05-02-2020, 09:34 PM
तभी रामकुमार ने मेरा हाथ पकड़ा और कहा कि “ये लो अपने पैसे हम एक भी पैसा नही चाहिए अब तो हम तुम्हरे पति को बताएगे पूरा किस्सा. अगर तुम चाहती हो कि हम कुछ ना बताए तो बताओ उस बूढ़े ने तुम्हारी ली थी ना उस कमरे मे ?”
मरती क्या ना करती मैने हां मे गर्दन हिला दी. “देखा मैं ना कहता था कि मेरा अंदाज़ा सही है.” संजय ने रामकुमार की तरफ देखते हुवे कहा.
“कितना बड़ा था उस बूढ़े का?” रामकुमार ने पूछा.
मैं तो हैरान ही रह गयी उन नयी उमर के लड़को के सीधे सीधे इस तरह से मेरे से सवाल करने के अंदाज को देख कर. मगर मैने अंजान बनाने का नाटक किया, “क्या?”
“लंड कितना बड़ा था बूढ़े का?” रामकुमार ने सॉफ सॉफ पूछ लिया.
“देखो अपने 2000 पाकड़ो मैं जा रही हूँ.” मैने कहा.
“जाओ फिर. 2000 भी रख लो. इतने मे बात नही बनेगी. सिर्फ़ बात ही तो कर रहे हैं हम लोग और तो कुछ नही. कोई और होता तो तेरी चूत लिए बिना नही मानता. सराफ़ात का जमाना ही नही है.” संजय ने गुस्से मे कहा.
बात को बिगड़ता देख मैने बात को संभालने की कोशिस की और उन दोनो से बोली “क्या तुम्हे ये सब जानना ज़रूरी है ?”
“हां ज़रूरी है. देखें तो सही कि क्या बात थी उस बदसूरत से थर्कि बुड्ढे मे कि तुमने उसे अपनी चूत दे दी और अपने पति को धोका दे दिया.” संजय ने अपने चेहरे पर गंभीरता भरे भाव लाते हुए कहा.
मरती क्या ना करती मैने उन दोनो से अपनी जान जल्द से जल्द छुड़ाने के लिए बोलना शुरू किया “सब अंजाने मे हो गया. मैं मनीष को धोका नही देना चाहती थी.” मैने उन्हे पूरी बात बताई कि कैसे पेसाब करने के कारण मैं वहाँ फँस गयी थी.
“जो भी है. क्या उसने ज़बरदस्ती की थी तेरे साथ वहाँ.” रामकुमार ने मेरी पूरी बात सुनने के बाद कहा.
“नही.” पता नही क्यू मेरे मुँह से अपने आप ही निकल गया.
“तो फिर कुछ तो ख़ास बात होगी उसमे जो तेरे पति मे नही है. क्या उसका लंड तेरे पति से बड़ा था.” इस बार संजय ने जो मुझसे दूर खड़ा हुआ था मेरे थोड़ा नज़दीक आते हुए पूछा.
मैं अजीब मुसीबत मैं फँस गयी थी समझ मे नही आ रहा था कि क्या जवाब दू और क्या नही पर उन दोनो से अपनी जान छुड़ानी थी और उसका सबसे बढ़िया तरीका यही था….मैने गहरी साँस ली और बोली, “हां.”
“ओह हो तो तू बड़े लड के झाँसे मे आ गयी. वैसे कितना बड़ा था उसका.” इस बार संजय ने अपने चेहरे पर जो गंभीरता के भाव थे उन्हे हटा कर घिनोनी सी हँसी हस्ते हुए कहा.
वो दोनो मुझसे जिस तरह से बात कर रहे थे आज तक किसी ने मुझसे इस तरह से बात नही की थी. “मैं कोई फीता लेकर नही बैठी थी वहाँ, समझे.” मैने उनकी बात सुन कर दोनो पर च्चिल्लाते हुए कहा.
मेरी बात सुन कर रामकुमार ने अपनी ज़िप खोल दी और अपने लिंग को बाहर निकालने लगा. उसकी इस हरकत को देख कर मैं बुरी तरह से हड़बड़ा गयी.
“ये….. ये…. ये क्या कर रहे हो. रूको वरना मैं चली जाउन्गि.” मैने ज़ोर से रामकुमार पर चिल्लाते हुए कहा.
“इसे देख कर बता की कितना बड़ा था उसका. हमे अंदाज़ा हो जाएगा.” रामकुमार ने अपने लिंग को ज़िप खोल कर बाहर निकाल कर हिलाते हुवे कहा.
