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Incest काजल
#13
और जब केशव ने ये बात बोली तो अपनी आदत से मजबूर उसकी नज़रें उसके लंड वाली जगह पर चली ही गयी...

और फिर ना जाने क्या सोचकर उसने अपनी नज़रें घुमा ली...पर उनमे आ चुका गुलाबीपन केशव से छुपा न रह सका..

केशव : "क्या हुआ दीदी...आप एकदम से चुप सी क्यों हो गयी...''

काजल : "बस...ऐसे ही...उम्म्म्म एक बात पूछू तुझसे केशव...''

केशव : "हाँ दीदी...पूछो...''

काजल : "मैं तुझे कैसी लगती हू...''

केशव : "आप....मतलब...आप तो अच्छी ही हो दीदी...इसमे पूछने वाली क्या बात है...''

काजल : "अरे नही बुद्धू ....मेरा पूछने का मतलब...देखने में ...कैसी हूँ मैं ...''

इतना कहकर उसने अपनी ज़ुल्फो मे हाथ फेरा..अपने खुले हुए बाल पीछे किए...और अपना सीना बाहर की तरफ़ निकाल कर ऐसे पोज़ दिया जैसे कोई फोटो सेशन हो रहा हो वहाँ...

केशव की नज़रें काजल की हर हरकत पर थी...उसके नाज़ुक हाथों का जुल्फे पकड़कर पीछे करना...अपने चेहरे पर उँगलियों को फेरना , बालों को कान के पीछे अटकाना..सब वो ऐसे देख रहा था जैसे वो सब काजल उसके लिए ही कर रही हो..

केशव अपनी बहन की सुंदरता देखकर हैरान हुए जा रहा था...उसे पता तो था की वो सुंदर है..पर इतनी सेक्सी भी है, ये आज ही पता चला उसको..अभी तो उसने कोई मेकअप नही किया हुआ..अपने गुलाबी होंठों पर लाल लिपस्टिक , आँखो मे काजल और चेहरे पर मेकअप करने के बाद तो ये कयामत ही लगेगी

काजल : "क्या सोचने लगे अब....बोलो ना..''

केशव (झेंपता हुआ सा) : "बोल तो दिया दीदी...आप अच्छी हो...चलो अब आगे देखो...मैं दोबारा पत्ते बाँट रहा हू...''

और केशव ने बात बदलते हुए फिर से 3-3 पत्ते बाँट दिए..ये काम उसने इसलिए भी किया था की काजल की ऐसी बातें सुनकर उसके लंड ने अपना पूरा आकार ले लिया था और वो अंडरवीयर में ऐसे फँस गया था की उसे सही करने के लिए वो अपने हाथ नीचे भी नही कर पा रहा था...क्योंकि अपनी बड़ी बहन के सामने वो कैसे अपने लंड को हाथ लगाता भला..इसलिए उसने बात बदलने में ही भलाई समझी ताकी उसका लंड नीचे बैठ जाए

अब की बार काजल ने पत्ते नही उठाए..

काजल : "पर तुमने तो कहा था की ब्लाइंड चलने के लिए पैसे चाहिए होते है...अब क्या हम दोनो भी पैसो से खेलें क्या ...''

केशव : "नही...उसके बदले कुछ भी रख देते है...''

इतना कहकर वो इधर उधर देखने लगा...

काजल के मन मे तब तक एक बात आ चुकी थी, वो बोली : "एक काम करते है...ब्लाइंड या चाल के बदले हम एक दूसरे से सवाल करेंगे...और सामने वाला उसके जवाब बिल्कुल सच मे देगा...बोलो मंजूर है...''

केशव को समझ नही आया की उसकी बहन करना क्या चाहती है...पर वो समझ चुका था की काजल उसे फंसाना चाहती है , जो भी था,उसमें वो फंसना नही चाहता था

केशव : "क्या दीदी...आप भी ना...इसमे मज़ा नही आएगा...रूको...में पैसे लेकर आता हू...उससे ही खेलते है...या फिर माचिस की तिल्लिया लेकर आता हू, उन्हे आपस मे बाँट लेंगे, उनसे खेलेंगे...''

काजल : "नही...अब तो मैं ऐसे ही खेलूँगी...वरना तुम उठाओ ये पत्ते और जाओ अपने कमरे मे...मुझे भी नींद आ रही है..''
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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काजल - by neerathemall - 06-02-2020, 04:48 PM
RE: काजल - by neerathemall - 06-02-2020, 04:49 PM
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RE: काजल - by neerathemall - 06-02-2020, 05:00 PM



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