05-02-2020, 09:30 PM
रामकुमार संजय को पकड़ कर एक तरफ ले गया और वो धीरे धीरे कुछ बाते करने लगे. दोनो पैसे की बात आते ही एग्ज़ाइटेड लग रहे थे. मेरा पैंतरा काम कर रहा था. आख़िर स्टूडेंट्स को जेब खर्च मिलता ही कितना है. सिर्फ़ 100 या 50 रुपीज़. उन दोनो के घर की जो हालत थी उसे देखने के बाद तो ये बिल्कुल तय हो गया था कि उन दोनो के लिए 1000 र्स बहुत बड़ी चीज़ थी. दोनो इस ऑफर को स्वीकार करने के मूड मे लग रहे थे. दोनो बात करके मेरे पास आए और बोले, “1000 कम हैं थोड़ा और बढ़ाओ.”
“मैं इतना ही दे सकती हूँ. मंजूर हो तो बोलो.” मैने सकती से कहा.
दोनो फिर से सोच मे पड़ गये. कुछ सोचने के बाद संजय बोला, “ठीक है मंजूर है पर तुम्हे उस कमरे की सारी घटना बतानी पड़ेगी. वरना 1000 मे बात नही बनेगी. उस से अच्छा तो हम तुम्हारी लेना चाहेंगे.”
मेरी समझ मे नही आया कि क्या करू पर उन दोनो से मुझे किसी ना किसी तरह से पीछा च्छुड़वाना ही था इस लिए “ऐसा सोचना भी मत. मैं ऐसा कुछ नही करूँगी. अगर तुम्हे 1000 कम लग रहे है तो मैं तुम्हे और पैसे दे दुगी ”
“ऐसा कुछ नही किया तो उस कमरे मे क्या किया तुमने फिर.” संजय ने मेरा मज़ाक उड़ाते हुए कहा.
पता नही उसके सवाल सुन कर मैने उनसे कहा कि “क…क…कुछ नही हम दोनो बस कुछ ढूंड रहे थे वहाँ.”
“क्या ढूंड रहे थे, हमे भी तो पता चले.” रामकुमार ने अपने चहरे पर हैरानी के झूठे भाव लाते हुए कहा.
“देखो मैं लेट हो रही हूँ. घर मे शादी का माहॉल है. मैं ज़्यादा देर बाहर नही रह सकती.” मैने उन दोनो से अपनी जान छुड़ाने के लिए कहा.
“तो बताओ ना क्या हुआ कमरे मे तुम दोनो के बीच. उसने ली थी ना तेरी.” संजय ने अपने चेहरे पर इस तरह के भाव लाते हुए कि जैसे की वो मेरा बोहोत बड़ा हम दर्द है कहा.
“देखो तुम अपने काम से काम रखो, ये लो 1000 र्स और और अब तुम अपनी ज़ुबान हमेशा के लिए बंद रखोगे” कह कर मैं वहाँ से जाने लगी.
“मैं इतना ही दे सकती हूँ. मंजूर हो तो बोलो.” मैने सकती से कहा.
दोनो फिर से सोच मे पड़ गये. कुछ सोचने के बाद संजय बोला, “ठीक है मंजूर है पर तुम्हे उस कमरे की सारी घटना बतानी पड़ेगी. वरना 1000 मे बात नही बनेगी. उस से अच्छा तो हम तुम्हारी लेना चाहेंगे.”
मेरी समझ मे नही आया कि क्या करू पर उन दोनो से मुझे किसी ना किसी तरह से पीछा च्छुड़वाना ही था इस लिए “ऐसा सोचना भी मत. मैं ऐसा कुछ नही करूँगी. अगर तुम्हे 1000 कम लग रहे है तो मैं तुम्हे और पैसे दे दुगी ”
“ऐसा कुछ नही किया तो उस कमरे मे क्या किया तुमने फिर.” संजय ने मेरा मज़ाक उड़ाते हुए कहा.
पता नही उसके सवाल सुन कर मैने उनसे कहा कि “क…क…कुछ नही हम दोनो बस कुछ ढूंड रहे थे वहाँ.”
“क्या ढूंड रहे थे, हमे भी तो पता चले.” रामकुमार ने अपने चहरे पर हैरानी के झूठे भाव लाते हुए कहा.
“देखो मैं लेट हो रही हूँ. घर मे शादी का माहॉल है. मैं ज़्यादा देर बाहर नही रह सकती.” मैने उन दोनो से अपनी जान छुड़ाने के लिए कहा.
“तो बताओ ना क्या हुआ कमरे मे तुम दोनो के बीच. उसने ली थी ना तेरी.” संजय ने अपने चेहरे पर इस तरह के भाव लाते हुए कि जैसे की वो मेरा बोहोत बड़ा हम दर्द है कहा.
“देखो तुम अपने काम से काम रखो, ये लो 1000 र्स और और अब तुम अपनी ज़ुबान हमेशा के लिए बंद रखोगे” कह कर मैं वहाँ से जाने लगी.