05-02-2020, 09:39 PM
अभी वो कुछ और हरकत करता इस से पहले ही घर का दरवाजा किसी ने खाट-खता दिया. दरवाजे पर हुई आहट को सुन कर मेरी तो साँसे उपर की उपर नीचे की नीचे अटक गयी. कही किसी ने मुझे देख तो नही लिया कही मनीष तो नही…. मेरे मन मे इसी तरह से हज़ारो ख़याल पल भर मे बुरी तरह से दौड़ने लग गये.
“इसकी मा का भोसड़ा अब इस वक़्त कॉन आ गया ?” संजय ने मेरे उपर पकड़ ढीली करते हुए रामकुमार की तरफ देखते हुए कहा.
“पता नही” रामकुमार ने भी अपने कंधे को उपर की तरफ उचका कर ना जानने का इशारा करते हुए कहा.
इधर बाहर से बराबर दरवाजा खटखटने की आवाज़ आ रही थी. मेरी भी हालत पूरी तरह से इस तरह की हो रखी थी अगर कोई मुझे देख ले तो उसे समझने मे देर नही लगेगी की यहाँ पर क्या हो रहा था. सारी पूरी तरह से खुल कर बिखरी हुई थी. और उपर ब्लाउस के भी दो तीन बटन खुले हुए थे.
“कॉन है ?” मैने डरते हुए रामकुमार की तरफ देख के पूछा.
“पता नही.. देखना पड़ेगा की कॉन है.” रामकुमार ने बोला और दरवाजे की तरफ बढ़ने लग गया.
“अबे रुक…!!” संजय ने रामकुमार को रोकते हुए कहा. “अबे इसका क्या करे अगर किसी ने इसे हमारे साथ यहाँ देख लिया तो इस रंडी का तो कुछ नही होगा हम बेकार मे बदनाम हो जाएगे”
संजय ने जिस तरह से मेरी तरफ देख कर मुझे रंडी कहा था. मन तो ऐसा किया कि एक तमाचा उसके मुँह पर खीच कर मार दू. पर अपनी इस हालत की मैं खुद ही ज़िम्मेदार थी. उन रंडी शब्द को सुन कर मुझे इतनी गिल्टी फील हो रही थी. मेरी आँखो मे अपने आप आँसू निकल आए.
“तू एक काम कर इसको ले कर तू अंदर वाले कमरे मे चल, मैं बाहर देख कर आता हू की कॉन है.” रामकुमार ने संजय से कहा.
“चल तू मेरे साथ जल्दी से अंदर वाले कमरे मे आ जा… नही रुक… कमरे मे नही.. तू मेरे साथ जल्दी आ” बोल कर वो मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपने साथ लगभग खींचते हुए बोला.
“अरे रूको मेरी साडी..” मैने अपनी साडी भी नही ढंग से संभाल पाई थी कि उसने जो सारी मेरे शेरर पर बँधी हुई थी को मेरे बोल्ट के साथ ही एक झटके मे मेरे शेरर से पूरा अलग कर दिया और अपने हाथ मे ले कर मुझे एक कोने की तरफ चल दिया. वाहा दो दरवाजे लगे हुए थे. उसने उन दरवाजो मे से एक दरवाजे को खोला और मुझे पहले अंदर घुसने को कहा. मैं जल्दी से अंदर आ गयी और मेरे साथ ही वो भी अंदर आ गया. अंदर आते ही उसने दरवाजे को अंदर से बंद कर लिया. ये उसका बाथरूम था.
थोड़ी देर पहले वो अपने आप को बोहोत बड़ा खलीफा समझ रहा था पर अब वो बाथरूम के अंदर बुरी तरह से घबरा रहा था. घबराता भी क्यू ना सेक्स के मामले मे कितना भी तेज सही पर था तो कॉलेज गोयिंग स्टूडेंट. पर मेरी हालत कोई उस से अलग नही थी. मेरा दिल भी अंदर ही अंदर बुरी तरह से धड़क रहा था. उसका बाथरूम बोहोत छ्होटा था जिसमे दो लोगो का एक साथ खड़े होना थोड़ा मुश्किल था क्यूकी आधा बाथरूम बाल्टी और टब वगेरह से घिरा हुआ था. हम दोनो ही ज़रा सी जगह मे एक दूसरे से बिना आवाज़ के चिपके खड़े हुए थे.
“ये सब तेरे कारण हुआ है” उसने बोहोत धीरे से मुझे आँख दिखाते हुए कहा.
“चुप रहो मेरी वजह से कुछ नही हुआ है. ये सब तुमने ही शुरू किया था और उल्टा मैं तुम्हारी वजह से इस मुसीबत मे फँस गयी हू.” मैने भी धीरे से उसकी तरफ गुस्से से कहा और चुप हो गयी.
पूरे बाथरूम मे एक अजीब किस्म की खामोशी फैल गयी. सिर्फ़ हम दोनो के साँस लेने के और पानी वाले नल से पानी की छ्होटी छ्होटी बूँद गिरने की आवाज़ आ रही थी. बाहर से भी कोई आवाज़ नही आ रही थी. जिस वजह से मेरा दिल और घबरा रहा था. मैं पेटिकोट और ब्लाउस मे ही दीवार के साथ चिपकी हुई खड़ी थी. और वो मेरे साथ चिपका हुआ था मेरी साडी अब भी उसके हाथ मे ही लगी हुई थी.
मेरी समझ मे नही आ रहा था कि आख़िर कॉन है जो इस समय आया है. जिसके आने से एक दम सन्नाटा सा हो गया है. और रामकुमार के भी कुछ बोलने की आवाज़ नही आ रही है.
