जैसी दीवार राज को उसके नाना जी के पास जाने से रोक रही है ।
राज उस दीवार को जोर जोर से हाथों से मारता है लेकिन वो दीवार टूटना तो दूर की बात हिलती तक नहीं है। अचानक राज के नाना जी राज की नज़रों के सामने से उन सभी लोगो के साथ गायब हो जाते है। राज के नाना जी गायब होने से पहले पीछे मुड़ कर देखते है तो उनकी आंखों में आंसू थे जिन्हें राज देख कर बहुत दुखी हो जाता है और नींद में ही रोने लगता है।
वही राज की नानी राज के अंतिम सवाल का अधूरा जवाब देकर वो लम्हा याद करने लगती है जब नेत्रा पर आईने की काली शक्तियों का प्रभाव पड़ने लगा था। उसकी नानी याद करती है जो उसके पति ने बताया और दिखाया भी था ।
नेत्रा के वो सफेद कपड़े जिनमे कभी सोने की कढ़ाई का काम हुआ करता था अब धीरे धीरे काले पड़ते जा रहे थे ।
![[Image: 5c5e014d23b0d.jpg]](https://imgadult.com/upload/small-medium/2019/02/08/5c5e014d23b0d.jpg)
एक अजीब सी शांति और दुख उसके चेहरे से झलकने लगा था।
उसकी जिस्म की प्यास इसकदर बढ़ गयी थी कि उसको मिटाने के लिए वो राज्य में भेष बदल कर वेश्याघर के आसपास या कभी किसी गैर कर घर तक के बाहर से अपने लिए मर्दो की तलाश करने लगी थी।
एक महारानी होने के बाद भी उसे चारों और से अकेलापन ही मिल रहा था। उसकी हवस उस पर इतनी हावी हो गई थी कि मर्द रात को निकलने से भी डरने लगे थे।
एक ख़ूबसूरत महान महारानी की जिसके चेहरे से दूर से ही चांद जैसा नूर टपकता था उसकी एक वेश्या से भी बुरी गत हो गयी थी। नेत्रा के काले होते कपड़े और उसकी हवस ने उसे अपने ही राज्य में डायन के नाम से प्रसिद्ध कर दिया था। चेहरे पर वही नूर तो अब भी था बस कल तक जो राज्य की सुरक्षा के लिए लड़ती थी आज वो राज्य की प्रजा के लिए डायन बन चुकी थी।
और फिर लोग उसे डायन क्यों ना कहते । नेत्रा के पूरे शरीर पर पर अजीब से निशान जो बन ने लगे थे। वो निशान नेत्रा की निजी दासियों ने देखे थे। बहुत डरावने थे जैसे किसी ने गर्म सलाखों से दाग कर बनाया हो।
जब नेत्रा को इस बात का एहसास हुआ तो नेत्रा ने उस आईने को अपने अस्तबल मैं गढ़वा दिया। लेकिन उस आईने को अस्तबल मैं दफना ने से पहले वो खुद उस आईने में अपने आपको समर्पित कर उस आईने में समा चुकी थी। अंतिम बार जिस किसी ने नेत्रा को देखा था उस वक़्त नेत्रा ऐसी ही दिख रही थी।
उस आईने को दफनाने के बाद कई लोगो ने उस आईने को निकालने की कोशिश की लेकिन पता ही नही वो आईने किसी को भी क्यों नही मिला । फिर वो आईना एक दिन राज के नाना जी को मिला । उन्होंने कभी नही बताया कि वो आईना उन्हें कहाँ से मिला कब मिला ? बस चुप चाप अपने झोपड़े मैं किताबों मैं खोये रहते थे। ना जाने क्या तलाशते थे ? उन्होंने वो आईना अपनी मौत से पहले कहां रखा किसी को पता नही। काश वो उस आईने को नष्ट कर देते ।
तभी सुबह हो गयी राज उठा तो उसे वो सपना बार बार तंग कर रहा था। उसने सोचा क्यों ना नानी को बताया जाए। लेकिन फिर सोचा अगर नानी ने सोच लिया कि मैं कहानी से डर गया तो फिर कहाँनी कभी नहीं सुनाएंगी। वहीं नानी सुबह उठते ही घर के काम करने में जुट गई और राज को खेलने छोटू के साथ बाहर भेज दिया । ताकि राज का दिल लगा रहे।
वही दूसरी और राज के पाप भी रात को घर पहुंच गए थे।
बर्बादी को निमंत्रण
https://xossipy.com/thread-1515.html
[b]द मैजिक मिरर (THE MAGIC MIRROR) {A Tale of Tilism}[/b]
https://xossipy.com/thread-2651.html
Hawas ka ghulam
https://xossipy.com/thread-33284-post-27...pid2738750
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[b]द मैजिक मिरर (THE MAGIC MIRROR) {A Tale of Tilism}[/b]
https://xossipy.com/thread-2651.html
Hawas ka ghulam
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