05-02-2020, 09:37 PM
राम कुमार अपनी उंगली बराबर मेरी योनि मे अंदर बाहर कर रहा. थोड़ी देर तक वो अपनी उंगली को स्लो स्लो अंदर बाहर करता रहा फिर अचानक से उसने अपनी उंगली की रफ़्तार को जैसे ही तेज किया मेरा एक पैर पैर अपने आप दोबारा से हवा मे उठ गया. मैं इस समय अपने अंतिम चरम पर आ गयी थी और कभी भी फारिग हो सकती थी. मेरा पूरा विरोध इस समय गायब हो चुक्का था पीछे से संजय मेरे नितंब मे उंगली घुमा रहा था और आगे से रामकुमार “आआहह….. आहह… मैंन्न गाइिईईईईई” बोलते हुए मैं झाड़ गयी. रामकुमार की तेज़ी से चलती हुई उंगलियो के झटको ने कुछ ही देर मे मेरा पानी निकाल दिया था. मुझे समझ नही आ रहा था कि हो क्या रहा है. मैं उन दोनो के जाल मे बुरी तरह से फँस चुकी थी. समझ मे नही आ रहा था कि अब यहाँ से कैसे निकला जाएगा.मेरे झड़ने के बाद भी रामकुमार ने उंगली चलानी बंद नही की. “रुक जाओ प्लीज़ आहह.” वो जिस तरह से अपनी उंगली को लगातार मेरी योनि मे अंदर बाहर घुमा रहा था मुझे दर्द होने लग गया था.
“निकालो ना पानी अपना, खूब निकालो.” रामकुमार ने मेरे पेट को चूमते हुए कहा. दोनो उमर से ज़्यादा बड़े नही कॉलेज मे पढ़ने वाले लड़के थे पर सेक्स के खेल मे दोनो अच्छे अछो को मात दे सकते थे. जिस तरह से वो मेरे शरीर के साथ खेल रहे थे मौज मस्ती कर रहे थे मेरा खुद पर काबू पाना मुश्किल होता जा रहा था. ये सब शायद उन्हे मधुबाला भाभी ने सिखाया होगा. तभी वो इतने माहिर नज़र आ रहे है.
इधर संजय भी पीछे से मेरे नितंबो की दरार मे उंगली घुमा रहा था. दर्द के कारण मेरी तो जान ही निकली जा रही थी. वो अपनी उंगली को अंदर बाहर करते हुए संजय की बात सुन कर हस्ने लग गया.
“आअहह वहाँ मत करो प्लीज़. नही आअहह.” मगर उसकी तीसरी उंगली अंदर सरक्ति चली गयी. उसने भी तेज़ी के साथ अपनी उंगली अंदर बाहर करनी शुरू कर दी. दर्द के कारण मेरा बुरा हाल हुआ जा रहा था, मैं जल्द से जल्द यहाँ से निकलना चाहती थी पर मैं इन दोनो के जाल मे इतनी बुरी तरह से फँस चुकी थी की कुछ समझ ही नही आ रहा था कि क्या करू क्या ना करू.
“बिल्कुल कुँवारी गांद लगती है यार रामकुमत. बड़ी मुस्किल से घुसी है उंगली.” संजय ने फिर से मेरे नितंबो पर ज़ोर से चांटा मारते हुए रामकुमार से कहा.
रामकुमार ने मेरी तरफ देखा और फिर से मेरे पेट को चूमते हुए बोला, “क्यों, क्या मनीष ने तेरी गांद नही मारी अब तक.”
“आआहह…..न…नही.” एक तो संजय जिस तरह से तेज़ी से अपनी उंगली को मेरे नितंबो घुमा रहा था और दूसरा रामकुमार मेरे पेट को चूम रहा था दर्द और खुमारी के कारण मैने कराहते हुवे कहा. मैं दोनो की हर्कतो से बुरी तरह से बहकति जा रही थी.
रामकुमार ने मेरे उभारों को अपने दोनो हाथो मे थाम लिया और उन्हे कस कर दबाते हुए खड़ा हो गया उसके इस तरह से इतनी ज़ोर से दबाने से मेरी जान निकल गयी पर उसको जैसे कोई फ़र्क ही नही पड़ा हो… खड़ा हो कर उसने मेरे उरोजो को एक एक करके मसलना शुरू कर दिया. मेरी साँसे उखाड़ने लग गयी थी मैं दोबारा से अपनी मंज़िल की तरफ बढ़ रही थी.. मस्ती मे पूरी तरह से डूबा होने की वजह से मैने अपनी आँखे बंद कर ली.. मेरी आँखे बंद होते ही रामकुमार ने मौका देख कर मेरे चेहरे को अपने दोनो हाथो से थाम लिया. उसकी इस हरकत से मैं फॉरन अपने होश मे आ गयी. उसके मुँह से इतनी बुरी तरह की बास आ रही थी कि कुछ कहने की नही… वो जैसे जैसे अपने चेहरे को मेरे पास ला रहा था मेरा जी बुरी तरह से मिचलाने लग गया ऐसा लग रहा था कि मैं अभी उल्टी कर दुगी. पर मैं मजबूर थी उसने अपने दोनो हाथो से मेरे चेहरे को थाम रखा था कि मेरा अपने चेहरे को हिलना मुश्किल ही नही नामुमकिन हो गया था. उसने मेरा चेहरा पकड़ लिया और मेरे होंटो को अपने होंटो मे दबोच लिया.