“ये रामकुमार की आवाज़ क्यू नही आ रही है.?” मैने बोहोत धीरे से संजय से कहा.
“मुझे क्या पता..” उसने वैसे ही गुस्से से अपनी आँख दिखाते हुए कहा.
“इसकी मा का भोसड़ा अब इस वक़्त कॉन आ गया ?” संजय ने मेरे उपर पकड़ ढीली करते हुए रामकुमार की तरफ देखते हुए कहा.
“पता नही” रामकुमार ने भी अपने कंधे को उपर की तरफ उचका कर ना जानने का इशारा करते हुए कहा.
इधर बाहर से बराबर दरवाजा खटखटने की आवाज़ आ रही थी. मेरी भी हालत पूरी तरह से इस तरह की हो रखी थी अगर कोई मुझे देख ले तो उसे समझने मे देर नही लगेगी की यहाँ पर क्या हो रहा था. सारी पूरी तरह से खुल कर बिखरी हुई थी. और उपर ब्लाउस के भी दो तीन बटन खुले हुए थे.
“कॉन है ?” मैने डरते हुए रामकुमार की तरफ देख के पूछा.
“पता नही.. देखना पड़ेगा की कॉन है.” रामकुमार ने बोला और दरवाजे की तरफ बढ़ने लग गया.
“अबे रुक…!!” संजय ने रामकुमार को रोकते हुए कहा. “अबे इसका क्या करे अगर किसी ने इसे हमारे साथ यहाँ देख लिया तो इस रंडी का तो कुछ नही होगा हम बेकार मे बदनाम हो जाएगे”
संजय ने जिस तरह से मेरी तरफ देख कर मुझे रंडी कहा था. मन तो ऐसा किया कि एक तमाचा उसके मुँह पर खीच कर मार दू. पर अपनी इस हालत की मैं खुद ही ज़िम्मेदार थी. उन रंडी शब्द को सुन कर मुझे इतनी गिल्टी फील हो रही थी. मेरी आँखो मे अपने आप आँसू निकल आए.
“तू एक काम कर इसको ले कर तू अंदर वाले कमरे मे चल, मैं बाहर देख कर आता हू की कॉन है.” रामकुमार ने संजय से कहा.
“चल तू मेरे साथ जल्दी से अंदर वाले कमरे मे आ जा… नही रुक… कमरे मे नही.. तू मेरे साथ जल्दी आ” बोल कर वो मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपने साथ लगभग खींचते हुए बोला.
“अरे रूको मेरी साडी..” मैने अपनी साडी भी नही ढंग से संभाल पाई थी कि उसने जो सारी मेरे शेरर पर बँधी हुई थी को मेरे बोल्ट के साथ ही एक झटके मे मेरे शेरर से पूरा अलग कर दिया और अपने हाथ मे ले कर मुझे एक कोने की तरफ चल दिया. वाहा दो दरवाजे लगे हुए थे. उसने उन दरवाजो मे से एक दरवाजे को खोला और मुझे पहले अंदर घुसने को कहा. मैं जल्दी से अंदर आ गयी और मेरे साथ ही वो भी अंदर आ गया. अंदर आते ही उसने दरवाजे को अंदर से बंद कर लिया. ये उसका बाथरूम था.
थोड़ी देर पहले वो अपने आप को बोहोत बड़ा खलीफा समझ रहा था पर अब वो बाथरूम के अंदर बुरी तरह से घबरा रहा था. घबराता भी क्यू ना सेक्स के मामले मे कितना भी तेज सही पर था तो कॉलेज गोयिंग स्टूडेंट. पर मेरी हालत कोई उस से अलग नही थी. मेरा दिल भी अंदर ही अंदर बुरी तरह से धड़क रहा था. उसका बाथरूम बोहोत छ्होटा था जिसमे दो लोगो का एक साथ खड़े होना थोड़ा मुश्किल था क्यूकी आधा बाथरूम बाल्टी और टब वगेरह से घिरा हुआ था. हम दोनो ही ज़रा सी जगह मे एक दूसरे से बिना आवाज़ के चिपके खड़े हुए थे.
“ये सब तेरे कारण हुआ है” उसने बोहोत धीरे से मुझे आँख दिखाते हुए कहा.
“चुप रहो मेरी वजह से कुछ नही हुआ है. ये सब तुमने ही शुरू किया था और उल्टा मैं तुम्हारी वजह से इस मुसीबत मे फँस गयी हू.” मैने भी धीरे से उसकी तरफ गुस्से से कहा और चुप हो गयी.
पूरे बाथरूम मे एक अजीब किस्म की खामोशी फैल गयी. सिर्फ़ हम दोनो के साँस लेने के और पानी वाले नल से पानी की छ्होटी छ्होटी बूँद गिरने की आवाज़ आ रही थी. बाहर से भी कोई आवाज़ नही आ रही थी. जिस वजह से मेरा दिल और घबरा रहा था. मैं पेटिकोट और ब्लाउस मे ही दीवार के साथ चिपकी हुई खड़ी थी. और वो मेरे साथ चिपका हुआ था मेरी साडी अब भी उसके हाथ मे ही लगी हुई थी.
मेरी समझ मे नही आ रहा था कि आख़िर कॉन है जो इस समय आया है. जिसके आने से एक दम सन्नाटा सा हो गया है. और रामकुमार के भी कुछ बोलने की आवाज़ नही आ रही है.
“ये रामकुमार की आवाज़ क्यू नही आ रही है.?” मैने बोहोत धीरे से संजय से कहा.
“मुझे क्या पता..” उसने वैसे ही गुस्से से अपनी आँख दिखाते हुए कहा.