06-02-2020, 05:41 PM
मैं फटाफट करके धक्के पर धक्के देने लगा। मेरा लंड जल्दी जल्दी उनकी बुर को जड तक फाड़ने लगा। दीदी की हालत खराब होने लगी। मैं उसकी मस्त मस्त बुर को हाथ से सहलाने लगा। हाथ में मैंने थूक लिया और उनके चूत के दाने पर रगड़ने लगा। जैसे जैसे रगड़ रहा था उनके पुरे जिस्म में कम्पन होने लगा। वो पागल होने लगी। उनकी हालत किसी बकरी जैसी हो गयी थी जिसके गले पर छुरी चल रही थी। वो भी आनन्दित होने मजा लूटने लगी।
“….ऊँ—ऊँ…भूपेन्द्र!! जब तेज तेज चोदते तो तब भी मजा मिलता है…. सी सी सी…” पूर्वी दीदी कहने लगी
“ले रांड!! अब तेजी बुर को तेज तेज फाडूगा” मैंने कहा और लंड को जल्दी जल्दी दीदी की चूत की गली में दौड़ाने लगा। मैंने एक जांघ को मोड़कर दूसरी जांघ पर रख दिया। और तेज तेज झटके देने लगा। इससे मुझे काफी कसावट मिल रही थी। मुझे बहुत मजा आ रहा था। पूर्वी दीदी “आआआअह्हह्हह…..ईईईईईईई….ओह्ह्ह्….अई. .अई..अई…..अई..मम्मी….”करने लगा। मैं जल्दी जल्दी पेलता चला गया। काफी देर मनोरंजन हुआ।
“….ऊँ—ऊँ…भूपेन्द्र!! जब तेज तेज चोदते तो तब भी मजा मिलता है…. सी सी सी…” पूर्वी दीदी कहने लगी
“ले रांड!! अब तेजी बुर को तेज तेज फाडूगा” मैंने कहा और लंड को जल्दी जल्दी दीदी की चूत की गली में दौड़ाने लगा। मैंने एक जांघ को मोड़कर दूसरी जांघ पर रख दिया। और तेज तेज झटके देने लगा। इससे मुझे काफी कसावट मिल रही थी। मुझे बहुत मजा आ रहा था। पूर्वी दीदी “आआआअह्हह्हह…..ईईईईईईई….ओह्ह्ह्….अई. .अई..अई…..अई..मम्मी….”करने लगा। मैं जल्दी जल्दी पेलता चला गया। काफी देर मनोरंजन हुआ।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