वो मेरी आँखो के बिल्कुल सामने खड़ा था और मैं सोफे पर बैठी थी. उसके साथ ही संजय खड़ा था. संजय ने भी अपना लिंग बाहर निकाल लिया. मेरी तो आँखे ही फटी की फटी रह गयी. मुझे विस्वास ही नही हो रहा था कि इन कॉलेज गोयिंग लड़को के लिंग इतने भीमकाय होंगे. दोनो के लिंग किसी भी तरह से मुकेश के लिंग से कम नज़र नही आ रहे थे. दोनो के ही लिंग एक दम काले काले और मोटे मोटे थे. और दोनो के ही लिंग जवानी के पूरे जोश मे मेरे सामने किसी तोप की तरह तने खड़े थे. मैं बारी बारी से दोनो को देख रही थी और उन्हे कंपेर कर रही थी. संजय के लिंग का मूह कुछ ज़्यादा मोटा था रामकुमार के लिंग के मुक़ाबले मे. रामकुमार की बॉल्स संजय के बॉल्स से बड़ी थी और दोनो की बॉल्स पर घने बॉल थे. दोनो के लिंग के मूह प्रेकुं के कारण चिकने हो गये थे. ऐसा लग रहा था कि दोनो मेरी तरफ देख कर लार टपका रहे हों. मुझे खुद नही समझ मे आ रहा था कि मैं ऐसा क्यू कर रही हू.
मुझे इस तरह से अपने लिंग की तरफ देखते हुए पा कर राम कुमार बोला “देख संजय कैसे देख रही है हमारे लंड को ये.” और कहने के साथ ही रामकुमार अपने दाँत दिखा कर हँसने लग गया.
रामकुमार की बात सुन कर मैने तुरंत अपनी नज़रे वहाँ से हटा कर नीचे ज़मीन की तरफ कर ली . अपनी इस हरकत पर मुझे खुद ही बोहोत गिल्टी फील हो रही थी कि मैं ऐसा कैसे कर सकती हू. “देख ना तेरे लिए ही तो निकाले हैं. अब तो बता दे कि कितना बड़ा था उस आदमी का.” मुझे नज़रे हटा कर ज़मीन की तरफ देखते हुए पा कर संजय ज़ोर से हंसते हुए बोला.
उन दोनो के साथ बात करके पता नही मुझे क्या हो गया था ये उन दोनो के बात करने का असर था
मरती क्या ना करती मैने हां मे गर्दन हिला दी. “देखा मैं ना कहता था कि मेरा अंदाज़ा सही है.” संजय ने रामकुमार की तरफ देखते हुवे कहा.
“कितना बड़ा था उस बूढ़े का?” रामकुमार ने पूछा.
मैं तो हैरान ही रह गयी उन नयी उमर के लड़को के सीधे सीधे इस तरह से मेरे से सवाल करने के अंदाज को देख कर. मगर मैने अंजान बनाने का नाटक किया, “क्या?”
“लंड कितना बड़ा था बूढ़े का?” रामकुमार ने सॉफ सॉफ पूछ लिया.
“देखो अपने 2000 पाकड़ो मैं जा रही हूँ.” मैने कहा.
“जाओ फिर. 2000 भी रख लो. इतने मे बात नही बनेगी. सिर्फ़ बात ही तो कर रहे हैं हम लोग और तो कुछ नही. कोई और होता तो तेरी चूत लिए बिना नही मानता. सराफ़ात का जमाना ही नही है.” संजय ने गुस्से मे कहा.
बात को बिगड़ता देख मैने बात को संभालने की कोशिस की और उन दोनो से बोली “क्या तुम्हे ये सब जानना ज़रूरी है ?”
“हां ज़रूरी है. देखें तो सही कि क्या बात थी उस बदसूरत से थर्कि बुड्ढे मे कि तुमने उसे अपनी चूत दे दी और अपने पति को धोका दे दिया.” संजय ने अपने चेहरे पर गंभीरता भरे भाव लाते हुए कहा.
मरती क्या ना करती मैने उन दोनो से अपनी जान जल्द से जल्द छुड़ाने के लिए बोलना शुरू किया “सब अंजाने मे हो गया. मैं मनीष को धोका नही देना चाहती थी.” मैने उन्हे पूरी बात बताई कि कैसे पेसाब करने के कारण मैं वहाँ फँस गयी थी.
