06-02-2020, 05:15 PM
मैंने अपना देतयाकार मुँह खोल दिया...और उसके अंगूर के दानों जैसे निप्पल मेरे मुँह के अंदर घुस गये और मै उन्हे बड़ी ज़ोर से चूसने लगा...साथ ही साथ मैंने दीदी के सिर के पीछे हाथ रखकर अपनी तरफ ज़ोर से दबा लिया..दूसरे हाथ से उसका दूसरा स्तन पकड़ लिया और उसे मसलने लगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