“निकालो ना पानी अपना, खूब निकालो.” रामकुमार ने मेरे पेट को चूमते हुए कहा. दोनो उमर से ज़्यादा बड़े नही कॉलेज मे पढ़ने वाले लड़के थे पर सेक्स के खेल मे दोनो अच्छे अछो को मात दे सकते थे. जिस तरह से वो मेरे शरीर के साथ खेल रहे थे मौज मस्ती कर रहे थे मेरा खुद पर काबू पाना मुश्किल होता जा रहा था. ये सब शायद उन्हे मधुबाला भाभी ने सिखाया होगा. तभी वो इतने माहिर नज़र आ रहे है.
इधर संजय भी पीछे से मेरे नितंबो की दरार मे उंगली घुमा रहा था. दर्द के कारण मेरी तो जान ही निकली जा रही थी. वो अपनी उंगली को अंदर बाहर करते हुए संजय की बात सुन कर हस्ने लग गया.
“आअहह वहाँ मत करो प्लीज़. नही आअहह.” मगर उसकी तीसरी उंगली अंदर सरक्ति चली गयी. उसने भी तेज़ी के साथ अपनी उंगली अंदर बाहर करनी शुरू कर दी. दर्द के कारण मेरा बुरा हाल हुआ जा रहा था, मैं जल्द से जल्द यहाँ से निकलना चाहती थी पर मैं इन दोनो के जाल मे इतनी बुरी तरह से फँस चुकी थी की कुछ समझ ही नही आ रहा था कि क्या करू क्या ना करू.
“बिल्कुल कुँवारी गांद लगती है यार रामकुमत. बड़ी मुस्किल से घुसी है उंगली.” संजय ने फिर से मेरे नितंबो पर ज़ोर से चांटा मारते हुए रामकुमार से कहा.
रामकुमार ने मेरी तरफ देखा और फिर से मेरे पेट को चूमते हुए बोला, “क्यों, क्या मनीष ने तेरी गांद नही मारी अब तक.”
“आआहह…..न…नही.” एक तो संजय जिस तरह से तेज़ी से अपनी उंगली को मेरे नितंबो घुमा रहा था और दूसरा रामकुमार मेरे पेट को चूम रहा था दर्द और खुमारी के कारण मैने कराहते हुवे कहा. मैं दोनो की हर्कतो से बुरी तरह से बहकति जा रही थी.
रामकुमार ने मेरे उभारों को अपने दोनो हाथो मे थाम लिया और उन्हे कस कर दबाते हुए खड़ा हो गया उसके इस तरह से इतनी ज़ोर से दबाने से मेरी जान निकल गयी पर उसको जैसे कोई फ़र्क ही नही पड़ा हो… खड़ा हो कर उसने मेरे उरोजो को एक एक करके मसलना शुरू कर दिया. मेरी साँसे उखाड़ने लग गयी थी मैं दोबारा से अपनी मंज़िल की तरफ बढ़ रही थी.. मस्ती मे पूरी तरह से डूबा होने की वजह से मैने अपनी आँखे बंद कर ली.. मेरी आँखे बंद होते ही रामकुमार ने मौका देख कर मेरे चेहरे को अपने दोनो हाथो से थाम लिया. उसकी इस हरकत से मैं फॉरन अपने होश मे आ गयी. उसके मुँह से इतनी बुरी तरह की बास आ रही थी कि कुछ कहने की नही… वो जैसे जैसे अपने चेहरे को मेरे पास ला रहा था मेरा जी बुरी तरह से मिचलाने लग गया ऐसा लग रहा था कि मैं अभी उल्टी कर दुगी. पर मैं मजबूर थी उसने अपने दोनो हाथो से मेरे चेहरे को थाम रखा था कि मेरा अपने चेहरे को हिलना मुश्किल ही नही नामुमकिन हो गया था. उसने मेरा चेहरा पकड़ लिया और मेरे होंटो को अपने होंटो मे दबोच लिया.