“जो भी है. क्या उसने ज़बरदस्ती की थी तेरे साथ वहाँ.” रामकुमार ने मेरी पूरी बात सुनने के बाद कहा.
“नही.” पता नही क्यू मेरे मुँह से अपने आप ही निकल गया.
“तो फिर कुछ तो ख़ास बात होगी उसमे जो तेरे पति मे नही है. क्या उसका लंड तेरे पति से बड़ा था.” इस बार संजय ने जो मुझसे दूर खड़ा हुआ था मेरे थोड़ा नज़दीक आते हुए पूछा.
मैं अजीब मुसीबत मैं फँस गयी थी समझ मे नही आ रहा था कि क्या जवाब दू और क्या नही पर उन दोनो से अपनी जान छुड़ानी थी और उसका सबसे बढ़िया तरीका यही था….मैने गहरी साँस ली और बोली, “हां.”
“ओह हो तो तू बड़े लड के झाँसे मे आ गयी. वैसे कितना बड़ा था उसका.” इस बार संजय ने अपने चेहरे पर जो गंभीरता के भाव थे उन्हे हटा कर घिनोनी सी हँसी हस्ते हुए कहा.
वो दोनो मुझसे जिस तरह से बात कर रहे थे आज तक किसी ने मुझसे इस तरह से बात नही की थी. “मैं कोई फीता लेकर नही बैठी थी वहाँ, समझे.” मैने उनकी बात सुन कर दोनो पर च्चिल्लाते हुए कहा.
मेरी बात सुन कर रामकुमार ने अपनी ज़िप खोल दी और अपने लिंग को बाहर निकालने लगा. उसकी इस हरकत को देख कर मैं बुरी तरह से हड़बड़ा गयी.
“ये….. ये…. ये क्या कर रहे हो. रूको वरना मैं चली जाउन्गि.” मैने ज़ोर से रामकुमार पर चिल्लाते हुए कहा.
“इसे देख कर बता की कितना बड़ा था उसका. हमे अंदाज़ा हो जाएगा.” रामकुमार ने अपने लिंग को ज़िप खोल कर बाहर निकाल कर हिलाते हुवे कहा.
वो मेरी आँखो के बिल्कुल सामने खड़ा था और मैं सोफे पर बैठी थी. उसके साथ ही संजय खड़ा था. संजय ने भी अपना लिंग बाहर निकाल लिया. मेरी तो आँखे ही फटी की फटी रह गयी. मुझे विस्वास ही नही हो रहा था कि इन कॉलेज गोयिंग लड़को के लिंग इतने भीमकाय होंगे. दोनो के लिंग किसी भी तरह से मुकेश के लिंग से कम नज़र नही आ रहे थे. दोनो के ही लिंग एक दम काले काले और मोटे मोटे थे. और दोनो के ही लिंग जवानी के पूरे जोश मे मेरे सामने किसी तोप की तरह तने खड़े थे. मैं बारी बारी से दोनो को देख रही थी और उन्हे कंपेर कर रही थी. संजय के लिंग का मूह कुछ ज़्यादा मोटा था रामकुमार के लिंग के मुक़ाबले मे. रामकुमार की बॉल्स संजय के बॉल्स से बड़ी थी और दोनो की बॉल्स पर घने बॉल थे. दोनो के लिंग के मूह प्रेकुं के कारण चिकने हो गये थे. ऐसा लग रहा था कि दोनो मेरी तरफ देख कर लार टपका रहे हों. मुझे खुद नही समझ मे आ रहा था कि मैं ऐसा क्यू कर रही हू.
मुझे इस तरह से अपने लिंग की तरफ देखते हुए पा कर राम कुमार बोला “देख संजय कैसे देख रही है हमारे लंड को ये.” और कहने के साथ ही रामकुमार अपने दाँत दिखा कर हँसने लग गया.
रामकुमार की बात सुन कर मैने तुरंत अपनी नज़रे वहाँ से हटा कर नीचे ज़मीन की तरफ कर ली . अपनी इस हरकत पर मुझे खुद ही बोहोत गिल्टी फील हो रही थी कि मैं ऐसा कैसे कर सकती हू. “देख ना तेरे लिए ही तो निकाले हैं. अब तो बता दे कि कितना बड़ा था उस आदमी का.” मुझे नज़रे हटा कर ज़मीन की तरफ देखते हुए पा कर संजय ज़ोर से हंसते हुए बोला.
उन दोनो के साथ बात करके पता नही मुझे क्या हो गया था ये उन दोनो के बात करने का असर था